Tuesday, August 19, 2014

खाली आसमां की ओर न देख ज़मीं भी है तेरी।

कलम से____

खाली आसमां की ओर न देख ज़मीं भी है तेरी।

खाली खाली बोतल है जो रहती थी भरी
महकते थे चमन कभी खुशबुंओं से तेरी।

बागबां ने लगाए फूल सोच रहेगी डाली लदी
पता ही न चला उजाड़ कर गया कोई कभी।

हबाओं के रूख में मिलती थी ठंडक जो कभी
गर्मी पड़ी अबके कुछ ऐसी सूख गई है नदी।

जो लोग देखते हैं सपने खाली करते न कुछ कभी
खुदा की रहमत से मिलता नहीं है उनको कुछ कभी।

निगाह नीची कर चलोगी तो मिलेगी दुआ सभी की
महबूब की मोहब्बत की मोहताज़ न रहोगी कभी।

खाली आसमां की ओर न देख ज़मीं भी है तेरी।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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