एक धारावाहिक
एक धारावाहिक
तनिष्का तैयार होकर जब घर से सिद्धार्थ सिंह के यहाँ डिनर के लिए निकलने लगी तो मनीष और इशिता वहीं लिविंग रूम में थे।
आज बस वहीं से आगे बढ़ते हैं….
तनिष्का
एक धारावाहिक
26-05-2018
एपिसोड 33
तनिष्का ने आज शाम के लिये हल्के हरे रंग का नेट का एम्ब्रॉयडरी किया हुआ अनारकली सूट और दुप्पटा पहना था जो पिछली बार उसने मारिया और अपनी मॉम के साथ गोवा के मार्किट से खरीदा था। उसके साथ मैचिंग कलर के चूड़ियाँ और स्लीपर भी उसने गोवा ही से खरीदे थे। जब वह तैयार होकर बाहर आई तो इशिता ने उसे अपने पास बुलाया उसकी पेशानी को चूम कर आशीर्वाद दिया और कहा, “जा बेटी मिल कर आ मुझे तो सिंह परिवार आन बान शान और संस्कारों से परिपूर्ण लगता है दूसरा सिद्धार्थ भी पहली ही मुलाकात में किसी का भी दिल जीत ले ऐसी उसकी पर्सनालिटी है”
“मैं लौटकर मॉम बताती हूँ कि मेरी आज की मुलाकात सिंह परिवार के सदस्यों के साथ कैसी रही", तनिष्का ने कहा और कार में बैठकर वह ड्राइवर के साथ डूंगरपुर हाउस की ओर चल पड़ी। मनीष ने इशिता से पूछा, “इशिता क्या उन सिंह साहब के यहाँ गई है जिनका यहाँ के भारतीय समाज में बहुत नाम है”
“जी, सिद्धार्थ वही जो एक बार अपने घर डिनर के लिये आ चुका है और शायद आपकी उस दिन उससे मुलाकात भी हुई थी। मुझे तो वह लड़का बहुत अच्छा लगता है काश अपनी तनिष्का उसके डैड और मॉम को पसंद आ जाए”
“अभी से इतना खुश भी हो”, मनीष ने कहा।
“क्यों न खुश होऊँ मुझे तनिष्का पर नाज़ है। उसने पिछले दिनों में जिस तरह मेहनत कर अपनी बॉडी को एक आकर्षक रूप दिया है उसके लिए मैं तो मारिया को एक बिग थैंक्स देने वाली हूँ”
“हाँ यह बात तो है। तुम यह न समझ बैठना कि घर में जो होता है उस पर मेरी नज़र नहीं रहती। मैं हर छोटी से छोटी चीज के बारे में जानकारी रखता हूँ जो हमारे बच्चों के फ्यूचर से जुड़ी हुई होती है। यह बात दूसरी है कि मैं तुम्हारे किसी काम में कोई दखलंदाजी नहीं करता”
इशिता ने मनीष को किस करते हुए कहा, “जानती हूँ इसीलिए तो तुम्हें इतना प्यार करतीं हूँ”
“चलो बेडरूम में चलो फिर मैं पूछूँगा कि तुम मुझे कितना प्यार करती हो", कह कर मनीष ने भी इशिता को की कमर के पीछे हाथ रखते हुए कहा। इसके बाद वे दोनों पति पत्नी अपने बेडरूम में चले गए।
तनिष्का जब ‘डूंगरपुर हाउस’ पहुँची तो उसकी मुलाकात बाहर ही सिद्धार्थ से हो गई जो बड़ी बेक़रारी से तनिष्का का इंतजार ही कर रहा था। सिद्धार्थ ने बढ़ कर कार का दरवाज़ा खोला और तनिष्का को बहुत प्यार से कार से उतरने के लिए कहते हुए पूछा, “कहाँ रह गई थी, मेरे डैड और मॉम सभी तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। वे सब तुमसे मिलने को बहुत आतुर हैं”
सिद्धार्थ ने तनिष्का का एक हाथ अपने हाथ में लिया और उसको साथ ले वह अपने आलीशान घर की ओर बढ़ चला। घर के दरवाज़े से ही घर की बनावट में राजपूती आनबान शान को साफ देखा जा सकता था। घर के अंदर घुसते ही तनिष्का की निगाह सिद्धार्थ के डैड और मॉम के ऊपर पड़ी तो वे लोग सोफे पर बैठे हुए थे। तनिष्का को देखकर वे आगे बढ़ कर आये। दोनों ने बहुत ही प्यार से तनिष्का का अपने गले से लगाया। तनिष्का ने भी तुरंत झुककर दोनों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। सिद्धार्थ की मॉम ने तनिष्का की आँखों में झाँकते हुए कहा, “बिल्कुल वैसी ही पाया जैसा सिड ने तुम्हारे बारे में हमें बताया। मैं तो बहुत खुश हूँ”
सिद्धार्थ के डैड ने भी मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने भी तनिष्का को वैसे ही पाया जैसा कि तुमने मुझे बताया था। बेटी तेरी तारीफ़ में क़सीदे तो हमारे घर में पिछले कई दिनों से पढ़े जा रहे थे पर आज तुझे अपनी आँखों से देखने के बाद बहुत ही सुकून मिला”
“मैं भी स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे आप लोगों का आशीष प्राप्त हो रहा है”, तनिष्का ने भी धीरे से कहा।
“आ बेटी मेरे पास आकर बैठ”, सिद्धार्थ की मॉम ने तनिष्का को अपने पास बिठाया और उसके माता पिता और परिवार के अन्य लोगों की कुशलक्षेम ली। तनिष्का के क्या-क्या शौक़ हैं उनके बारे में जानकारी ली और फिर अपने परिवार के बारे में एक फ़ोटो एल्बम लेकर सब कुछ बताया कि वे लोग कैसे डूंगरपुर से नैरोबी आये और फिर किस तरह यहाँ बिज़नेस सेट अप किया। बातों ही बातों में सिद्धार्थ के डैड ने भी अपनी हँस मुख पर्सनालिटी का प्रदर्शन करते हुए अपने बचपन के वे तमाम किस्से कहानियां सुना डाले जिनमें उन्हें उनके पिताश्री से खूब डांट पड़ा करती थी एक दो बार तो उनकी बेंत से पिटाई भी हो गई थी। इसी बीच सिद्धार्थ ने सभी के लिये ड्रिंक्स का इंतज़ाम कराया। सिद्धार्थ की मॉम ने पूछा, “तुम क्या लोगों बेटी”
तनिष्का ने मॉम की ओर देखते हुए कहा, ,”फ्रूट जूस और कुछ नहीं”
“पहली बार आई है इसलिए शरमा रही है कुछ दिन हमारे यहाँ रहेगी तो सब कुछ जान जाएगी”, सिद्धार्थ के डैड बोले।
इसी तरह की बातचीत होती रही और कुछ देर बाद सिद्धार्थ की मॉम ने पूछा, “मालूम है तुमको लेकर सिड कितना एक्साइटड है उसने तुम्हारे लिए न जाने क्या-क्या तैयारी की है। सिड सुना न वह गीत जो तूने ख़ास आज शाम के लिये तैयार किया है”
सिध्दार्थ ने पियानो पर तनिष्का के घर आगमन पर एक वेलकम सॉंग सुनाया। जब सिद्धार्थ की मॉम ने तनिष्का से पूछा, “तुम्हें गाने बजाने का शौक़ है या नहीं तो तनिष्का मुस्कुरा कर रह गई तब सिद्धार्थ ने मॉम से कहा, “मॉम तनु बहुत बढ़िया गाती है”
“सुना बेटी फिर सुना न यहाँ किससे कुछ पर्दा करना”
तनिष्का ने सिद्धार्थ से कुछ बात की और फिर हिंदी फ़िल्म की एक मशहूर ग़ज़ल सुनाई जिसके बोल थे ‘आपकी नज़रों ने समझा प्यार के क़ाबिल मुझे…..’ सिद्धार्थ ने पियानो पर धुन बजा कर तनिष्का का खूब साथ दिया।
ग़ज़ल की समाप्ति पर सिद्धार्थ के डैड और मॉम ने तनिष्का की खुले दिल से तारीफ़ की। जब तक कि डिनर लगता उस बीच के लिये सिद्धार्थ की मॉम ने सिद्धार्थ से कहा, “बेटा जा तनिष्का को अपना बेडरूम तो दिखा ला”
अपनी बात:
सिद्धार्थ तनिष्का को अपने साथ ले जा कर अपना घर दिखाने ले जाता है…
28-052018
एपिसोड 34
सिद्धार्थ ने तनिष्का का एक हाथ अपने हाथ में लिया और उसे लिविंग रूम के पीछे वाले गेट से बाहर के बरामदे में से होते हुए घर के ग्राउंड फ़्लोर में बने बार रूम की ओर ले गया और पूछा, “क्या बनाऊँ यहाँ डैड और मॉम नहीं हैं तुम आराम से जो मन करे ले सकती हो”
तनिष्का की निगाह बार में रखी हुई एक से बढ़ कर एक महँगी और नायाब ड्रिंक्स पर पड़ीं और बोली, “आज तो कुछ भी नहीं पर फिर कभी”
“चलो समझ सकता हूँ आज तुम इम्प्रेशन बनाने के चक्कर में जो हो”
तनिष्का ने कुछ कहा तो नहीं बस शरारत भरी नज़र से एक बार सिद्धार्थ की ओर देखा। बार से निकल कर सिद्धार्थ ने उसे बताया, "ग्राउंड फ्लोर में किचेन के अलावा डाइनिंग हॉल है और दो गेस्ट रूम। डैड और मॉम का बेड रूम भी ग्राउंड फ्लोर पर ही है लेकिन मेरा बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर है, चलो एक नज़र उस पर भी डाल लो”
तनिष्का को वह अपने साथ ले घुमावदार सीढ़ी के रास्ते जब लेकर अपने बेडरूम की ओर बढ़ रहा था तो बोला, “मेरे बेड रूम के साथ दो और भी बेड रूम है जो अभी कोई इस्तेमाल नहीं करता है बस जब कभी डूंगरपुर से चचेरे भाई बहन आते हैं तो वे इन बेड रूम को इस्तेमाल करते हैं”
अपने बेडरूम में ले जाकर सिद्धार्थ तनिष्का से कहता है, “मेरे बेड रूम से बाहर की ओर बालकॉनी में जाया जा सकता है। सुबह सुबह उठ कर उगते हुए सूर्य को देखने का यहाँ से अन्दाज़ ही अपना है। मैं यहाँ अपने कुल देवता सूर्य भगवान को सबसे पहले यहाँ आकर अर्ध्य देता हूँ। उसके बाद ही अपने दिन की शुरुआत करता हूँ"
”इसका मतलब मुझे भी यह सब करना होगा”, तनिष्का ने बड़ी ही सादगी से सिद्धार्थ से अपने मन की बात कह दी कर यह भी पूछ लिया कि उसके मन में आखिर क्या चल रहा है।
अपने मन की गांठों को खोलते हुए सिद्धार्थ बोला, “मैं तो तुम्हें अपने जीवन का अंग बना चुका हूँ। बस तुम्हें और तुम्हारे घर वालों को हाँ कहनी है। उसके बाद मैं कह सकता हूँ कि तुम्हें भी ऐसा ही करना होगा यह हमारे घर की परंपरा है जिसका पालन मेरे डैड और मॉम अभी तक निभाते चले आ रहे हैं”
एक तरफ की खिड़की का पर्दा हटा कर सिद्धार्थ ने तनिष्का को बताया, “इधर आओ देखो इस जगह से मेरे घर का स्विमिंग पूल और उसके ठीक पीछे पहाड़ियों पर फैली हुई हरियाली किसी को भी दिल जीतने की ताकत रखती है। शाम को जब भगवान भास्कर अपने सभी कर्तव्य निभा कर अगली भोर तक के लिये विदा लेते हैं और पक्षी अपने-अपने रैनबसेरों पर लौटने लगते हैं तो वह नज़ारा भी बहुत दिलकश होता है”
“सिड मुझे लगता है कि तुम्हारे भीतर कहीं कोई एक कलाकार छुपा हुआ है बस उसे माकूल माहौल चाहिए जब वह मन की परतों से बाहर आ सके”, तनिष्का ने सिद्धार्थ से अपने मन की बात कह डाली।
“हो सकता है उसे तुम्हारी संगत चाहिए”
इसके बाद सिद्धार्थ तनिष्का को घर के पीछे वाले गार्डन और स्विमिंग पूल दिखाने ले गया। स्विमिंग पूल देखकर तनिष्का अपनी ख़ुशी का इज़हार करने से न रोक पाई और बोली, “मेरी मन पसंद जगह तो है। मैं बस यही चाहती थी कि मैं जहाँ भी रहूँ मेरे लिये एक स्वमिंग पूल ज़रूर हो”
“लो अब तो तुम्हारी यह इच्छा भी पूरी हुई और जो कुछ बाकी हो अभी बता दो तुम्हारे आने के पहले मैं डैड और मॉम से कह कर उसे भी पूरा करा दूँ”
“सिड मुझे तुम मिल रहे हो बस मुझे कुछ और नहीं चाहिए”, कहकर तनिष्का सिध्दार्थ की बाहों में झूल गई। सिद्धार्थ ने भी एक पल न खोया और तनिष्का के लवों पर अपने लवों से हस्ताक्षर कर के ही छोड़। उसी समय सिद्धार्थ की मॉम का फोन आ गया, “सिड कहाँ हो डिनर लग गया है”
“बस मॉम में अभी आया मैं तनु को अपना स्विमिंग पूल और बैक यार्ड गार्डन दिखाने ले आया था”
“आ जल्दी आ तेरे डैड इंतज़ार कर रहे हैं”
“ओके मॉम”, कह कर सिद्धार्थ ने तनिष्का का हाथ अपने हाथ में लिया और लिविंग रूम की ओर वे दोनों बढ़ चले।
जैसे ही वे दोनों वहाँ पहुँचे सिद्धार्थ की मॉम ने सिड के डैड से कहा, “आइये बच्चे लौट आये”
सिद्धार्थ के डैड ने डाइनिंग टेबल की ओर चलते हुए तनिष्का से पूछा, “तनु तुझे कैसा लगा हमारा ग़रीबखाना”
“डैड महल कहिये महल। मुझे बहुत अच्छा लगा”
बाद में सभी लोगों ने ख़ुशनुमा माहौल में डिनर किया। डिनर में आज सिद्धार्थ की मॉम ने तनिष्का का ख़्याल रखते हुए वेज और नॉन वेज की इंडियन तथा कॉन्टिनेंटल डिशेज बनबाईं थीं। देर रात तक डिनर के बाद जब तनिष्का के चलने की बारी आई तो सिद्धार्थ की मॉम ने तनिष्का को गिफ़्ट पैक इस हिदायत से दिया कि उसे वह घर जाकर ही खोल कर देखे और अगर वह यह अपने मॉम और डैड के सामने करे तो और भी ठीक रहेगा।
सिद्धार्थ के डैड ने उससे कहा, “जाओ तुम तनिष्का को उसके घर ड्राप करके आओ”
“नहीं डैड मेरे साथ ड्राइवर है मैं चली जाऊँगी”
“नहीं सिड ही तुझे छोड़कर आएगा और तुम्हारा ड्राइवर तुम्हें फॉलो कर लेगा”
अपनी बात:
सिद्धार्थ ने तनिष्का को अपने साथ ले जा कर अपना घर दिखाया और बाद में तनिष्का ने सिंह परिवार के साथ शाही अंदाज़ में डिनर किया। जब तनिष्का घर के लिए निकलने लगी तो सिद्धार्थ की मॉम ने तनिष्का एक गिफ़्ट पैक यह कहकर दिया कि वह इसे घर जाकर अपने डैड और मॉम के सामने ही खोले। बात यहीं समाप्त नहीं होती है सिद्धार्थ के डैड ने सिद्धार्थ को तनिष्का को घर तक छोड़कर आने के लिये भी भेज दिया।
अब हम देखते हैं कि उसके आगे क्या हुआ:
29-052018
एपिसोड 35
सिद्धार्थ की कार जब कोहली विला के गेट से अदंर गई और पोर्च में आकर जब रुकी तो तनिष्का कार से उतरने लगी। सिद्धार्थ ने एक बार तनिष्का को फिर अपनी ओर खींचना चाहा तो तनिष्का ने कहा, “अभी नहीं लगता है कि डैड और मॉम जग रहे हैं और मेरे लौटने का इंतजार ही कर रहे हैं”
तनिष्का यह कह कर सिद्धार्थ की बाहों से अपने आप को छुड़ा कर कार से उतर कर कोहली विला की सीढ़ी पर खड़ी होकर सिद्धार्थ को वेव करने लगी। सिद्धार्थ ने भी अपनी कार को धीरे से मोड़कर अपने घर की ओर किया और तनिष्का अपने घर में दाख़िल हुई तो उसकी मॉम और डैड महाराज जी तथा सुगंधा जी से गपशप कर रहे थे। इशिता ने तनिष्का को अपने पास बुला कर बिठाया और पूछा, “कैसी रही तेरी आज की शाम”
“फैंटास्टिक मॉम बियोंड माइ एक्सपेक्टेशन”, तनिष्का ने उत्तर में कहा।
तनिष्का को इतना ख़ुश देख मनीष ने पूछा, “ऐसा क्या हुआ कि मेरी बेटी इतनी ख़ुश है”
इसके बाद एक-एक कर तनिष्का ने सभी को यह बताया कि ‘डूंगरपुर हाउस’ में उसका किस तरह वेलकम हुआ और सिंह अंकल और आँटी ने उसे कितना प्यार दिया। यहाँ तक कि चलते-चलते उसे गिफ़्ट पैक भी दिया और कहा कि यह मैं अपने डैड और मॉम के सामने ही इसे खोलूँ”
“तो खोल न बेटी हम भी देखें कि आख़िर सिंह परिवार ने हमारी बेटी को ऐसा क्या दे दिया”
तनिष्का ने धीरे से पैक की आउटर कवरिंग को हटाया तो उसमें एक हार्ड कवर का केस था और जब उसे खोला तो देखा कि उसमें हीरे के जड़ाऊ कंगन थे। इशिता ने कहा, “दिखा मुझे क्या है” तनिष्का से पैक को अपने हाथ में लेकर बोली, “ये तो बहुत ही महँगे जड़ाऊ कंगन हैं”
सुगंधा जी ने कंगन देखते ही कहा, “इसका मतलब तो साफ है कि सिंह परिवार के लोगों को तनिष्का पसंद है और यह आप लोगों के लिए इशारा भी कि अब आप इस बात को आगे बढाइये”
इशिता और मनीष भी मन ही मन बहुत ख़ुश हुए और इशिता ने तनिष्का से कहा, “जा बेटी ले जा और इन्हें बहुत सम्हाल कर रखना जा आराम कर थक गई होगी”
जब तनिष्का अपने बेडरूम के लिये चली गई तो उन सब में आपस में बहुत देर बातें होतीं रहीं कि अपनी ओर से बात को कैसे आगे बढ़ाया जाए। यह तय हुआ कि अगले दिन सिंह परिवार के लिए उचित रिटर्न गिफ्ट्स लेकर शाम को इशिता और मनीष ‘डूंगरपुर हाउस’ जाएंगे और तनिष्का के सम्बंध पर बात करेंगे। इस निर्णय पर पहुँचने में कपिल महाराज जी और सुगंधा जी ने भी बहुत अहम रोल निभाया।
जब पति पत्नी देर रात अपने बिस्तर पर सोने की तैयारी कर रहे थे तो इशिता ने कहा, “आज मैं बहुत खुश हूँ कि मेरी और मारिया की मेहनत रंग लाई और तनिष्का सिंह परिवार में पसंद की गई”
“इशिता मैं भी ख़ुश हूँ और हम कल शाम को ही चल कर तनिष्का के बारे में बात कर उसकी ओर से तो निश्चिंत हों पर अब मुझे कनिष्का की बहुत चिंता हो रही है”
“मनीष तुम्हारी चिंताएं बिल्कुल बाजिब हैं पर अब क्या किया जाए अब वह मेहनत तो कर रही है। मारिया उसे ट्रेनिंग भी दे रही है और सुगंधा जी भी अपनी ओर से लगीं हुईं हैं”
“तुमने अच्छा याद दिलाया कपिल महाराज जी और सुगंधा जी की तैयारी कब तक पूरी हो जाएगी और उनका प्रोग्राम किस दिन हो रहा है? मुझे भी बता देना मैं भी अपने बिज़नेस फ्रेंड्स को इनवाइट कर लूँगा”
“मैं कल ही उनसे बात कर इस प्रोग्राम को फाइनल करतीं हूँ क्योंकि उधर मारिया भी अब साल्वाडोर जाने की ज़िद कर रही है”
“इसका मतलब अगर सब कुछ ठीक रहता है तो तनिष्का का भी हमको कोई फंक्शन उसके जाने के पहले ही करना होगा”
“वह तो है”
“चलो तुम महाराज जी से बात कर अपना प्रोग्राम फाइनल करो कल हम लोग सिंह परिवार के लोगों से मिलकर तनिष्का की बात को भी आगे बढ़ाते हैं”
“ठीक है” इशिता ने कहा, “चलिए आज कुछ चैन की नींद सोइये एक काम तो लग रहा अब पूरा होने ही वाला है”
“गुड नाइट”, कहकर मनीष ने लाइट्स ऑफ कर दिया और जल्दी ही दोनों पति पत्नी गहरी नींद के आग़ोश में चले गए।
अगले दिन जब सुगंधा जी और कनिष्का डांस की प्रैक्टिस कर रहीं थी तो इशिता ने आकर कपिल महाराज जी से कहा, “प्रैक्टिस तो ठीक चल रही है। महाराज जी इनका यह डांस शो कितने समय का होने की उम्मीद है”
“इशिता जी इनके इस नृत्य नाटिका में स्त्री सौंदर्य बोध का नख शिख वर्णन है मेरे विचार में कम से कम पैंतीस से चालीस मिनट का समय लगेगा” कपिल महाराज जी ने इशिता को अपना अंदाज़ा बताया।
“एक बात और इनको अभी कितने दिन और चाहिए”
“मुझे लगता है और सुगंधा भी कह रही थी कि चार पाँच रोज़ में इनकी तैयारी पूरी हो जाएगी”
“इसका मतलब मैं जिस प्रोग्राम की बात सोच रहीं हूँ उसे इस वीकेंड में रख सकते हैं”, इशिता ने कहा।
“मेरे विचार में यह प्रोग्राम ठीक रहेगा फिर भी एक बार सुगंधा से अंतिम रूप से पूछना बेहतर रहेगा”
जब सुगंधा जी की और कनिष्का की नृत्य नाटिका की प्रैक्टिस ख़त्म हो गई तो इशिता ने सुगंधा से बात कर आने वाले शनिवार की शाम की तारीख प्रोग्राम के लिए तय कर दी।
शाम को मनीष और इशिता सिद्धार्थ के घर जाकर उसके माता पिता से मुलाक़ात करी और तनिष्का के सम्बंध में आगे के लिए बातचीत की….
क्रमशः
अपनी बात:
आपने पिछले एपिसोड में देखा कि इशिता और मनीष ने सिद्धार्थ के माता पिता से मिलने का मन बनाया जिससे कि तनिष्का के सम्बंध के बारे में वे लोग आगे बढ़ सकें। वे लोग शाम को जब डूंगरपुर हाउस पहुँचे तो उनका दिल खोल कर स्वागत हुआ और बातों ही बातों में बहुत कुछ एक दूसरे को पता लगा।
अब हम देखते हैं कि उसके आगे क्या हुआ:
30-052018
एपिसोड 36
सिद्धार्थ के डैड ने तनिष्का के डैड मनीष से कहा, “आप दोनों का हमारे इस ग़रीबखाने पर स्वागत है”
मनीष ने अपनी ओर से बात बढ़ाते हुए कहा, “राणा साहब आपने जिस तरह हमारी बेटी को अपना प्यार दिया उसके लिए हमारे पास आपका शुक्रिया कहने के लिए शब्द ही नहीं हैं। सही मायने में हम लोग निशब्द हैं”
सिद्धार्थ के डैड बोले, “कोहली जी देखिए आजकल न तो हमारी चलती है न आपकी। आजकल घर में बच्चों की चलती है और अब हम क्या करते जब हमारे कुँवर का दिल तनिष्का बेटी पर आ ही गया तो हमें लगा कि हम सभी को बच्चों के भले की ही सोचना चाहिए”
“हम आपके बहुत शुक्रगुज़ार हैं कि आपने हमें इस क़ाबिल समझा यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है। हमें अपनी बेटी तनिष्का को आपको देने में भला कोई एतराज़ हो ही नहीं सकता। आप दोनों का तहेदिल से शुक्रिया”
“आप बार-बार अब हमें शर्मिंदा कर रहे हैं कोहली साहब। जो माता पिता अपने बच्चों के दिल की बात नहीं सुनते उन्हें वक़्त कभी मुआफ़ नहीं करता”
इशिता ने भी अपनी ओर से अपने मन की बात रखी, “भाई साहब और बहन जी हम तो लड़की वाले हैं और इसलिए यह हमारा फर्ज़ बनता है कि हम आपका आदर सम्मान करते हुए ही अपनी बात रखें। आपको तो पता ही है कि हमारे यहाँ तनिष्का से बड़ी उसकी बहन कनिष्का है उसके लिए हमें उचित वर की तलाश है इसलिए बस यह ग़ुज़ारिश थी कि हम तनिष्का और सिद्धार्थ के सम्बंध पर अपनी सहमति जताते हुए एक फंक्शन कर लें लेकिन दोनों का विवाह कनिष्का के विवाह के बाद ही करें”
“बिल्कुल बहन जी आपने ठीक कहा। मैं भी चाहती हूँ कि हमारा कुँवर और तनिष्का कुछ दिन अपनी ज़िंदगी जी लें उसके बाद तो इन्हें हमेशा के लिए साथ-साथ ही रहना है”
इशिता और मनीष ने अपने साथ लाये बैग से तीन पैकट निकाले और उनमें से एक-एक पैक राणा साहब और उनकी पत्नी के हाथों में रखते हुए कहा, “कोहली परिवार की ओर से हमारा यह नज़राना क़ुबूल फरमाएं और यह गिफ़्ट पैक कुँवर साहब के लिए”
सिद्धार्थ के डैड ने कहा, “सिड ऊपर ही है हम उसे यहीं बुलवा भेजते हैं यह भेंट आप स्वयं ही अपने हाथों से देवें तो उचित होगा”। यह कहकर एक सेवक को कुँवर की बुलाने के लिये भेजा।
सिद्धार्थ ने आते ही तनिष्का के डैड और मॉम को नमस्कार किया उसके उत्तर में मनीष ने उठकर सिद्धार्थ को अपने गले लगाया और उसके बाद इशिता ने प्यार से सिद्धार्थ की पेशानी को चूम कर आशीर्वाद दिया और वह गिफ़्ट पैक भी जो वे अपने साथ लाये थे। सिद्धार्थ ने भी दोनों के पाँव छूकर उनका अभिवादन किया और वह यह कह कर वहाँ से चला गया, “अब मैं चलता हूँ आप लोग आपस में बात करिए”
औपचारिकताएं समाप्त होने पर दोनों परिवारों के बीच खुलकर बातचीत हुई और सभी ने मिलकर इस खुशी के मौक़े को शैम्पेन खोल कर सेलिब्रेट किया। डिनर टेबल पर बातचीत के दौरान मनीष ने कहा, “मैं यह तो नहीं जानता कि मेरी जानकारी कहाँ तक सत्य है पर हम बचपन में अपने पुरखों से सुना करते थे कि हम लोग भी क्षत्रिय हैं और एक अरसा पहले यूपी में आये और वहाँ के लोगों ने हमें खत्री कहना शुरू कर दिया और तब से हमारा अपना ही एक समाज बन गया और शादी व्याह हमारे यहाँ आपस के लोगों के बीच होने लग गए। हम लोग क्षत्रियों की मुख्य धारा से कट गए जैसे कि एक पेड़ से उसकी डाली"
“कोहली जी छोड़िए भी इन दकियानूसी बातों को जब हमारे बच्चे एक दूसरे को चाहते हैं तो इन सब बातों को अब कोई अर्थ ही नहीं रह जाता। बस हमारी एक ही विनती है कि जब भी इनका विवाह हो तो वह हमारी मातृभूमि यानी डूंगरपुर में ही हो”
इशिता और मनीष ने एक स्वर में उत्तर दिया, “मंज़ूर है”
इसके बाद दोनों परिवारों के बीच इधर उधर देर रात तक बात होती रही जिसमें प्रमुख रूप से सिद्धार्थ के डैड और मॉम सिड के बचपन के कहानी किस्से सुनाते रहे और इशिता और मनीष तनिष्का के बचपन की बातें। बातों ही बातों में इशिता ने यह ज़ाहिर भी कर दिया कि बहुत जल्द ही वे लोग अपने एक नए बिज़नेस की शुरुआत करने जा रहे हैं और राणा परिवार को शनिवार के कार्यक्रम के लिए निमंत्रित भी कर दिया। ख़ुशी-ख़ुशी जब कोहली परिवार ‘डूंगरपुर हाउस’ से जब विदा होने लगा तो राणा साहब के सेवकों ने उनकी कार की डिक्की को सौग़ात के पैकेटों से पूरी तरह भर दिया जिसमें कि मिठाई, मेवे तथा फलों के टोकरे थे।
‘कोहली विला’ पहुँच कर मनीष और इशिता ने घर में उपस्थित सभी लोगों को लिविंग रूम में आने के लिए कहा और जैसे ही सब लोग वहाँ आ गए इशिता ने खुद अपने हाथों से जितना भी समान डूंगरपुर हाउस से मिला था, एक-एक कर के सभी पैकेट्स खोले और तनिष्का को बुला कर अपने आग़ोश में भरकर उसे दिल से दुआ दीं कि उसकी जिंदगी खुशियों की सौगात से सदैव भरी रहे।
मारिया ने भी तनिष्का को छेड़ते हुए कहा, “लेट स्टार्टर बीट्स आल एंड प्रूवड टू बि द फास्टेस्ट ऑफ आल ऑफ अस”
कनिष्का के दिल में कुछ-कुछ हो रहा था उसे यह लग रहा था कि काश वह भी अपने परिवार को ऐसे ख़ुशी के पल दे सकती। आज उसको महसूस हो रहा था कि जीवन के दो ही रास्ते हैं या तो अपनी खुशियों के बीच ज़िंदगी जीना सीख लो या अपनों में खुशियाँ ढूंढ लो। कनिष्का अंदर ही अंदर बहुत बुरा लग रहा था कि वह अभी तक न तो अपनी जिंदगी ही जी पाई और न ही अपनों को ख़ुश रख पाई फिर भी उसने तनिष्का को अपने गले लगाया उसे चूमा और दिल से बधाई दी।
कपिल महाराज जी और सुगंधा ने भी सम्पूर्ण कोहली परिवार को मुबारक़बाद दी। उस रात कोहली हाउस में देर रात तक जश्न का माहौल बना रहा।
क्रमशः
अपनी बात:
आपने पिछले एपिसोड में देखा डूंगरपुर हाउस से जब इशिता तथा मनीष घर लौट कर आए तो उस रात कोहली विला में देर तक हंगामा हुआ और जश्न का माहौल चला।
अब हम देखते हैं कि उसके आगे क्या हुआ:
तनिष्का
एक धारावाहिक
31-052018
एपिसोड 37
अगली सुबह मारिया तनिष्का और कनिष्का को साथ लेकर फ़िटनेस रूटीन के लिये लेकर निकल गई। रास्ते में वह दोनों को यह भी बताती रही कि फिटनेस का मतलब खाली शारीरिक सुंदरता को बढ़ाना मात्र नहीं है इससे बौद्धिक विकास भी होता है। लोगों में जीवन के प्रति एक नव नूतन विचार भी आते हैं इंसान में एक पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है। जीवन मे निराशा के लिए कोई स्थान नहीं रहता और एक नई तरह की उमंग महसूस होती है जैसे कि आजकल तनिष्का महसूस कर रही है। अगर वह आपने जीवन में फिजिकल फ़िटनेस को नहीं अपनाती तो वह सिड को कहाँ से प्राप्त कर पाती। कनिष्का मारिया की बात सुनकर मन ही मन यह सोचने लगी कि कितना अच्छा होता कि वह भी मॉम को गोवा में जाकर मिल लेती तो वह भी मारिया के कहने पर तनिष्का की तरह आज किसी की आँखों में दिल पर राज कर रही होती। एक ख़्याल आते ही कि अभी सब कुछ बिखरा नहीं है इसलिए वह अपने स्वास्थ्य और फिजिकल फ़िटनेस को लेकर सजग हो चुकी थी और हर वक़्त बस यही सोचा करती थी कि जीवन की दौड़ में उसे बने रहना है किसी तरह भी हार नहीं माननी है।
घर लौट कर कनिष्का लाइट ब्रेकफास्ट करती और सुगंधा जी के साथ नृत्य नाटिका की प्रैक्टिस करती। इस बीच इशिता और मारिया मिलकर अपने नए बिज़नेस के सिलसिले को अब कैसे आगे बढ़ाना है इस विषय पर चर्चा भी करतीं। आज मारिया ने अपने इम्पोर्ट मैनेजर को भी मीटिंग के लिए बुला लिया था और यह जानना चाह रही थी कि क्या वह कन्साइनमेंट उसने कस्टम हाउस से क्लियर करा लिया जिसमें साल्वाडोर से वह प्रोडक्ट्स आये हुए थे जिन्हें इशिता और वह शनिवार के फंक्शन में कंपनी लॉन्च के समय डिस्प्ले करना चाह रहीं थीं। इशिता ने फंक्शन के सम्बंधित दूसरी अन्य तैयारियों के लिये दूसरे ऑफिसर्स को बुला लिया था और उनके साथ भी रिव्यु मीटिंग की। जब यह तसल्ली हो गई कि फंक्शन की सभी तैयारियां पूरी हो गईं हैं तो उसके बाद वे दोनों उस हाल में आ गईं जहाँ सुगंधा जी और कनिष्का डांस की प्रैक्टिस कर रहीं थीं। इशिता और मारिया चुपचाप कपिल महाराज जी के पास आकर बैठ गईं और बीच-बीच में वह जो स्त्री सौंदर्य बोध पर जो कमेंट्री दे रहे थे उसको बहुत ध्यानपूर्वक सुनने लगीं। कपिल महाराज बता रहे थे:
मुख :
मुख सौंदर्य का सार मुखमंडल होता है। राधे तेरे रूप की कल्पना जो मेरे हृदय के पोर-पोर में है वह कुछ इस प्रकार है कि तुम्हारा संपूर्ण मुख मंडल कभी रूपमंजरी को रूप की राशि ठहरता है तो कभी उसके सौंदय सुधा की अनुभूति कर चकोरों को उसके पीछे दौड़ा दिया। मुखमंडल की आभा इतनी कांतिमय है कि उसके पिता का घर में दीपक के बिना ही प्रकाशमान रहता है:
“ता भूपति के भवन की, उदय न बारे सॉज।
बिन ही दीपक दीप जनु, दिये कुवरिघर माँज।“
मेरी कल्पना में तू राधे अपनी हथेली पर मुख रखकर बैठी हुई है, उंसके सौंदर्य को देखकर ऐसा लग रहा है कि शैय्या बिछाकर जैसे चन्द्रमा सो रहा हो:
“बर अरविंद बिछाय जनु, सोवत इंदु अडोल”
चिबुक:
चिबुक के मध्य में गड्ढे का होना राधिका तेरे रूप में विशेष आकर्षण उत्पन्न करता है। रूपमंजरी के चिबुक कूप की महिमा का गान करते हुए यह कहा है कि जो उस कूप की छवि में उझके, वह फिर जगत कूप में कदापि नहीं गिर सकता है:
“चिबुक कूप छवि उझके कोई, जगत कूप पुनि परै न सोई।“
राधिके की ठोड़ी की सुंदरता का सार है अत्यंत सुष्ठ और सुठान है, उसके बिंदु के सौंदर्यतिरेक को देखकर ऐसा लगता है मानो सुधारस टपकते-टपकते बिंदु के बीच आकर रुक गया हो।
ग्रीवा:
रासेस्वरी तुम्हारी ग्रीवा गर्बिली और मान के समय एक विशेष मुद्रा के मुड़ जानलेवा ग्रीवा है। राधे तुम्हारी कंबु कपोत इतना कोमल है कि पीक की लीक भी उसमें दिखाई देती है।
“गल नल, कंधर ग्रीव पुनि, कंठ कपोती कैन।
पीक लीक जहँ झिलमिल, सो छवि कीने ऐन।।“
कर, अंगुली, भुजा:
ललिता तेरे हाथों का सौंदर्य उनकी कोमलता में होता है। बहु मृणाल में हथेलियाँ लाल कमल सी प्रतीत होती हैं। यौवना के करों में इतनी सुकुमाता है कि, उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे कि कमल के दो भाग कर दिया गए हों।
“सुंदर कर राजत। रंग भीने, एक कमल के जनु विविकीने।“
कवि हृदय कृष्ण अपनी राधिके के रूपवर्णन में तल्लीन हो कह उठते हैं:
“कबहुँ परस्पर छिरकत अंजुल भरि भरि।
अरुन कमल मंडली फाग खेलत रस रंग भरि।।“
कुच:
राधारानी तुम्हारे कुच सघन, उन्नत हैं। उरोज पृष्ठ तथा गठीले हैं।
“पिय संग सोवत अति छवि लहै, करि करि कलित कुचस्थल गहै।“
उरोजों का वर्णन कृष्ण ने बड़े ही मनोयोग से किया है। कोमलता, कठोरता, ऊँचाई, गोलाई, आदि उरोजों के सौंदर्य के अंग माने गए हैं।
“मंडल दै जु कुच दोऊ, आवै न उपमा आखितर कोउ।“
जब कृष्ण को कुछ और नहीं सूझा तो बोल बैठे मुझे कोई भी उपमा स्मरण नहीं हो रही है जब वह राधिका के कुचों के बारे में बता रहे हैं। नव यौवन का अंकुर फूटने पर उंसके वक्षोज का सात्विक सौंदय निखर से आया है। वह अपने कुचों को दृढ़तापूर्वक पकड़े रहती है तथा उरोमल को एक कर लेती है, क्योंकि वह डरती है कहीं नव अनंग का अंकुर फूट न जाय:
“उरज पयोधर, कुच, कहिय, अस्तन उर-छवि ऐन।
कंचन सम्पुट देव जनु पूजि छिपाए मैन।।"
पेट, पीठ:
मेरी हृदयेश्वरी कमनीय कामिनी के उदर सौंदर्य का उत्कर्ष उतना अधिक है कि उसके आगे सभी उपमान फीके पड़ जाते हैं।
“तुच्छ, अल्प, लव, सूक्ष्म, तनु, निपट कृसोदर तोर।
कहि बलि एतौ मां सचि, राख्यो हौ किहि ठौर।।“
रोमावली, नाभि, त्रिवली और कटि:
कृष्णा के मन में राधे की रोमावली विष भरी नागिन है जो कटि से निकलकर नभिकुण्ड में गिर गई है और प्रयत्न करने पर भी बाहर नहीं निकल सकती है।
“रोमावली मिली मनों जमुना की धारा
सोहे पुगि सुरसरि सी मोतिन के हारा ।“
सुकुमारी की के कटि के वर्णन में वे कहते हैं:
“झूमत प्यारी, सारी पहिरै, चलत सुकटि लचकाई,
जनु नव रूप-जोत जगमग सी लगत पवन झुक जाइ।“
नितम्ब, जंघा
राधिके के जंघे कदली-खम्भ के सदृश्य हैं, कहीं उन्हें जलचर भी कहा गया है। कृश कटि की तुलना में जघन और नितंब भारी है। यौवना नितंबवती है और उनके कदलियों में उरुओं कई झलक है:
“रंभा, मोचा, गजबसा, भानुफला सुकुमार ।
ये कदली जिन मैं कछू, तब ऊरू उनहार ।।“
जंघाओं का सुरुचिपूर्ण वर्णन करते समय कृष्णा के मुँह से यह वचन सुन राधारानी निहाल हो गईं हैं:
“तिय तन रूप बढ़त चल्यो ऐसे। दुतिया चंद कलनि करि जैसे ।
जुबन राव जा उरपुर लयो। सैसव राव जंघन बन गयो ।
अरन लगे तब दोऊ नरेसा। छीन परयो तब तिय मधि देसा ।
तिन तन सर बालापन पानी। जोबन तरनि किरनि अधिकारी।
जिमि जिमि सैसव जल उथराने। तिमि तिमि नैन मीन इतराने ।"
जब कपिल महाराज जी और सुगंधा जी की नृत्य नाटिका की रिहर्सल रुक गई तो इशिता ने कपिल महाराज जी से कहा, “आइये हम लोग सभी लिविंग रूम में बैठकर अपने कार्यक्रम को अंतिम रूप देदें जिससे की सभी सम्बंधित लोग अब अपने-अपने काम में जुट जाएं"
सभी लोग जब एकित्रत हो गए तो मारिया के साथ मिलकर और कपिल महाराज जी तथा सुंगंधा जी के मशवरे के बाद प्रोग्राम में क्या-क्या आइटम होंगे और उन्हें कैसे संचालित किया जाएगा उस पर चर्चा की और अंतिम रूप दिया गया।
मारिया के कुछ सुझाव तो इशिता को इतने अच्छे लगे कि उन्हें तुरंत शामिल कर लिया गया। कार्यक्रम के आखिरी भाग में कपिल महाराज जी द्वारा निर्देशित राधा कृष्ण की जुगलबंदी के साथ ही समापन करने के लिये अनुरूप पाया गया।
क्रमशः
अपनी बात:
कल आपने देखा कि प्रोग्राम की तैयारी पूरी कर ली गई और बस इंतज़ार इस बात का है सब कुछ सही हो जाए।
अब हम देखते हैं कि उसके आगे क्या हुआ:
01-06-2018
एपिसोड 38
“इशिता तुम्हारे फंक्शन की सब तैयारी हो गई”, मनीष जब रात इशिता से मिला तो पूछ बैठा।
“हाँ अपनी तरफ से तो पूरी तैयारी हो चुकी है बाकी एक बार तुम देख लो कोई चीज छूट तो नहीं रही”, यह कहकर एक-एक बात डिटेल में इशिता ने मनीष को बताई।
“मुझे लगता है कि इसे इवेंट को इंटरनेशनल मीडिया को कवर करना चाहिए जिससे कि हम अपने बिजनेस में इसका पूरा पूरा लाभ ले सकें"
“यह काम तुम देख लो डिअर”
“ठीक है मैं देख लूँगा। तुम एक काम करना कि तुम सिद्धार्थ की मॉम से एक बार फिर बात करके उन्हें फंक्शन के लिये याद दिला देना”
“यह तुमने अच्छा याद दिलाया”
आखिरकार वह दिन भी आ ही गया जब इशिता ने अपनी कंपनी को एक ग्रांड गाला फंक्शन में लॉन्च कर ही दिया। फंक्शन की समाप्ति पर उपस्थित भारतीय और विदेशी मेहमानों ने फंक्शन को खुले दिल से सराहा। लोकल इंफ्लुएंशिल लोगों ने इसे एक अच्छी पहल बताया और आशा जताई कि नई कंपनी के उत्पाद और सेवाओं से अफ़्रीकन कांटिनेंट में स्त्रियों में अपने स्वास्थ्य और फिजिकल फ़िटनेस के प्रति जागरूकता आयगी और अतः यह प्रयास उनके जीवन में नई चेतना जागृति करने में सक्षम होंगे। प्रोग्राम के जिस हिस्से की सबसे अधिक प्रशंशा की गई वह था सुंगंधा जी और कनिष्का की कत्थक नृत्य पर आधारित नृत्य नाटिका। बाद में जब सुंगंधा जी, कपिल महाराज तथा कनिष्का स्टेज पर आईं तो हॉल में उपस्थित सभी लोगों ने करतल ध्वनि करके तथा अफ़्रीकी लोगों की विशिष्ट ख़ुशी की आवाज़ पर तालियों की गड़गड़ाहट कई मिनट तक आती रही।
बाद में डिनर का प्रोग्राम था जिसमें सभी मेहमानों की उपस्थिति में मनीष ने राणा परिवार की सहमति से तनिष्का और सिद्धार्थ का यह कह कर परिचय कराया कि शीघ्र ही दोनों प्रेम के प्रतीक बंधन में बंधने की तैयारी में है।
जब सभी मित्रगण और मेहमान विदा हो गए तो उसके बाद ही कोहली परिवार भी ‘कोहली विला’ लौट कर आया। मनीष ने सभी को कुछ देर लिविंग रूम में बैठने के लिए कहा। इशिता ने पूछा भी कि ऐसी क्या बात है। मनीष ने कहा, “एक मिनट रुको अभी बताता हूँ”
कुछ देर इधर उधर झाँकने के बाद मनीष बोले, “आज का दिन हमारे सभी के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था जिसमें हरेक ने अपना-अपना रोल बख़ूबी निभाया। इसके लिये आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया”
मनीष के यह कहने के बाद इसी प्रकार के शब्द इशिता ने कहे। लगभग हरेक ने एक दूसरे की तारीफ़ की पर जब कपिल महाराज जी ने कनिष्का के लिए दो शब्द कहे उस समय सबको एहसास हुआ कि कनिष्का और सुगंधा जी की जुगलबंदी और नृत्य नाटिका की जितनी भी प्रशंषा की जाए वह कम ही है। तब सब को ख़्याल आया कि आज का पूरा प्रोग्राम तो इन्हीं दोनों के कंधे पर था। कनिष्का ने भी यह कहकर अपने गुरुजनों का सम्मान रखा कि आज वह जो भी कर सकी उसमें सुंगंधा जी और महाराज जी की कृपा और आशीर्वाद ही था। जब कनिष्का अपने मन की बात कर ही रही थी उसी समय उसके मोबाइल पर कॉल आया और जब उसने पूछा, “कौन बोल रहा है”
दूसरी ओर से आवाज़ आई, “मैं अशफ़ाक़ भाई, हैदराबाद से”
“जी बताइये”
“सबसे पहले तो मुबारक़बाद”
“किस बात के लिए?”, कनिष्का ने पूछा।
“आज आपने जो नैरोबी में परफॉर्मेंस दी है उसके लिये। मैंने अभी-अभी उसे टीवी पर देखा है। मुझे बहुत ख़ुशी हुई। ……..दूसरा मैं आपको अपनी अगली फ़िल्म में बतौर हीरोइन कास्ट करना चाहता हूँ तो यह बताइये कि आप इंडिया कब वापस लौट रहीं हैं…”
क्रमशः
अपनी बात:
कल हैदराबाद से अशफ़ाक़ भाई का फ़ोन कनिष्का के पास आया कि वह उसकी परफॉर्मेंस देखने के बाद उसे अपनी फ़िल्म में हीरोइन के रोल में कास्ट करना चाहते हैं..
देखते हैं कि कनिष्का क्या निर्णय लेती है?
02-06-2018
एपिसोड 39
इशिता के इशारे पर कनिष्का ने जवाब देते हुए कहा, “अशफ़ाक़ भाई क्या मैं आपसे कल बात करूँ अभी घर में कुछ मेहमान आये हुए हैं मैं उनके साथ हूँ”
“ठीक है मैं फिर कल बात करता हूँ”, अशफ़ाक़ भाई ने कह कर कॉल डिसकनेक्ट कर दिया।
इशिता ने कनिष्का से कहा, “रात बहुत हो गई है। इस विषय पर हम सुबह बात करेंगे”
“ठीक है मॉम”, कह कर कनिष्का और तनिष्का दोनों अपने अपने बेड रूम में चले चली गईं।
उनके जाने के बाद इशिता ने मनीष से पूछा, “अब बताओ क्या करना है?”
मनीष ने कहा, “तुम ही उसे मैनेज कर रही थी तुम बताओ कि क्या करना है। बस मुझे इतना ही कहना है कि या तो कनिष्का अपनी प्रोफेशनल लाइफ में सेटल हो जाय या फिर वह बताए कि उसकी पसंद का कोई लड़का उसकी निगाह में है या हम उसके लिये कोई लड़का ढूँढ़ कर उसकी शादी करदें”
“आपने तो यह सब बहुत आसानी से कह दिया पर यह सब होगा पूरा कैसे?”
“यह तुम सोचो या तुम अपने हाथ खड़े कर दो। कनिष्का के लिए मैं अब तनिष्का की ज़िंदगी दाँव पर नहीं लगा सकता हूँ। राणा साहब को बहुत दिनों तक नहीं टाला जा सकता है”
इशिता दुविधा में थी कि अब वह क्या करे जब उसे कुछ न सूझा तो उसने कपिल महाराज जी और सुगंधा जी की ओर मदद के लिए देखा। कपिल महाराज जी ने इशिता की दिक्कत समझते हुए सुगंधा जी से पूछा, “आप कुछ बोलना चाहेंगी”
सुगंधा कुछ भी कहने से कतरातीं दिखीं फिर हिम्मत करके बोली, “मैंने कनिष्का को पहले भी देखा है और अभी निकट भविष्य में भी उसके साथ मिलकर काम किया है, मैं इतना ही कहना चाहूँगी की वह मेहनती है और अब अपने स्वास्थ्य और सुंदरता के प्रति सजग और उसमें सुधार लाने के लिए कटिबद्ध भी है। अब उसके साथ करना क्या है इस विषय में महाराज जी ही कुछ कहें तो ठीक होगा”
कपिल महाराज जी एक मिनट के लिए गहन चिंतन किया और फिर उन्होंने कहा, “मेरे विचार में कनिष्का के समक्ष जो अवसर है उसे छोड़ना नहीं चाहिए इसलिए इशिता जी को उसके साथ जा कर अशफ़ाक भाई से सभी बातें खुल कर करनी चाहिए और अगर उन्हें लगता है कि वह ठीक व्यक्ति हैं और अपने काम के प्रति निष्ठावान हैं तो उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लेना चाहिए और जैसे ही बीच में अवसर मिले तो मारिया की फ़िटनेस शेड्यूल को भी पूरा करना चाहिए। मैं यह भी कहूँगा कि अभी कुछ समय तक सुगंधा जी को इशिता और कनिष्का के साथ रहना चाहिए जिससे कनिष्का ने हाल में जो एकाग्रता और अपने कर्तव्यों के पालन के लिए जो निष्ठा बनी है वह बनी रहे। बाकी रही यह बात कि इसी बीच अगर कनिष्का के जीवन में कोई व्यक्ति उसके दिल में अपनी जगह बना पाने में सफल होता है तो ठीक अन्यथा आप उसके लिए सुयोग्य वर ढूँढ़ कर उसके विवाह के कार्यक्रम को आगे बढ़ाइए”
इशिता ने बहुत सोच विचार कर अंत मे मनीष की ओर देखते हुए जैसे कि वह भी उसके विचार से सहमत हैं कहा, “मुझे भी यही लगता है कि अभी हमारे पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं है और जो महाराज जी और सुगंधा जी ने कहा है उसी पर आगे चलना ठीक लग रहा है"
मनीष ने अपनी ओर से इतना ही कहा, “मैं कनिष्का के भविष्य के लिए तनिष्का के सुहाने जीवन को तबाह नहीं कर सकता अब यह आप लोगों पर है कि क्या करना है मैं तनिष्का की शादी आने वाली सर्दियों में कर दूँगा। तब तक वह मारिया के साथ साल्वाडोर जाकर अपने फ़िटनेस रेजीम के प्रोग्राम को पूरा करने की कोशिश करेगी। मेरा यही अंतिम फैसला है”
सुगंधा जी ने मनीष की बात से हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा, “मैं भी मनीष जी से सहमत हूँ”
“लो तो हो गया फैसला अब जो करना है वह किया जाय”, कपिल महाराज जी ने भी सुगंधा की बात को दुहरा दिया।
इशिता ने कपिल महाराज और सुगंधा जी का हार्दिक धन्यवाद किया और आशा की कि वह जैसे अभी तक हमारे परिवार को अपनी सलाह देते रहे हैं वह आगे भी देते रहेंगे।
इशिता के इतना कह देने के बाद सभी लोग अपने अपने बेडरूम में चलने के लिये उठ खड़े हुए। इशिता ने मारिया से कहा, “मारिया अब तुम अपना साल्वाडोर जाने का प्रोग्राम पक्का कर लो तनिष्का तुम्हारे साथ आ रही है”
“ओके थैंक्स मुझे आज महसूस हुआ कि हिन्दुतानी लोग अपनी बेटियों को लेकर इतना परेशान क्यों रहते हैं अब तो मुझे भी अपने बारे में सीरियसली सोचना पड़ेगा कि क्या करना है। ये लारा लप्पा वाली ज़िन्दगी अब बहुत दिनों तक नहीं चलने वाली। मुझे भी लगता है कि अपनी शादी के बारे में सिड से बात करनी चाहिए"
इशिता ने मारिया की बात सुनकर कहा, "आर यू सीरियस तो हम लोग सिड के घर वालों से मिलें और तुम्हारी शादी की बात आगे बढ़ाएं। अगर वह लोग तैयार हो जाते हैं तो तनिष्का के साथ तुम्हारी भी शादी हो जाय"
"मैं अबकी बार साल्वाडोर लौटकर फाइनल करतीं हूँ तब तक मैं सिड के साथ कुछ दिन एन्जॉय करूँगी वह भी तो हमारे साथ साल्वाडोर आ रहा है", मारिया बोली।
"ओह फिर क्या बात है कुछ दिन मस्ती और उसके बाद तुम्हारी भी शादी"
मारिया ने कहकर इशिता से पूछा, “क्या मैं हम लोगों के साल्वाडोर जाने के बारे में कल सुबह तनिष्का से बात कर सकतीं हूँ”
“बाइ आल मीन्स। प्लीज गो अहेड”, इशिता ने भी कह कर मारिया को गुड नाईट कहा।
क्रमशः
अपनी बात:
हैदराबाद से अशफ़ाक़ भाई का फ़ोन कनिष्का के पास जब अगले दिन आया तो कनिष्का ने ठीक वैसे ही बात की जैसे कि इशिता ने उसे समझाया था।
देखते हैं कि कनिष्का ने कैसे बातचीत की और फिर क्या हुआ।
03-06-2018
एपिसोड 40
“….हाँ जी, कनिष्का जी आपने क्या सोचा?”, अशफ़ाक भाई ने पूछा।
“यह तो बताइए कि मेरे अपोजिट किसको कास्ट कर रहे हैं”
“अपनी फ़िल्म थिएटर में लगानी है तो भला किसको करेंगे आजकल तो तेलगु फ़िल्मी दुनिया में रामाराव का ही बोलबाला है, उनसे बात हो चुकी है। मैंने उन्हें आपके प्रोग्राम की क्लिप भी दिखाई थी उन्हें भी अच्छा लगा कि वह आप जैसी कलाकार के साथ काम कर सकेंगे"
“चलिए जब आप इतना जोर दे रहे हैं तो मैं दो तीन रोज़ में ही हैदराबाद पहुँचने की कोशिश करती हूँ। बस मेरी एक ही कंडीशन है कि मैं बोल्ड सीन बिल्कुल भी नहीं कर सकूँगी”
“आपकी हर शर्त मंज़ूर है, बस आप हाँ कर दीजिए”
“हाँ, हाँ भाई कितनी बार हाँ बोलूँ। देखिए, स्क्रिप्ट की एक कॉपी मुझे मेल कर दीजिए, मुझे अपने रोल को समझने में बहुत मदद मिलेगी”
“ठीक है कनिष्का जी मैं किसी को बोलता हूँ कि वह स्क्रिप्ट आपको मेल कर दे”
“ओक सी यू सून”
“थैंक यू जानूँ”
“क्या, क्या तुम क्या बोले अशफ़ाक भाई”
“कुछ नहीं ग़लती से मुँह से निकल गया अपनी इंडस्ट्री में यह सब चलता है”, कहकर किसी तरह अशफ़ाक भाई ने बात टाली।
मारिया और तनिष्का से जब इशिता की मुलाक़ात हुई और बातचीत के दौरान इशिता ने मारिया से कहा, “तनिष्का का पासपोर्ट ले लो और अपने जाने की तैयारी करो”
मारिया ने इशिता को बताया कि उसने सारा इंतज़ाम कर दिया है अभी कुछ ही देर में यूनाइटेड वर्ल्ड टूअर्स का एक आदमी मेरे ऑफिस मेंआता होगा वह डाक्यूमेंट्स ले जाएगा। हम लोगों के साथ सिड भी आ रहा है तो कोई दिक्कत नहीं होंगी।
“तनिष्का तूने सिड से साथ चलने के लिए कहा था?”
“मॉम भला मैं क्यों सिड से कहूँगी हम लोगों के साथ आने के लिये”
“तो फिर कौन साथ जा जा रहा है मारिया?”
मारिया ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “वो सिड नहीं मेरे वाला सिड सिद्धार्थ कपूर”
“ओह जब से तनिष्का के सिड के साथ मुलाकात हुई है मेरे दिमाग़ में दूसरे किसी सिड का खयाल आता ही नहीं है”
“चलो मैं और तनिष्का आज अपने सिटी सेंटर वाले फ़िटनेस ऑफिस में जा रहे हैं फिर हम लौटकर शाम को बात करेंगे”, मारिया ने इशिता से कहा।
मारिया और तनिष्का अपने अपने रूम्स में चले गए और इशिता कपिल महाराज और सुगंधा जी से मिलने उनके रूम जा पहुँची। देखा तो वे लोग आपस मैं बातचीत कर रहे थे। उनके ठीक सामने बैठने के बाद इशिता ने अपने दिल की गहराइयों से दोनों का शुक्रिया किया और बोली, “अगर आप कल हम सबका मार्ग दर्शन न करते तो मुझे यह लगता है कि कनिष्का का भविष्य ही बर्बाद हो जाता”
“छोड़िये भी आप कहाँ फँसी हुई हैं हमने तो अपना धर्म निभाया और वही किया जो हमें उचित लगा। अब यह बताइये कि सुगंधा को आगे क्या करना है”, कपिल महाराज जी ने कहा।
“करना क्या है आप लोग मेरे और कनिष्का के साथ हैदराबाद चल रहे हैं और क्या। बस मैं आज शाम या कल की टिकट बुक करा देती हूँ”, इशिता ने उत्तर में कहा।
सुगंधा ने भी अपनी ओर से एक सुझाव दिया, “क्यों न हम लोग उसी दिन अपने प्रोडक्ट्स और सॉल्यूशन्स को लॉन्च हैदराबाद से ही करें जिस दिन कनिष्का अपनी पहली फ़िल्म साइन करे हमारे लिये उस दिन का दिन डबल धमाके वाला दिन होगा। रही बात प्रोग्राम की तो अपनी तो सभी तैयारियां पूरीं हैं करना ही क्या है जो हमने यहाँ किया वही वहाँ जाकर करना है”
इशिता ने इस सुझाव पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “क्या बात है सुगंधा जी अब आपको भी अपने काम में मज़ा आने लगा है। इससे अच्छी और क्या बात होगी। मैं आपकी राय से सौ फ़ीसद सहमत हूँ”
“लो अब सब चीज तो तय हो गई अब बस करना क्या है”, कपिल महाराज ने पूछा
“क्या करना है जी अपना बोरिया बिस्तरा गोल करो और इंडिया चलो और क्या”, कह कर सुगंधा जी ने सारी बातों पर सील लगा दी।
क्रमशः
अपनी बात:
मारिया और तनिष्का सिटी सेंटर की ओर निकल पडीं जिससे कि वह भविष्य की योजनाओं पर काम कर सकें।
04-06-2018
एपिसोड 42
मारिया तनिष्का के साथ अपने सिटी सेंटर वाले फ़िटनेस सेंटर पर पहुँचने के लिए कोहली विला से निकलीं हैं थीं। तनिष्का कार ड्राइव कर रही थी इसलिए मारिया ने फोन कर सिद्धार्थ कपूर को अपने फ़िटनेस सेंटर पर बुला लिया जिससे कि वह अपने और तनिष्का के ट्रेवल डाक्यूमेंट्स सिड को दे सके और वह जो भी समझे फिर आगे की कार्यवाही कर सके।
बीच रास्ते में एक जगह कार रोककर तनिष्का ने मारिया से कहा, “मारिया आज गाड़ी तुम चलाओ न प्लीज”
“क्यों क्या हुआ”
“बस ऐसे ही”
“ओके”, कहकर दोनों ने अपनी सीट बदल लीं। तनिष्का ने महसूस किया कि फंक्शन के बाद वह सिड से मिली ही नहीं तो उसने सिड से बात करने का मन बनाया पर वह यह डिसाइड नहीं कर पा रही थी कि वह उससे कहाँ मिले। बहुत देर सोचने के बाद उसने अपना इरादा पक्का किया कि आज शाम को वह सिड से रेसकोर्स क्लब में ही मिलेगी। बस यह ख़्याल आते ही उसने सिद्धार्थ सिंह को फोन लगाया और जब दूसरी ओर से सिद्धार्थ की प्यारी सी आवाज़ सुनाई पड़ी तो तनिष्का बोली, “सिड क्या कर रहे हो?”
“कुछ खास नहीं एक क्लाइंट के साथ मीटिंग में था”
“चलो कोई बात नहीं फिर बाद में बात करती हूँ”
“नहीं नहीं तुम बताओ तो सही कि क्या बात है”
“मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ क्या तुम शाम को मिल सकते हो"
“बताओ कहाँ मिलना है”
“शाम रेसकोर्स क्लब के रेस्टोरेंट में”
“कितने बजे”
“वही सिक्स ओ क्लॉक के आसपास”
“ओके डन”, कहकर सिद्धार्थ ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया।
इसी बीच कार चलाते हुए मारिया सिटी सेंटर पहुँच चुकी थी और कारपार्किंग में कार पार्क करने की तैयारी में थी। वे दोनों वहाँ से चलकर फ़िटनेस सेंटर में आ गईं। मारिया ने कुछ देर वहाँ के मैनेजर से बात की। दो एक फ़िटनेस ट्रेनेर्स को बुलबाया उनके हाल चाल लिये और जब वे ऑफिस से चलीं गईं तो मारिया बोली, “रेड कलर में जो ट्रेनर थी कैसी लगी”
“क्यों क्या बात है” तनिष्का ने पूछा।
“मैं चाहती हूँ कि तुम बिल्कुल ठीक उसकी तरह की बॉडी शेप में साल्वाडोर से लौटो”
“वह तो बहुत ही अट्रेक्टिव है क्या मैं उसकी तरह बन जाऊँगी”
“बिलकुल मेहनत करोगी तो उसकी तरह बन सकोगी। मैं वह कवितामयी भाषा तो नहीं जानती जितनी सुंदर भाषा के माध्यम से कपिल महाराज जी ने नृत्य नाटिका के जरिये एक स्त्री के सौंदर्य का वर्णन किया था एक तरह से मैं अपनी बहुत ही क्रूड भाषा में कहूँ तो तुम बस एक चीज का ख़्याल रखना कि तुम्हारी बैक बहुत हैवी नहीं होनी चाहिए। जितनी उस लड़की की थी बस उतनी ही रहनी चाहिए। हर मर्द अपनी औरत में जहाँ उसके शरीर में फ्रंटेज में सुंदरता ढूँढता है उसी तरह की सुंदरता वह अपनी औरत के बैक वाले हिस्से में भी ढूँढता है। सही मायने में कहा जाए तो फ्रंट और बैक की सुंदरता को मिला कर ही एक औरत कम्पलीट लगती है।तुम्हें याद होगा कि कपिल महाराज जी ने भी उस दिन यही बताया था कि एक औरत की सुंदरता सम्पूर्णता लिये हुए होनी चाहिए न कि टुकड़ों में”
“समझ गई, लेकिन यह तो बताओ कि उसके लिये मुझे क्या करना होगा?”
“इसी बात के लिये तो तुम मेरे साथ सल्वाडोर आ रही हो। वहाँ की जलवायु, खानपान, फ़िटनेस रेजीम को फॉलो करोगी तो क्यों नहीं उसकी तरह बनोगी बिल्कुल बनोगी। एक बात और आज जब सिड से मिलना तो उससे खास तौर से पूछना कि तुम उसे कैसी लगती हो और यह भी कि वह तुम में किस तरह के परिवर्तन की उम्मीद रखता है” मारिया ने तनिष्का को समझाते हुए कहा।
तनिष्का कुछ बोली तो नहीं पर मन ही मन मारिया की हर बात को अपने मन में बिठा लिया। इसी बीच सिद्धार्थ कपूर वहाँ आ गया उससे बात करते हुए मारिया ने अपने और तनिष्का के ट्रेवल डाक्यूमेंट्स उसे देते हुए कहा, “लो हनी अब हमारी टिकट जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी सल्वाडोर की बुक कर दो। देखो अपनी टिकट बुक करना न भूल जाना। पैसों की चिंता नहीं करना आइ विल पे फ़ॉर योर ट्रेवल एक्सपेंसेस”
मारिया की बात सुनकर सिद्दार्थ कपूर बोला, “डॉन्ट वि सिली आई विल टेक केअर ऑफ माइ एक्सपेंस”
“चलो अच्छा है जब तक हम तुम शादी नहीं कर लेते हैं हमारे एकाउंट अलग अलग ही रहें”
“यू नॉटी गर्ल”, कहकर किसी तरह सिद्धार्थ कपूर ने अपना पीछा छुड़ाया और तनिष्का की ओर पलट कर देखते हुए बोला, “तुम मेरे साथ रहना हम लोग इसे इसके घर में ही ख़ूब पकाएंगे”
तनिष्का ने मुस्करा भर के जवाब दिया और यह कहकर वह ऑफिस से बाहर निकल गई जिससे कि मारिया सिद्धार्थ से अपने मन की कहले।
अपनी बात:
कल तक आपने देखा कि जब तनिष्का मारिया के साथ उसके सिटी सेंटर वाले फ़िटनेस सेंटर में गई तो किस प्रकार उसने तनिष्का को यह समझाने की कोशिश की कि किसी भी स्त्री के लिये पूर्णरूप से स्वस्थ और लावन्यपूर्ण होना चाहिए। बाद में मारिया ने तनिष्का से यह भी कहा कि जब वह शाम को सिड से मिले तो वह यह अवश्य पूछे कि उसे वह कैसी लग रही हो और यह कि वह तुममें और क्या बदलाव देखना चाहेगा।
बस वहीं से आगे...
05-06-2018
एपिसोड 41
शाम को जब तनिष्का और सिद्धार्थ सिंह की मुलाकात रेसकोर्स क्लब के बिलियर्ड्स रूम के पास वाले रेस्टोरेंट में हुई तो सिद्धार्थ ने मुस्कुराते हुए कहा, “क्या बात है तनु आज तो तुम बहुत अच्छी लग रही हो, बोलो क्या खास बात है जिसके लिए तुमने मुझे यहाँ बुलाया है”
“जल्दी में तो नहीं हो”
“नहीं अपने सब काम निपटा कर डैड से पूछ कर ही आया हूँ”
“क्या यह बता कर कि तुम मुझसे मिलने आ रहे हो”
“हाँ भाई उन्हें बता कर की मुझे तनु ने बुलाया है”
“तुम भी…”
“अब उनसे क्या छुपाना”
“चलो ठीक है यह बताओ कि तुम्हारे डैड और मॉम को मुझसे कोई शिकायत तो नहीं है”
“अभी तक तो नहीं पर जब होगी तो छिपाऊँगा भी नहीं साफ-साफ बता दूँगा जिससे कि तुम अपने में सुधार ला सको”
सुधार के नाम पर तनिष्का को याद आया कि मारिया ने सिड से बात करने को कहा था। यह याद आते ही तनिष्का ने अपने सल्वाडोर जाने के प्रोग्राम के बारे में डिटेल्स में बताया। यह भी बता दिया कि वह किस मक़सद से वहाँ जा रही है। तनिष्का की पूरी बात सुनकर सिद्धार्थ बोला, “हाऊ स्वीट ऑफ यू। तनु तुम मुझे अभी भी बहुत अच्छी लगती हो और अगर मारिया को लगता है कि वह तुम्हारे लिए कुछ और अच्छा कर सकती है तो मैं उसका खुले दिल दिमाग़ से स्वागत करूँगा”
“मुझे तुमसे यही उम्मीद थी। मैं जानती थी कि तुम मेरा साथ दोगे”
“अब जब हम एक होने ही वाले हैं तो भला हम एक दूसरे का ख़्याल नहीं रखेंगे तो क्या कोई बाहरी आदमी आकर रखेगा”
इसके बाद सिद्धार्थ और तनिष्का में बहुत देर बातचीत होती रही। जब सिद्धार्थ ने तनिष्का से कहा, “आज हम लोग डिनर यहीं करते हैं”
“मैं घर पर किसी को बोल कर नहीं आई हूँ इसलिए आज नहीं फिर कभी”
“तब तो यह कहो कि एक महीने बाद ही मुलाकात होगी”, तनिष्का ने गर्दन हिला कर हाँ कहा।
कुछ वक़्त और साथ बिताकर वे दोनों अपने-अपने घरों के लिए निकल लिए।
धीरे-धीरे वक़्त गुज़रता रहा और तयशुदा दिन एक फ्लाइट से मारिया, सिद्धार्थ कपूर और तनिष्का सल्वाडोर के लिए रवाना हुए तो दूसरी ओर से फ्लाइट से इशिता, सुगंधा जी और कनिष्का मुंबई होते हुए हैदराबाद के लिए उड़ लिए।
मुंबई में फ्लाइट चेंज करके इशिता वगैरह ने ग्यारह बजे हैदराबाद एयरपोर्ट पर लैंड किया और टैक्सी करके सीधे शहर के आलीशान फलकनुमा पैलेस होटल में चेक इन किया। इशिता एक सुइट, कनिष्का दूसरे और कपिल महाराज जी तथा सुगंधा जी दूसरे फ़्लोर के तीसरे सुइट में एडजस्ट हो गए। इशिता ने अशफ़ाक भाई को फ़ोन कर यह बता दिया कि वह कनिष्का की मॉम बोल रही है और वे लोग हैदराबाद पहुँच चुके हैं। अशफ़ाक भाई ने दोपहर के बाद मीटिंग का समय दिया। समय से एक घन्टे देर से जानबूझ कर कनिष्का इशिता के साथ अशफ़ाक भाई के ऑफिस में मुलाकात करने पहुँचीं। जब अशफ़ाक भाई ने उन्हें अपने ऑफिस में देखा तो तुरंत आगे बढ़ कर बोले, “आइये, आइये बहुत इंतज़ार कराया”
“कहाँ अशफ़ाक भाई अपनी इंडस्ट्री में इतना इंतज़ार तो चलता है”, कनिष्का ने अशफ़ाक भाई पर चोट करते हुए कहा, “आपने अपना ऑफिस भी तो शहर के बाहर फ़िल्म सिटी में बनाया हुआ है। आजकल आप तो जानते ही हैं कि ट्रैफिक का बुरा हाल है”
“यह बात तो है। हैदराबाद ही नहीं हर शहर इस बात का शिकार हो रहा है”, अशफ़ाक भाई ने कहा, “आपके साथ यह मोहतरमा क्या आपकी माँ हैं”
“जी ये मेरी माँ हैं इशिता कोहली जिन्हें हम बहुत अदब से मॉम कह कर बुलाते हैं”
इसके बाद उन लोगों ने बहुत देर तक बातें की और निकलने के पहले कॉन्ट्रेक्ट एग्रीमेंट साइन किया और कनिष्का ने अपने पेमेंट का पहला चेक भी लिया और बोली, “तो अशफ़ाक भाई यह तय रहा कि हम आज से ठीक पाँच दिन बाद अपनी फ़िल्म का ओपनिंग शॉट शूट करेंगे और रामाराव भी उसमें काम करते नज़र आएंगे”
“हाँ आप चिंता न करें सभी चीजें लाइन्ड अप हैं बस आपका ही इंतजार हो रहा था”, अशफ़ाक भाई बोले।
कनिष्का ने हाथ मिलाते हुए कहा “एक इनवाइट हम भी दे रहे हैं उसी दिन शाम को हमारी नई फ़िटनेस हेल्थ केअर की कंपनी जिसकी मैनेजिंग डायरेक्टर मेरी मॉम है वह भी लॉन्च हो रही है आप अपने फ़्रेंड्स के साथ उसमें ज़रुर आइयेगा” ।
उसके बाद वे दोनों अपने होटल के लिये निकल लीं।
क्रमशः
अपनी बात:
कल आपने देखा कि कनिष्का को अपनी पहली फ़िल्म के लिये पेशगी भी मिल गई और यह भी तय हो गया कि ठीक पांच दिन बाद शूटिंग शुरू हो जाएगी। कनिष्का ने भी अशफ़ाक़ भाई को रामा राव फ़िल्म के हीरो को अपनी मॉम की कंपनी के शुरूआत होने वाले फंक्शन के लिये इनवाइट भी कर लिया।
दूसरी ओर मारिया जो कि सिद्धार्थ कपूर और तनिष्का के साथ साल्वाडोर के लिए निकली थी वे अभी भी हवाई जहाज में ही लगते हैं।
बस यहीं से देखते हैं कि आज क्या होने वाला है?
06-06-2018
एपिसोड 42
नैरोबी से साल्वाडोर, ब्राज़ील के लिए फ्लाइट्स तो बहुत थीं पर इधर उधर स्टॉप ओवर के साथ। कुछ ही फ्लाइट थीं जो डायरेक्ट जातीं थीं इसलिये बहुत मुश्किल से सिद्धार्थ कपूर को एक फ्लाइट पर तीन बुकिंग मिलीं। जिस दिन की फ्लाइट थी उस दिन वे लोग ठीक टाइम घर से एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े और अट्ठारह घंटे और बीस मिनट लगातार फ्लाई करने के बाद वे लोग अतं: साल्वाडोर पहुँच गए।
साल्वाडोर जिसे टॉम द सोयूज़, ब्राज़ील के पहले गवर्नर जनरल ने 1549 में बसाया था। साल्वाडोर दुनिया की उन बस्तियों में से एक थी जहाँ बाहर से आये हुए लोग बसे थे। यह शहर पुर्तग़ाली शासकों का सबसे महत्वपूर्ण सता का केंद्र बना और बाद में 200 साल तक यह व्यापार का मुख्य बंदरगाह भी रहा। सही मायने में यह वह जगह थी जहाँ किसी पुर्तग़ाली ने अपना पहला कदम रखा था।
फ्लाइट में एक तरफ मारिया तो दूसरी ओर तनिष्का के बीच फँसे-फँसे हुए बैठकर सिद्धार्थ कपूर की तो बुरी हालत गई थी। एयरपोर्ट से सीधे वे लोग मारिया के फ़्लैट जो कि साल्वाडोर की पॉश लोकेशन पेलौरिनहो में था पहुँच गए। वे इतने थके हुए थे कि मारिया ने केअर टेकर एलॉय से जल्दी से कहा, “जो कुछ तुमने इंतज़ाम किया हो उसका डिनर बना दो। हम लोग बाथरूम में फ़्रेश होने के बाद डिनर करेंगे और उसके बाद आराम से सो जाएंगे”
डिनर के पहले उन तीनों ने कोन्याक का एक-एक पेग पी और फिर वे ऐसे सोये जैसे कि बरसों से नींद ने उनकी आँखों में बसेरा ही न किया हो। जब दस घंटे से लगातार सो लेने के बाद जब वे उठे तो उनका बदन थकान से टूट रहा था। लेकिन मारिया की ज़िंदा दिली और अपने प्रोफेशन और क्लाइंट के प्रति कमिटमेंट का क्या कहना। उसने तनिष्का से कहा, “गेट रेडी इन जस्ट फाइव मिनट वी आर गोइंग फ़ॉर अवर फिजिकल फ़िटनेस रेजीम”
“आज तो आराम करने दो न”, तनिष्का ने मारिया से कहा।
“नो, जिन्हें अपनी बॉडी लाइन्स ठीक करनी होतीं हैं उन्हें बहुत कुछ खोना पड़ता है। कम ऑन बेबी जस्ट इन फाइव मिनट्स”
तनिष्का ने कुछ कहा तो नहीं पर मन ही मन भुन भुनाती हुई अपने रूम में गई और ड्रेस अप होकर जब वह लौटी तो मारिया उसका इंतजार ही कर रही थी। मारिया उसे अपने साथ ले शीघ्र ही साल्वाडोर की गलियों और फिर मेन रोड किनारे दौड़ते हुए साउथ अटलांटिक महासागर के किनारे बीच पर आ गईं। बीच पर बहुत देर एक्सरसाइज़ करने के बाद जब वे थक गईं तो एक बेंच पर कुछ देर आराम करने के लिए बैठ गईं।
तनिष्का ने साल्वाडोर की तारीफ़ करते हुए बोली, “मारिया यह जगह तो आलीदर्ज़ा है यार”
“तुमको क्या लगा कि मैं कोई ऐसी वैसी जगह रहती होऊँगी”
“नहीं मैं वह नहीं कह सकती, तुम वास्तव में बहुत अच्छी जगह रहती हो”, तनिष्का ने कहा।
जब वे लोग आपस में बात कर रहीं थीं तो एक मारिया की एक महिला दोस्त मिल गई जिसने बहुत देर तक मारिया से बातचीत की और बाद में मारिया ने जब तनिष्का को उससे मिलवाया तो न जाने वह पुर्तग़ाली भाषा में क्या-क्या कहती रही। मारिया ने तनिष्का को बताया, “वह यह कह रही है कि उसने अपनी ज़िंदगी में पहली बार किसी भारतीय महिला को देखा है और तुम्हारे लिए कह रही है कि तुम दिखने में बहुत आकर्षक लगती हो"
“कुछ और भी….”
“हाँ यह भी कि उसने हिंदुस्तान के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है यह भी कि गोवा में भी पुर्तग़ाली लोगों ने अपनी कॉलोनी स्थापित की थी”
“तुमने यह नहीं बताया कि हम तुम दोनों बहुत दिनों गोवा में रह कर आये हैं”
“बताया न तब वह और भी ख़ुश हुई”
मारिया तनिष्का को अपने शहर के बारे में बहुत देर तक और भी जानकारी देती रही। जब बहुत समय बीत गया और सूरज आसमान पर चढ़ने लगा तो वे धीरे-धीरे चलते हुए मारिया के घर लौट आईं। मारिया का घर बाहर से देखने में कुछ ऐसा लग रहा था जैसे कि उसका निर्माण कम से कम सौ साल पहले किया गया हो। उसके घर के आसपास के और भी सभी घरों की बनावट कुछ-कुछ गोवा के बड़े रईस लोगों के घरों की तरह ही थी। देखने से ही लगता था कि मारिया का परिवार अपने वक़्त से ही जाना माना परिवार रहा होगा।
मारिया और तनिष्का जब घर लौटीं तो उन्हें सिद्धार्थ कहीं भी नहीं दिखाई दिया तो मारिया को लगा कि वह कहीं इधर उधर तो घूमने नहीं निकल गया। मारिया जब किचन में एलॉय से उसके बारे में पूछने के लिए पहुँची तो देखा कि सिड एलॉय के साथ मिलकर ब्रेकफास्ट की तैयारी करा रहा था। मारिया ने हँसते हुए पूछा, “सिड तुम यहाँ क्या कर रहे हो”
“क्या करता तुम तो निकल गईं इसलिए मैं एलॉय के साथ मिलकर यह पता कर रहा था कि तुम्हारे यहाँ हम ब्रेकफास्ट में क्या खाने वाले हैं”, सिद्धार्थ ने उत्तर में कहा।
“तो तुमने एलॉय से क्या-क्या बनाना सीखा”
“कुछ भी नहीं बल्कि मैंने एलॉय को इंडियन स्टाइल की दूध वाली चाय बना कर पिलाई जो उसे बहुत ही अच्छी लगी”
उसके बाद मारिया एलॉय से सिड के बारे में बहुत देर बात करती रही। एलॉय की बात सुनकर मारिया ने प्यार सिड की पीठ पर एक थपकी दी। जब सिड ने पूछा, “एलॉय ने तुम्हें मेरे बारे में क्या बताया?”
“यही कि तुम एक अच्छे हसबैंड बनोगे”
“ओह चलो किसी ने तो मेरी तारीफ़ में कुछ कहा तो"
इस तरह सिद्धार्थ और तनिष्का की पहली सुबह साल्वाडोर में हँसी ख़ुशी के माहौल में गुज़री।
क्रमशः
अपनी बात:
कल मारिया तनिष्का को लेकर फ़िटनेस एक्सरसाइज के लिये सी बीच पर ले गई। जब वे दोनों घर लौटे तो देखा कि सिद्धार्थ कपूर हाउस मेड के साथ है और उससे बातचीत कर रहा है। बस उसके आगे...
07-06-2018
एपिसोड 42
सैंटो एंटोनियो में जहाँ मारिया का घर था उसके आसपास विरासत ही बिखरी पड़ी थी। जिधर आपकी निग़ाह जाए आपको कुछ न कुछ ऐसा ज़रूर दिख जाएगा जिसका साल्वाडोर, ब्राज़ील के इतिहास से सम्बंध रहा होगा। सबसे अच्छी बात तो यह थी कि मारिया का ऑफिस भी उसके घर के बहुत ही क़रीब था। इसलिए वह सिड और तनिष्का को अपने साथ लेकर पैदल ही निकल पड़ी। ऑफिस पहुँचने पर वहाँ के स्टाफ़ ने सभी का हार्दिक स्वागत किया। मारिया जो बहुत दिनों से टूर पर ही थी उसे अपने ऑफिस में पा कर सभी अधिकारी और कर्मचारी बहुत ही ख़ुश थे। मारिया ने उन सभी से एक-एक करके तनिष्का और सिड की मुलाक़ात कराई। जब वहाँ की एक सीनियर कर्मचारी ने यह पूछा, “क्या यह दोनों पति पत्नी हैं”
इस बात पर मारिया को कहना पड़ा, “नहीं यह आपस में दोस्त हैं। सिड मेरा प्रेमी है जिसके साथ वह शीघ्र ही शादी रचाने का ख़्याल रखती है”
मारिया को बहुत बुरा लगा जब एक फ़िटनेस ट्रेनर मारिया से इतना तक कह दिया तो फिर अल्ब्रेटा का क्या होगा। मारिया को कहना पड़ा कि अल्ब्रेटा का व्यवहार उसके प्रति सही नहीं था जिससे उसकी दोस्ती टूट गई। उस फ़िटनेस ट्रेनर ने सिड की ओर देखकर अपनी भाषा में मारिया से कहा, “यह नौजवान अधिक नमकीन है”
जब सिड ने मारिया से पूछा कि वह क्या कह रही थी तो मारिया बस मुस्कुरा कर रह गई। बहुत देर ऑफिस के काम काज में व्यस्त रहने के बाद जब मारिया को फुर्सत मिली तो उसने तनिष्का और सिड से पूछा, “भूख लग रही होगी चलो हम लोग कहीं चल कर लंच करते हैं"
मारिया के अपने ऑफिस के पास ही एक नहीं अनेक छोटे बड़े रेस्टोरेंट थे उनमें से एक था जो मारिया का मन पसंद स्पॉट हुआ करता था मारिया उनको लेकर वहीं गई और खूब छक कर सभी ने बियर पी और पुर्तग़ाली खाना खाया। खाना खाने के बाद वे मारिया के साथ घर लौट आये। मारिया सिड के साथ छेड़छाड़ करती रही तो कभी सिड उसे कि चिढ़ाता इस तरह वे दोनों आपस में बहुत ख़ुश दिखाई दे रहे थे। तनिष्का उनको यह सब करते देखकर अपने रूम में आ गई और अपने सिड की याद में तकिये के ऊपर सिर रख कर लेट गई। पता नहीं उसे कब नींद आ गई लेकिन जब मारिया उसको देखने आई तो उसे सोता हुआ देख वह सिड को लेकर अपने बेड रूम में चली गई।
देखते-देखते वक़्त यूँ ही खिसकता रहा। तनिष्का अपनी फिटनेस को लेकर सीरियस थी और मारिया से हर वक़्त यह पूछा करती कि क्या उसकी प्रोग्रेस ठीक चल रही है और मारिया जब उसे पास से देखकर कहती, “बिल्कुल ठीक चल रही है। तुम ऐसे ही अपना ख़्याल रखोगी तो मुझे लगता है कि जो काम मैंने सोचा था कि एक महीना लगेगा हो सकता वह पन्द्रह-बीस दिन में ही पूरा हो जाएगा”
तनिष्का यह सुनकर बेहद खुश होती और कहती, “चलो अच्छा है उसे अपने सिड की बहुत याद आ रही है और मॉम भी अभी नहीं आ पा रही है क्योंकि वहाँ कनिष्का का ओपनिंग शॉट शूट होना है और सुगंधा जी की फ़िटनेस कंपनी का इनॉगरेशन होना है। एक दिन जब मारिया ने और तनिष्का ने इशिता से फोन पर बातचीत की तो पता लगा कि कनिष्का और सुगंधा जी आजकल कपिल महाराज जी की स्क्रिप्ट में स्त्री के मांसल सौंदर्य बोध के और बढ़ जाने से दिन रात प्रैक्टिस कर रहीं है।
कुछ दिन बाद पता लगा कि कनिष्का की फ़िल्म का ओपनिंग शॉट फ़िल्म के हीरो रामा राव के साथ बहुत ही अच्छा गया है और रामा राव ने कनिष्का को अपनी ओर से हार्दिक बधाई देते हुए कहा, “अगर आप ऐसे ही काम करतीं रहेंगी तो वह दिन दूर नहीं जबकि आपका नाम तेलगु सिनेमा में छा जाएगा”
कनिष्का रामा राव की बात से इतनी खुश हुई कि उसने हाथ जोड़कर रामा राव से कहा, “आप शाम को मेरी एक परफॉर्मेंस देखने जरूर आइयेगा जिसमें मैं अपनी गुरु सुगंधा जी के साथ एक नाट्य जुगलबंदी पेश करने जा रही है”
रामा राव ने के वायदा किया कि वह अशफ़ाक भाई के साथ उसका शो देखने अवश्य आएंगे।
क्रमशः
अपनी बात:
कल आपने देखा कि मारिया जहाँ अपने सिड के साथ कुछ समय बिताती है वहीं कनिष्का अशफ़ाक़ भाई से मिलकर अपनो बात आगे बढ़ाते हैं। आज देखते हैं कि कनिष्का के जीवन में क्या होने वाला है...
08-06-2018
एपिसोड 43
हैदराबाद में सुगंधा जी और कनिष्का अपनी नृत्य नाटिका की तैयारी में लगीं हुईं थीं, खासतौर पर नाटिका के उस हिस्से पर वे विशेष ध्यान दे रहीं थीं जिसमें एक स्त्री के नख शिख वर्णन के साथ साथ कपिल महाराज जी ने स्त्री के मांसल सौंदर्य का भी बेहद आकर्षक वर्णन किया गया था।
कनिष्का साथ साथ अपनी फिल्म के ओपनिंग शॉट की तैयारी में भी लगी हुई थी। ओपनिंग शॉट में कनिष्का को फ़िल्म के हीरो रामा राव के साथ एक इंस्टीट्यूट में रिसर्च लैब में काम करते हुए दिखाया गया था और उन दोनों के बीच काम करते करते प्रेम का बीज अंकुरित होता है। शॉट की ड्यूरेशन मुश्किल से दो मिनट की रही होगी लेकिन उसके लिये मेक अप, डायलॉग डिलीवरी, कैमरा एंगल, लाइट एंड साउंड इफ़ेक्ट वगैरह वग़ैरह की तैयारी स्टूडियो में अपने चरम पर थी। डायरेक्टर ने जैसे ही ‘रोल’ का इशारा किया और कहा और फ़िल्म के एक कर्मचारी ने जिसे आज फ़िल्म के ओपनिंग शॉट को क्लेप देने का भार सौंपा गया था ‘एक्शन’ कहा, कैमरे ने अपना काम करना शुरू कर दिया। रामा राव और कनिष्का ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ अपने अपने डायलाग बोले ही नहीं बल्कि कनिष्का ने अपनी आँखों से प्रेम के वे रंग भरे कि डायरेक्टर को भी कहना पड़ा, “वाह भाई वाह क्या शॉट गया है मज़ा आ गया”
उसके बाद दो सीन के शॉट और पूरे किए गए। इस तरह जोरदार तरीके से कनिष्का की फ़िल्म की शूटिंग शुरू हुई।
फ़िल्म के हीरो रामा राव, जो ख़ुद एक नौजवान और जवां दिल इंसान हैं, उन्होंने भी कनिष्का के काम की खुले दिल से तारीफ़ की। कभी कभी तो रामा राव कनिष्का की आँखों में झाँक कर उनकी गहराइयों में गोते लगाते हुए भी दिखे। स्टूडियो के दूसरे कर्मचारियों में भी इस बात को लेकर सुगबुगाहट थी कि इस नई लड़की ने तो पहले ही दिन कमाल कर दिया। इतने बड़े हीरो के सामने पूरे कॉन्फिडेंस से शॉट दिया।
शाम को रामा राव को अपने साथ लेकर अशफ़ाक भाई ख़ुद यूनिट के अन्य लोगों के साथ इशिता की कंपनी के इनॉगरेशन के फंक्शन में शरीक़ होने के लिए पहुँचे। पूरा हाल खचाखच भरा हुआ था जितने मेहमानों को न्योता दिया गया था कहीं उससे अधिक लोग वहाँ आ हुए थे।
इशिता ने सर्वप्रथम कपिल महाराज जी, सुगंधा जी का परिचय कराते हुए कहा, “मित्रों, आज का दिन हमारी कंपनी के लिए बहुत ही सौभाग्यशाली है कि ब्राज़ील, यूएस और नार्थ अमेरिका, अफ़्रीकन कांटिनेंट में धूम मचाने के बाद, हमारी कंपनी अब अपने फ़िटनेस सम्बंधित उत्पाद जो कि प्राकृतिक चेतना और जड़ी बूटियों पर आधारित हैं और फ़िटनेस के सॉल्यूशन्स लेकर भारत के बाजार में उतर रही है। आप सभी उपस्थित देवियों और सज्जनों से हमारी यही कटिबध्द प्रार्थना है कि आप हमारे फ़िटनेस सम्बंधित उत्पादों और सॉल्यूशन्स का अवलोकन करें और उन्हें अपने जीवन में अपना कर लाभान्वित हों। हमारी कंपनी का भारत के बिज़नेस के संचालन के लिए अपने बहमूल्य समय से कुछ समय निकाल कर सुगंधा जी तथा कपिल महाराज जी हमारी कंपनी के क्रियाकलापों के देखरेख की जिम्मेदारी सम्हाली ली है।
अब आप एक नृत्य नाटिका का आनंद लीजिये जिसके माध्यम से यह दर्शाने की पुरज़ोर कोशिश की गई है कि अगर एक स्त्री अपने जीवन मे रूप की देवी बनी रहना चाहती है तो उसे अपने शरीर के हर अंग की देखभाल करनी चाहिए जो हमारे बिजनेस का मूलमंत्र भी है। इस नाटिका का दिग्दर्शन स्वयं कपिल महाराज जी ने किया है भाग लेने वाली कलाकार हैं सुंगंधा जी तथा कुमारी कनिष्का जो कत्थक नृत्य में पूर्णरूप से लखनऊ के प्रसिद्ध भातखंडे संगीत महाविद्यालय से पारंगत हैं।
यहाँ यह बताना मेरे लिए विशेष सौभाग्य की बात है कि कुमारी कनिष्का हमारी ज्येष्ठ पुत्री है जिसने हमारे परिवार का नाम रौशन किया है और हमारा मान सम्मान बढ़ाया है।
मुझे यह घोषणा करते हुए भी बेहद प्रसन्नता हो रही है कि आज का दिन हमारी बेटी के जीवन में दुहरी खुशियाँ लेकर आया है। कनिष्का की एक फ़िल्म जिसमें नायक की भूमिका तेलगु सिनेमा के जाने माने हीरो रामा राव जी निभा रहे हैं। यह फ़िल्म जो कि तेलगु सिनेमा के जाने माने प्रोड्यूसर एवम डायरेक्टर अशफ़ाक भाई बना रहे हैं की शुरुआत भी आज के दिन हुई है।
मैं रामा राव और अशफ़ाक भाई से निवेदन करना चाहती हूँ कि वे स्टेज पर पधारें और प्रकाश के प्रतीक दीप को प्रज्ववलित कर आज के इस कार्यक्रम का शुभारंभ करें"
इसके बाद तालियों की गड़गड़ाहट के बीच रामा राव और अशफ़ाक भाई ने कार्यक्रम की शुरुआत की और अपने संक्षिप्त उद्बोधन में यह अपेक्षा भी की कि इशिता जी की नई फ़िटनेस कंपनी जन जागरण में स्वास्थय विशेषकर स्त्रियों को अपने रंग रूप के प्रति जागरूक बनाने में एक नया आयाम हासिल करे और अच्छा नाम कमाए।
इसके बाद सुगंधा जी और कनिष्का की नृत्य जुगलबंदी का कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम की समाप्ति पर लोगों ने खड़े होकर सभी कलाकारों की हृदय से प्रशंषा करते हुए तालियों की आवाज़ में हॉल बहुत देर तक गूँजता रहा।
देर रात सभी लोगों ने शानदार डिनर पार्टी में भाग लिया। चलते-चलते रामा राव ने अशफ़ाक भाई से कहा, “अशफ़ाक भाई आप अपनी इस फ़िल्म को जल्दी से जल्दी शूट करने का प्रोग्राम बनाओ और एक नई फ़िल्म की स्क्रिप्ट वगैरह पर काम शुरू करो उस फ़िल्म में भी मेरी हीरोइन कनिष्का ही होगी और उस फ़िल्म का मेन थीम स्त्री सौंदर्य बोध ही होना चाहिए”
“जी भाई पर ये फ़िल्म हम दोनों मिलकर फिफ्टी-फिफ्टी परसेंट पार्टनरशिप में बनयाएँगे”
रामा राव ने अशफ़ाक भाई की बात को सुनकर उनकी ओर देखा और मुस्कराते बोले, “थोड़ा बहुत मसाला भी डाल देना नहीं तो हॉल खाली रह जायेंगे”
अपनी बात:
कल आपने देखा कि किस तरह कनिष्का ने रामा राव का दिल जीत लिया जो कि उन्हें अशफ़ाक़ भाई को यह कहना पड़ा कि वह दूसरी फ़िल्म की तैयारी करें और कनिष्का ही इस फ़िल्म की हिरोइन होगी। बात यहाँ तक हो गई कि रामा राव और अशफ़ाक़ भाई दोनों मिलकर इस फ़िल्म को फिफ्टी फिफ्टी परसेंट पार्टनरशिप में बनाएंगे। कुछ मसाला भी डालने के लिये रामा राव ने अशफ़ाक़ भाई से कहा।
बस आज उसके आगे देखिए कि क्या हुआ….
09-06-2018
एपिसोड 44
कनिष्का और रामा राव की पहली फ़िल्म की शूटिंग कुछ दिनों तक लगातार चली जिसमें कनिष्का को बहुत करीब से मौका मिला कि वह रामा राव के बारे में जानकारी हासिल कर सके जिससे कि वह अपनी एक्टिंग में वह पैना पन ला पाए जिससे कि वह हर शॉट में रामा राव के ऊपर भारी पड़ती हुई दिखे। वह यह अच्छी तरह समझ गई थी कि अगर वह यह करने में सफ़ल हुई तो उसके लिये फ़िल्मी दुनिया में अपार सम्भावनाओं के दरवाज़े खुल जाएंगे और अगर रामा राव उस पर भारी पड़ा तो वह एक साधारण हीरोइन बन कर रह जायेगी। एक दिन जब वह अपनी मेकअप वैन में अपने मेकअप स्टाफ़ के साथ थी तो उसने रामा राव की पसंद और नापसंद के बारे में जानकारी हासिल करने के इरादे से इधर उधर की बात कर बाद में उससे पूछा, “लक्ष्मी तुम तो इस फिल्मी दुनिया में बहुत सालों से हो, मैं तो अभी इंडस्ट्री में नई-नई आई हूँ”
“जी मेम साहब मुझे इस इंडस्ट्री में काम करते हुए बीस साल से भी ऊपर हो गए हैं”, लक्ष्मी ने जवाब दिया।
जब लक्ष्मी कुछ खुल गई तो उसके बाद उसने अशफ़ाक भाई और रामा राव के रिश्तों के बारे में छानबीन करना शुरू किया। कनिष्का जितनी भी जानकारी उससे इकट्ठा कर सकती थी वह उसने लक्ष्मी से हासिल करने के बाद उसका शुक्रिया कहा और उससे वायदा किया कि अगर वह इंडस्ट्री में चल निकली तो वह उसे अपनी पर्सनल स्टाफ बना लेगी। इसी तरह वह अपने करीब आने वाले हर आदमी से जितनी जानकारी हासिल कर सकती थी उसने की। कनिष्का के पास दस दिनों में इतनी जानकारियाँ हो गईं थीं जिन्हें इकट्ठा करने में किसी दूसरे इंसान को बरसों लगते।
जब एक रात कनिष्का अपनी मॉम के साथ थी तो उसने अपनी आदत के अनुसार उन्हें सब कुछ बताया। उसकी बात सुनकर इशिता बोली, “जो लोग अपने आसपास रहने वालों के बारे में नहीं जानते वे बाद में धोखा खा जाते हैं”
“मैंने तो वही किया मॉम जो आपने मुझे सिखाया”
“ठीक किया बेटी, एक बात और जो लोग जानकर अंजान बने रहते हैं और फिर गलती करते हैं तो ऐसे लोगों को ज़माना बेवकूफ कहता है”, इशिता ने कनिष्का से कहा।
माँ बेटी की इस तरह की बातचीत देर रात तक चलती रही और जब उन्हें नींद आने लगी तभी वे अपने-अपने रूम में जाकर सोईं।
उधर साल्वाडोर में मारिया और सिड के बीच ख़ूब मौज मस्ती का माहौल बना हुआ था। दिन में मारिया जब अपने काम पर चली जाती तो वह और तनिष्का मिलकर कभी किचन में अपने लिए कोई डिश बना लेते या एलॉय से पुर्तग़ाली खाना बनाना सीखते या आपस में बैठकर गप शप करते। सिड जानता था कि तनिष्का सिद्धार्थ सिंह को बहुत चाहती है इसलिए उसने कभी भी उसके साथ कोई लिबर्टी नहीं ली। एक दिन तनिष्का सिड से पूछ बैठी, “तुम्हारा मन यहाँ ऊबता नहीं है”
“सही बताऊँ तो अब मुझे अच्छा नहीं लग रहा है और मैं भी अब अपने घर वापस जाना चाहता हूँ अपने डैड और मॉम की याद आती है पर फिर सोचता हूँ तो यह भी महसूस करता हूँ कि जो मैं महसूस कर रहा हूँ वही बात मारिया जब वह नैरोबी में होती है वह भी महसूस करती होगी”
“मैं नहीं मानती उसका यहाँ कौन बैठा है जिसके लिए वह यहाँ की याद करें। अरे यार हम लोगों के तो अपने डैड मॉम हैं और अपनी कम्युनिटी के और भी लोग हैं। मेरे ख़्याल से उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता वह कहीं भी आराम से रह लेती है। एक बात उसमें जो ख़ास है जो उसे हम सभी से अलग करती है वह है उसका अपने काम के प्रति लगाव। हम लोग कभी भी अपने काम के प्रति बफादार नहीं होते इसलिए शायद उसकी तरह ज़िंदगी में सफल भी नहीं हो पाते”
“तनिष्का तुम्हारी बात में दम है और कुछ उसकी यही बातें उसे एक स्पेशल इंसान बनातीं हैं”, सिद्धार्थ तनिष्का से बोला।
शाम को जब मारिया घर लौटी तो सिड ने उससे पूछा, “अभी तुम्हारा कितने दिन का काम और बाकी है”
“क्यों क्या हुआ?”
“कुछ खास नहीं बस ऐसे ही पूछ लिया”
“नहीं फिर भी कुछ बात तो है”
“कहा न कुछ भी नहीं”
“क्या बात है तुम मुझसे ऊब रहे हो या इस जगह से”, मारिया ने सिड से कहा।
“न तो मैं तुमसे ऊब रहा हूँ और न ही इस जगह से। बस कभी-कभी घर की याद आती है”
“आती है न। मेरे साथ भी यही होता है जब मैं यहाँ से दूर होती हूँ यह एक नेचुरल बात है। चलो आज हम घर से बाहर चलते हैं कुछ मौज मस्ती करते हैं। हो सकता है तुम्हारा मन ठीक हो जाए”
“तनिष्का भी तो है"
“क्या हुआ वह भी चली चलेगी। हम तीनों ही मस्ती करेंगे”
“चलो फिर कितनी देर में निकलते हैं”
“बस यही मैं पहले तनिष्का के साथ अपने फ़िटनेस रूटीन के लिए होकर आती हूँ उसके बाद चलते हैं। आज एक सॉकर का मैच है पहले तो हम लोग उसे देखेंगे उसके बाद आज रात देर तक बाहर रहेंगे। कल हमारे ऑफिस की छुट्टी भी है”
“सॉकर मैच में तो मज़ा आ जायेगा”
“ब्राज़ील के हर हिस्से में सॉकर के लोग दीवाने हैं”
“सॉकर को कई वर्ल्ड फेमस स्टार जैसे कि महानतम खिलाड़ी पेले, रोनाल्डो, रोनाल्डोइन्हों और भी वे तमाम सारे जिन्होंने ब्राज़ील को दुनिया में एक अभूतपूर्व स्थान दिलाया” मारिया बोली, “एक नहीं अनेक। सही कहूँ तो फुटबाल हमारे देश की जान है"
“मुझे याद है उस समय मैं इंडिया में था जब पेले कोलकता आये थे पूरा शहर पेले मय हो गया था ऐसी दीवानगी थी फुटबॉल प्लेयर्स की उनके प्रति"
“चलो फिर तो वहाँ बहुत मज़ा आएगा”
“वैसे भी वहाँ बहुत कुछ देखने को मिलेगा”
“क्या क्या"
“जो तुमने पहले कभी किसी स्पोर्टिंग ग्राउंड पर नहीं देखा होगा”
“जैसा तुम कहो”, सिड ने कहा।
कुछ देर में ही मारिया तनिष्का के साथ सी बीच पर एक्सरसाइज़ करने के लिए चली गई और लौटते में उसने तनिष्का से कहा, “आधे घंटे में तैयार होकर नीचे लिविंग एरिया में मिलो। आज हम बाहर जा रहे हैं और देर रात डिनर करके ही वापस लौटेंगे”
वे लोग जब साल्वाडोर फुटबॉल स्टेडिया पहुँचे तो वहाँ स्टेडिया खचाखच भरा हुआ था। जिधर निग़ाह डालो आदमी ही आदमी और लड़कियाँ और महिलाएं भी इधर उधर फैशनेबल कपड़े पहन कर बैठे हुए थे। अभी गेम शुरू होने में कुछ देर थी इसलिए मारिया, तनिष्का और सिड की निगाहें उन लोगों पर आकर टिक जातीं थीं जिनका पहनावा कुछ ऐसा था जिसमें से सब कुछ दिखता था। वहाँ किसी को इस बात की चिंता नहीं कि कोई क्या कर रहा है। जिसके जो मन में आया वह कर रहा था।
मारिया ने देखा कि सिड की भी निगाहें ऐसे लोगों के ऊपर जाकर टिक जातीं थीं जो कुछ अजीब सी हरक़त कर रहे थे। मारिया ने सिड का ध्यान स्टेडिया के बड़े-बड़े स्क्रीन्स की ओर दिलाया जिसमें टीवी के कैमरामैन भी ऐसी महिलाओं के क्लोज अप शॉट शूट कर रहे थे जिनका सब कुछ दिखाई दे रहा था। एक हल्की सी मुस्कान के बाद मारिया ने सिड से पूछा, "कहो मज़ा आया"
सिड बोला, "अभी मैच शुरू कहाँ हुआ है?"
"मैं सब देख रही हूँ मिस्टर सिड तुम्हारी निगाहें कहाँ जाकर रुक रही हैं। देख लो देख लो आज रात की इस मज़ा की सज़ा भुगतने के लिये तैयार रहना"
इस प्रकार हँसते हँसाते हुए बढ़िया महौल में मैच खेला गया। दोनों टीम ने दो दो गोल किए। इस तरह मैच ड्रा रहा। मैच के बाद वे तीनों अपनी कार से शहर के बाहर की ओर निकल पड़े।
जल्दी ही वे तीनों कार से साल्वाडोर के बाहर दूर एक छोटी से जगह जा पहुँचे जो कि साल्वाडोर से चालीस किमी दूर थी पर समुद्र के किनारे बहुत आरामदायक जगह थी। साल्वाडोर में कल छुट्टी होने के कारण वहाँ अधिकतर लोग आए हुए थे और वहाँ अच्छी खासी रौनक थी।
तीनों लोग एक अच्छी सी टेबल लोकेशन देखकर बैठ गए और फिर शुरू हुआ ड्रिंक्स का सेशन। आज सभी ने अपने मन माफ़िक जो मन किया वह पिया जो मन आया खाया और बाद में डीजे की ब्राज़ीलियन धुनों पर ख़ूब डांस किया। नाचने गाने के इस माहौल में किसको क्या ख़्याल रहता है। वहाँ का जैसा माहौल था कोई भी किसी के पास जाकर हेलो हाइ करता और अगर दूसरा इंसान तैयार हो जाता तो वह उसके साथ डांस फ़्लोर पर जाकर डांस करता। मारिया तो सिड के साथ डांस कर रही थी। तनिष्का एक साइड में खड़ी होकर उन्हें डांस करती देख रही थी। इतने में एक नौजवान ब्राज़ीलियन लड़के ने तनिष्का से कुछ बात की और उसे डांस करने के लिए इनवाइट किया। इस मौज मस्ती के माहौल में तनिष्का भी उसे मना न कर पाई। तनिष्का को डांस करते देख मारिया को भी अच्छा लगा कि चलो वह भी आज एन्जॉय कर रही है। डांस करते-करते ब्राज़ीलियन नौजवान को कुछ अधिक ही मस्ती सवार हुई और उसने तनिष्का को अपनी बाहों में जोर से जकड़ कर कई बार किस ही नहीं किया बल्कि उसके साथ लिबर्टी लेने की कोशिश की और जब उसकी नाफरमानियाँ हद के बाहर हो गईं तो तनिष्का ने जोर लगा कर स्वयं को उसकी पकड़ से छुड़ाया और उसके गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया…..
क्रमशः
अपनी बात:
कल आपने देखा कि जब तनिष्का साल्वाडोर से दूर मारिया और सिड के साथ डिनर के लिए आई हुई थी तब उसके साथ एक लोकल नौजवान ने डांस करते समय बद्दतमीज़ी की तो उसने उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया।
बस आज उसके आगे देखिए कि क्या हुआ….
10-06-2018
एपिसोड 45
जैसे ही थप्पड़ की आवाज़ मारिया के कानों में पड़ी तो वह एक दम पलटी तो देखा कि थप्पड़ मारने वाली कोई और नहीं बल्कि तनिष्का ही थी तो वह तेजी से उसके पास पहुँची और उस नौजवान को अपने हाथों में जकड़ा जिससे कि वह तनिष्का को कोई नुकसान न पहुँचा सके और उस नौजवान से डाँटकर कहा, “तुमने एक इंडियन लड़की को छेड़ने की हिम्मत कैसे की। मैं अभी पुलिस बुलाती हूँ और तुम्हें उसके हवाले करती हूँ'
वह नौजवान एक दम सकपका गया इतने में मारिया के पीछे-पीछे सिड भी तनिष्का के पास आ गया उसने तनिष्का से पूछा, “क्या किया जिसने। इसकी तो मैं हाथ पाँव तोड़ दूँगा”, यह कहकर वह उस नौजवान की ओर लपका। इसी बीच वहाँ के लोकल लोग भी इकट्ठे हो गए। वहाँ जो लड़कियाँ और महिलाएं थीं वे भी इकठ्ठी हो गईं सबने उस नौजवान को खूब धमकाया। जब उस नौजवान से मुआफ़ी मंगवा ली मारिया ने उसे तभी छोड़ा। उसको जाते-जाते यह भी समझाया कि ब्राज़ील में किसी विदेशी के साथ भद्दा व्यवहार करने पर सज़ा तक हो सकती है।
जब कुछ मामला शांत हुआ तो वहाँ नाच गाना दोबारा शुरू हुआ लेकिन न तो तनिष्का वहाँ गई और न सिड तथा मारिया। कुछ देर वहाँ रुकने के बाद जब सबने यह तय किया अब वहाँ रुकने में कोई मज़ा नहीं है क्योंकि उन सभी का मूड ऑफ जो हो गया था तो वे वहाँ से मारिया के घर की ओर चल पड़े। रास्ते में मारिया ने तनिष्का से पूछा, “अब तुम्हें कैसा लग रहा है”
तनिष्का का उत्तर था, “मैं अब नॉर्मल हूँ”
मारिया ने देखा कि जब तनिष्का कुछ बात करने के मूड में है तो उसने पूछा, “उस नौजवान ने आख़िर किया क्या था”
“छोड़ो भी, अब क्या फायदा अब तो बात ख़त्म ही हो गई है”, तनिष्का बोली।
“तुम मेरी गेस्ट हो और मेरी स्टूडेंट भी इसलिए मेरे लिए यह जानकारी करना ज़रूरी हो जाता है कि मैं पता करूँ की उसने आखिर किया क्या था”
बहुत पुछने पर तनिष्का बोली, “पहले तो उसने मुझे अपनी बांहों में लिया और फिर मेरे पीछे हिप्स पर धीरे-धीरे टैप करने लगा और बाद में तो उसने मेरे बस्ट को छुआ तो मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उसके एक झापड़ रसीद कर दिया। उसके बाद की कहानी तो तुम जानती ही हो”
मारिया तनिष्का की बात सुनकर कुछ देर तो चुप रही पर जब वह अपने आपको रोक न पाई तो बोल उठी, “तनिष्का मैंने एक बार पहले भी बताया था कि ब्राज़ील में हम लोगों की सोसाइटी बहुत ओपन है। यहाँ किसी लड़की के हिप्स पर टैप करना बहुत मामूली बात मानी जाती है और जब दो लोग प्यार में होते हैं तो वे बस्ट वगैरह को भी टच कर लेते हैं। चुम्बन तो यहाँ एक आम बात है लेकिन शर्त यह है कि जब लड़की को कोई ऑब्जेक्शन न हो तो….”
“….जब ऑब्जेक्शन न हो तब न। पर मैं तो इस सबके लिए तैयार नहीं थी। उसने मुझसे मेरा हाथ मांगा डांस करने के लिए तो मैंने उसे एक डिसेंट लड़का मानकर उसके साथ डांस करने का मन बनाया। मुझे क्या पता था कि वह मुझसे लिबर्टी लेकर मेरी मोडेस्टी पर ही हाथ डालेगा", तनिष्का बोली।
“मैं तुम्हारी बात से अपनी सहमति व्यक्त करती हूँ कि उसे यह सब नहीं करना चाहिए था”, मारिया यह कह कर चुप हो गई।
अब तक सिड जो चुप बैठा हुआ था बोल पड़ा, “मारिया यहाँ की यह कल्चर हो सकती है पर हम इंडियंस की नहीं। हम लोग बाहरी देशों में रहते ज़रूर हैं पर तन मन और धन से हम हमेशा हिंदुस्तानी ही बने रहते हैं। तुम खुद को ही देख लो मैंने कभी तुम्हारे साथ कोई लिबर्टी ली। नहीं ली न”
“तुम अपनी तो मत कहो। तुमने थोड़े ही लिबर्टी ली थी वह तो मैं थी जो तुमसे लिबर्टी ले रही थी। मज़ा दोनों को आया। बोलो आया था न”, मारिया ने सिड के ऊपर एक तगड़े वाला तंज कसा। एक बार तो सिड सकपका गया कि आखिर मारिया तनिष्का के सामने यह सब क्या कह रही है क्या वह आज सब पोल खोल कर ही मानेगी।
“चलो ठीक है बाबा, हम अपनी बात क्यों कर रहे हैं। हम तो बात तनिष्का की कर रहे थे। मुझे लगता है कि उस लड़के को यह सब नहीं करना चाहिए था और जो तनिष्का ने किया वह बिल्कुल सही था”, सिड मारिया की ओर देखकर बोला।
“मैं भी तो यह पहले ही कह चुकीं हूँ कि उसने जो भी किया गलत किया। मैं तो सिर्फ़ तनिष्का को ही मेंटली तैयार कर रही थी कि वर्ल्ड ओवर लेडीज इस तरह के यौन प्रकरणों की शिकार होती ही रहतीं हैं”, मारिया ने कहा और तनिष्का से बोली, “मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस घटना से तनिष्का बिल्कुल विचलित नहीं होगी बल्कि भविष्य में ऐसी किसी घटना से वह बेहतर ढँग से निपट सकेगी"
तनिष्का जो सिड और मारिया की बातें चुपचाप सुन रही थी बोली, “मेरा शरीर और मेरी आत्मा पर अब किसी और का कोई अधिकार नहीं है अगर है तो वह सिर्फ़ मेरे सिड का। वह कहेगा तो मैं उसके लिए अपनी जान भी कुर्बान कर दूँगी यह शरीर है ही क्या"
सिड और मारिया दोनों ने तनिष्का की बातों में एक अजीब सा विश्वास देखा जिसे महसूस कर वे दोनों बहुत ही ख़ुश हुए। सिड तो बोल भी पड़ा, “यह संस्कार सिर्फ़ भारतीय नारी में ही हो सकते हैं”
मारिया बोली, “कह तो तुम ऐसे रहे हो जैसे कि मैं और मेरा तुम्हारी ज़िंदगी में कोई वजूद ही नहीं है”
“तुम हर बात अपने पर क्यों ले जाती हो। मैं तो सिर्फ यह बताने की कोशिश कर रहा था कि जिस घराने में तनिष्का की शादी हो रही है वह अपनी इन्ही कुर्बानियों के लिये जाना जाता है। रानी पद्मिनी ने अपनी आनबान शान न छोड़ी और अपनी हज़ारों सहेलियों के साथ ख़ुशी-खुशी प्रज्वलित अग्नि कुंड में कूद कर जौहर कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया"
“अबकी बार तुम मुझे अपने साथ इंडिया ले चलना मैं उस जगह जाना चाहूँगी जहाँ यह घटना घटी थी”, मारिया बोली।
“ज़रूर ले चलूँगा हम अपनी हनी मून पर वहीं चलेंगे वह हिंदुस्तान का सबसे बढ़िया डेस्टिनेशन है जिसे लोग उदयपुर के नाम से जानते हैं”
“चलो तय रहा”
“ठीक है”
बात करते-करते वे तीनों एंटोनियो पहुँच गए पता ही न चला। जब मारिया ने अपनी कार घर के पोर्टिको में आकर खड़ी की तब सबको अहसास हुआ कि वे घर पहुँच गए हैं। धीरे से तीनों घर में दाख़िल हुए और तनिष्का अपने बेडरूम की ओर जाने लगी तो मारिया बोली, “तनिष्का लीव दैट डर्टी इंसीडेंट बिहाइंड एंड मूव ऑन”
“यस माइ डिअर रेस्ट एसयोर्ड, गुड नाइट", तनिष्का यह कह कर अपने बेड रूम में चली गई।
जब सिड अपने बेड रूम में जाने लगा तो मारिया बोली, “तुम कहाँ जा रहे हो मिस्टर सिड। इधर आओ तुमसे मुझे अपना पुराना हिसाब किताब पूरा करना है”, यह कहकर मारिया ने सिड का हाथ पकड़ा और उसे अपने बेड रूम में खींच कर ले गई……
अपनी बात:
कल आपने देखा कि जब तनिष्का साल्वाडोर से दूर मारिया और सिड के साथ डिनर के लिए आई हुई थी तब उसके साथ एक लोकल नौजवान ने डांस करते समय बद्दतमीज़ी की तो उसने उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया। इसके पीछे की पूरी घटना की जानकारी करने के इरादे से मारिया तनिष्का से बहुत देर पूछताछ करती रही।
बस आज उसके आगे देखिए कि क्या हुआ….
11-06-2018
एपिसोड 46
इशिता ने अपनी बातचीत में कपिल महाराज जी और सुगंधा से कहा, “महाराज जी मैंने हमेशा देखा है कि जीवन में कब सब कुछ ठीक हो रहा होता है एक नहीं आपके सब काम ठीक होते रहते हैं और एक काम गड़बड़ क्या हुआ तो पता लगा कि सब के सब काम गलत होने लगते हैं"
“यह प्रकृति का नियम है इसमें कोई ताज़्ज़ुब की बात नहीं है”, कहते हुए कपिल महाराज जी बोले, “आपने जब कोई बीज ज़मीन में बोया और उसे खाद पानी प्रचुर मात्रा में प्राप्त हो तो वह बीज समय से अंकुरित होकर एक स्वस्थ पौधा बनेगा ही। ठीक इसके विपरीत अगर उसको उसके पोषक तत्व न मिलें तो वही पौधा रोगी और लुंज पुंज हो जायेगा। इशिता जी आप अपना प्रयोजन तो बताइए कि किस सन्दर्भ में आपने उपरोक्त टिप्पणी की”
“महाराज जी आप तो सब कुछ जानते हैं कि कुछ दिनों पहले ही हम सभी कनिष्का के भविष्य को लेकर कितने चिंतित थे और देखिये जब सब ठीक होना था तो वही सब काम एक-एक कर ठीक हो रहा है”
“जी यह बात तो आपकी ठीक ही लगती है”, कपिल महाराज जी बोले।
“इशिता जी पर इस सबके पीछे आपका दृढ़ संकल्प भी था अगर आपकी जगह कोई और होता तो हो सकता थ वह टूट जाता और अपने प्रयास बीच में ही छोड़कर हताश हो बैठ जाता तो कुछ भी न हो पाता”, सुगंधा जी ने बीच में पड़ते हुए अपनी बात रखी।
सुगंधा जी की बात पर इशिता मन ही मन प्रसन्न तो बहुत थी पर ऊपरी तौर पर उन्होंने यह भाव एक चतुर खिलाड़ी होने के कारण अपने चेहरे पर नहीं आने दिया और बोली, “मुझसे अधिक तो सुगंधा जी कनिष्का की प्रगति में आपका हाथ है”
“हमारा क्या है जो भी है वह सब आपका ही दिया हुआ है”, कहकर सुगंधा जी ने बात को निपटाया।
इसी बीच चाय आ गई तो इशिता ने सभी के लिए चाय बनाई और चाय का प्याला महाराज जी की ओर बढ़ाते हुए बोली, “बहुत दिन हुए तनिष्का की कोई ख़बर नहीं मिली”
“उसे फ़ोन लगा लीजिए अब इसके बारे में अधिक क्या सोचना?”, सुगंधा जी बोलीं।
सुगंधा जी के कहने पर इशिता ने तनिष्का से बातचीत की और उसका हालचाल लिया। जब इशिता ने उससे पूछा, “तेरा फ़िटनेस रूटीन कैसे चल रहा है”
तनिष्का की ओर से उत्तर आया, “जी बिल्कुल ठीक है"
“अपने तीन चार स्नैप तो भेज तो पता लगे कि क्या हाल है”
“जी मैं अभी भेजती हूँ”, तनिष्का ने जवाब दिया।
कुछ ही देर में उसके दो तीन नहीं कई फ़ोटो इशिता के मोबाइल पर आ गए। उन फ़ोटो को देखते हुए इशिता बोली, “सुगंधा जी लीजिए देखिये और बताइये कि तनिष्का अब कैसी लग रही है”
सुगंधा जी ने अपने हाथ में मोबाइल लिया और एक निगाह सभी फ़ोटोज पर डालते हुए कहा, “एक दम चकाचक। तनिष्का का रंग रूप तो और निखर गया है”
“इसका मतलब यह हुआ कि मारिया अपना काम ठीक ढंग से कर रही है”
“लग तो यही रहा है”, कहकर मोबाइल सुगंधा जी ने महाराज जिनकी ओर बढ़ा दिया जिससे कि वह भी तनिष्का के नए रंग रूप के बारे में कुछ कह सकें। मोबाइल हाथ में लेकर कभी इस फोटो तो कभी उस फ़ोटो को देखते हुए महाराज जी बोले, “इशिता जी एक बात कहूँ अगर तनिष्का आज चाहे तो फैशन की दुनिया में धूम मचा सकती है”
महाराज जी की बात सुनकर इशिता की आँखों में कई ख़्वाब तैर गए जो कभी उसने अपने बारे में देखे थे पर किस्मत को वह सब मंजूर न था। अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए इशिता बोली, “नहीं महाराज जी अब और ख़्वाब नहीं। तनिष्का को तो हमने राणा परिवार को सौंप दिया अब वह जो चाहें वह करें। मैं तनिष्का को लेकर कोई ख़्वाब नहीं बुनूँगी। अब उसकी किस्मत। वैसे भी तनिष्का को लेकर मनीष से कोई इश्यू नहीं क्रिएट करना चाहती हूँ”
“हाँ यह बात तो है”, महाराज जी बोले
इशिता ने तनिष्का और कनिष्का की बातें छोड़कर जब कामधंधे की बातचीत शुरू की तो सुगंधा जी ने कहा, “क्यों न हम अब अपनी ब्रांच ऑफिस चेन्नई, बैंगलोर, तिरुवनंतपुरम और गोवा में खोल कर अपने काम को विस्तार के पंख दें”
“आपकी बात सही लगती है। सुगंधा जी यह तो अब आपकी जिम्मेदारी है। आप इंडिया की कर्ता धर्ता हैं, जो चाहे वह करिये मैं बीच में नहीं आने वाली। मैं वैसे भी सोच रही हूँ कि अबकी बार मारिया साल्वाडोर से लौट आये तो वह अफ़्रीकन देशों में अपना काम काज बढ़ाये”, इशिता बोली।
“तो ठीक है मैं एक योजनाबद्ध तरीके से अपने काम में जुट जातीं हूँ”, सुगंधा जी बोली, “लेकिन मुझे इस काम के लिए कनिष्का की मदद चाहिए होगी”
“यह अब आप उससे बात कर लीजिएगा। मैं उससे कुछ न कह पाऊँगी क्योंकि मैं नहीं जानती कि वह कितनी बिजी। उसकी कौन-कौन सी डेट्स फ्री हैं”, हँसते हुए इशिता बोली।
“अब्सॉल्यूटेली बिजनेस वुमन लाइक एप्रोच। मुझे बहुत अच्छा लगा इशिता जी यही सही भी है”, महाराज जी बोल पड़े।
इधर उधर की बातें होतीं रहीं इसी बीच कनिष्का भी अपनी शूटिंग कर लौट आई तो वह अपने बारे में बताने लगी, “मॉम आज का एक शॉट इतना इमोशनल था कि मुझे लग रहा था कि शायद मैं ठीक से न कर पाऊँ। लेकिन मैंने फिर आपको याद किया और फिर उस सीन में वह दर्द का भाव पैदा किया कि रामा राव जी भी देखकर पिघल गए और बोले कि मैं आने वाले दिनों में सुपरस्टार बनकर ही रहूँगी”
“काश यह सब हो जो तू कह रही है”, यह एक साथ इशिता और सुगंधा जी एक साथ बोलीं।
अपने गुरु जी के मुँह से यह बात सुनकर कनिष्का ने सभी के पाँव छुए और अपनी जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इशिता ने ख़ुश होकर पूछा, “कनिष्का यह तो बता कि रामा राव जो नई फ़िल्म की बात कर रहे थे उसका क्या हुआ”
“मॉम उस फ़िल्म का इनॉग्रल शॉट अगले हफ़्ते होना है"
इशिता ने यह सुनकर कनिष्का को अपने सीने से लगाया और पेशानी चूम कर आशीर्वाद दिया और बोली, “अब तुम अपनी ज़िंदगी जिओ। मैं नैरोबी वापस जा रही हूँ। मेरा काम ख़त्म हुआ। अब तुम जो तबियत में आए वह करो। बस एक आख़िरी सलाह एक माँ के नाते यह कि अपनी गुरु माँ को अपने जीवन में कभी न भूलना और इनके साथ मिल जुल कर चलना”, यह कहकर इशिता ने कनिष्का का हाथ सुगंधा जी के हाथ थमा दिया। सुगंधा जी ने भी आगे बढ़कर कनिष्का को अपने सीने से लगा कर बार- बार प्यार करते हुए कहा, “हमारी अपनी तो कोई औलाद नहीं, इशिता जी पर आज मैं कनिष्का को अपनी बेटी बनाती हूँ”
अपनी बात:
कुछ रोज़ पहले हमारे एक मित्र ने अपनी टिप्पणी में इस कथानक के कुछ हिस्से को लेकर अत्यंत ही सुंदर टिप्पणी की और कहा कि कहानी के मुख्य पात्र तनिष्का आज के युग की एक संस्कारी युवती है जिसमें भारतीयता कूट-कूट कर भरी है। कहानी अपने आप में बहुत कुछ कहती है इसे पाठकगण हल्के में न लें।
मैं उनके इतने सुंदर भाव के लिये हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
कल कथानक में इशिता तथा सुगंधा जी और महाराज जी के बीच भी एक उच्च कोटि का संवाद हुआ जो अपने आप में अनूठा था। चलिये आज कहानी से फिर से जुड़ते हैं और देखते हैं कि आगे क्या हुआ।
12-06-2018
एपिसोड 47
कुछ दिन हैदराबाद में और रुककर इशिता नैरोबी लौट आईं। घर वापसी की ख़ुशी अबकी बार निराली थी जो चेहरे से साफ झलकती थी। जब मनीष से उनकी मुलाकात हुई तो वह अपनी इस प्रसन्नता छिपा न पाईं और जिसे देखकर मनीष बोल उठा, “रिटर्न्ड लाइक अ कांकरर। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है कि अब हमारी दोनों बेटियां सही राह पर हैं”
इशिता ने जबाव में कहा, “मनीष हर व्यक्ति के सभी सपने तो कभी पूरे नहीं होते लेकिन आज मैं यह तुमसे कह सकती हूँ कि मैं तुम्हारे बिना अधूरी हूँ। अगर तुम मेरा साथ न देते तो मैं यह काम कभी भी पूरा न कर पाती”
मनीष कुछ भी बोलता उससे पहले उसने इशिता को अपने आगोश में लिया और बोला, “हम दोनों के जो कर्तव्य थे वे हमने पूरे किये लेकिन अभी हमने सब कुछ हासिल नहीं कर लिया है हम अभी भी आधे रास्ते पर हैं और तुम यह जान लो कि आगे का सफ़र भी कोई आसान नहीं है”
“अब मुझे विश्वास हो चला है कि हम बाकी बचाखुचा सफ़र भी मिलजुल कर तय कर ही लेंगे”
इसके बाद तो आज दोनों पति पत्नी ने बड़े रिलैक्सिंग मूड में अपनी शाम गुजारी और यह तय किया कि उनको राणा परिवार से बीच-बीच में मिलते रहना चाहिए। इसके लिए इशिता ने अपनी ओर से मनीष से कहा, “क्यों न हम कल राणा परिवार को अपने यहाँ डिनर पर इनवाइट करें”
मनीष को इशिता का यह सुझाव बहुत पसंद आया और अगले दिन राणा साहब से बात कर पूरे परिवार को कोहली विला में पधारने की गुज़ारिश कर डाली। राणा साहब ने भी ख़ुशी-ख़ुशी अपनी हामी भर दी इस दोनों परिवारों के मिलने का रास्ता बन गया। इशिता ने तनिष्का को फोन कर बताया कि हमने राणा परिवार को अपने यहाँ डिनर पर इनवाइट किया है तो तनिष्का बोल पड़ी, “क्या मॉम मेरा भी मन कर रहा है डिनर में रहने का”
“समझ सकती हूँ बेटी तेरा सिड जो आ रहा है”
“मॉम उसको तो मैं हर रोज़ सपने में मिल लेती हूँ दरअसल तबियत तो दादू और माँसा से मिलने की कर रही है”
“ये दादू और माँसा शब्द कहाँ से खोज निकाले”
“क्या करूँ मॉम यहाँ खाली-खाली जो रहती हूँ तो आजकल नेट पर राजस्थान की सभ्यता के ऊपर ही कुछ न कुछ पढ़ा करती हूँ”
“बहुत ही प्यारे शब्द हैं कितनी ममता टपकती है इन शब्दों में”
“ठीक है न मॉम तो मैं आज से उन्हें यही कह कर पुकारा करूँगी”
“ठीक है बेटी जैसी तेरी इच्छा”
“मॉम एक काम करना जब राणा जी वहाँ हों तो आप मेरी बात उनसे करा देना”
“ज़रूर बेटी ज़रूर। तू ही मिला ले न, फोन। डरती है क्या”
“डरने की कोई बात नहीं मॉम जब वे अपने यहाँ आये हों तो उनसे बात करने की बात ही कुछ और है”
“ठीक है मैं तेरी बात राणा जी से तेरी माँसा से अवश्य करा दूँगी।…और तेरे कुँवर से भी”
“मॉम आप भी न..”
“चल सो जा देर रात हो रही होगी वहाँ”
“गुड नाइट मॉम”
“गुड नाइट बेटी”
अगले दिन राणा परिवार ‘कोहली विला’ शाम के समय पहुँचे। बहुत ही ख़ुशनुमा माहौल में इधर उधर की बातें हुईं। कुछ ड्रिंक्स वग़ैरह भी चलीं। बाद में जब सिड के डैड राणा जी ने डाइनिंग टेबल पर जब सब लोग राजस्थानी व्यंजनों का आनंद ले रहे थे तो इशिता से पूछा, “समधन अब यह राज़ तो बता दो कि यह खाना किसने बनाया है”
इशिता ने अपनी मैनेजेरियल स्किल का कमाल दिखाते हुए कहा, “भाई साहब क्या हुआ कुछ अच्छा नहीं लगा क्या?”
“नहीं खाना तो बहुत लज़ीज है। मैं तो उन हाथों को चूमना चाहता था जिसने यह खाना बनाया”
राणा जी बात पर सिद्धार्थ की मॉम बोलीं, “माना कि हमारे यहाँ समधी को समधन के साथ छेड़खानी का अधिकार होता है फिर भी आपको इस बात का ख़्याल रखना चाहिए कि आपका बेटा भी यहीं बैठा है”
“ठीक है भाई, चलो छोड़ो”, राणा जी अपने हँस मुख स्वभाव के अनुसार बोले, “मैं जब अपनी ससुराल जाता था तो हमारी सासू माँसा एक कहानी सुनाती थी। मैं आपको वह कहानी सुनाता हूँ”
“भाई साहब बस हमारी खिंचाई न करियेगा। बाकी सब ठीक है”, मनीष ने अपनी तरफ से यह बात राणा परिवार के सामने रखी।
“सुना दूँ”, पूछने के भाव से सिद्धार्थ की मॉम की ओर देखते हुए पूछा और फिर जब उन्होंने हाँ का इशारा कर दिया तो राणा साहब ने फिर वह कहानी सुनाते हुए कहा, “हमारी सासू माँसा हमें बताती थीं कि उनके समय अपने एक ठिकानेदार की लड़के की ससुराल में समधन ने समधी जी को जब वह अपने पुत्र की शादी के लिए के लिए जब पुत्रवधू देखने गए हुए थे। जब सब रीति रिवाज़ ख़त्म हो गईं और खाना पीना हो गया तो रात के समय समधन ने खबर भिजवाई कि ठाकुर साहब भीतर वाली बैठक में पधारें। जब ठाकुर साहब वहाँ पहुँचे तो चांदी के गिलास में दूध दिया और कहा कि हमारे यहाँ रिवाज़ है कि समधी जी को दूध अपने हाथ से समधन ही पिलातीं हैं। समधन की बात सुनकर ठिकानेदार ने समधन जी से कहा कि समधन आज तो हम आपके हाथ से गिलास में दूध पिए लेते हैं लेकिन बारात लेकर जब आएंगे तो हमारे लिये दूध चाँदी की परात में ठंडा करके देना”
इशिता राणा जी का इशारा समझ गई और बोली, “भाई साहब हमें आपके यहाँ के रीति रिवाज़ नहीं आते हैं इसलिए हमारी आपसे यह करबद्ध प्रार्थना है कि हमें मौके बे मौक़े जानकारी देते रहिएगा जिससे कि हमारी ओर से कोई कमी न रह जाए”
सिद्धार्थ सिंह की मॉम बीच बचाव की मुद्रा में आते हुए बोलीं कि, “बहन जी छोड़िये भी न आप भी इनकी बातों में आ गईं इनकी तो यह आदत है कि हर किसी से वैसे तो कुछ नहीं कहते लेकिन जब किसी को अपना मान लेते हैं तो बात-बात में मज़ाक करते रहते हैं”
“करने भी दीजिये भाभी जी यह उनका हक़ बनता है”, कहकर मनीष ने वातावरण का रुख बदलने की कोशिश की और सिड की ओर मुड़ते हुए बोला, “अरे भाई तुम भी तो कुछ सुनाओ तुम तो बिल्कुल शांत बैठे हुए हो”
“अरे भाई जी जबसे आपने तनिष्का को साल्वाडोर भेज दिया है हमारा कुँवर चुप-चुप सा हो गया है”, राणा जी बोले।
“आप कहिए तो हम आज ही उसको वापस आने के लिए कह देते हैं”, इशिता ने अपनी ओर से यह प्रस्ताव रखा।
“बहन जी यह तो बताइए कि तनिष्का वहाँ कर क्या रही है?”, सिड की मॉम ने पूछा।
“बहन जी आपको तो पता ही है कि मारिया के साथ हम लोग नई बिजनेस जो शुरू कर रहे हैं बस उसकी जानकारी हासिल करने के लिए ही उसे वहाँ भेजा है”
“बहन जी लगता है आप हमारी बहूरानी को एक एक्सपर्ट व्यापारी बना कर ही मानेंगी”
“बहन जी हम तो उसे गुण सिखा रहे हैं बाकी तो आपको देखना है कि बाद में वह क्या करे”
राणा जी फिर बीच में ही बोल पड़े, “बहूरानी कुछ करे या न करे पर हमारे कुँवर से प्यार करे हम तो बस यह चाहते हैं”
“भाई साहब वह तो वो आज भी करती है। लीजिये मैं अभी उसकी बात सिड से कराती हूँ” इशिता ने वग़ैर किसी की मर्ज़ी जाने फोन तनिष्का को मिला दिया और बोली, “तनिष्का ले जरा सिड से बात कर”
उधर से तनिष्का ने कहा, “मुझे सिड से बात नहीं करनी है मेरी बात आप दादूसा और माँसा से करा दीजिये”
“लीजिये भाई साहब तनिष्का आपसे बात करना चाहती है”, इशिता ने यह कहकर मोबाइल राणा जी की ओर बढ़ा दिया। दादूसा से तो तनिष्का ने ढेर सारी बात कीं और बाद में माँसा से भी लेकिन जब सिड की मॉम फोन सिड को देने लगीं तो तनिष्का उनसे बोली, “माँसा रहने दीजिए मुझे उनसे कोई बात नहीं करनी है”
“क्यों क्या हो गया? कुट्टी तो नहीं कर ली है कहीं?”,सिड की मॉम ने पूछा।
“माँसा आप भी। दादूसा वहीं हैं क्यों मेरी पोल खोल रही हैं मैं सिड से रात को बात कर लूँगी”, तनिष्का बोली।
“चल जैसी तेरी मर्ज़ी”, कहकर सिड की मॉम ने फोन बंद कर इशिता को वापस यह कहते हुए वापस कर दिया, “बच्चे हैं, बाद में बात कर लेंगे उन्हें हमारा लिहाज़ है। हमारे यहाँ अभी भी बच्चे कभी बड़ों के सामने अपनी मनमानी नहीं करते”
मनीष ने सिड की मॉम की बात पर यह कहकर उनका मान सम्मान और बढ़ा दिया, “यही तो अच्छे संस्कारों की बात होती है जो केवल ख़ानदानी भारतीय परिवारों में ही पाए जा सकते हैं”
क्रमशः
अपनी बात:
दोनों परिवारों में मेल मिलाप के बढ़ाने के इरादे से की गई कोहली परिवार की पहल एक शानदार प्रयास रहा। दोनों के बीच एक बढ़िया शाम गुज़री। इधर उधर की बातें हुई और सबसे बड़ी बात राजस्थानी संस्कृति को लेकर कुछ चटखारेदार बातचीत भी हुई। ऐसा नहीं कि सिड अपने डैड और मॉम से डरता हो फिर भी एक पुत्र को अपने पिता के समक्ष अपनी ससुराल में कैसा व्यवहार करना चाहिए इसकी झलक आप लोगों ने देखी। यह सब हमारी भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों की एक प्रस्तुति मात्र थी। विवाह के बाद वही पुत्र जब ससुराल जाए तो साली के साथ हँसी मज़ाक कर सकता है लेकिन उसके पहले उसे भी एक मर्यादित बन्धनों में बंध कर रहना होता है।
चलिए कथानक को गति प्रदान करते हुए हम आगे बढ़ते है और देखते हैं कि आखिर साल्वाडोर में मारिया और सिड के बीच कैसी गुज़र रही है…..
13-06-2018
एपिसोड 48
एक शाम की बात है कि जब मारिया तनिष्का के साथ अपना वर्क आउट के लिए निकलने लगी तो सिड बोला, “आज मैं भी तुम लोगों के साथ वर्क आउट के लिए चलता हूँ यह देखने के लिए कि आखिरकार तुम इतनी देर बीच पर करती क्या हो”
“चलो न तुम यहाँ करोगे ही क्या। जब हम लोग यहाँ नहीं होंगे तो तुम एलॉय को किचन में घुस कर परेशान ही तो करोगे”, मारिया बोली।
तीनों लोग बाकायदा वर्क आउट के लिए तैयार हुए और सी बीच की ओर निकल लिए। मारिया और तनिष्का तो रेस लगातीं हुई आगे निकल गईं लेकिन सिड पिछड़ कर पीछे ही एक बेंच पर जाकर बैठ गया और दोनों के लौट कर वापस आने का इंतज़ार करने लगा।
समंदर के आसपास कहीं भी किसी भी देश में वैसे भी खुशनुमा माहौल रहता है और जब आप साल्वाडोर में हों तो भला वहाँ का सी बीच कैसे ख़ामोश रह सकता है। शाम को तो वहाँ बच्चों से लेकर युवक-युवतियाँ, बढ़े बूढ़े दम्पति कहने का मतलब सभी प्रकार के लोग वहाँ आकर इकट्ठा होते हैं। इस तरह के मौसम में हर कोई अपने-अपने हिसाब से ज़िंदगी में रंग भरने लगता है।
किसी को छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलना अच्छा लगता है, तो किसी को बॉलीबाल अच्छा लगता है, किसी को अपने महबूब को बाहों में खेलने में अच्छा लगता है, किसी को अपने महबूब की आँखों मे अपनी दुनिया नज़र आती है, तो किसी को एक दूसरे की खुले आम मिलजुल कर आनंद की अनुभूति होती है। ऐसे में ब्राज़ीलियाई संगीत और उस पर ठुमके लगाते हुए युवक तथा युवतियाँ किसी भी जानदार इंसान की धड़कनें बढ़ाने के लिए बहुत होते हैं। ऐसे विचित्र से माहौल में एक भारतीय युवक सिद्धार्थ कपूर चुपचाप एक बेंच पर बैठ कर यह सब देख रहे और इन सबके बीच अपने दिल को थाम कर बैठा रहे वह भी सातवें अजूबे से कम नहीं रहा होगा।
जब शाम का धुँधलका बढ़ने लगा तो सिड ने देखा मारिया और तनिष्का के साथ एक नवयुवक जो मारिया का हम उम्र और देखने भालने से ब्राज़ीलियाई लगता था मारिया के हाथ में हाथ डालकर चला आ रहा है। धीरे-धीरे वे लोग चलकर जब सिड के पास आ गए तो मारिया ने उस नवयुवक का परिचय सिड से यह कहकर कराया, “सिड इनसे मिलो ये हैं जोजेफ़ अल्ब्रेटा माइ एक्स लवर बॉय”
सिड भीतर ही भीतर सोचने लगा कि मारिया भी क्या अजीब लड़की है भला कोई अपने बॉय फ्रेंड से अपने एक्सलवर को ऐसे मिलवाता है। कुछ और भी प्रश्न मन में उठे लेकिन फिलहाल उन सबको छोड़कर सिड ने आगे बढ़कर अल्ब्रेटा से हाथ ही नहीं मिलाया बल्कि उसे गले भी लगाया और धीरे से उसके कान के पास जाकर बोला, “हाइ, डू यू नो दैट वी आर इन अ रिलेशनशिप”
इससे पहले कि अल्ब्रेटा जवाब देता मारिया बोल उठी, “सिड तुमने उससे क्या कहा वह नहीं समझा। वह इंग्लिश नहीं जानता है तुम मुझे बताओ मैं उसे पुर्तगाली में ट्रांसलेट कर बता दूँगी”
जब सिड ने देखा कि इस देश में जब सब खुला ही हुआ है तो अपनी बात को भी खोलकर कह देने में कोई हर्ज़ नहीं है। यह सोचकर सिड ने मारिया को वही शब्द रिपीट कर दिए जो उसने अल्ब्रेटा के कान में कहे थे। मारिया ने भी उन शब्दों को ठीक उसी प्रकार पुर्तगाली भाषा मे ट्रांसलेट करके उसने अल्ब्रेटा को बता दिए। अल्ब्रेटा ने मारिया के मुँह से सुनकर आश्चर्यचकित होते हुए कहा, “अब पता लगा कि मारिया ने मुझसे नाता क्यों तोड़ा। सिड तुम तो मुझसे बहुत अच्छे हो और पैसे वाले भी दिखते हो”
“नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है”, सिड ने सफाई देते हुए कहा।
सिड की बात सुनकर अल्ब्रेटा बोला, “जो कुछ भी हो तुमने यह अच्छा नहीं किया।…. पर शायद ठीक भी किया। मैं उसे वह सब नहीं दे सकता था जो तुम उसे दे सकोगे”, कुछ देर तक रुकने के बाद वह मारिया की ओर मुड़ा और बोला, “यह बहुत अच्छी लड़की है और बहुत हॉट भी। तुम सिड का ख़्याल रखना और मारिया तुम सिड का ख़्याल रखना”
अल्ब्रेटा की बातें सुनकर सिड तो समझ ही नहीं पा रहा था कि वह अब क्या कहे। ऐसी स्थिति में मारिया ने मोर्चा संभाला और उसने पुर्तगाली भाषा में बहुत देर तक अल्ब्रेटा को समझाया। जब अल्ब्रेटा कि कुछ बात समझ में आई तो वह सिड की ओर मुड़ा और बोला जिसका मतलब कुछ-कुछ यह था, “ले जाओ मारिया को यहाँ से बहुत दूर ले जाओ। मेरी आँखों से बहुत दूर ले जाओ। मेरे साल्वाडोर से दूर ले जाओ। मेरे ब्राज़ील और सात समंदर पार ले जाओ। …...। जो चाहे करो बस उसे भरपूर प्यार देना, वह प्यार की भूखी है उसके माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे। उसने यहाँ तक का सफर कैसे तय किया है, मैं यह जानता हूँ”
अल्ब्रेटा कुछ देर रुका फिर उसने सिड की आँखों में झाँक कर देखा जैसे कि वह कुछ पढ़ने की कोशिश कर रहा हो और फिर बोला, “तुम अपनी और मारिया की शादी में मुझे बुलाना। मैं आऊँगा तुम दोनों को अपनी गुड विशेज़ देने के लिए, आऊँगा”
इतना कहकर वह एक दम पलटा और अंधेरों में दूर जाकर खो गया…
अल्ब्रेटा तो चला गया पर सबको सदके में छोड़ गया। मारिया भी देखती रह गई जिस तरफ अल्ब्रेटा गया था। सिड ने तनिष्का की ओर देखा और फिर दोनों ने मारिया के कंधे पर हाथ रखकर घर चलने के लिये कहा। भारी कदमों से वे तीनों घर लौट कर आए खाना पीना खाया। बहुत कुछ न कह कर सभी लोग अपने-अपने कमरों में आराम करने के लिए चले गए।
उस दिन रात को इशिता की बातचीत मारिया से हुई, जिसमें इशिता ने कहा, “मारिया अब समय आ गया है कि तुम नैरोबी लौट कर अपनी बिज़नेस को आगे बढ़ाने की बात सोचो। इंडिया में सुगंधा जी ने एक नहीं बल्कि चार पाँच बड़े शहरों में अपनी कंपनी के हेड क्वार्टरस बना लिए हैं और अब उनको हमें अपने प्रोडक्ट्स और एक्सपर्ट सेरिविसेज देकर अपने काम को और बढ़ाना है। हम लोग अफ़्रीकन कांटिनेंट में अब पिछड़ रहे हैं”
“अच्छा यह तो मेरे लिए एक आश्चर्यभरी ख़बर है। इशिता तुम चिंता मत करो मैं कुछ ही दिनों में सुगंधा जी से आगे होकर दिखा दूँगी”, कहकर मारिया ने अपने नैरोबी वापस लौटकर आने की सूचना इशिता को दे दी। अगले दिन सुबह जब उसकी मुलाकात तनिष्का और सिड से हुई तो उसने सिड से कहा, “सिड हम लोग आज ही वापस नैरोबी जा रहे हैं। तुम जो भी पहली फ्लाइट बुक करो। अगर डायरेक्ट फ्लाइट हो तो ठीक नहीं तो इधर उधर होकर भी जाना पड़े तो भी कोई बात नहीं, लेकिन हम लोग आज ही निकलेंगे”
अपनी बात:
कल आपने देखा कि इशिता ने मारिया को समझाया कि उसे अब नैरोबी आकर अपनी नई कंपनी के काम को आगे बढ़ाना चाहिए। एक कुशल प्रबंधक होने के साथ-साथ वैल्यू फ़ॉर मनी समझने वाली इशिता ने उसके सामने नए टार्गेट्स यह कह कर रख दिये कि इंडियन मार्किट में सुगंधा जी ने चार पाँच बड़े शहरों में कंपनी के हेड क्वार्टरस भी बना लिए है और वह अब बहुत पिछड़ रही है।
इशिता की यह सब बातें सुनकर मारिया ने तनिष्का और सिद्धार्थ कपूर के साथ नैरोबी लौटने का मन बना लिया।
अब आगे देखते हैं कि क्या हुआ…
14-06-2018
एपिसोड 49
इशिता बीच-बीच में फोन करके सुगंधा जी से कंपनी के काम की प्रोग्रेस रिपोर्ट तो वह ले ही लिया करती थी साथ ही साथ वह यह भी पता करती रहती थी कि कनिष्का अपने मिशन की राह पर कैसा कर रही है। सुगंधा जी ने इशिता को जब यह बताया कि कनिष्का अपनी राह ठीक जा रही है और अगले महीने में उसकी पहली फ़िल्म रिलीज भी होने की उम्मीद बढ़ चली है और इस समय उसके हाथ में तीन फिल्मों के और भी ऑफर हैं पर वह अभी उन सब प्रोजेक्ट्स को रामा राव की सलाह पर डिले कर रही है। जैसे ही उसकी फ़िल्म थिएटर हिट्स करेगी उसी रोज़ वह यह तीन फ़िल्म और साइन कर लेगी। कनिष्का को रामा राव और अशफ़ाक़ भाई सभी लोग मदद पहुँचा रहे हैं। सुगंधा जी ने जब इशिता से आख़िर में यह कहा, “अब आप कनिष्का की ओर से निश्चिंत हो जाइए, अब मैं उसकी गार्जियन हूँ”
“ठीक है सुगंधा जी अब कनिष्का को मैंने आपके हवाले किया। बस हमारी एक आरज़ू है कि जब उसकी पहली फ़िल्म रिलीज होने को हो तो मैं और उसके डैड प्रीमियर शो पर वहाँ हों”, इशिता ने यह कहकर अपनी इंडिया आने के प्रोग्राम की घोषणा कर दी। इसका मतलब साफ था कि सुगंधा जी को भी इसी बीच मेहनत करके कंपनी के काम को और स्पीड देनी होगी।
उधर दूसरी ओर मारिया भी नैरोबी लौटकर दिलोजान से अपने काम में जुटी हुई थी। इशिता से बातचीत करके उसने पहले चार देशों में अपना नेटवर्क खोलने की तैयारी की। यह चार देश थे तंज़ानिया, मोज़ाम्बिक, ज़िम्बाब्वे और बोत्सवाना। उसने बड़े सोच समझ कर चुने जहाँ कभी अंग्रेजों का शासन रहा था जिससे कि उसे लॉजिस्टिक्स की ट्रेंड स्टाफ की कोई परेशानी न हो।
जब उसकी सभी तैयारियां चार देशों में एक साथ कंपनी के हेड क्वार्टरस खोलने की पूरीं हो गईं तो उसने चार पाँच बेहद खूबसूरत और वेल मैन्टेनेड बॉडी वाली लड़कियों को साल्वाडोर से नैरोबी बुलबाया और उन्हें कुछ-कुछ उसी प्रकार की ट्रेनिंग दी जिस प्रकार की सुगंधा जी ने कनिष्का को दी थी नैरोबी में अपनी कंपनी के इनॉग्रल फंक्शन के खोलने के पहले। बस फ़र्क इतना था कि कत्थक डांस की जगह फ़ोकस अफ़्रीकन रीजन के लोकल डांस पर आधारित प्रोग्राम डिज़ाइन किया था जिसकी अवधि भी उतनी रखी जितनी की सुगंधा जी और कनिष्का की कत्थक जुगलबंदी की थी।
मारिया ने सबसे पहले दार ए सलाम, तंज़ानिया में पहला प्रोग्राम किया। मारिया के प्रोग्राम ने वहाँ के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खलबली मचा दी। उस दिन पूरे जोशोखरोश के बीच इशिता ने अपनी कंपनी के नए हेड क्वार्टर का विधिवत उद्घाटन किया।
उसके बाद तो लगातार एक के बाद एक मापुसा, मोज़ाम्बिक; हरारे, ज़िम्बाब्वे और गाबोरोने, बोत्सवाना में भी ठीक उसी प्रकार के फंक्शन करके अपने कंपनी के हेड क्वार्टरस के खोलने के काम को पूरा किया। जब यह सब हो गया तो एक दिन बातचीत के दौरान मारिया ने इशिता को बताया, “इशिता अब मेरा प्रोग्राम अगले कुछ महीनों में साउथ अफ्रीका, मेडागास्कर, मॉरिशस में भी अपना ऑपरेशन्स शुरू करने का इरादा है”
“नये-नए देशों में नए सेंटर्स खोलने की जगह अब तुम्हारा फोकस फिनानांसियल परफॉर्मेंस पर भी देना चाहिए”, इशिता ने सलाह देते हुए मारिया से कहा, “सुगंधा जी की परफॉर्मेंस भी ठीक जा रही है और उनका अब साउथ इंडिया में अच्छा खासी नेटवर्क तैयार हो गया है”
“मैं समझ रहीं हूँ कि मेरा चैलेंज बहुत बड़ा है। जहाँ इंडिया एक बहुत बड़ा मार्किट है, वहीं अफ्रीकन स्टेट्स में इकोनॉमिक कंडीशन्स उतनी बिज़नेस के लिहाज़ से ठीक नहीं हैं। इशिता पर तुम चिंता नहीं करो मैं अफ़्रीकन कॉन्टिनेंट और साउथ अमेरिका को मिलाकर सुगंधा से बेटर परफॉर्मेंस देकर रहूँगी”
“वाह भाई वाह सुगंधा जी के पास सिर्फ़ एक कंट्री और तुम्हारे पास पूरे दो कॉन्टिनेंट हैं। इस लिहाज से तुम्हारी और उनकी परफॉर्मेंस को एक प्लेटफार्म पर कैसे रखा जा सकता है”
“आई थिंक फ़ॉर अवर बिज़नेस लेट अस टेक पापुलेशन एज द बिज़नेस इस कैटरिंग टू”
इशिता ने मारिया के बात बहुत ध्यान से सुनी पर कोई टिप्पणी देने से बचती रही। उसे जब ध्यान आया कि तीन दिन बाद तो उसे इंडिया जाना है क्योंकि कनिष्का की पहली फ़िल्म का प्रीमियर है तो इशिता ने मारिया से कहा, “तुम मेरे साथ इंडिया चल रही हो वहाँ कनिष्का की फ़िल्म का प्रीमियर है। उसमें हम सभी तनिष्का और मनीष भी शरीक हो रहे हैं”
“दैट्स आ ग्रेट न्यूज़। क्या मैं अपने सिड को साथ ले चल सकती हूँ”
“आराम से ले चलो। तनिष्का के सिड को ले तो मैं भी जाना चाहती थी, जिससे कि वह और तनिष्का कुछ वक़्त साथ-साथ बिता पाते लेकिन हम लोग अभी राणा परिवार से इस विषय में कुछ बात करने से कतरा रहै हैं कि वह कहीं बुरा न मान जाएं”
“तुम क्यों बात करोगी यह बात तो तनिष्का को अपने सिड से करनी चाहिए”
“नहीं मारिया हम उसे भी नहीं कह सकते। इंडिया में यह सब नहीं चलता है। कहीं वे लोग बुरा मान गए तो सब बना हुआ खेल चौपट हो जाएगा”
“ओह अब समझी इंडियन ट्रेडिशन शायद परमिट नहीं करते होंगे”
“एसेक्टली”
क्रमशः
अपनी बात:
कल तक आपने जाना कि इशिता किस तरह मारिया और सुगंधा जी के सहारे से एक बिज़नेस एम्पायर खड़ा करती जा रही थी और साथ ही साथ वह अपने परिवार को भी जोड़कर रख रही थी। कभी-कभी हमेशा वह नहीं होता जो आप चाहते हों, वही हो। कभी-कभी वह होता है जो राम जी चाहते हैं यहीं लोगों की किस्मत का पता लगता है कि उसमें ऊपर वाले ने क्या लिखा है।
तो लीजिये जानिए क्या हुआ जिससे किसी के ख़्वाब जो बिखरने वाले हैं...
15-06-2018
एपिसोड 50
मारिया और तनिष्का को साथ लेकर इशिता और मनीष समय रहते हैदराबाद पहुँच गए। पूरा कोहली परिवार कनिष्का और रामा राव की पहली फ़िल्म के प्रीमियर पर पहुँचे हुए थे। जहाँ अशफ़ाक भाई ने ऊपरी तौर पर इंतज़ाम में कोई कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन मन ही मन सभी यूनिट के सदस्यों के दिल भी तेज रफ़्तार से धड़क रहे थे कि क्या यह फ़िल्म दर्शकों के दिलों पर राज करेगी अथवा नहीं। नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया अपनी-अपनी टिप्पणियां और हेड लाइन्स बना कर बैठा हुआ था कि अगर फ़िल्म चली तो यह वाली मार्केट में चली जायेगी और अगर न चली तो दूसरी वाली। कहने का मतलब आज सौ करोड़ रुपये से ऊपर की लागत पर फ़ैसला मिनटों में हो जाने वाला था। महीनों की मेहनत पर नतीजा आने वाला था। जैसे ही स्टेज की सब कार्यवाही पूरी हुई गेस्ट लोग अपनी-अपनी सीट पर जाकर बैठ गए हॉल की लाइट गुल हो गई और स्क्रीन पर फ़िल्म की कास्टिंग शुरू हुई और बैकग्राउंड में फ़िल्म के सबसे बढ़िया गाने के बोल का म्यूजिक शुरू हुआ तो लगने लगा कि फ़िल्म में कुछ तो है। फ़िल्म के ओपनिंग सीन में ही कुछ ऐसी पब्लिक अपील थी कि लोगों को फ़िल्म पसंद आने के संकेत मिलने लगे थे। इंटरवल में सभी लोग अपने-अपने रिव्यु बनाने में जुटे हुए थे। फ़िल्म के समाप्ति पर सभी लोगों ने खड़े होकर फ़िल्म को अव्वल करार देने का सर्टिफिकेट दिया और फिर सिलसिला शुरू हुआ हीरो और हीरोइन को लेकर फ़ोटो खिंचवाने का। भीड़भाड़ में कौन किसको पूछता है कनिष्का ने कई बार खबर भिजवाई कि मॉम और डैड आप जहाँ कहीं भी हो एक मिनट भर के लिये स्टेज पर आ जाओ। पर उन्हें वहाँ बुलाने की फुर्सत किसको थी। बहरहाल कोहली फैमिली के लिए ख़ुशी की बात यह थी कि अब उनकी ज्येष्ठ पुत्री कनिष्का चल निकली थी।
इशिता और मनीष के साथ आई, मारिया और तनिष्का देर रात के फंक्शन में शरीक हुए और पहली बार उनकी मुलाकात रामा राव से हुई। उन लोगों की देर तक आपस में बातचीत हुई जिसमें रामा राव ने कनिष्का की दिल खोल कर तारीफ़ की। बातों ही बातों में रामा राव ने जब यह बताया कि कुछ ही दिनों में उनकी यूनिट दूसरी फ़िल्म की शूटिंग के लिए मॉरिशस और साउथ अफ्रीका जाने वाली है और कनिष्का भी उस यूनिट में रहेगी तो इशिता ने झट से रामा राव को यह कहकर न्योता दे दिया, “आपको हमारे फंक्शन में आना होगा क्योंकि उन्हीं दिनों में हम सभी लोग वहाँ रहेंगे क्योंकि हमारी कंपनी का हम वहाँ एक हेड क्वार्टर खोल रहे हैं”
“ज़रूर आऊँगा। कनिष्का तो साथ में रहेगी ही”
“हमारी बेटी कैसा काम कर रही है”
“आपने तो खुद देखा होगा कि इस फ़िल्म में उसने कितनी अच्छी एक्टिंग की है। अगर वह ऐसे ही काम करती रही तो तेलगु सिनेमा में उसका नाम होगा"
“बस आप जैसे लोगों की नज़रें इनायत रहें तो भगवान सब ठीक करेगा”
देर रात जब कनिष्का को साथ लेकर जब मनीष और इशिता अपने होटल लौट रहे थे तो मनीष ने पूछा, “तुझे अब काम से कब छुट्टी मिलेगी”
“डैड जब काम नहीं था तो आप इस बात के लिए परेशान रहते थे कि काम नहीं है अब आप इस बात के लिए परेशान है कि मुझे छुट्टी कब मिलेगी। मुझे लगता है कि जब मैं मॉरिशस आऊँगी तो दो चार दिन घर पर भी रहूँगी”, कनिष्का ने उत्तर देते हुए कहा।
“हाँ बेटी अब तो तू स्टार जो हो गई है डैड और मॉम से भी मिलने के लिए समय निकालना पड़ा करेगा”
बीच में इशिता बोल पड़ी, “रहने भी दो करने दो उसे अपने मन की कुछ और दिन कर लेने दो"
“तुम क्या कह रही हो? उसे अपने मन की कुछ और दिन कर लेने दो। यह अब हमारे आँगन की चिड़िया नहीं रही। अब इसका ख़ुद का आसमान है”, मनीष ने अपने दिल की बात कह दी।
“छोड़ो भी”, किसी तरह इशिता ने मनीष को चुप कराया।
एक दो दिन हैदराबाद में बिता कर तनिष्का, इशिता और मनीष दिल्ली के लिए रवाना हो गये। मारिया और सिड कुछ दिनों के लिए उदयपुर घूमने निकल गए जहाँ सिड ने अपने वायदे के मुताबिक मारिया को चित्तौड़गढ़ दिखाया और जिस स्थान पर रानी पद्मावती ने अपनी सखियों संग जौहर किया था, वह स्थान दिखाया। बाद में मीरा बाई के बारे में उसे समझाया कि वह कृष्ण भगवान के प्रेम में इतनी दीवानी हो गईं थीं कि उन्होंने अपने पति, राजकीय सम्मान और पद प्रतिष्ठा की कोई चिंता नहीं की और अपने शरीर का त्याग किया। सिड ने मारिया को यह भी बताया कि तनिष्का का विवाह उदयपुर और चित्तौड़गढ़ के महाराणाओं के परिवार के सिद्धार्थ सिंह से होने वाला है। सम्पूर्ण भारत में केवल एक यही राजवंश ऐसा है जिसने कभी किसी की दासता को स्वीकार नहीं किया वह चाहे पठान हों, मुग़ल हों अथवा अँग्रेज़ रहे हों। उदयपुर शहर और वहाँ के राजमहल और किलों को देखकर मारिया ने अपना वह निश्चय दुहराया कि वह अपनी हनीमून के लिए केवल उदयपुर ही आएगी। कुछ दिन राजस्थान में बिताने के बाद वे लोग नैरोबी वापस चले गए।
इशिता और मनीष दिल्ली एक अरसे बाद आये थे इसलिए अबकी बार उनके साथ यहाँ बहुतेरे काम इकट्ठे हो गए थे। दूसरा इशिता को सुगंधा जी से अपनी कंपनी के दिल्ली और नार्थ इंडिया में ऑपरेशन्स शुरू करने पर भी बातचीत करनी थी।
पहली बार मनीष ने इशिता के बिज़नेस डिस्कशन में हिस्सा लिया। जब इशिता कपिल महाराज जी और सुगंधा जी से बातचीत कर रही थी तो मनीष को लगा कि इशिता सुगंधा जी के समक्ष कुछ ऐसे टार्गेट्स रख रही है जिनको हासिल कर पाना आसान नहीं होगा। मनीष ने स्थिति को भाँपते हुए कहा, “इशिता बि रीज़नेबल तुम जो टार्गेट्स फिक्स कर रही हो वह बहुत टाइट टार्गेट्स हैं। मैं बिज़नेस में हूँ जानता हूँ कि यह सुगंधा जी के लिए बहुत मुश्किल होने वाले हैं”
इशिता मनीष की बात पर कुछ बोली तो नहीं लेकिन उसे लगा कि जब मैं मनीष के किसी भी उसके निर्णय के बारे में कुछ नहीं कहती तो उसे भी सुगंधा जी का पक्ष नहीं लेना चाहिए था पर वह मन ही मन वह यह अवश्य सोचने लगी कि इसके पीछे आख़िर क्या कारण हो सकते हैं क्योंकि उसने मीटिंग के दौरान मनीष को सुगंधा जी की ओर कई बार घूरते हुए देख चुकी थी। उसने यह भी देखा कि सुगंधा जी की ड्रेस आज वह पहले वाली ड्रेस नहीं थी और वह बहुत सेक्सी दिख रहीं थीं। इशिता के मन में एक कीड़ा रेंगने लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मनीष ने कहीं सुगंधा जी में कुछ ऐसा तो नहीं देख लिया हो जिसकी वजह से उसने आज पहली बार इशिता के बिज़नेस निर्णय में इंटरफियर किया।
कुल मिला कर मनीष और इशिता का दिल्ली प्रवास बहुत ही बिजी रहा और एक सप्ताह बाद वे नैरोबी वापस लौट रहे थे तो उस वक़्त इशिता ने मनीष से कहा, “मनीष एक बात पूँछू तो मुझे साफ-साफ जवाब दोगे”
“तुम्हारी हर बात का तो आजतक हमेशा साफ ही जवाब देता रहा हूँ तो आज यह शक़ क्यों?”
“मुझे लगा कि आज तुम्हारा दिल दिमाग़ किसी और की ओर जो था”
“किसकी ओर और कब…? तुम क्या कहना चाह रही हो?”
“हटाओ भी अभी नहीं लेकिन घर पहुँच कर मैं तुमसे पूछूँगी जरूर”
“मैं भी …..”
“मैं भी क्या?”
“वहीं जवाब देना पसंद करूँगा। अभी छोड़ो भी…”
क्रमशः
अपनी बात:
कल आपने देखा कि जब शक़ का कीड़ा आदमी हो या कोई औरत खास तौर पर जब यह मुआमला किसी दूसरी औरत या दूसरे मर्द को लेकर हो बड़ा घातक सिद्ध होता है और अच्छे खासी परिवारों की ज़िंदगी तबाह कर देता है। इशिता ने मनीष को सुगंधा जी के हक़ में की हुई एक छोटी सी टिप्पणी कितना गज़ब कर गई उसे आप तब महसूस करेंगे जब आप इस तरह की सिचुएशन से गुज़रे होंगे।
आगे देखते हैं कि मनीष सिचुएशन को कैसे हैंडल करता है और इशिता का क्या रुख होता है।
16-06-2018
एपिसोड 51
दिल्ली से नैरोबी की फ्लाइट में मियाँ बीवी मुँह फुलाये हुए बैठे रहे। दो एक बार मनीष ने बात करने की कोशिश भी की लेकिन इशिता ने ठीक ढंग से जवाब नहीं दिया। मनीष ने जब देखा कि वह अगर इशिता को मनाने की कोशिश करता है तो कहीं बात और न ख़राब हो जाए इसलिए वह चुप ही हों गया। उनका यह मौन नैरोबी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से कोहली विला तक बना रहा। लेकिन जब वे दोनों अपने बेड रूम में पहुँच गए तो मनीष ने इशिता से बातचीत करने का मन बनाया और उसे सामने बिठा कर पूछा, “अब बताओ कि क्या बात है? जिसे तुम लेकर इतना परेशान हो”
इशिता ने बड़े ही अनमने मन से कहा, “कुछ भी नहीं”
“नहीं कुछ तो बात है जो तुम्हें भीतर ही भीतर खाये जा रही है। मेरे लिये यह बहुत ज़रूरी है कि मैं जानूँ कि आख़िर क्या बात है?”
“आज तक तो तुमने कभी कुछ पूछा नहीं कि हेल्थ एंड फ़िटनेस वाली कंपनी को मैं कैसे चला रही हूँ। एक दो बार मैंने तुमसे जब कहा भी कि तुम इस काम को देख लो या उस काम को देख लो तो तुमने हमेशा यही कहा कि तुम अपने बिजनेस में बहुत बिजी हो”
“वह तो हूँ। तुम खुद भी जानती हो कि डायमंड और ज्यूलरी मार्किट में कितनी उठक पठक चल रही है और कितने ही बिज़नेसमेन अभी तक इस चक्कर में फँस चुके हैं। दूसरा बैंकिंग के लोग भी कितने प्रॉब्लम में हैं और मेरी तो दोनों बिज़नेस में सर और धड़ डूबा हुआ है इसलिए अगर मैंने यह कह दिया कि मैं तुम्हारे इस हेल्थ एंड फ़िटनेस बिज़नेस को नहीं देख पाऊँगा तो मैंने क्या ग़लत किया”
“मैंने तुम्हें उस दिन बीच में बोलने के लिए कहा था या तुम्हारी राय माँगी थी जो पटर-पटर सुगंधा की ओर से बोले चले जा रहे थे”
“मैं चूँकि वहाँ तुम लोगों के बीच बैठा हुआ था इसलिए मैं बीच में बोल पड़ा, इसमें बुरा मनाने की कौन सी बात थी”
“मुझे लगा कि तुम शायद अपनी मेहरबानियाँ दिखा कर सुगंधा का दिल जीतने की कोशिश में थे”
“इशिता”, कहकर मनीष ने इशिता के दोनों कंधे पकड़े और उसका चेहरा अपने ओर करके कहा, “तुमने मुझे कभी दूसरी औरत की ओर निगाह उठा कर देखते हुए पाया है”
“हाँ, उस दिन तुम सुगंधा की नाभिशोभिनी साड़ी की ओर बार-बार जो देखे जा रहे थे तो मुझे लगा कि तुम उन पर फिदा होकर उनका पक्ष रख रहे हो”
“क्यों क्या इससे पहले सुगंधा जी ने साड़ी नहीं पहनी थी क्या?”
इशिता ने टौंट कसते हुए कहा, “ओहो इसका मतलब तुम्हारी नज़र उन पर आज से नहीं बहुत पहले ही से थी”
“क्या बेकार की बात कर रही हो इशिता तुमको हो क्या गया है इस प्रकार की बातें लोग उस समय करते हैं जब उनका ख़ुद में विश्वास कम हो जाता है”
“अब तो तुम ये कहोगे ही। तुमको दो सुंदर सी बेटियाँ दीं। जो अपने आप में समर्थ हो गईं हैं इसलिए तुम ऐसी बात कर रहे हो”
“ऑन द कांटररी मैंने तुम्हारे लालन पोषण में कभी कुछ नहीं कहा। तुमने उन्हें अपने हिसाब से जो बनाना चाहा वह बनाया मैं जानता था कि तुम्हारी कुछ हसरतें थीं जो तुम पूरा नहीं कर पाई इसलिए मैंने बीच में कभी नहीं टोका या कोई उनके फ्यूचर को लेकर कोई टीका टिप्पणी की। बस उस समय मुझे सख़्ती दिखानी पड़ी जब मुझे लगा कि वह अपने ऐम से दूर हटती जा रही है”
“हाँ अब तो तुम यह कहोगे ही क्योंकि वह अब एक सफल स्टार जो हो गई है”
“अगर वह आज स्टार हो गई है तो मुझे उस पर नाज़ है”
“…..और कुछ”, इशिता ने पूछा।
“हाँ तनिष्का के लिए इतना अच्छा घरबार किसने देखा”
“वह क्या तुमने देखा था”
“..और किसने देखा?”, मनीष ने उत्तर दिया।
“वह तो तनिष्का को मैंने मारिया से ट्रेनिंग दिलवाकर उसे फिजिकली फिट कराया तो सिड को वह पसंद आ गई। अगर वह सिड के दिल में अपनी जगह नहीं बना पाती तो भला आओ तुम उसके घर तक कैसे पहुँचते?”
“यह बात तो ठीक है अगर मेरी बेटी सिड की पसंद नहीं करती तो राणा परिवार तक हम लोग कभी भी नहीं पहुँच सकते थे”
इशिता गुस्से में आकर बोली, “आइ एम फेड अप..”
“विद हूम। मी….बोलो, बोलो तुम किससे फेड अप हो?”, गुस्से में आकर मनीष ने भी पूछ लिया।
“अपने आप से?”
जब इशिता ने यह कहा और मनीष को लगा कि इशिता कहीं गुस्से में आकर कोई ऐसा स्टेप न उठा ले जिससे कि उसका बसा बसाया घर बर्बाद हो जाये तो उसने इशिता को अपने आगोश में लिया और उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे समझाया, “ऐसी कठिनाइयाँ हर परिवार में आतीं हैं। इसका मतलब यह तो नहीं कि हम अपने आप से अपने लोगों से गुस्सा हो जाएं। इशिता कम टू सेंसेज। सुगंधा जी का मैं बहुत सम्मान करता हूँ। वह हमारे धर्म गुरु जी की पत्नी हैं और हमारे यहाँ हाल फ़िलहाल से ही नहीं बल्कि हम लोगों के यहाँ उन लोगों का बरसों से आना जाना है। तुम मुझ पर ऐसा झूठा इल्ज़ाम कैसे लगा सकती हो”
इशिता जब कुछ सुनने के मूड में दिखाई दी तो उसे मनीष ने बहुत प्यार से समझाया कि वह ऐसे ओछे विचार मन में न लाये और ख़ुशी-खुशी अपनी ज़िंदगी जिए और सब लोगों को जीने दे। मनीष के समझाने से पता नहीं कि इशिता की कुछ समझ आया या नहीं लेकिन उसके बाद इशिता शांत हो गई।
जब उसका मूड ठीक हुआ तो दोनों ने मिलकर खाना खाया और फिर सोने के लिए अपने बेडरूम में चले गए। मनीष तो मानसिक रूप से ठीक था तो वह तो कुछ देर में ही सो गया लेकिन इशिता रात भर जगती रही… उसकी आँखों में नींद का कोई नामोनिशान नहीं था। रात भर वह अपने आप से बात करती रही और जब उसे लगा कि ग़लती उसकी ही थी जो उसने मनीष के ऊपर सुगंधा जी को लेकर अनर्गल आक्षेप लगाए। तब इशिता मनीष के उठने का इंतज़ार करती रही…
जब मनीष उठा तो देखा इशिता अपना सिर उसके कदमों में रखकर बैठी हुई थी। मनीष ने इशिता को अपने गले लगाया और उससे ख़ुद भी माफ़ी माँगी कि अगर उसने कुछ गुस्से में कह दिया हो तो वह उसे माफ कर दे। इशिता ने जब यह कहा, “ग़लती तो आपकी थी ही नहीं बस मुझसे ही नासमझी में बहुत कुछ मुँह से निकल गया”
दोनों ने अपनी-अपनी गलती मानी और तब जाकर वे लोग नॉर्मल हुए। मनीष ने तनिष्का को बुला कर पूछा, “क्या तुम सिड को मिलने का प्रोग्राम बना रही हो”
“नहीं डैड”
“अगर तुम मिलो तो उसे साउंड कर देना कि हम राणा परिवार को मॉरिशस अपनी हेल्थ एंड फ़िटनेस कंपनी के इनॉग्रल फंक्शन पर इनवाइट देने के लिए आना चाह रहे थे क्या उसके डैड और मॉम आज शाम को फ्री रहेंगे?”
“आप सीधे दादूसा से बात करलो न मुझे बीच में क्यों घसीट रहे हो”
“चल तू फोन तो लगा और मेरी बात करा”
तनिष्का ने दादूसा को फोन लगाया और उनके हालचाल पूछे अपनी इंडिया की जर्नी और कनिष्का की फ़िल्म की अपार सफलता की ख़बर देते हुए कहा, “दादूसा डैड आपसे बात करना चाहते हैं”
“ला मेरी बात करा”, कहकर राणा साहब ने फिर बहुत देर मनीष से और बाद में अपनी समधन इशिता जी से बातें ही नहीं कीं बल्कि ख़ूब मज़ाक भी किया…
क्रमशः
अपनी बात:
कल के एपिसोड में देखा कि इशिता के मन में उठी जिज्ञासा को मनीष ने शांत करने की पूरी कोशिश की लेकिन स्त्रियों के दिल दिमाग़ कुछ पता नहीं कि वह क्या सोचतीं हैं और क्या करतीं हैं।
आज के एपिसोड में जानिए कि राणा परिवार के मनीष और इशिता के साथ आने का क्या असर होता है। मारिया के फंक्शन के बारे में भी पता चलेगा कि क्या हुआ?
17-06-2018
एपिसोड 52
मारिया ने फंक्शन की तैयारी पूरी कर ली थी। वह इसके लिये तीन रोज़ पहले ही मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुई पहुँच गई थी। इशिता की उससे तैयारियों के सम्बंध में समय-समय पर बातचीत होती रहती थी। इशिता ने मारिया को यह सुझाव दिया था कि चूँकि आज राणा परिवार और रामा राव की यूनिट के सदस्य भी वहाँ होंगे इसलिए इन लोगों को विशेष ख़्याल रखा जाए।
आज शाम के फंक्शन में मारिया ने जहाँ वेस्टर्न कल्चर में स्त्री के सौंदर्य की महत्ता का गुणगान किया वहीं उसने कनिष्का से यह पहले ही फोन पर बात कर तय कर लिया था कि उसके प्रोग्राम में भारतीय संस्कृति के रूप को प्रमुखता मिले। मॉरिशस में भारतीय लोगों की बहुतायत में रहते हैं इसलिए कनिष्का ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की रूपरेखा भी इस नजरिए से बनाई गई थी कि हेल्थ एंड फ़िटनेस की महत्ता की झलक एक स्त्री के सम्पूर्ण जीवन की आवश्यकता बन कर उजागर हो सके। शाम को जब सब लोग हॉल में इकट्ठे हो गए तो कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम का प्रारंभ राणा जी और उनकी धर्मपत्नी के कर कमलों से दीप प्रज्वलित कर हुआ। अपने इनॉग्रल भाषण में जहाँ इशिता ने स्त्री के रंग रूप में निखार लाने की बात की वहीं आये हुए मेहमानों को यह भी जताने की कोशिश की कि भगवान हर किसी को एक चेहरा देता है लेकिन शरीर को आकर्षक बनाना एक स्त्री की इच्छा शक्ति के ऊपर निर्भर करता है। इशिता के कहा, “यही रूप रंग युगयुगान्तर से पुरुष को आकर्षित करने के लिए स्त्री का सम्मोहन अस्त्र होता है। हमारी हेल्थ एंड फ़िटनेस कंपनी कुछ उत्पाद और सॉल्यूशन्स लेकर लैटिन अमरीकन, इंडिया और अफ्रीका के कई देशों में धूम मचाने के बाद मॉरिशस के बाजार में उतर रही है। मुझे उम्मीद है कि आप सभी महानुभाव हमारी कंपनी को अपना आशीर्वाद प्रदान कर हमें उत्साहित करेंगे”
इशिता के उद्बोधन के बाद सबसे पहले मारिया का प्रोग्राम हुआ जिसको देखकर उपस्थित जन समूह ने करतल ध्वनि कर अपनी प्रसन्नता दर्शाई। मारिया की टीम द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम में वेस्टर्न दुनिया और अफ़्रीकी मूल के निवासियों में अपने रंग रूप के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए जहाँ लोगों को प्रोत्साहित किया। वहीं मारिया के कार्यक्रम के बाद अगले प्रोग्राम के लिए स्टेज पर एक दम पूर्ण अंधकार कर दिया गया। स्टेज पर धीमी-धीमी रौशनी थी बैकग्राउंड में चिड़ियों की चहचहाहट और मंद गति से बहती बयार की मधुर स्वर लहरी सुनाई पड़ रही थी। ऐसे में कनिष्का का स्टेज पर प्रवेश करना और सूर्य देवता को पुष्पांजली भेंट करने के बाद ही प्रोग्राम के इस भाग की शुरुआत हुई। कपिल महाराज की भारी भरकम आवाज़ में कमेंट्री के साथ सुगंधा जी के स्टेज पर प्रवेश के साथ ही तबले की थाप पर कत्थक नृत्य जुगलबंदी का वही कार्यक्रम किया गया जो पहले भी नैरोबी तथा हैदराबाद में किया जा चुका था। पिछले कार्यक्रमों से आजके कार्यक्रम में थोड़ा परिवर्तन किया गया था जिसमें यह बताने की चेष्टा की गई थी कि एक स्त्री को रूपवती होना चाहिए लेकिन अपने रंगरूप के साथ मातृत्व की महिमा और जीवन में उसकी आवश्यकता को नकारना नहीं चाहिए। कपिल महाराज जी ने बहुत ही साधारण शब्दों में अपनी बात रखी जिससे कि उनकी बातों का असर वहाँ एकत्रित जन समूह पर हो:
कामायनी, एक साधारण परिवार की रूपवान स्त्री है जिसे अपने रँगरूप पर गर्व है और उसने अपने शरीर की बनावट की दुरुस्त रखने के लिए बहुत मेहनत भी की है जब कि आज उसका ग्लैमर की दुनिया में नाम है और उसने अपने माता पिता के कहने पर विवाह तो कर लिया पर वह माँ बनने के लिए तैयार नहीं है यह उसकी जीविका तथा उसकी पसंद का सवाल है। जहाँ जीवन अपनी मर्ज़ी के मनमाफ़िक जीना हर एक स्त्री और पुरुष का जन्मसिद्ध अधिकार होता है वहीं वैवाहिक जीवन की एक विधा यह भी होती है कि एक विवाहित स्त्री मातृत्व को प्राप्त को कर वह गौरव हासिल करे जिसकी वह हक़दार है।
मित्रों, मैं आपको आज एक कहानी सुनाता हूँ। कृपया कान धर कर इस कथा को सुनिए :
दूसरी और एक अन्य साधारण परिवार की पत्नी मृणालिनी है इस गीत में जो निसंतान होने के कारण उपेक्षा का मार्मिक चित्रण हुआ है। साथ ही, यह भी अंतर्ध्वनित है कि स्त्री के जीवन का साफल्य उसके रूप और रंग में नहीं, बल्कि उसके मातृत्व में है। वह कोयल जैसी काली होकर भी अधिक से अधिक मूल्यवान आभूषणों, पुरस्कारों और प्रतिष्ठाओं की पात्री है।
‘निःसंतान पत्नी अपने पति से सोने का कंगन बनवा देने का अनुरोध करती है, लेकिन पति उसका अपमान करते हुए कहता है कि तुम तो कोयल-जैसी काली हो; तुम्हें कंगन अच्छा नहीं लगेगा। पत्नी पति के उत्तर से तिलमिला जाती है। भगवान की कृपा से उसे पुत्र की उत्पति होती है। पति सोने का कंगन बनवाकर अपनी पत्नी को मनाने जाता है, लेकिन अभिमानी पत्नी कंगन लेने को तैयार नहीं है। वह उत्तर देती है मैं तो काली कोयल हूँ, मुझे यह सोने का कंगन अच्छा नहीं लगेगा। अपने घर के अन्य लोगों को पहनाओ।’ पत्नी घर के अन्य लोगों की बातों को तो सह लेती है, लेकिन दुःख सुख के साथी अपने पति की बातें उसे असह्य हो उठती हैं। शब्दों का सही चयन कठोर से कठोरतम पलों को जीने का साहस भी प्रदान कर सकता है वहीं चंगी भली ज़िंदगी को तबाह भी कर सकता है।
परम पिता परमात्मा ने प्रकृति और पुरुष दोनों को बनाया, जिसके फलस्वरूप सृष्टि बनी। भगवान ने दोनों को समान रूप से चित्रित किया लेकिन रचना करने का अधिकार, सृष्टि में जीवन लाने का अधिकार केवल नारी को दिया। आत्मा को शरीर धारण करने के लिए एक कोख की जरूरत होती है। स्वयं भगवान को मनुष्य रूप में आने के लिए माँ चाहिए। नारित्व के बिना ये असंभव है। राम को अवतरित होने के लिए कौशल्या की कोख का सहारा मिला, तो कृष्ण को माँ देवकी का। माँ के बिना सृष्टि असंभव है और नारी के बिना माँ का अस्तित्व ही कहाँ?
फिर आज युवा की सोच क्यूँ बदल रही है यह एक अत्यंत चिंता का विषय है?
इस ब्रह्मांड की अदम्य शक्ति का रूप है, माता। सृष्टि एक माँ की गोद में ही अंकुरित, पल्लवित, पुष्पित व विकसित होती है। यूँ कहा जाए कि इस विश्व की सृजन शक्ति माता है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। संसार का उज्ज्वल भविष्य माँ के स्नेह आंचल मेँ ही फलता फूलता है। सबसे बड़ी बात यह है कि नारी की गरिमा उसके वात्सल्य से है।
वेद व्यास ने मातृ स्तुति में माँ को प्रथम गुरु के अलंकार से अलंकृत किया है। माँ की अपार असीम महिमा का वर्णन संसार के सारे धर्मों ने किया है। नारीत्व को उसके मातृत्व का बोध होना चाहिये। नारीत्व की महिमा उसके उस हर कष्ट को सहन करने मेँ है जो उसके पद और मर्यादा के अनुकूल हो।
हर एक औरत को अपनी सहनशीलता, धैर्य, स्नेह, ममता द्वारा यहाँ तक कि अपने रक्त और मज्जा द्वारा अपनी संतान की रचना कर उसे जन्म देना पड़ता है। ‘माँ’ शब्द का संबोधन, ‘माँ’ शब्द का की ध्वनि एक नारी के अंदर युग-युग से संचित हो रहे भाव को, जमा हो रही भावना को उड़ेल देता है। मातृत्व से परिपूर्ण उसका नारीत्व प्रभु के बनाए इस ब्रम्हांड की चिरजागृत यज्ञ वेदिका है। हाँ, यह बात हम सभी मानते हैं कि प्रत्येक औरत की अपनी एक पहचान होनी चाहिये।
अवश्य। उसे पाने का पूरा अधिकार है। परंतु पूर्णतया अपने आप को पाने की जब भी बात आती है नारी वात्सल्य के बिना अधूरी है, नारीत्व मातृत्व के बगैर अपूर्ण है। ‘माँ’ तत्व का बोध परम महान व उच्च बोध है। यही नारी-धर्म की पराकाष्ठा है। इसी में उसकी पूर्णता है। परिवार को, समाज को, देश को, संसार को एक सुसंस्कृत मेधावी भविष्य देना हर एक का कर्तव्य बनता है। ये तभी संभव है जब हर एक युवती यथोचित समय पर आदर्श माँ बने तथा अपने रूप की महत्ता को भी समझे। कहा जाता है गर्भावस्था में स्त्री के चेहरे पर एक अजीब सी कांति छा जाती है जो उसके लिये तथा परिवार के अन्य सदस्यों को बहुत सुख प्रदान करती है।
कपिल महाराज जी के इन सार्थक, गंभीर और ओजस्वीपूर्ण शब्दों के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ और वहाँ एकत्रित जन समूह ने खड़े होकर देर तक तालियाँ बजा कर सभी कलाकारों का हार्दिक अभिनंदन किया।
प्रोग्राम के बाद सभी मेहमानों के लिए सुरिचपूर्ण ढंग से डिनर के लिए महफ़िल सज चुकी थी और आज तो इशिता ने बहुत मन से सबके आबभगत की सुंदर तैयारी की थी। होटल के स्विमिंग पूल के साइड वाले गार्डन में पार्टी का इंतज़ाम था। सभी लोग हॉल से निकल कर डिनर के लिए आ गये। खाने पीने की सेवन स्टार सुविधाओं से परिपूर्ण सभी प्रकार के व्यंजन अलग-अलग टेबल्स पर उपलब्ध थे।
ख़ास मेहमानों के लिए इशिता ने अर्धचन्द्राकार फ़ैशन में सोफ़े पहले ही से लगवा दिए थे। प्रोग्राम के ठीक बाद फ़ोटो सेशन के बाद इशिता सभी मित्रों और विशिष्ट मेहमानों को अपने साथ लेकर उस जगह ले आई जहाँ होटल के आकर्षक गार्डन के बीचोबीच इन्तज़ाम कराया था। कौन कहाँ बैठेगा जिससे कि महफ़िल में लोग एक दूसरे से मिल सकें और आपस में बात कर सकें। यह सोच कर इशिता ने हर एक की सीट पहले ही से तय कर दी थी। कनिष्का और तनिष्का को यह ज़िम्मेदारी दी थी कि वह सभी मेहमानों को उनकी मंतव्य सीट पर ले जाकर वे उन्हें बिठा सकने में सफल होंगी। रामा राव जो कि एक ओर राणा जी और दूसरी ओर राणा जी की पत्नी को बिठाया गया था जिससे कि वे लोग आपस में बातचीत कर सकें। राणा जी के बगल में इशिता स्वयं तथा उसके बाद अशफ़ाक भाई की सीट थी राणा जी की पत्नी के साथ कनिष्का की सीट थी। सामने की ओर बीच में मनीष उसके एक साइड में कपिल महाराज जी तथा दूसरी ओर सुगंधा जी। इन सबके इधर-उधर तनिष्का और सिड साथ-साथ बैठे गए। मेहमानों के बैठते ही होटल के वेटर्स ने खाने पीने के सामान की मेहमानों की चॉइस के मुताबिक सर्विस शुरू कर दी थी।
मनीष ने अपनी चॉइस की ड्रिंक ली तो सुगंधा जी ने भी उसकी देखा देखी वही ड्रिंक ली। महफ़िल में इशिता जहाँ राणा जी से बातचीत करतीं रहीं वहीं उनकी निग़ाह सुगंधा जी पर बनी रही…
अपनी बात:
.....
और इशिता-मारिया की नई कंपनी की शुरुआत पोर्ट लुई, मॉरिशस में हो गई। उसके बाद डिनर के लिए आपने कल देखा कि इशिता ने सीटिंग अरेंजमेंट कुछ ऐसा किया कि सुगंधा जी मनीष के एक तरफ तो उसके दूसरी ओर कपिल महाराज जी बैठ सकें। इसके पीछे उसकी क्या मंशा थी वह तो ख़ुद इशिता जाने या जानें राम जी।
.......बहरहाल जो अब होने वाला है उसको जानने की हम लोग कोशिश करते हैं..
18-06-2018
एपिसोड 53
सुगंधा जी ने मनीष से पूछा कि वह आज कौन सी ड्रिंक ले रहे हैं तो मनीष ने अपने उत्तर में कहा, “वही जो मेरी मन पसंद स्कॉच ऑन द रॉक्स”
सुगंधा जी ने भी मुस्करा कर स्कॉच ऑन द रॉक्स कह कर वेटर से एक ड्रिंक मांगी और धीरे से मनीष को चियर्स कहकर अपने होठों से लगाते सिप किया। मनीष ने कुछ न कहा और वह भी अपनी ड्रिंक सिप करने लगा।
इसी बीच कपिल महाराज जी ने सुगंधा की ओर देखा जो मनीष के दाएं बाजू बैठीं हुईं थीं, “आज तो सुगंधा जी आपने और कनिष्का ने गज़ब ही ढा दिया क्या सुंदर स्टेज परफॉर्मेंस दी कि लोग वाह-वाह करते रहे गए”
सुगंधा जी भी आगे की ओर झुकते हुए कपिल महाराज की ओर देखकर बोलीं, “रहने भी दीजिये हम लोगों ने जो किया वह किया लेकिन आज तो आपकी कमेंट्री ने गज़ब ढा दिया। सभी लोगों ने खड़े होकर आपका अभिवादन किया और आप वेबजह हमारी तारीफ़ करे जा रहे हैं”
“नहीं-नहीं ऐसी तो बात नहीं है कमाल तो आप लोगों ने भी किया”, कपिल महाराज सुगंधा जी के चेहरे से नज़रें हटाते हुए बोले।
मनीष को लगा कि महाराज जी सुगंधा जी से अभी कुछ और भी बहुत कुछ कहना चाहते हैं इसलिए वह उनके बीच वाली सीट से उठ खड़े और कपिल महाराज जी से इल्तिजा की कि वह सुगंधा जी के बगल वाली सीट पर आ जाएं। जब कपिल महाराज जी सुगंधा जी के पास बैठकर देर तक उनसे बात करते रहे तो मनीष को लगा कि उसका निर्णय सही था आखिर उन पति पत्नी को एक दूसरे से बात करने का अवसर मिलना ही चाहिए।
जब इशिता ने यह देख लिया कि मनीष और सुगंधा जी के बीच में कपिल महाराज जी आकर बैठ गए तो उसने अपना ध्यान राणा जी की ओर करते हुए कहा, “क्या बात है भाई साहब आप कुछ नहीं ले रहे हैं”
“समधन कहाँ खोई हुई हो हमारे हाथ में तो हमारी मन पसंद चीज है। बस आपके ही हाथों में आज कुछ भी नहीं है”
अपनी ग़लती का एहसास करते हुए इशिता बोली, “ऐसी कोई बात नहीं बस मेरा ध्यान दूसरे मेहमानों की ओर था”
“इसका मतलब तो यह हुआ कि हमारा नंबर अब दूसरे लोगों में हो गया”
“नहीं भाई साहब आपकी अहमियत को हम कैसे नज़रंदाज़ कर सकते हैं आप तो हमारे मान्य हैं और हमेशा मान्य रहेंगे”
समधी और समधन में इसी प्रकार की नोंकझोंक होती रही। कुछ देर बाद राणा जी और रामा राव में उसकी नई फ़िल्म और उसमें कनिष्का के रोल को लेकर चर्चा होने लगी। जब तक इशिता का ध्यान राणा जी की पत्नी और कनिष्का की ओर गया। राणा जी की पत्नी कनिष्का से कह रहीं थीं, “कनिष्का तुम बहुत अच्छा कत्थक नृत्य करती हो और आज तो तुमने बहुत अच्छी परफॉर्मेंस दी। कत्थक तुमने किससे सीखा है”
“मेरी गुरु तो वही हैं जो सामने बैठीं हुईं हैं। मेरा मतलब सुगंधा जी से है जो स्वयं एक बहुत अच्छी कत्थक नृत्यांगना हैं”
“अरे भाई उनका तो कोई जवाब ही नहीं। जहाँ रहतीं है उनकी वज़ह से वहाँ रौनक बनी रहती है। वह अपने नाम को पूरी तरह चरितार्थ कर उस जगह को खुशनुमा बना देतीं हैं" राणा जी की पत्नी ने सुगंधा जी की तारीफ़ करते हुए कहा और फिर कनिष्का को भी याद दिला दिया, “कनिष्का अब तो तुम तेलगु फिल्मों की जानी पहचानी हीरोइन बनने जा रही हो तो तुम्हें भी सुगंधा जी की तरह डांस के हर फॉर्म पर कंट्रोल होना चाहिए”
“आँटी, आपने सही कहा रामा राव जी जो खुद तेलगु सिनेमा के सुपर स्टार तो हैं। मैं आजकल उनसे ही वेस्टर्न डांस की ट्रेनिंग ले रही हूँ। उन्होंने तो वेस्टर्न डांस का लंदन से स्पेशल कोर्स किया है।
इस बात पर राणा जी की पत्नी बोल उठीं, “रामा राव जी की क्या बात। उनकी तो हमने भी बहुत तारीफ़ सुनी है पर कनिष्का तारीफ़ तो तेरी भी करनी होगी जो तूने जिस प्रकार अपने पहली फ़िल्म से ही रामा राव जी का दिल जीत लिया और अब तेरे साथ दूसरी फ़िल्म कर रहे हैं"
कनिष्का के मन में राणा जी की पत्नी की बात सुनकर मन ही मन लड्डू फूटने लगे कि काश मैं रामा राव का दिल जीत सकती पर ऊपरी मन से कनिष्का बोली, “आँटी जी कहाँ मैं और कहाँ रामा राव जी। मैंने तो अपनी ओर से भरसक प्रयास किया कि जो भी किया जाय उसे लोग एक ईमानदार कोशिश की तरह देखें"
बातों ही बातों में रामा राव ने राणा जी से कनिष्का की बहुत तारीफ़ की जिसे दूर से ही सुनकर इशिता की बहुत अच्छा लगा और वह उठ कर रामा राव से बात करने के लिए उसके सामने खड़ी होकर बात करने लगी। कनिष्का ने जब देखा कि उसकी मॉम बेमतलब ही रामा राव से उसके बारे में कुछ अधिक ही बातचीत करने की कोशिश में है तो उसने बहुत सफाई से इशिता को अपने साथ लिया और सिड के पास जाकर सिड से बातें करने लगी और इशिता को सिड से बात करते जब तनिष्का ने देखा तो वह भी उठकर उनके पास आ गई और उनके साथ हो ली। कनिष्का ने सिड से कहा, "सिड तुम्हारी मॉम तो बहुत इंटरेस्टिंग बातें करतीं हैं"
"मेरे डैड और मॉम दोनों ही हँसी मज़ाक को पसंद करते हैं। ख़ुद ख़ुश रहते हैं और अपने आसपास वालों को भी खुश देखना पसंद करते हैं" सिड बोला।
कनिष्का ने सिड से कहा, "मैंने तो आज उनकी यह ख़सूसियत देख ली"
कनिष्का और इशिता कुछ देर बाद अपनी-अपनी जगह जा बैठीं और उनके दूर जाते ही सिड तनिष्का को साथ लेकर सभी की आँखों से दूर स्विमिंग पूल के दूसरी ओर घूमते हुए निकल गया। तनिष्का को प्यार भरी नज़रों से देखते हुए सिड ने तनिष्का के ड्रेसिंग गाउन की तारीफ करते हुए कहा, “तनु आज तुम इस गाउन में बहुत फब रही हो”
तनिष्का ने सिड की बात का जवाब देते हुए कहा, “सिड तुम्हें मालूम है कि ड्रेसिंग गाउन सिर्फ़ उन्हीं के तन बदन पर फबता है जिनके शरीर की बनाबट आकर्षक हो”
“मालूम है कि तुमने अपनी बॉडी लाइन्स के इम्प्रूवमेंट के लिए कितनी मेहनत की है”
“वगैर मेहनत के तो कुछ भी नहीं मिलता”, तनिष्का ने सिड की ओर देखते हुए कहा, “तुम भी तो मेहनत करते हो तभी तो तुम्हारे डैड और तुम्हारा इतना अच्छा बिज़नेस चल रहा है”
“हरेक व्यक्ति के काम अलग-अलग होते हैं जो जीवन में निभाने पड़ते हैं”
“यह बात तो सही है”
“तनु, तुम बताओ कि क्या तुम्हारा मन नहीं करता कि अब हम लोगों का विवाह हो जाना चाहिए"
“मेरे चाहने भर से भला क्या होता है?”
“चलो हम दोनों एक दिन मॉम से बात करते हैं”, सिड तनिष्का से बोला।
“ना बाबा मैं तो कुछ भी इस विषय में बात नहीं करने वाली तुम्हें बात करनी हो तुम करो”
बात करते-करते सिड ने तनिष्का को अपनी बाहों में भरा और उसके कपोल पर धीरे से प्यार किया। इशिता की निगाह इधर उधर लगी हुई थी उसने सिड को तनिष्का को किस करते हुए देख लिया पर उस दिन वह कुछ बोली नहीं लेकिन उसने मन ही मन यह निश्चय कर लिया कि अब तनिष्का और सिड की शादी समय रहते हो ही जानी चाहिए। इसके लिये उसने मनीष से बात करने का मन बनाया।
उस रात देर तक पार्टी चलती रही और जब सभी मेहमान चले गए उसके बाद ही कोहली परिवार और मारिया अपने रूम में वापस गए….जब मनीष और इशिता अपने रूम में पहुँचे तो सबसे पहले इशिता ने मनीष से पूछा, “मनीष एक बात तुम मुझे साफ-साफ बताना। न तो तुमने मुझसे आज तक कोई बात छिपाई है और न तुम आज छिपाओगे यह वायदा करो”
“क्या? किया भाई वायदा किया। अब क्या हुआ?”, मनीष ने पूछा।
“आज तुम सुगंधा जी से कटे-कटे क्यों थे। मैं तो चाहती थी कि सुगंधा जी और तुम आज खुल कर बात करो। इसलिए ही तुम्हें कपिल महाराज जी और सुगंधा जी के ठीक बीच में बिठाया था”
“ऐसी तो कोई बात नहीं थी दरअसल कपिल महाराज जी सुगंधा जी की तारीफ़ में उस समय बहुत कुछ कह रहे थे इसलिए मैंने सोचा कि वे साथ-साथ बैठे तो ठीक रहेगा”, मनीष ने इशिता की आँखों की गहराई में झाँकते हुए कहा, “दूसरा मैं नहीं चाहता था कि तुम अपने मन में कोई ऐसा भाव लाओ जिससे कि हमारे अपने वैवाहिक संबंधों पर कोई आँच आए”
जब मनीष ने यह कहा तो इशिता अपने आपको रोक न पाई और मनीष के सीने से लग कर बोली, “इसका मतलब यह हुआ कि तुमने मेरी बात का बुरा माना और मुझे दिल से माफ़ नहीं किया”
मनीष ने भी इशिता को अपने आगोश में लेते हुए कहा, “पति पत्नी के सम्बंधों में जो बात खटास पैदा करे उसे कभी दुबारा जन्म नहीं देना चाहिए”
“मेरे दिल में न तो तुम्हारे लिए और न ही सुगंधा जी के लिये अब कोई मैल है तुम उनको चाहो तो प्यार भी करो तब भी नहीं”
“इशिता मैंने तुमसे उस दिन भी कहा था और आज फिर कहता हूँ कि सुगंधा जी के लिए मेरे दिल में वही स्थान है जो पहले था। वह हमारे धर्म गुरु की पत्नी हैं इसलिए वह मेरे लिए सदैव आदरणीय हैं और आदरणीय ही रहेंगी”
मनीष की बात सुनकर इशिता ने मनीष को अपनी बाहों में और जोर से जकड़ लिया….
क्रमशः
अपनी बात:
कल आपने देखा कि इशिता और सिड की मॉम नैरोबी में इसलिए रुक गईं क्योंकि कनिष्का और रामा राव की वहाँ शूटिंग हो रही थी। दूसरा सिड की मॉम चाहती थी कि सिड को भी तनिष्का के साथ मॉरिशस घूमने का एक मौक़ा मिलेगा।
बस उसके आगे..
19-06-2018
एपिसोड 54
अगले दिन राणा जी और मनीष तो नैरोबी वापस चले गए लेकिन इशिता ने यह कह कर कि कनिष्का की फ़िल्म की शूटिंग अभी तीन चार दिन और चलेगी उन्हें भी कनिष्का से मिल बैठ कर बातचीत करने का और उसे समझने का अवसर मिलेगा, इसलिए सिड की मॉम, सिड को वहीं पोर्ट लुई में ही रोक लिया। इशिता के साथ-साथ कपिल महाराज तथा मारिया और उसकी ब्राज़ीलियाई फ़िटनेस ट्रेनर्स की टीम भी वहीं रुकी रही। सुबह-सुबह उठ कर जब मारिया, तनिष्का और बाकी के फ़िटनेस ट्रेनर्स पोर्ट लुई की सड़कों के रास्ते होते हुए सी बीच तक पहुँचे तो जो भारतीय तथा वहाँ के लोकल रहने वाले लोग उन्हें पलट-पलट कर देखते और आपस में बात करते हुए देखे गए कि इन्ही लोगों को तो उन्होंने कल रात टीवी पर देखा था। कुछ एक ने तो उनके साथ दौड़ते हुए उनसे हाथ मिलाने की कोशिश भी की। मारिया ने जब ये सब बातें लौट कर इशिता को बताईं जो उस समय सिड की मॉम और सिड के साथ ब्रेकफास्ट कर रहीं थीं तो इशिता ने मारिया की बेहद तारीफ़ करते हुए सिड की मॉम को बताया कि तनिष्का आज अगर इतनी फ़िट और हैल्दी दिखती है तो यह केवल मारिया के प्रयासों के कारण और फिर मारिया की ओर पलट कर कहा, “मैं अब समझी कि तुम अपने काम के प्रति कितनी सजगऔर बफादार हो तुमने आज ही से अपनी कंपनी का प्रोमोशन भी शुरू कर दिया"
मारिया ने मुस्कुराकर अपने कंधे उचका कर इशिता की बात सुनकर उसे धन्यवाद कहा और वे सभी साइड वाली टेबल पर बैठ गईं जहाँ उन्होंने अपने लिए फ़्रेश कोकोनट वाटर का आर्डर किया। दूसरी टेबल पर तनिष्का को देखकर उसके लिए भी उसकी मॉम ने फ्रेश कोकोनट वाटर का आर्डर किया। सिड की मॉम ने तनिष्का की ओर देखते हुए सिड से कहा, “सिड देख तनिष्का की कितनी फिजिकली फ़िट और दुरस्त रखने के लिए कितनी मेहनत करती है। तू भी कुछ किया कर न”
सिड ने अपनी मॉम की ओर देखते हुए कहा, “मॉम तुम अभी से तनिष्का की हो गई और तुम्हारा बेटा जो सुबह से शाम तक अपने डैड के साथ धंधे पानी में लगा रहता है उसको भूल गई”
सिड की मॉम ने कुछ न कहना ही ठीक समझा। सिड अपनी चेयर से उठते हुए बोला, “ठीक है मैं तो चला स्विमिंग करने”
सिड को जाते देख तनिष्का बोली, “मॉम मैं भी जाऊँ सिड के साथ पूल में स्विमिंग के लिए”
इशिता ने सिड की मॉम की ओर देखा और बोली, “जा न तुझे किसने रोका है”
कुछ देर बाद मारिया और उसकी फ़िटनेस ट्रेनर्स भी स्विमिंग के लिए पूल में उतर गईं। कहाँ सिड अकेला और उसके आसपास इतनी लड़कियाँ ही लड़कियाँ एक बारगी तो सिड घबरा ही गया लेकिन जब तनिष्का ने उसका साथ दिया तो बाद में उसने उन सभी के साथ नानाप्रकार के वाटर स्पोर्ट्स में भाग लिया और ख़ूब मस्ती की। उन्हें इस क़दर स्विमिंग पूल में एन्जॉय करते देख इशिता सिड की मॉम से बोली, “आपका क्या ख़्याल है अब सिड और तनिष्का की शादी हो ही जानी चाहिए”
“बहन जी आपने तो मेरे मुँह की बात छीन ली। मैं भी चाहती हूँ कि तनिष्का अब हमारी बहू बन कर हमारे घर आ ही जाए। मैं नैरोबो लौट कर सिड के डैड से बात करती हूँ”
“मुझे इंतजार रहेगा”
शाम को जब कनिष्का अपनी शूटिंग से लौटी तब उसको लेकर इशिता सिड की मॉम के रूम में ही आ गईं। कनिष्का को सामने देख सिड की मॉम ने उसे प्यार किया और अपने पास बिठाया और फिर इशिता की ओर देखते हुए बोलीं, “आपकी दोनों बेटियों का कोई जवाब नहीं। मैं जब-जब उनको देखतीं हूँ तो मेरा मन गद-गद हो जाता है। भगवान अगर किसी को लड़कियाँ दे तो कनिष्का और तनिष्का की तरह”
“बहन जी हमने भी इनको पाकर कभी भगवान से कोई और चीज नहीं माँगी। बस अब एक ही इच्छा है कि ये दोनों जहाँ भी रहें ख़ुश रहें”
“अरे आपको चिंता करने की क्या ज़रूरत है तनिष्का तो हमारी बहू अब समझो कि बन ही गई है। ….और कनिष्का का क्या, वह जिस पर अपनी उँगली रख देगी तो वह इसका हो जाएगा। क्यों बेटी मैंने कुछ ग़लत कहा”
कनिष्का सिड की मॉम की बात सुनकर बस मुस्कुरा कर रह गई। इशिता ने कनिष्का के सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “बस बहन जी अब तो इसे इशारा करना है कि इसके दिल में किसकी तस्वीर बसी है। बस यह हाँ कर दे तो हम इसके हाथ भी पीले कर दें”
“मॉम मेरी इंडस्ट्री में शादी करना एक उभरती हुई हीरोइन के लिए बहुत बड़ी डिसक्वालिफिकेशन है। अभी कुछ सालों के लिए आप यह ख़्याल निकाल ही दीजिये”, कनिष्का ने अपनी मॉम का हाथ पकड़ते हुए बोली।
इस तरह की पारवारिक बात चीत इन लोगों के बीच बहुत देर होती रही।
जितने दिन ये लोग पोर्ट लुई में रहीं इसी तरह उनके दिन हँसते हँसाते गुजर गए। जिस दिन कनिष्का और रामा राव हैदराबाद के लिए निकले उसी दिन शाम को इशिता तथा तनिष्का भी सिड और सिड की मॉम के साथ नैरोबी की लिए निकल पड़ीं।
क्रमशः
अपनी बात:
कहा जाता है प्यार की पूर्णाहुति विवाह का बंधन होता है। अपनी कहानी में प्यार दो एक नहीं कई थे। हर किसी के प्यार को मंज़िल मिल जाये वह भी तो नहीं होता है। किसी को पूरा जहां मिला तो किसी की अधूरी ख़ुशी।
‘तनिष्का’ कथानक स्त्री के सौंदर्य बोध की एक ऐसी कहानी जिसमें स्त्री वर्ग को यह चैतन्य करने की पूरी कोशिश की गई कि अब उसे अपने रंगरूप को लेकर सचेत होना पड़ेगा। कहाँ तक यह अपने उद्देश्य में सफल हो पाई या नहीं यह तो जब पाठक अपनी प्रतिक्रिया देंगे तब पता लगेगा। पाठकों की प्रतिक्रिया का स्वागत है।
'तनिष्का' धारावाहिक आज अंतिम पड़ाव पर पहुँच ही गया। मुख्यतः तनिष्का की कहानी एक यौवना से लेकर हर उस स्त्री कहानी है जिसे अपने रँगरूप को जहाँ निखारने के पूरा प्रयास करना होगा साथ ही साथ यह एक औरत के अदम्य साहस की गाथा भी है कि जो वह अपने जीवन में जो कुछ न कर पाई वह सपने अपने बच्चों की आँखों में देखे ही नहीं बल्कि उन्हें पूरा भी किया।
मित्रों, इस कथानक को पूरा करने में कुछ अधिक समय लग गया उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ पर यह मेरी शक्ति और क्षमता के बाहर था। इसे भी मात्र संयोग ही माना जाए कि पिछले साल आज ही के दिन मेरा एक और धारावहिक 'एक थे चंद्रचूड़ सिंह" पूरा हुआ था।
लीजिए 'तनिष्का’ का अंतिम एपिसोड अब आपकी नज़र है।
20-06-2018
एपिसोड 55
इशिता और मनीष जब राणा दंपति से ‘डूंगरपुर हॉउस’ में मिले तो उन्होंने यह जानना चाहा कि क्या उन्होंने अपने कुल गुरु जी से सिड-तनिष्का के विवाह की कोई तिथि निकलवाई है तो राणा जी बोले, “हाँ भाई निकलवाई है लेकिन पहले आप बताइए कि आपके कपिल महाराज जी ने कौन सी तिथि सुझाई है?”
मनीष और इशिता ने पहले सिड की मॉम की ओर देखा और धीरे से बोले, “हमारे धर्म गुरु जी के हिसाब से दोनों की कुंडली का जो सबसे अच्छा संयोग बन रहा है वह है शारदीय नव दुर्गा माँ की सप्तमी का है"
“अरे यही तिथि ही तो हमारे कुल गुरु जी ने भी सुझाई है। लीजिये साहब अब लगता है कि हम लोगों को इनके विवाह की सभी तैयारियां इसी प्रकार करनी होंगी। अब दिन कुछ दिन ही तो शेष रह गए हैं”, राणा जी ने मनीष और इशिता की ओर देखते हुए कहा।
इशिता ने अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए सिड की मॉम को अपने गले लगाया और धीरे से उनके कान में कहा, “बहन जी हम लोग जो चाह रहे थे अन्तोगत्वा वही बात हम लोगों के कुल गुरुओं ने भी कही। आपको हमारी ओर से हार्दिक बधाई”
कुछ इसी प्रकार की बधाई और शुभकामनाएं मनीष ने राणा जी को हाथ मिलाते हुए दीं। सिड की मॉम ने इस मौके पर सबका मुँह मीठा कराया और उसके बाद सिड और तनिष्का के विवाह के प्रोग्राम के बारे में विस्तार से बातचीत की। राणा जी कहा, “हमारे कुल के विधि विधान और परम्पराओं के अनुसार सिड और तनिष्का के विवाह सम्बंधी कार्यक्रम पूरे सात दिन चलेंगे जिसमें देवी पूजन और कलश स्थापना से लेकर जब तक तनिष्का हमारी बहू बन कर हमारे घर में प्रवेश नहीं कर लेती और हमारे परिवार के सभी सदस्य उसे आशीर्वाद नहीं दे लेते हैं इत्यादि शामिल हैं’
“राणा जी हम तो लड़की वाले हैं जो आपको रीति रिवाज हों आप उसी प्रकार वैवाहिक कार्यक्रम पूरे करें। बस एक बार यह और बता दें कि आप विवाह के कार्यक्रम कहाँ रखेंगे"
“हमने सब कुछ तय कर दिया है विवाह सम्बंधी सभी कार्यक्रम उदय पैलेस, डूंगरपुर में होंगे। बस आप वहाँ रहें बाकी सभी व्यवस्था हमारे लोग कर लेंगे"
इशिता ने राणा जी की ओर हाथ जोड़कर कहा, “भाई साहब आपने हमारी बहुत बड़ी मुश्किल सुलझा दी क्योंकि हम तो डूंगरपुर के बारे में बिल्कुल अनिभिज्ञ हैं”
“समधन तुम क्यों चिंता करती हो। हम हैं न तुम्हारी सभी चिंताओं को दूर करने के लिए। बस तुम मुस्करा कर तनिष्का को विदा करने की तैयारी करो”
इसके बाद दोनों परिवारों में बहुत देर बात होती रही। मनीष ने बीच में अपनी ओर से एक बात और रखी कि हमारी एक बेटी और भी है क्या हम उसकी शादी भी उन्ही दिनों में कर सकते हैं। मनीष की बात सुनकर सिड की मॉम ने पूछा, “कनिष्का से क्या रामा राव विवाह के लिए तैयार ही गए”
“बहन जी हम कनिष्का की बात नहीं कर रहे हैं हम तो मारिया की बात कर रहे हैं, वह भी तो हमारे घर की बेटी के समान है। हम लोगों के सिवा उसका इस दुनिया में दूसरा कौन है? हम आपके यहाँ आने के पहले कपूर साहब के घर गए थे कि हमारी खुशियों में अगर उनकी खुशियाँ भी शरीक़ हो जाएं तो हमारे लिए यह बहुत बड़ी बात होगी"
राणा जी मनीष की बात पर हँस कर बोले, “मनीष जी आपने यह काम बहुत अच्छा किया आप निश्चिंत रहें उनके विवाह की भी हम पूरी तैयारी करा देंगे। यह बताइये कि उनकी शादी की कोई तिथि वगैरह निकलवाई है”
“जी साहब आप तो जानते हैं कि मारिया क्रिस्चियन है और कपूर साहब का परिवार भी बहुत खुले दिल दिमाग़ वाला है इसलिए उन्होंने बस यही कहा है कि वह यह चाहेंगे कि तनिष्का और सिड की शादी के पहले वे लोग सिड और मारिया की शादी हो जाए”
“यह तो बहुत अच्छा रहेगा पर यह देख लीजिएगा की सिड सिड के चक्कर में कहीं दूल्हे न बदल जाएं"
“आप चिंता न करें हम कार्ड में बहुत साफ़ यह बात ज़ाहिर कर देंगे कि मारिया का विवाह सिद्धार्थ कपूर से और तनिष्का का कुँवर सिद्धार्थ सिंह से संपन्न होना निश्चित हुआ है”
जब सब बातें तय हो गईं तो उसके बाद बचा ही क्या था। उचित समय और स्थान पर दोनों कुल के लोग मिले और विवाह संपन्न हुआ। मनीष और इशिता ने बाद में लेक व्यू पैलेस उदयपुर में एक थैंक्स गिविंग पार्टी का शानदार आयोजन किया।
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