Saturday, August 1, 2020

लॉक डाउन 2 --- द्वारा एसपी सिंह


लॉक डाउन 2
द्वारा 


एस पी सिंह 



लॉक डाउन - 2

......की कहानी की शुरूआत करने के पहले आपकी मुलाक़ात उन लोगों से करा दूँ जो इस कथानक के प्रेरणा सूत्र बने। यह वह वही फ्रांसीसी परिवार है जो हक़ीक़त में पूर्वांचल के लक्ष्मीपुर के एक मंदिर में लॉक डाउन 1 लागू होने के कारण फंस गया था।

मुझे जो बात इन लोगों की जो अच्छी लगी वह थी हालात चाहे जितने ख़राब हों उनसे लड़ने की उनकी जुझारू प्रकृति। मैनें तो अपने कथानक के लिए इस ग्रुप के चार सदस्यों का ही चुनाव करके ताना बाना बुना लेकिन ये लोग वास्तव में चार से अधिक थे। मैंने तो कहानी को मधुरिम बनाने की प्रवृत्ति में वे पात्र चुने जिससे कि पाठक मेरी कहानी के साथ जुड़े रहें लेकिन आप इन फ्रांसीसियों की मनोदशा को समझिए जहाँ इन्हें जीवन की मूलभूत सुविधाएं जैसे कि उनके हिसाब के बाथरूम, रहने के लिए कमरे और गद्दे/ बेड वगैरह न होते हुए भी जीवन के वे कठिन दिन गुज़ारे। जो सुबह शाम तरह तरह के नॉन वेज खाना खाने वाले लोगों को वह खाना खाना पड़ा जिसके वे आदी नहीं थे। उन्होंने लकड़ी के चूल्हों पर खाना बनाना सीखा ज़िंदगी को एक हिंदुस्तानी के नज़रिए से परखा और शास्वत रूप में जिया। उनके इस ज़ज़्बे को सलाम।

सभी चित्र गूगल बाबा की कृपा से प्राप्त हुए।

एसपी सिंह
23-07-20 20

24-07-20 20

एपिसोड 1

प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद लॉक डाउन 2 का मार्ग प्रशस्त हो चुका था। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने रातों रात लग कर 14 अप्रैल को अधिसूचना निकाल कर अपना काम पूरा किया जो नियमावली 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक लागू रहनी थी उसे भी अधिसूचित कर दिया। जैसे ही इसकी सूचना उन लोगों में पहुंची जो किसी कारणवश अभी तक बड़े शहरों में रुककर काम धाम शुरूहोने का इंतजार कर रहे थे उनमें भी बेचैनी बढ़ उठी और बिना कुछ सोचे समझे वे लोग भी अपने अपने घर के लिए पैदल ही चल पड़े। इन प्रवासी मजदूरों ने घर तक की यात्रा में क्या क्या न झेला उसका अन्दाज़ लगाना भी मुश्किल है।

एक प्रवासी परिवार जिसमें एक छोटा बच्चा और उसके माता पिता थे उनमें से परिवार के मुखिया को एक ट्रक ने मध्यप्रदेश के हाईवे पर रौंद कर मार डाला। उसकी अनपढ़ बेवा क्या करे, क्या न करे सिवाय इसके कि वह अपने बच्चे के साथ अपने पति के शरीर के पास बैठी रोती रही। पास वाले गांव के लोगों को उस पर दया आ गई, उसके पति का विधिवत अंतिम संस्कार किया। उन्होंने उसे अपने गांव में शरण दी और बाद में किसी तरह उसके घर पहुंचाया।

ऐसी कोई एक कहानी नहीं अनेकों कहानियां थीं जो चौबीसों घंटे भारत के हर न्यूज़ चैनल पर ही नहीं वरन अंतरास्ट्रीय न्यूज़ चैनलों पर भो दिखाई जातीं थीं। एक दिन यह सब देखकर ऐरॉन और एमेलिया की क्या बात करें विक्टर और एस्टेले का मन भी बहुत दुःखी हो रहा था। जब कभी वे चारों इकठ्ठे होकर टीवी देख रहे होते और इस प्रकार के सीन उनकी नज़रों में पड़ते तो वे स्वयं को बहुत भाग्यशाली समझते कि इंस्पेक्टर पांडेय की वजह से ठाकुर परिवार के सानिध्य में आये। इतनी कठिन परिस्थितियों में भी वे अपने कष्ट के दिन आराम से गुजर बसर कर सके। इसके लिए एमेलिया कहती, "कुछ भी हो हम अरनव और अनिका के ताज़िंदगी के लिए आभारी रहेंगे। मेरी समझ में नही आ रहा है कि यह कर्ज़ हम कैसे उतार सकेंगे"

"तुम चिन्ता मत करो मैंने एक तरक़ीब सोची है कि हम पेरिस वापस पहुंच कर उनके पूरे परिवार के लिए रिटर्न एयर टिकट भेज देंगे। इस तरह वे लोग पेरिस के साथ साथ लंदन वगैरह भी देख सकेंगे"

उत्साहित होकर एमेलिया बोली, "हां यह ठीक रहेगा। उस दिन अरनव कह भी रहे थे कि वे बहुत पहले पेरिस जाना चाह रहे थे लेकिन वह मनकापुर से फ्रांस नहीं जा सके थे"

"इस तरह हम उनके किसी काम आ सकेंगे"

कुछ देर तक सोचने के बाद एमेलिया बोली, "नहीं शायद हम सही दिशा में नहीं सोच रहे हैं। वे लोग इज़्ज़तदार इंसान हैं वह यह नहीं मानेंगे"

"मुझे भी लगता है", अरनव ने कहा, "ऐसा करेंगे कि गेस्ट हाउस से चलते समय हम एक लिफ़ाफ़े में एक ब्लेंक साइन किया हुआ चेक उनको दे देंगे और कह देंगे कि वह अमाउंट बाद में अपने आप भर लें"

"नहीं बिल्कुल नहीं यह ठीक नहीं रहेगा छोड़ो इस विषय पर बाद में बात करेंगे अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा है", कहकर एमेलिया ने हालफिलहाल के लिए इस मुद्दे को टाल दिया।

हर रोज़ की तरह उन्होंने टीवी पर जब न्यूज़ देखी तो उन्हें पता लगा कि कोरोना की वजह से सम्पूर्ण विश्व में बीमारों की संख्या बढ़ती जा रही थी। खास तौर पर पश्चिमी देशों में जिनमें इटली, फ्रांस तथा जर्मनी के लोगों में संक्रमण तेजी से फैल रहा था। अमरीका का हाल तो और भी बुरा था जहां लाखों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे थे और लाखों हस्पतालों में भर्ती थे।

कोरोनो संक्रमण से ग्रसित कई विदेशियों की देखभाल और बीमारों का इलाज इतनी कठिन परिस्थितियों में रहकर भी भारत के लोग कर पा रहे थे। देश भर में कोविड 19 की नई नई टेस्टिंग लैब्स स्थापित की जा रहीं थीं, मास्क के साथ साथ पीपीई की सप्लाई बढ़ाने के प्रयास चल रहे थे। कलोरोक्विन दवाई की उत्पादन क्षमता बढ़ाकर अन्य देशों में भेजी जा रही थी। प्रधानमंत्री स्वयं अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों से वार्तालाप कर कोरोना से लड़ने के लिए कॉमन फण्ड के विस्तार की बात कर चुके थे। आये दिन अमेरिकी राष्ट्रपति का गुस्सा चीन पर फूट पड़ता था क्योंकि चीन के कारण पूरे विश्वसमुदाय को इस माहा मारी की मार झेलनी पड़ रही थी। कभी कभी ऐरॉन को लगता कि एक दिन हालात ऐसे न बन जाएं कि सभी शक्तियां मिलकर चीन के खिलाफ मोर्चा न खोल दें...

क्रमशः

25-07-20 20

गतांक से आगे: टीवी पर प्रधानमंत्री जी के भाषण को सुनकर सभी का मन उदास था। अरनव और अनिका को यह ख़राब लग रहा था कि ऐरॉन परिवार को 30 अप्रैल तक अभी और यहीं रहना पड़ेगा।

बस उसके आगे जानिए कि क्या हुआ?

एपिसोड 2

जब सुबह उठकर अरनव और अनिका पूजा के लिए मंदिर जा रहे थे तो पश्चिमी गेट के पास उन्हें आनंदिता दिख गई अनिका ने उसे रोक कर पूछा, "आनंदिता तुम कैसी हो। पिकनिक के बाद दिखाई नहीं पड़ी"

"जी, आंटी मैं अक्सर घर पर ही रहती हूँ"

"कभी घर आना", अनिका ने याद करते हुए कहा, "आज तुम फ्री हो तो शाम को आना ऐरॉन का परिवार भी आएगा। कुछ खाने पीने का प्रोग्राम है"

"जी आंटी ज़रूर आऊंगी"

"थैंक यू"

जब अरनव और अनिका मंदिर में पहुंचे तो वहां उनकी मुलाक़ात ऐरॉन और एमेलिया से मुलाक़ात हुई। सभी ने आपस में मिलकर पूजा पाठ किया। बाद में उन लोगों ने आपस में लॉक डाउन 2 पर बहुत देर तक बातचीत की। अरनव ने ऐरॉन और एमेलिया की बातों को बहुत ध्यान से सुना। उन्हें साफ लगा कि ऐरॉन परिवार लॉक डाउन के हालात को देखकर दुःखी तो हैं ही और उन्हें यह लगने लगा है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। अरनव ने यही ठीक समझा कि वह उन दोनों लोगों को देश की वास्तविकता बताएं और। उन्हें समझाएं कि जब देश में अलग अलग प्रान्तों में विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकार होती है तो ऐसे हालात होते ही रहते हैं। यह सोचते हुए अरनव ने उनसे कहा, "लॉक डाउन केवल भारत में ही नहीं वरन यूरोप के कई अन्य देशों में भी वहां की सरकारों द्वारा लगाया गया है। भारत में वास्तव में स्थित कुछ अलग है। हमारा देश एक प्रगतिशील देश है जहां एक प्रांत के लोग दूसरे प्रांतों में जाकर विकास के कार्यों में हाथ बंटाते हैं"

"हम लोग यह बात समझ रहे हैं लेकिन जिस तरह मज़दूरों के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है वह हमारी समझ के बाहर है", एमेलिया ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।

"बिल्कुल सही है, आप यह बात नहीं समझेंगी क्योंकि हो सकता है फ्रांस में ऐसे हालात कभी पैदा नहीं हुई हो"
"हो सकता है"

"जो भी हो मज़दूरों को इस तरह पैदल पैदल चल कर भूखे प्यासे बच्चों को देखा नहीं जाता है"

अरनव ने ध्यान दिलाया, "बिहार, झारखंड, बंगाल और ओडिशा का रास्ता उत्तर प्रदेश होकर ही जाता है इसलिए अब राज्य सरकार ने यह बीड़ा उठाया है कि इन मज़दूरों के लिए बीच बीच में कैम्प बनाये जाएं जहां उनके लिए रुकने की और खाने पीने की व्यवस्था रहेगी। आप यह जानिए कि जहां लाखों लोग सड़क पर हों उनके लिए इतनी बड़ी मात्रा में रुकने और खाने पीने की व्यवस्था बिना कुछ दिक़्क़त के हो लेकिन ज़मीनी स्तर पर कभी कभी ऐसा हो नहीं पाती है। बस मैं यही कहूँगा कि उत्तर प्रदेश की सरकार अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है"

ऐरॉन ने बात का रुख बदलने की कोशिश करते हुए कहा, "एमेलिया छोड़ो भी हमें बस यही सोचना चाहिए कि जो मज़दूर आज किसी कारण से ये सब तकलीफें झेल रहे हैं। बस अब हमें प्रभु यीशु से यही प्रार्थना करें कि उनकी मदद की जाए"

अरनव और अनिका ने शाम के प्रोग्राम के बारे में बताते हुए कहा, "शाम को आप विक्टर और एस्टेले के साथ घर आइयेगा कुछ खाने पीने का प्रोग्राम रखा है"

एमेलिया ने पूछा, "कुछ ख़ास है क्या?"

"नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है बस पाव भाजी के प्रोग्राम रखा है"

"कृपया मुझे भी बनाना सिखाओ न"

"एमेलिया तुम जल्दी आ जाना। तुम आज अपने हाथ से पाव भाजी बनाना यह डिश बनाना बहुत आसान है और तुम इसे पेरिस में लौटकर भी आराम से बना सकती हो"

"कितने बजे आना पड़ेगा"

"वही शाम को सात बजे"

"ओके मैं ठीक समय से पहले ही पहुंच जाउंगी"

शाम को जब ऐरॉन के साथ एमेलिया ठाकुर हवेली पहुंची तो वहां पहले ही से आनंदिता पहुंची हुई थी और अनुष्का और आरुष के साथ बातचीत कर रही थी। ऐरॉन को देखते ही अरनव ने कहा, "बोलो कब चलना है मनकापुर"

"क्या", ऐरॉन ने ताज़्जुब से पूछा, "क्या इंतज़ाम हो गया"

"हां, इंस्पेक्टर पांडेय का फोन आया था वह थोड़ी देर में आने वाले भी हैं"

यह समाचार सुनकर एमेलिया की आंखों में भी चमक आ गई...

क्रमशः

26-07-20 20

गतांक से आगे: मनकापुर चलने की ख़बर अरनव ने जब ऐरॉन और एमेलिया को दी तो उनके चेहरे पर एकदम ख़ुशी छा गई। शाम को पाव भाजी का अनिका ने प्रोग्राम रखा था उसमें क्या हुआ यह जानिए...

एपिसोड 3

"मिस्टर सिंह यू हैव गिवन अस वर्ल्डस बेस्ट न्यूज़। वी आर मोर हैपीयर दैन एवर", ऐरॉन ने अरनव से कहा।

एमेलिया भला कैसे पीछे रहती इसलिए उसने भी चहकते हुए कहा, "मिस्टर सिंह थैंक्स"

"अभी कुछ देर में इंस्पेक्टर पांडेय आते ही होंगे। देखें वह क्या क्या फॉर्मेलिटीज़ को पूरा करने के लिए कहते हैं", अरनव ने उन्हें बताया और फिर अनिका की ओर देखा और पूछा, "तुम्हारे पाव भाजी के प्रोग्राम का क्या हुआ"

"मैं तो आज एमेलिया को गाइड करूँगी, आज की डिश तो एमेलिया ही बनायेगी"

"मिसेज़ सिंह चलिए मैं रेडी हूँ", कहकर एमेलिया ने अनिका का एक हाथ पकड़ा और किचेन की ओर चल पड़ी। किचेन में सब्ज़ी वग़ैरह अनिका ने पहले ही कटवा के रखीं हुईं थीं बस उन्हें बनाना भर था। नॉन स्टिकी तवे को गैस बर्नर पर रखते हुए एमेलिया ने लाइटर से बर्नर को चालू किया और फिर एक एक करके सभी मसाले तवे पर भूने और बाद में कटी हुई सब्ज़ी तवे पर डालकर क्रशर से अनिका के बताए हुए तरीक़े से क्रश करीं और उस समय तक तक भूनीं जब तक भाजी तैयार न हो गई। बाद में बंद को लेकर छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर और मक्खन लगा कर तवे पर रखकर सेक कर बच्चों को पाव भाजी खाने के लिए दी। एस्टेले और विक्टर के अलावा वहां आनंदिता और अनुष्का तथा आरुष थे उन्होंने शौक़ से पाव भाजी का आनंद उठाया। बाद में अनिका ने ऐरॉन और अरनव की प्लेट लगाते हुए एमेलिया से कहा, "बोलो तुम्हें यह डिश बनाना आ गया"

"हां, यह तो बहुत आसान थी और हम लोग इसे फ्रांस में भी आराम से बना सकते हैं। कोई खास मेहनत वाला काम नहीं था"

"बिल्कुल, इसीलिए मैंने सोचा कि तुम्हें यह डिश बनाना सिखा दूँ", अनिका बोली।

जब वे लोग पाव भाजी को एन्जॉय कर रहे थे तब ऐरॉन बोल पड़ा, "गनीमत है कि हमें इसे एक बर्गर की तरह मुंह फाड़कर नहीं खाना पड़ रहा है"

"न जाने अमेरिकन्स कैसे इतना मुंह फाड़कर इतना मोटा मोटा बर्गर खाते हैं। अपने बस का नहीं है", एमेलिया ने कहा।

एमेलिया की बात सुनकर अनिका बोल पड़ी, "कोई कुछ भी कहे जो मज़ा अपनी उंगलियों से स्वाद चखकर खाने में आता है उसका कोई सानी नहीं"

"यह बात तो है", अरनव ने कहा, "लेकिन पश्चिमी देशों में ही नहीं बल्कि चीन, जापान, थाईलैंड वग़ैरह जगहों पर हर कोई अपनी अपनी रीति रिवाजों से खाते पीते हैं, वह भी अपनी जगज सही है"

पाव भाजी की तारीफ़ करते हुए एमेलिया और अरनव तक नहीं रहे थे उसी बीच इंस्पेक्टर पांडेय भी वहां आ गए। उन्हें सोफे पर बैठने के लिए कहते हुए अरनव ने कहा, "आइए पांडेय जी आइये। बहुत सही समय आये हैं आज पाव भाजी बनी है आप भी शौक़ फ़रमाइये"

"नहीं, नहीं ठाकुर साहब रहने दीजिये फिर कभी"

"ऐसा तो हो ही नहीं सकता भाई साहब आज एमेलिया ने अपने हाथों से पाव भाजी बनाई है तो भला हम आपको बगैर खाये कैसे जाने दे सकते हैं", अनिका ने इंस्पेक्टर पांडेय से कहा।

"ठीक है ठकुरानी साहिबा लेकिन बहुत थोड़ा ही दीजियेगा नहीं तो मिसेज़ पांडेय कहेंगी कि मैं हर शाम बाहर ही खा पीकर लौटता हूँ", इस्पेक्टर पांडेय ने कहा।

जैसे ही अनिका और एमेलिया किचेन की ओर जाने लगीं तो इंस्पेक्टर पांडेय ने ऐरॉन और अरनव को वह प्रोसीजर समझाया जो उन्हें परमिशन के लिए पूरा करना था। किचेन में जब एमेलिया पाव गर्म कर रही थी तो उसने अनिका से कहा, "मिसेज़ सिंह मुझे यह ताज़्ज़ुब होता है कि कि आप लोग किसी भी मेहमान को भूखे नहीं जाने देते। आपके यहाँ जो बन रहा होता है उसे खाने के लिए दे देते हैं। हमारे यहां ऐसा नहीं है"

"मिसेज़ एमेलिया भारत की मेहमाननवाजी दुनिया भर में जानी जाती है", अनिका ने कहा। कुछ देर बाद एमेलिया अपने हाथों से इंस्पेक्टर पांडेय के लिए पाव भाजी की प्लेट लेकर आई और इंस्पेक्टर पांडेय के सामने रखते हुए बोली, "मिस्टर पांडेय पाव भाजी खाइये और बताइये यह कैसी बनी हैं"

इंस्पेक्टर पांडेय ने पाव भाजी का जैसे ही पहला ग्रास मुंह में लिया उनके मुंह से निकला, "मिसेज एमेलिया लाज़बाब"

कुछ देर इंस्पेक्टर पांडेय ने चलते हुए कहा, "मैं कल सुबह आ जाऊंगा और आपको अपने साथ महराजगंज डीएम ऑफिस ले चलूँगा और आपकी मुलाकात डीएम साहब से करा कर परमिशन लेने की कोशिश करूंगा"

अरनव ने पूछा, "बच्चे भी हम लोगों के साथ मनकापुर जाएंगे उनको क्या डीएम साहब के सामने पेश करना होगा"

"नहीं, नहीं ठाकुर साहब बस मैं, आप और मिस्टर ऐरॉन एंड मिसेज़ एमेलिया जी बहुत होंगी"

"ठीक है तो हम कल सुबह तैयार रहेंगे", अरनव ने धन्यवाद कहते हुए इंस्पेक्टर पांडेय को विदा किया।

घर के अंदर वाले कमरे में सभी बच्चे बैठे आपस में गुफ़्तगू कररहे थे जब अचानक अनुष्का ने आनंदिता को अपने साथ आने के लिए कहा और अपने बेड रूम में ले जाकर पूछा, "एक बात बताओ क्या तुम्हें विक्टर से प्यार है"

"मैं नहीं कह सकती कि मुझे विक्टर से प्यार है कि नहीं लेकिन शायद उसे मुझसे प्यार हो गया है", आनंदिता ने खुलकर अपने मन की बात अनुष्का से कह दी और उसके चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश करने लगी। तभी अनुष्का ने आनंदिता से कहा, "........

क्रमशः


27-07-20 20

गतांक से आगे: घर के अंदर वाले कमरे में सभी बच्चे बैठे आपस में गुफ़्तगू कर रहे थे जब अचानक अनुष्का ने आनंदिता को अपने साथ आने के लिए कहा और अपने बेड रूम में ले जाकर पूछा, "एक बात बताओ क्या तुम्हें विक्टर से प्यार है"

"मैं नहीं कह सकती कि मुझे विक्टर से प्यार है कि नहीं लेकिन शायद उसे मुझसे प्यार हो गया है", आनंदिता ने खुलकर अपने मन की बात अनुष्का से कह दी और उसके चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश करने लगी। तभी अनुष्का ने आनंदिता से कहा, "........

एपिसोड 4

...मुझे लगता है कि तुम किसी ग़लतफ़हमी में जी रही हो"

"नहीं जानती लेकिन कुछ ऐसा है जो मुझे दूसरों से अलग करता है और शायद इसी वज़ह से मैं उसकी निग़ाह की पहली पसंद बनी हूँ", आनंदिता ने यह कहकर अनुष्का को चुप कराने की कोशिश की लेकिन अनुष्का को आनंदिता की यह बात पसंद नहीं आई। अनुष्का ने आनंदिता से कहा, "मेरे ख़्याल में तुम्हें उससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। वह तो एक परदेशी है और लॉक डाउन खुलते ही पेरिस वापस चला जायेगा"

"दीदी, आप सही कह रहीं हैं। मैं यह जानती हूँ। अगर वह मुझे वास्तव में प्यार करता होगा तो एक न एक दिन वापस लौट कर आएगा। मैं उस दिन का इंतज़ार करूँगी"

अनुष्का ने आनंदिता से कहा, "देखो आनंदिता प्यार में लोग धोखा खा जाते हैं, ज़रा सम्हल कर रहना"

"दीदी, आपने नेक सलाह दी है मैं उस पर मनन करूँगी"

दोंनो हम उम्र बच्चों की अपनी अपनी आशाएं और आकांक्षाएं थीं इसलिए वे एक दूसरे के दिली गहराई में उतरने को कोशिश करतीं रहीं। जब अनिका उनके कमरे में यह देखने आई कि आख़िर यह दोनों क्या कर रहीं है तब उन्होंने एक साथ कहा, "कुछ भी तो नहीं बस हम लोग आपस में गप शप कर रहे थे"

"चलो बाहर आकर बैठो। विक्टर भी बाहर बैठा तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा है"

अनुष्का ने आनंदिता का एक हाथ अपने हाथ में लिया और वे लोग बैठक में आकर विक्टर के पास आकर बैठ गई और उससे बात करने लगीं। बहुत देर बैठने के बाद जब ऐरॉन परिवार चलने लगा तो उन्होंने अरनव और अनिका से यही कहा, "इंस्पेक्टर पांडेय के साथ जब चलना हो तो हमें बता दीजियेगा। हम तैयार होकर यहां आ जाएंगे"

आनंदिता ने भी अनिका और अरनव की ओर देखा और बोली, "पाव भाजी का क्या कहना वह तो बहुत बढ़िया थी लेकिन उससे अच्छी बात तो यह रही कि हम लोग आपस में बैठकर कुछ क्वालिटी टाइम गुज़ार सके"

रास्ते में आनंदिता को उसके घर के सामने छोड़कर ऐरॉन परिवार गेस्ट हाउस में अपने अपने कमरों में आ गया। देर रात एमेलिया ने ऐरॉन से कहा, "हर बीते हुए दिन के बाद मुझे यह महसूस होता है कि हम सिंह फ़ैमिली के इन अहसानों को अपने इस जीवन में कभी उतार भी सकेंगे अथवा नहीं"

"अधिक मत सोचो। एमेलिया जो भी करता है वह ऊपर वाला करता है। वही कोई न कोई रास्ता निकालेगा। रात बहुत हो गई है अब सो भी जाओ"

अगले दिन क़रीब नौ बजे के आसपास इंस्पेक्टर पांडेय के साथ अरनव, ऐरॉन और एमेलिया महराजगंज एसपी के कार्यालय गए और वहां से ऍप्लिकेशन फोरवार्ड करवा कर बाद में वे लोग डीम से मिले। डीम ने कुछ सवाल पूछे कि उनके मनकापुर जाने का क्या मंतब्य है। ऐरॉन ने उन्हें बताया कि उनके माता पिता आईटीआई के प्लांट के निर्माण के समय वहां रहे थे इसलिए वह वहां जाना चाहते हैं। डीम ने ऐरॉन और एमेलिया से कहा, "मनकापुर बहुत छोटी जगह है और वहां ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके लिए आप लोग वहां जाना चाहते हैं"

ऐरॉन ने जब वहां जाने की तीव्र इच्छा ज़ाहिर की तो उन्होंने परमिशन देते हुए अरनव से पूछा, "मिस्टर अरनव आप इनके साथ जाएंगे"

अरनव ने डीएम साहब के प्रश्न के उत्तर में कहा, "जी मैं इनके साथ रहूंगा"

डीएम ने परमिशन लैटर को अपने प्राइवेट सेक्रेटरी के पास यह कहकर भेज दिया कि एसडीएम साहब से कहकर परमिशन लेटर निकलवा कर वह मिस्टर अरनव सिंह के पास भिजवा दे।

बाद में इंस्पेक्टर पांडेय और सभी लोग लक्ष्मीपुर गांव लौट गए।

क्रमशः

28-07-20 20

अपनी बात: मित्रों लॉक डाउन कथानक जहां एक फ्रेंच परिवार जो कि लक्ष्मीपुर, महराजगंज में आकर फंस गया था की कहानी ही नहीं है वरन मनकापुर की भी कहानी है किस तरह एक छोटा सा सुस्त सोता हुआ सा क़स्बा किस तरह एक टेक्नोलॉजिकल मार्बल का केंद्र बिंदु बना और कालांतर में जहां से भारत की आवश्यकताओं के लिए नहीं वरन दुनिया भर के लिए टेलीकॉम एक्सचेंज बना कर भेजे गये।

गतांक से आगे: मनकापुर जाने का रास्ता डीएम, महराजगंज की परमिशन मिल जाने प्रशस्त हो गया तो ख़ुशी ख़ुशी एमेलिया और ऐरॉन ने अरनव का हार्दिक धन्यवाद दिया लेकिन उन्होंने मनकापुर के बारे में जो डीएम साहब ने कहा कि वह तो बहुत छोटी जगह है, उसके बारे में भी पूछा।

आगे जानिए....

एपिसोड 5

ऐरॉन ने अरनव से लक्ष्मीपुर वापस पहुंचने पर पूछा, "मिस्टर अरनव यह बताइये कि डीएम ने मनकापुर के लिए यह क्यों कहा कि वह तो बहुत छोटी जगह है"

"वह जगह वास्तव में बहुत छोटी है इसलिए डीएम ने वही कहा जो उन्हें उस के लिए कहना चाहिए था। मैं भी आपको यही बताना चाह रहा था कि आप उस जगह के बारे में बहुत हाई फाई तस्वीर न बनाइयेगा नहीं तो वहां पहुंच कर आपको निराशा ही हाथ लगेगी"

"भला ऐसा क्यों"

"वह इसलिए कि जो आईटीआई की मनकापुर कॉलोनी में रह चुका होता है उसका नज़रिया मनकापुर के लिए कुछ और होता है जो वहां नहीं रहा है उसके लिए उस जगह की कोई कीमत नहीं है। उसके लिए तो वह इंडिया का एक छोटा सा गांव जैसा ही है"

"ओह यू मीन माइ फ़ादर एंड मदर बुड हैव डिफरेंट ओपिनियन फ़ॉर मनकापुर"

"यस, मेरे हिसाब से उन दोनों ने वे जितने दिन तक मनकापुर रहे उन्होंने अपने स्टे को बहुत एन्जॉय किया था"

"चलिए कोई बात नहीं अब तो हम लोग वहां चल ही रहे हैं तो देखते हैं कि मनकापुर हमें कैसा लगता है"

अरनव के दिमाग़ में वह घटना अचानक घूम गई जब फ्रेंच एक्सपर्ट्स की पहली टीम साइट देखने के लिए मनकापुर आई थी तो उदास होकर लौटी थी और उनको लगा था कि मनकापुर में कुछ भी तो ऐसा नहीं था जहां उनके एक्सपर्ट आकर रह सकेंगे। न तो कोई मार्किट, न ही कोई शॉपिंग प्लाज़ा, यहां तक कि बस एक नॉन ऐसी सिनेमा हॉल था जिसमें टूटी फूटी चेयर्स हुआ करतीं थीं, एक पेट्रोल पंप था वह भी मनकापुर के राजपरिवार के कंट्रोल में था। कहने के लिए वहां तीन चार इंटरमीडिएट कॉलेज तो थे सब के सब राजपरिवार के आधिपत्य में थे। जो कुछ भी था तो वह राजपरिवार का था। कोई ऐसा नहीं जहां जाकर उनके एक्सपर्ट्स के बच्चे पढ़ सकें। अगर कुछ ले दे कर था तो बस एक राज महल, मंगल भवन और बरसाती नदिया किनारे मनवर कोठी और क़स्बे के आसपास हरे भरे टीक बुड (सागौन) के जंगलात जो मीलों दूर तक फैले हुए थे। कुछ सोचकर अरनव ने अपने मन के भावों को मन में ही संजो लिया और ऐरॉन और एमेलिया से कुछ भी कहना ठीक नहीं समझा। अरनव को यह भी याद आया कि वही फ्रेंच एक्सपर्ट्स की टीम बाद में रायबरेली भी गई थी जहां आईटीआई की दो इकाइयां स्ट्रॉउज़र और क्रॉस बार प्रणाली पर आधारित काम कर रहीं थी। उन्हें वहां का गेस्ट हाउस बहुत अच्छा लगा और टाउनशिप भी ठीक ठाक ही लगी जिसमें कम से कम एक आधारभूत ढांचा तो था जिसमें स्कूल, शॉपिंग सेंटर, पोस्ट ऑफिस, स्टाफ़ और कर्मियों के रहने के लिए उचित मकान इत्यादि भी थे। ऑफिसर्स क्लब था, बेल्जियम एक्सपर्ट्स के लिए एंटवर्प सदन का निर्माण कराया गया था। सबसे बड़ी बात कि टाउनशिप मात्र रायबरेली शहर से केवल तीन चार किमो की दूरी पर था। मनकापुर तो तहसील हेड क्वार्टर भी नहीं था जिसके विपरीत रायबरेली कम से कम डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर तो था। बाद में जब वही टीम बंगलोर गई और आईटीआई के कॉरपोरेट हेड क्वार्टर और दूरवाणी नगर काम्प्लेक्स को देखा तो उन्हें लगा कि आईटीआई भी भारत सरकार की एक जानी मानी टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट्स बनाने वाली कंपनी है। फ्रेंच एक्सपर्ट्स की टीम ने दबी आवाज़ में जब मनकापुर प्लांट की साइट के लिए कुछ कहा तो उन्हें आईटीआई के श्रीष्ठ मैनेजमेंट द्वारा यही बताया गया कि आईटीआई की एक ईएसएस यूनिट हर हालत में मनकापुर लगेगी और दुसरी बंगलोर में। उन्हें यह भी बताया गया कि यह निर्णय सरकार के उच्च पदासीन लोगों द्वारा लिया गया निर्णय है और इसमें बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। उस समय मन मार के फ्रेंच एक्सपर्ट्स ने मनकापुर में ईएसएस की यूनिट लगाए जाने निर्णय को स्वीकारा था।

जब ऐरॉन और एमेलिया गेस्ट हाउस की ओर जाने लगे तो अरनव ने कहा, "एक कॉफी तो हम लोग पी ही सकते हैं और यह ख़ुशख़बरी भी अनिका को दे सकते हैं कि हम लोग मनकापुर एक दो दिन में ही चलने वाले हैं"

एमेलिया ने अरनव की बात से इत्तफ़ाक़ रखते हुए कहा, "मिस्टर अरनव आप तो जादूगर हैं। लगता है कि आप में वह आर्ट है कि दूसरे के मन में क्या चल रहा है उसे बड़े आराम से पढ़ सकें"

"ऐसा क्या हो गया मिसेज एमेलिया"

"मेरा मन एक कप कॉफ़ी पीने को कर रहा था इसलिए मैं कहती हूँ कि आप एक जादूगर हैं"

अरनव ने एमेलिया से कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं है वास्तव में यह हमारी सभ्यता की निशानी है कि चलते चलते हम अपने मेहमानों से एक कप चाय या कॉफी के लिए पूंछ लें"

"चलिए ऐसा ही सही लेकिन मुझे तो एक कप कॉफी पीने को मिल ही जाएगी"

हंसते हुए कार से उतर कर ठाकुर हवेली की ओर जाते हुए अरनव ने ऐरॉन और एमेलिया से कहा, "आइये, आइये देखते हैं कि अनिका क्या कर रही है"

जैसे ये सब लोग बैठक में जाकर बैठे तो उसी समय अनिका वहां आ गई और छूटते ही अरनव से पूछ बैठी, "क्यों जी क्या हुआ। काम बना कि नहीं"

"अनिका तुम्हें क्या लगता है कि जहां हम जाएं और काम न बने। हम लोग कल परसों में ही मनकापुर चलेंगे", अरनव ने अनिका को बताया और यह भी कहा, "मैं चाहता हूँ कि एक कप कॉफी पिलवा दो तो हम लोगों को चैन आये"

"जी ठीक है। एक मिनट रुकिए", कहकर अनिका किचेन में गई वहां उपस्थित सेविका से सभी के लिए कुछ नाश्ता और कॉफी भिजवाने को बोल कर वह पुनः बैठक में आकर अरनव के पास इस अंदाज में बैठ गई कि अब कुछ न कुछ मनकापुर को लेकर ही बातचीत होगी।

क्रमशः


29-07-20 20

गतांक से आगे: डीएम, महराजगंज के ऑफिस से लौटते समय अरनव ने मनकापुर के बारे में अरनव से कुछ जानकारी जाननी चाही तो उसने ने कुछ तो बताया लेकिन कुछ नहीं भी बताया। ठाकुर हवेली पहुँच कर ऐरॉन और एमेलिया को कॉफी पीने के बहाने अनिका से मिलने के लिए साथ आने को कहा।

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एपिसोड 6

कॉफी की चुस्की लगाते हुए अरनव ने अनिका से कहा, "अनिका एमेलिया को तुम्हीं बताओ कि मनकापुर तुम्हें कैसा लगा था"

"गांव, बिल्कुल बेकार सा स्लीपी स्लीपी छोटा सा क़स्बा, मैं तो शादी हो जाने के बाद वहां गई थी। सही कहूँ तो वहां पहुंच कर मेरा मन घबराने लगा था कि मैं कहाँ आकर फंस गई। मेरा मन किया कि सब कुछ छोड़कर वापस हाथरस भाग जाऊं", अनिका ने जो उसके साथ बीती उसके बारे में बताते हुए कहा, "हाथरस से बारात के साथ विदा होकर मुझे लक्ष्मीपुर लाया गया था और जब अरनव के साथ रहकर जिंदगी जीने की बात उठी तो मेरे भाग्य में मनकापुर आया। मैं जब कभी उन दिनों की याद करतीं हूँ तो सिहर उठतीं हूँ"

"क्या तुमको मैरिज साइको फीवर था"

"नहीं ऐसा कुछ नहीं था। दरअसल मेरी जब शादी हुई तो मैं केवल 19 साल की थी। इंडिया में यह उम्र लड़कियों की शादी के लिए ठीक मानी जाती है। मैंने ग्रेजुएशन पूरा किया ही था। मेरे दिल में शादी व्याह को लेकर बहुत सुंदर ख़्यालात थे। मैं भी बादलों के ऊपर सवार हो आसमां में लंबी दूरी की उड़ान उड़ना चाहती थी लेकिन..."

"....लेकिन क्या, अनिका"

अनिका ने अरनव की ओर देखा और पूछा, "बता दूं नाराज़ तो नहीं होगे"

अरनव ने अनिका से कहा, "बता दो। ऐसा हमारे और तुम्हारे बीच है ही क्या जो किसी से कुछ छुपा हो"

एमेलिया की ओर देखते हुए अनिका बोली, "दरअसल मेरी और अरनव की उम्र में बहुत फ़र्क है। जब मेरी शादी हुई थी तब अरनव 31 साल के थे। इन्होंने ज़िद्द पकड़ रखी थी कि पढ़ने लिखने के बाद वह अपनी ज़िंदगी जीना चाहते हैं जिससे उन्हें यह न लगे कि घर वालों ने उन्हें घर गृहस्थी के चक्कर में फंस दिया"

"इसका मतलब यह हुआ कि मिस्टर अरनव ने अपनी ज़िंदगी खुल के जी, जो चाहा वह किया और उस मोड़ पर आकर शादी की जब उन्हें ज़िंदगी से कोई शिकवा शिकायत नहीं रही"

"एमेलिया इन्होंने खूब ऐश किया। पता नहीं कितनी ही लड़कियां इनके पीछे पड़ी हुईं थीं लेकिन इतना मैं कहूंगी कि इन्होंने सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी जी"

"लवली", एमेलिया ने कहा, "फ्रांस में तो यह मुमकिन नहीं कि कोई 30 - 31 तक वह किसी को प्यार न करे"

"बस शादी हुई और में इनके साथ इनके घर आ गई", अनिका ने कहा।

एमेलिया ने संजीदे स्वर में पूछा, "मिसेज़ सिंह तो क्या आपको पता नहीं था कि शादी के बाद कहाँ जाना है"

अनिका ने शरारती निग़ाह से अरनव की ओर देखा और कहा, "एमेलिया दरअसल हुआ ऐसा जब अरनव मुझे देखने आए थे तब यह एचएएल, बंगलोर में काम करते थे। बंगलोर में रहने की किसका दिल नहीं करेगा। बंगलोर इंडिया का अकेला एक ऐसा शहर जहां मौसम साल भर खुशनुमा रहता है, वास्तव में वह एयर कंडिशन्ड सिटी है। मैं यूपी के हाथरस शहर की रहने वाली थी इसलिए जब मुझे मेरे पिता ने बताया कि शादी के बाद मुझे बंगलोर जाकर रहना पड़ेगा। मेरे लिए तो यह कुछ इस तरह था जैसे कि मेरा ड्रीम कम ट्रू हुआ। लेकिन वह ड्रीम धरा का धरा हो गया"

अरनव ने भी अनिका को छेड़ते हुए कहा, "तो मुझे छोड़ क्यों नहीं दिया था"

"वह इसलिए कि मैं तुम्हारी दीवानी जो गई थी", अनिका ने कहा और अपनी साड़ी का पल्लू लेकर इस तरह शरमाई जैसे कि उसने कुछ देर पहले ही अरनव की चिट्ठी मिली हो वह पढ़ रही हो। अनिका ने उन यादों में डूबते हुए कहा, "मैं इनसे उम्र में छोटी नहीं दिखती हूँ क्या"

एमेलिया को अनिका की यह अदा बहुत पसंद आई और मुस्कुरा कर बोली, "बहुत छोटी ही नहीं बहुत प्यारी लगती हो। हमारे फ्रांस में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। अक़्सर लड़का लड़की एक साथ किसी फैक्ट्री में या किसी बेकरी या होटल की किचेन में काम कर रहे होते हैं और बातों ही बातों में प्यार हो जाता है। दोनों लोग चाहें तो एक साथ अट्ठारह साल की उम्र के बाद वयस्क होने पर एक घर में लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। शादी करने की भी ज़रूरत नहीं। जब बाद में मन करे तो अपने यार दोस्तों और घर वालों की प्रजेंस में चर्च में जाकर शादी कर लो। हम लोगों का विक्टर तो शादी के पहले ही आ गया था। हमारी शादी तो बाद में हुई"

इस पर अरनव ने कहा, "सुना है कि ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर की भी लिव इन रिलेशनशिप चल रही है और उनकी गर्ल फ्रेंड प्रेग्नेंट है"

"अरनव तुम बड़ी जानकारी रखते हो। मुझे तो तुमने यह बात कभी नहीं बताई", अनिका ने यह कहकर अरनव पर तंज कसा।

चारों लोगों में इसी तरह फ्रांसीसी और हिंदुस्तानी कल्चर को लेकर देर तक बात हुई। जब सूरज डूबने लगा तो ऐरॉन और एमेलिया से चलने की इजाज़त मांगी। गेस्ट हाउस में पहुंचते ही एमेलिया ने विक्टर और एस्टेले से कहा, "तुम दोनों तैयार रहना हम एक या दो दिन में मनकापुर चलेंगे"

विक्टर ने ताज़्ज़ुब करते हुए पूछा, "मॉम परमिशन मिल गई क्या"

"हां मिल गई है", एमेलिया ने विक्टर और एस्टेले को बताया।

"मॉम आप जाओ, मैं यहीं कम्फ़र्टेबल हूँ मैं कहीं नहीं जाने वाला", विक्टर बोला।

क्रमशः

30-07-20 20

गतांक से आगे: ठाकुर हवेली पहुँच कर ऐरॉन और एमेलिया को कॉफी पीने के बहाने अनिका से मिलने के लिए क्या आये उन लोगों में ऐसे ही बैठे ठाले देर तक बात चीत होती रही। गेस्ट हाउस पहुंच कर जब एमेलिया ने विक्टर और एस्टेले से कहा कि वे दोनों मनकापुर चलने के लिए तैयार हो जाएं तो विक्टर ने मनकापुर चलने से मना कर दिया। उसने कहा कि वह गेस्ट हाउस में ही कम्फ़र्टेबल है।

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एपिसोड 7

ऐरॉन ने एमेलिया को आंख का इशारा कर कहा, "अभी विक्टर से कुछ न कहो हम बाद में उससे बात करते हैं"

एमेलिया और ऐरॉन बाद में अपने रूम में आ गए वहां दोनों ने आपस में बातचीत की और यह जानने की कोशिश की कि आख़िर विक्टर मनकापुर क्यों नहीं चलना चाह रहा है जब कि वह अच्छी तरह जानता था कि हम लोगों का वहां जाने का प्रोग्राम पेरिस से चलने के पहले ही फाइनल हो गया था। एमेलिया को लगा कि उन लोगों ने उसे यह नहीं बताया कि अनुष्का और आरुष भी हम लोगों के साथ चलने वाले हैं। इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ऐरॉन ने कहा, "हम विक्टर को अपना पूरा प्रोग्राम डिनर के बाद बताएंगे हो सकता है कि वह हमारी बात सुनकर मनकापुर चलने को तैयार हो जाये"

डिनर टाइम इस द बेस्ट टाइम टू डिसकस फ़ैमिली अफेयर्स ऐसा समस्त पश्चिमी देशों का चलन है। बावजूद इसके कि ऐरॉन परिवार गेस्ट हाउस के डाइनिंग हाल में खाना खा रहे थे, मानसिक दवाब के कारण एमेलिया स्वयं को रोक नहीं पाई और उसने विक्टर से पूछा, "विक्टर तुम क्यों हमारे साथ मनकापुर नहीं आना चाहते हो"

"मॉम हम लोग इंडिया घूमने आए थे हम लोगो को नार्थ ईस्ट चलना था, बाद में सदर्न इंडिया चलना था और वापसी में जयपुर, आगरा और दिल्ली से पेरिस की फ्लाइट लेनी थी। हम लोग कहीं भी नहीं जा सके और इस छोटी सी जगह में आकर फंस गए"

"देखो विक्टर हम लोगों का नेपाल का ट्रिप कितना अच्छा रहा लेकिन कौन जानता था कि कोरोना के चलते इंडिया में अचानक लॉक डाउन लग जायेगा और हमें यहां आकर रहना पड़ेगा", एमेलिया ने विक्टर को समझाते हुए कहा।

ऐरॉन को भी जब लगा कि विक्टर सुनने के मूड में है तो उसने भी उसे समझाने की कोशिश की और यह बताया कि हम लोगों को यीशु का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उन्होंने हमें मिस्टर अरनव की फ़ैमिली के पास भेज दिया नहीं तो पता नहीं हमें किस रोडसाइड पर टेंट में रहना पड़ता। सोचो हम क्या खाते क्या पीते।

एमेलिया और ऐरॉन ने जब विक्टर को बहुत देर समझाया और यह बताया कि मिस्टर अरनव और मिसेज़ अनिका के साथ साथ अनुष्का और आरुष भी हम लोगों के साथ चल रहे हैं। बहुत देर बाद विक्टर ने बड़े अनमने मन से मनकापुर चलने के लिए 'हां' की। उसके बाद ही ऐरॉन परिवार में सुख चैन वापस आया।

देर रात जब एमेलिया और ऐरॉन अपने बिस्तर पर लेटे हुए थे तब एमेलिया ने एक बार फिर से विक्टर के बारे में बताते हुए कहा, "मुझे यह शक़ था कि चूंकि आनंदिता और न ही अनुष्का मनकापुर चलेगी तो वह अकेला वहां जाकर क्या करेगा"

"मुझे भी यही लगा था लेकिन अच्छा हुआ कि अनुष्का और आरुष के चलने की ख़बर के बाद वह मनकापुर चलने के लिए तैयार हो गया"

"चलो हमको क्या करना है बस विक्टर को जो अच्छा लगे वह करे"

"क्या मतलब"

"मेरा मतलब है कि अगर उसे आनंदिता का साथ अच्छा लगे तो वह भी ठीक और उसे अनुष्का का साथ अच्छा लगे वह भी ठीक"

"तुम भी आजकल बहुत ऊटपटांग बातें करने लगी हो"

"मैं और ऊटपटांग बातें। देखा था आज अनिका ने अरनव की तो पेंट ही उतार दी थी"

"चलो छोड़ो भी"

"ज़रा इधर मुंह तो करो", कहकर एमेलिया ने ऐरॉन के होठों को प्यार से चूमा और कहा, "गुड नाईट"

जब सुबह वे लोग उठे तो देखा कि धर्मवीर उनके लिये मॉर्निंग टी लेकर दरवाज़े पर खड़ा हुआ था।

क्रमशः

31-07-20 20

गतांक से आगे : एमेलिया के समझाने बुझाने से विक्टर उन लोगों के साथ मनकापुर चलने को तैयार हो गया। अरनव ने आईटीआई के पब्लिक रिलेशन्स डिपार्टमेंट में फोन करके सभी के रहने के लिए गेस्ट हाउस बुक करा दिया तथा यूनिट हेड मिस्टर राजीव सेठ को मिस्टर ऐरॉन औए एमेलिया के बारे में भी सूचना दे दी कि वे लोग भी उनके साथ मनकापुर साथ आ रहे हैं।

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एपिसोड 8

मनकापुर के लिए निकलने के पहले अनिका ने सफ़र के लिए खाने पीने का सामान रख लिया गया है कि नहीं एक बार फिर से चेक किया और जब वह संतुष्ट हो गई तो काले रंग की यूएसवी की फ्रंट सीट पर अरनव के बगल में जा बैठी और एमेलिया जो ऐरॉन के साथ पिछली सीट पर बैठी हुई थी उससे पूछा, "हम लोग इस कार में और बच्चे पांडेय ड्राइवर के साथ दूसरी कार में रहें यह ठीक रहेगा"

"बिल्कुल ठीक रहेगा, बच्चे एक साथ रहेंगे तो ज़्यादा एन्जॉय करेंगे", एमेलिया ने उत्तर में कहा।

यह तस्सली कर लेने के बाद कि पांडेय ड्राइवर भी सफ़र के लिए तैयार है तो वे लोग लक्ष्मीपुर से मनकापुर के लिए लगभग साढ़े ग्यारह बजे निकल पड़े। मेन हाई वे पर आते ही एक नाके पर पुलिस वाले ने उन्हें रोका और पेपर वग़ैरह चेक किए और उसके बाद ही उन्हें आगे बढ़ने दिया। लक्ष्मीपुर से मनकापुर की कुल दूरी लगभग 250 किमी थी जो वे लोग आराम से चलते हुए तीन साढ़े तीन घंटो में बीच में रुकते रूकते पूरा करना चाह रहे थे जिससे कि शाम होने के पहले ही वहां आराम से पहुंच सकें। रास्ते में वे लोग जब गोरखपुर शहर के बीचोंबीच से गुज़र रहे थे तो अरनव ने ऐरॉन को बताया, "मिस्टर BN Pandey जो आपके पिता और माता के अच्छे दोस्त थे वह रिटायरमेंट के बाद यहीं इसी शहर में अपने मकान में रहते हैं"

"मुझे याद पड़ता है मेरी माँ अक़्सर उनके बारे में बताया करतीं थीं", ऐरॉन ने पांडेय जी के बारे में कहा और साथ ही यह भी पूछ लिया, "मिस्टर अरनव एक चीज बताइये कि इंडिया में पांडेय क्या बहुत अधिक संख्या में पाए जाते हैं। क्योंकि हमें ड्राइवर मिला तो पांडेय, पुलिस इंस्पेक्टर मिले तो पांडेय और अभी अभी जिनका ज़िक्र किया वह भी पांडेय"

अरनव को लगा कि ऐरॉन परिवार को इंडिया के जातिगत इतिहास का कोई अधिक ज्ञान नहीं है इसलिए उन्हें बताते हुए कहा, "मिस्टर ऐरॉन मैं अधिक तो नहीं जानता पर थोड़ा बहुत जो हिंदू धर्म के ग्रंथों में पढ़ा है उसके लिहाज़ से पांडेय ब्राह्मणों के श्रेष्ठकुल से आते हैं जिनका ज़िक्र हमारे प्राचीन ग्रंथ 'मनुस्मृति' में भी आता है उसके अनुसार ब्राम्हण को ज्ञानी ध्यानी तो माना ही गया है। वे लोगों के लिए पूज्य होते हैं। उनका सभी क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कुल के लोग बहुत आदर सम्मान करते हैं"

"लुक्स इंटरेस्टिंग बट वेरी कॉम्प्लिकेटेड"

"यस, आप सही कह रहे हैं हमारे यहां के समाज की संरचना बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड है", अरनव ने उत्तर में कहा और अपनी निग़ाह अपने पीछे आती हुई कार पर बराबर बनाये रखी कि पांडेय ड्राइवर उनके पीछे पीछे आ रहा है कि नहीं। पूर्णरूप से संतुष्ट होने पर अरनव ने गोरखपुर सिटी क्रॉस करने के बाद अपनी यूएसवी की रफ़्तार कुछ तेज करी जिससे वे लोग समय से मनकापुर पहुंच सकें।

बीच में जब वे बस्ती नाम के शहर से गुज़र रहे थे तो अनिका ने अरनव को याद दिलाया, "कहीं रुक जाना जिससे हम लोग रास्ते में लंच कर सकें"

"ठीक है", कहकर अरनव ने एक होटल के सामने अपनी यूएसवी रोकी और पांडेय ड्राइवर की भी इशारा किया कि वह भी वहीं रुक जाए लेकिन एमेलिया ने अरनव को टोकते हुए कहा, "अभी कुछ देर पहले ही तो हम लोग खा पीकर निकले हैं और अभी भूख भी नहीं लग रही है इसलिए हम लोग अभी चलते हैं। अगर मन किया तो कहीं रोडसाइड पर कार रुकवा कर कुछ खा पी लेंगे"

"अरनव मेरे विचार में यही ठीक रहेगा। हम लोग खाने पीने का सामान साथ में लेकर चल रहे हैं इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है", अनिका ने अपनी सहमति एमेलिया से जताई। यह सुनकर अरनव ने पांडेय ड्राइवर के पास जाकर कहा, "पीछे पीछे चलना। हम लोग बीच में कहीं ढाबे के किनारे रोक कर लंच करेंगे"

अपनी यूएसवी में बैठते ही वे लोग वहां से आगे की ओर रवाना हो गए। गोरखपुर शहर से निकले हुए कुछ दस बारह किमी ही चले होंगे कि उन्हें रास्ते भर प्रवासी मजदूरों की भीड़ गोरखपुर की ओर आती हुई नज़र आई। मजदूरों के साथ उनके बच्चे और बीवियां भी आगे पीछे करके चले आ रहीं थीं जिसे देखकर ऐरॉन ने कहा, "लगता है कि अभी भी मजदूरों का पलायन रुका नहीं है"

कुछ आगे बढ़ने पर रास्ते में घनघना के बारिश होने लगी। तगड़ी बारिश को देखकर अरनव ने अपनी यूएसवी को स्पीड कम की और पांडेय ड्राइवर से भी इशारे से धीरे धीरे चलने को कहा।

ऐरॉन ने अरनव को धीरे धीरे ड्राइव करते हुए कहा, "इट्स बैटर टू बि केयरफुल"

"हां, हम लोग जब कार ड्राइव करते हैं तो इस बात का ध्यान रखते हैं कि अचानक कोई जानवर या आदमी गाड़ी के सामने न आ जाए"

"यही सही ड्राइविंग का तरीका है"

"लेकिन आपके यहां तो कोई प्रॉब्लम नहीं है। लोग हाई वे पर आराम से 150 -180 किमी की स्पीड से चलते हैं"

"वह इसलिए कि हमारे यहां की रोड्स वैल मैन्टेनेड रहती हैं और सड़क के दोनों ओर बड़ी बड़ी फेंसिंग होती है इसलिए कोई जानवर वग़ैरह अचानक रोड पर नहीं आ सकता है", ऐरॉन की ओर देखते हुए अरनव से कहा, "हर देश की अपनी अपनी ड्राइविंग कंडीशन्स होतीं हैं"

"बिल्कुल सही है। अब इंडिया में भी ऐसी हाई वे बन रहीं हैं जहां लोग आराम से 120 - 150 किमी की स्पीड पर लोग गाड़ी चला सकते हैं लेकिन मैं कंज़रवेटिव इंसान हूँ, इसलिए सेफ्टी फर्स्ट का प्रिंसिपल ध्यान में रखता हूँ"

"एवरीवन शुड फॉलो द सेम रूल"

बातों बातों में अनिका ने यूएसवी के साउंड सिस्टम पर हिंदी फ़िल्मी गानों की आवाज़ हल्की तेज की जिससे कि अरनव का ध्यान ड्राइविंग पर रहे बातों पर कम। बस्ती शहर के बाई पास के रास्ते आगे निकल आये थे तभी बारिश थम गई। वे लोग जब हरैया के आसपास एक ढाबे पर रुके तो उन्हें वहां कुछ भीड़ नज़र आई। अरनव ने अपनी गाड़ी रोकी और उसके पीछे पांडेय ड्राइवर ने भी अपनी कार रोक ली। सब लोग गाड़ी से उतर कर ढाबे की ओर बढ़े और अरनव ने सबके लिए चाय का आर्डर दिया। अनिका ने अपनी गाड़ी से खाने पीने का सामान जैसे ही निकाला तो वहां कई प्रवासी मज़दूर जो मीलों दूर भूखे प्यासे चले आ रहे थे उन्हें खाना निकालते देख और वे लोग उनके पास आ गए। उन्हें भूखे प्यासे देखकर अनिका तो अनिका साथ में ही एमेलिया का दिल पसीज गया और उन्होंने अपना सारा खाना उनके बीच बांट दिया। कुछ देर बाद जैसे ही उन्हें ढाबे के एक लड़के ने चाय लाकर दी तो वे लोग चाय पीकर गाड़ी में बैठ अपने सफ़र पर आगे की ओर बढ़ चले।

लकडमण्डी होते हुए जब वे लोग नवाबगंज के तिराहे पर पहुंचे तो एक होटल पर रुककर उन्होंने गरमा गर्म जलेबी और समोसा का नाश्ता किया। जब चाय पीकर वे मनकापुर के लिए चल पड़े। नबावगंज में शुगर फैक्ट्री के पास से वे गुज़र रहे थे तो ऐरॉन ने पूछा कि क्या वहां कोई डिस्टलरी है तो अरनव ने उसे बताया कि हां अंग्रेजों के ज़माने की एक डिस्टिलरी है और वहां की रम सबसे बढ़िया मानी जाती है। जब उनकी गाड़ियां टिकरी जंगल के रास्ते होते हुए जा रहीं थीं तो अरनव ने अपनी यूएसवी के सभी शीशे खोल दिये और ऐसी बंद कर दिया। बारिश के बाद जंगल के पेड़ पौधे महक रहे थे। ऐरॉन और एमेलिया को देखते हुए अरनव ने कहा, "लुक एट द फारेस्ट एंड फील द स्मेल ऑफ टीक वुड"

"ओह यस लवली, सो फ़्रेश। लगता है कि हम स्वर्ग में आ गए हों", एमेलिया ने उत्साह से कहा।

"मनकापुर के चारों ओर ऐसे ही फॉरेस्ट्स हैं जो इसे सबसे अलग क़स्बा बनाते हैं", अनिका ने मनकापुर की तारीफ़ में दो शब्द कहकर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की। कुछ ही देर में वे लोग रेलवे क्रासिंग को पार करते और न्यू मार्केट के बीच से होते हुए मनवर नदी का पुल पार कर वे लोग हनुमानजी जी के मंदिर के बगल वाली सड़क के रास्ते आईटीआई लिमिटेड की संचार विहार कॉलोनी में जा पहुंचे। अरनव ने गेस्ट हाउस के पोर्च में अपनी यूएसवी रोकी और पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट के अफसरों ने फ्रांसीसी परिवार के सदस्यों के लोगों का फूल माला पहना कर स्वागत किया।

क्रमशः

01-08-20 20

गतांक से आगे: लक्ष्मीपुर से चल कर सुरमई शाम के वक़्त जब सूरज दिन भर की थकान के बाद पश्चिम में डूब रहा होता है तब अरनव अपने परिवार और फ्रांसीसी मेहमानों के साथ आईटीआई मनकापुर के अतिथि गृह में आ पहुंचे। पब्लिक रिलेशन्स डिपार्टमेंट के लोग जो बहुत देर से इन लोगों का इंतज़ार कर रहे थे उन्होंने बढ़ कर स्वागत किया और उन्हें वीआईपी रूम्स में ले गए जहां उनके रुकने की व्यवस्था थी।

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एपिसोड 9

अरनव, अनिका ने सबके साथ बैठ कर चाय पी ही थी कि पी एन्ड ए हेड मिस्टर चौहान उन लोगों से मिलने आ गए और सबके हालचाल जाने। साथ ही उन्होंने कुछ देर बाद मनकापुर यूनिट हेड राजीव सेठ से अरनव की फोन पर बात भी करा दी। मिस्टर सेठ ने बातों ही बातों में अरनव और ऐरॉन परिवार को डिनर पर इनवाइट कर लिया। मिस्टर चौहान ने यह भी तय कर लिया कि अगले दिन अरनव और ऐरॉन परिवार उनसे आकर मिलेंगे और बाद में मिस्टर राजीव सेठ ख़ुद उन्हें प्लांट दिखाने ले जाएंगे।

देर शाम को जब अरनव और अनिका, ऐरॉन और एमेलिया और बच्चों को लेकर मिस्टर सेठ के बंगले आईटीआई हाउस के गेट पर पहुंचे तो वहां उपस्थित गॉर्ड ने उनके बारे में जानकारी की और फिर मिसेज़ सेठ से फोन पर बात करके उन्हें अंदर आने दिया।

मिस्टर एन्ड मिसेज़ सेठ दोनों ही घर से बाहर आकर पूरे जोशोखरोश के साथ अरनव और अनिका से मिले। बाद में अनिका ने बच्चों के साथ साथ ऐरॉन और एमेलिया का परिचय कराया। बच्चों से हाथ मिलाते हुए मिसेज सेठ ने कहा, "मेरे घर में तो अभी कोई बच्चा यहां नहीं है। सब बाहर हैं। कोई बात नहीं उम्मीद है कि तुम लोग मनकापुर आकर बोर नहीं होगे"

सभी लोग बंगले के अंदर आकर ड्राइंग रूम में बैठ गए।
मिस्टर सेठ ने अरनव के बारे में ऐरॉन और एमेलिया को बताते हुए कहा, "मिस्टर अरनव मेरे सीनियर रह चुके हैं और आपके फ़ादर मिस्टर बैचेलेट के साथ इन्होंने मिल कर ख़ूब काम किया है"

मिसेज़ सेठ ने अनिका के लिए एमेलिया को बताया, "मेरी अनिका जी से आपस में बहुत अच्छी पटरी खाती थी। मैं जब शादी के बाद मनकापुर आई तो मेरी सबसे पहले मुलाकात अनिका जी से ही हुई थी। इन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया"

एमेलिया जो अभी तक मिस्टर एन्ड मिसेज़ की बातें सुन रही थी कुछ खुलते हुए बोली, "लेकिन मिसेज़ सिंह ने तो मुझे बताया था कि जब वह मनकापुर आईं थीं तो उन्हें बहुत अच्छा नहीं लगा और ये तो यहां से वापस अपने घर लौट जाना चाहतीं थीं"

"मिसेज़ एमेलिया आप सही कह रहीं हैं जब मिसेज़ अनिका मनकापुर आईं थीं तब यहां कुछ भी नहीं था इसलिए हर औरत ऐसे माहौल में वही सोचेगी जो अनिका जी ने सोचा होगा। अब वह बात नहीं, अब तो मनकापुर मेरे विचार में रहने लायक जगह है और हम सभी लोग यहां ख़ूब एन्जॉय कर रहे हैं"

"वह तो लग रहा है जिस स्टाइल से आप लोग रह रहीं हैं", एमेलिया ने कहा। इसी बीच घर मे काम करने वाली शन्नो ने सभी मेहमानों के लिए कोल्ड ड्रिंक और नाश्ते की व्यवस्था कर दी। मिसेज सेठ ने सभी को अपने हाथ से ड्रिंक दिया और नाश्ते की प्लेट बढ़ाई। बातों का सिलसिला जब चला तो मिस्टर सेठ ने बड़े प्यार से मिस्टर एन्ड मिसेज़ बैचेलेट के साथ अपने मधुर संबंधों की बातें बताईं और यह भी बताया कि जब वह फ्रांस ट्रेनिंग के लिए गए तो उन्होंने उनकी बहुत मदद की थी। बात चीत के दौरान मिसेज़ सेठ ने एमेलिया को बताया कि मिसेज़ सिंह और वह दोनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश की रहने वालीं हैं इसलिए भी उनके साथ संबंध बड़ी बहन जैसे रहे। मिसेज़ सेठ ने मनकापुर की लाइफ स्टाइल के बारे में अनेक बातें बताईं लेकिन सबसे इंटरेस्टिंग बात यह रही, "फैक्ट्री के वर्किंग ऑवर सुबह दस बजे से शाम को छह बजे तक के हैं तो हरेक घर में शाम की चाय पीते पीते अक़्सर देर हो जाया करती है। जब शाम की चाय देर से पी जाएगी तो जाहिर सी बात है कि डिनर टाइम और भी लेट हो जाएगा। दूसरे शहरों में जब लोग सोने की तैयारी कर रहे होते हैं तब यहां मनकापुर में लोगों के किचेन में प्रेशर कुकर की सीटी बजा करती है। जब कोई देर रात को सोएगा तो ज़ाहिर है कि वह सुबह को लेट उठेगा। इसलिए मनकापुर की शाम रंगीन और कुछ लोगों की सुबह सुस्त सोती सी हुई हुआ करतीं हैं"

एमेलिया मिसेज़ सेठ की बात सुनकर मन ही मन बहुत ख़ुश हुई और उसे लगा कि वह लक्ष्मीपुर में डिनर करके जल्दी सो जाते रहे हैं उस लिहाज़ से मनकापुर में उन्हें देर रात को ही सोना नसीब हो सकेगा।

इसी प्रकार की और भी बातें आपस में देर तक होतीं रहीं और मिस्टर सेठ ने बच्चों से बात करना शुरू किया तो लगा कि सब अपने बचपन में लौट गए हैं।

देर रात जब डिनर सर्व हो गया तो सभी लोग डाइनिंग टेबल के आसपास जाकर बैठे और वेस्टर्न यूपी वाला प्योर वेजेटेरियन डिनर जिसमें पूड़ी, कचौड़ी, मटर पनीर की सब्ज़ी, जीरा आलू और दही का स्वाद चखा। लगभग रात बारह बजे वे लोग गेस्ट हाउस वापस लौट सके। जब गेस्ट हाउस के रिसेप्शन पर बैठे स्टाफ़ ने मॉर्निंग टी के बारे में यह जानना चाहा कि वह कितने बजे सर्व करें तो एमेलिया ने हंसते हुए कहा, "अभी तो सोने दो। हम सुबह उठकर ख़ुद ही फ़ोन कर के बता देंगे कि मॉर्निंग टी कितने बजे चाहिए"

क्रमशः



मनकापुर की यादों से जुड़े स्वर्णिम पल...





02-08-20 20

गतांक से आगे: आईटीआई मनकापुर पहुंच कर अरनव और ऐरॉन परिवार का सबसे पहला एंगेजेमेंट रहा वह था यूनिट हेड मिस्टर राजीव की फैमिली के साथ डिनर। डिनर के साथ साथ कुछ इधर उधर की बातें हुईं लेकिन बच्चों के लिए अभी कुछ भी नहीं था जो उन्हें एक्साइट करे। ऐरॉन के परिवार को लेकर अरनव ने आईटीआई मनकापुर की फैक्ट्री को देखने का प्रोग्राम मिस्टर चौहान ने पहले ही तय कर लिया था।

आगे जानिए...

एपिसोड 10

अरनव अपने तथा ऐरॉन परिवार सहित सुबह करीब ग्यारह बजे ऐरॉन मिस्टर चौहान के मेन आदमी एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग के दफ़्तर में शताब्दी द्वार के रास्ते पहुंचे। उन्हें गेट पर कोई तक़लीफ़ न हो इसलिए पी एंड ए डिपार्टमेंट के कर्मियों ने उनके लिए गेट पास वग़ैरह पहले ही से बनवा दिए थे।

मिस्टर चौहान ने मनकापुर प्लांट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एक वक़्त में यहां बाइस सौ अधिकारियों और कर्मियों को डायरेक्ट एमलोयमेंट मिला करता था लेकिन जब से मोबाइल फ़ोन का मार्किट ऊँचा चढ़ा तब से इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज इक्विपमेंट्स की जरूरत कम होतीं गई और यहां का उत्पादन गिरने लगा।

यह मनकापुर अकेले का ही नहीं वरन आईटीआई लिमिटेड के दुर्भाग्य रहा कि केंद्रीय सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन के अंतर्गत रहते हुए स्वयं को वक़्त के पहले आनेवाले तूफ़ान से लड़ने की कोई तैयारी नहीं की। ऐसा क्यों नहीं हुआ यह जग ज़ाहिर है उस वक़्त के मंत्री जी में वह दूर दर्शिता नहीं थी या यूं कहा जाए कि उनके निज़ी स्वार्थ राष्ट्रप्रेम से अधिक थे।

आईटीआई के स्वर्णिम काल में मनकापुर प्लांट ने ख़ूब धन दौलत अर्जित की और आईटीआई का नाम रौशन किया लेकिन जब वर्तमान की बात हो तो मनकापुर का हर व्यक्ति बगलें झांकता मिलता है। मिस्टर चौहान इस दृष्टि से कोई बिरले इंसान नहीं थे। मिस्टर चौहान की टेबल के ठीक सामने एक पट्टिका लगी हुई थी जिस पर हर उस व्यक्ति का नाम अंकित था जो कभी इस महान कार्यालय का डिपार्टमेंटल हेड रह चुका था। मिस्टर चौहान यह बताना नहीं भूले कि जब आप इतना बड़ा संस्थान इस तरह के पिछड़े क्षेत्र में लगाते हैं तो यह मानकर चलना चाहिए कि आपके संस्थान में काम करने वाले हर व्यक्ति की अपनी आशाएं और आकांक्षाएं हुआ करतीं है और हर बार उनकी पूर्ति हो सके यह भी संभव नहीं हो सकता। इसलिए जो पी एन्ड ए डिपार्टमेंट का हेड रहा उसने हर समय एक चुनौती पूर्ण वातावरण में अपना कार्य निष्पादन किया। इनमें से कुछ तो बहुत तेज तर्रार रहे जिन्होंने अपनी क्षमता भर काम ही नहीं किया बल्कि उत्पादन की बढ़ोत्तरी में अपना कर्तव्य निबाहा।

इसी बीच मिस्टर सेठ के प्राइवेट सेक्रेटरी का फोन आया और मेहमानों को उनके कक्ष में शीघ्र ही लाने के लिए निर्देशित किया। मिस्टर चौहान सभी मेहमानों की लेकर महाप्रबंधक जी के कार्यालय में जा पहुंचे। मिस्टर सेठ ने खड़े होकर सभी का अभिनंदन किया और वर्तमान में प्लांट की गतिविधियों पर अपना दृष्टकोण तो रखा ही साथ में अल्काटेल के प्रयासों को भी तहेदिल से सराहा जिनके सहयोग से मनकापुर प्लांट समय से पहले ही अपनी क्षमता से अधिक उत्पादन कर सकने में सफल हुआ। बात जब अल्काटेल की चली तो ऐरॉन के पिता मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो का नाम भी आया और मिस्टर सेठ ने बताया, "आपके पिता श्री मिस्टर बैचेलेट लिओनार्दो टूल रूम के फ्रेंच एक्सपर्ट बनकर यहां आए थे और जिनका मुख्य उद्देश्य था कि जो टूल्स प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल किये जाते थे उनका रख रखाव सही ढंग से हो और उसके लिए इंजीनियर और कर्मी सही ढंग से ट्रेंड हो सकें। उन्होंने अपने कर्तव्य पालन में कोई कसर नहीं छोड़ी"

बातों के बीच सभी को एक कप कॉफी परोसी गई मिस्टर सेठ ने फ्रांसीसी परिवार के हर सदस्य को यादगार स्वरूप कुछ न कुछ भेंट दी। बाद में मिस्टर सेठ ने ऐरॉन परिवार को पूर्ण सम्मान देते हुए उन्हें प्लांट दिखाने ले गए। उन्हें खासतौर पर कॉम्पोनेन्ट डिवीजन को दिखाते हुए बताया गया कि उनके पिता श्री का यह ऑफिस हुआ करता था और वे वहीं से कार्य किया करते थे। ऐरॉन के पिता के समय के अब कुछ ही अधिकारी शेष बचे थे अधिकतर रिटायर हो चुके थे जिनसे उनसे ऐरॉन और एमेलिया और उनके बच्चों का परिचय कराया गया। अरनव को भी अपने समय के कुछ लोग दिखाई पड़े जो उनसे गले लग कर मिले।

कंपोनेंट डिवीजन दिखाने के बाद सभी मेहमानों को प्लेटिंग और हाइब्रिड डिवीजन भी दिखाई गई। अंत में उन्हें 'सी' प्लांट ले जाया गया जहाँ एक वक़्त में सैकड़ों लड़के लड़कियां काम करते थे। कुछ क़िस्मत के धनी ऐसे भी थे जिन्होंने साथ साथ काम करते हुए एक दूजे को पसंद किया औए फिर प्यार हो हो गया। बाद में विवाह करके सुखी जीवन जिया। अब हालात यह हो गए हैं कि वहां कोई खास काम नहीं हो रहा था सिवाय इसके कि जीएसएम प्रोजेक्ट से सम्बंधित कुछ कार्य संपादित होता था। मजदूर ड्यूटी पर आते थे खाली बैठकर वक़्त गुज़ारते हैं और घर वापस चले जाते थे।

सी प्लांट से निकलने के बाद मिस्टर सेठ सभी मेहमानों को एचआरडी सेंटर ले गए जहां फ्रांसीसी मेहमानों के साथ साथ अरनव सिंह को भी सम्मानित किया गया एवं सभी श्रम अवार्ड्स विनर्स के साथ उनका परिचय कराया गया। वहां ऐरॉन के पिता श्री बैचलेट लिओनार्दो के मनकापुर इकाई के शरूआती दिनों के सहयोग को याद किया गया। अरनव सिंह ने भी मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो के साथ अपने दिनों की कुछ यादों को सबके साथ शेयर किया। एमेलिया के साथ साथ विक्टर और एस्टेले ने अपने दादा के बारे में यह सब कुछ जानकर बहुत प्रसन्नता हुई। आईटीआई एचआरडी सेंटर की तरफ़ से मेहमानों को सुंदर यादगार स्वरूप गिफ़्ट भी दिया गया।

बाद में सभी लोग गेस्ट हाउस में ऑफिसियल लंच के लिए मिले। लंच के दौरान वहां सभी विभागों के विभागाध्यक्ष तो थे ही साथ में उन अधिकारियों को विशेषरूप से बुलाया गया था जो मिस्टर बैचेलेट लिओनार्दो के साथ काम कर चुके थे।

मनकापुर की रबायत के अनुसार स्वादिष्ट भोजन परोसे गए और बाद में ऐरॉन ने स्वयं अपनी ओर से तथा अपने परिवार की ओर से मिस्टर सेठ तथा अन्य सभी अधिकारियों का तहेदिल से धन्यवाद किया।

मिस्टर सेठ, ऐरॉन और एमेलिया को यह बताना नहीं भूले कि शाम को ऑफिसर्स क्लब में लेडीज़ क्लब की मेंबर्स ने उनके मनकापुर पधारने पर एक कल्चरल प्रोग्राम रखा है और उन्हें इस प्रोग्राम में शरीक़ अवश्य ही होना है।

क्रमशः





03-08-20 20

गतांक से आगे: आईटीआई मनकापुर की फैक्ट्री को ऐरॉन उसके परिवार ने क़रीब से देखा और यह भी महसूस किया कि जब देश की दिशा और दशा प्राइवेटाइजेशन की ओर हो तो पब्लिक सेक्टर आर्गेनाईजेशन्स का यही हाल होता है। फ्रांस और इंग्लैंड जैसे कई अन्य यूरोप के देश भी इससे अछूते नहीं रह पाए हैं। मिस्टर सेठ ने शाम को लेडीज क्लब के प्रोग्राम की सूचना दे दी थी इसलिए शाम को ऐरॉन और अरनव परिवार सहित ऑफिसर्स क्लब बिल्डिंग में जाने के लिए तैयार होने लगे। इसी बीच यूनियन वाले अरनव से मिलने आ गए।

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एपिसोड 11

अरनव सिंह अपने मनकापुर के शुरूआती दिनों से ही मजदूरों में बहुत अच्छी पकड़ रखते थे जिसकी वजह से लोग भी उनकी बहुत इज़्ज़त और प्यार करते थे। अरनव और ऐरॉन वग़ैरह जैसे ही प्लांट विजिट के बाद गेस्ट हाउस पहुंचे उसके तुरंत बाद में यूनियन के सभी पदाधिकारी अरनव सिंह से मिलने आ गए। अरनव हरेक से गले लग कर मिले। सभी यूनियन वालों ने रिटायरमेंट के बाद पहली बार मनकापुर पधारने पर उनको हार्दिक धन्यवाद कहा और फिर बाद में डिटेल्स में प्लांट की जो हालत हो गई है उसके बारे में भी चर्चा की।

यूनियन लीडर केपी सिंह, जो कि राजा साहब के परिवार के बेहद निकट थे, को एक तरफ़ ले जाकर अरनव ने उससे पूछा, "केपी क्या राजा साहब आजकल मनकापुर में ही हैं"

केपी सिंह ने उत्तर में कहा, "कहाँ भइय्या वह तो अपने बलरामपुर जंगल वाली 'तपोवन' कोठी पर हैं। उन्हें वहां इतना अच्छा लगता है कि अब लखनऊ कोठी और मनकापुर में उनका आना बहुत कम होता है। मनकापुर की कमान अब राजा भइय्या के हाथ है"

"अरे उनसे मिलने का बड़ा मन था। मिस्टर बैचेलेट लिओनार्दो के बहू बेटे और उनके बच्चे उनसे मिलना चाह रहे थे"

"मालूम है मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो के कहने पर ही राजा साहब ने मनवर कोठी को फ्रेंच क्लब में स्विमिंग पूल के साथ कुछ और बदलाव करके उनके लिए तैयार करवाया था जिससे कि फ्रेंच एक्सपर्ट्स का मन मनकापुर में लगा रहे"

"जब फुर्सत मिले तो पूछ लेना कि एक दो दिन में उनका यहां आने का प्रोग्राम तो नहीं है"

"ठीक भइय्या हम आज ही पता करते हैं और आपको बताते हैं"

"चलो ठीक है", अरनव ने कहा।

कुछ देर रुक कर सभी यूनियन वाले यह कह कर चलने लगे कि अब आप भी तैयार हो जाइए क्योंकि आप लोगों को लेडीज क्लब के फंक्शन में भी तो जाना है।

एमेलिया तैयार होकर जब विक्टर और एस्टेले के रूम में उन्हें देखने गई कि वे लेडीज़ क्लब के फंक्शन में चलने को तैयार हो गए हैं या नहीं तो उसने पाया कि विक्टर और एस्टेले दोनों तैयार थे। उनको समझाते हुए एमेलिया ने कहा, "अगर क्लब में तुम लोगों को कोई आइटम पेश करने के लिए कहे तो शरमाने की ज़रूरत नहीं है जो तुम्हारा मन करे सुना देना"

"मॉम, छोड़ो भी ये सब। हम लोग वहां क्या करेंगे"

"माय डिअर, ऐसे नहीं बोलते। बोथ ऑफ यू आर स्मार्ट चिल्ड्रन एंड मस्ट शोकेस द कल्चर ऑफ आवर ग्रेट कंट्री"

"ओके मॉम जैसा तुम कहो"

अरनव और अनिका भी अपने बच्चों के साथ तैयार हो कर अपने रूम से लाउन्ज में आ गए। सभी लोग उचित समय पर पैदल चलते हुए ही ऑफिसर्स क्लब की ओर जाने लगे। रास्ते में अनुष्का इशारे से विक्टर को बताने लगी, "देखो, वहां हम उस सुपर डी 4 बंगले में रहते थे। हम हर रोज़ खेलने के लिए ऑफिसर्स क्लब जाया करते थे"

"हम लोग ऑफिसर्स क्लब ही तो चल रहे हैं", विक्टर ने अनुष्का से कहा।

"हां, लेडीज़ क्लब का प्रोग्राम वहीं तो है", इतना कहकर सभी लोग ऑफिसर्स क्लब बिल्डिंग की ओर आगे बढ़ने लगे। गेट पर मिसेज सेठ के साथ कॉलोनी की कई अन्य स्मार्ट लुकिंग महिलाये भी वहां थीं। उनमें से कुछ ने बढ़ कर सभी मेहमानों का स्वागत किया और उन्हें अपने साथ ला उनके पूर्व निश्चित स्थान पर बिठाया। उसके बाद लेडीज़ क्लब की सेक्रटरी नीरजा ने मेहमानों के स्वागत में दो शब्द कहे और इस बात के लिए बहुत धन्यवाद कहा कि उन्होंने मनकापुर आने को प्राथमिकता दी बावजूद इसके कि देश में कोरोना के प्रकोप के कारण लॉक डाउन लगा हुआ है वे यहां तक आ सके।

नीरजा ने तहेदिल से अनिका और अरनव का स्वागत करते हुए कहा, "अनिका सिंह तो हमारे क्लब की सदस्य रह चुकीं हैं और रिटायरमेंट के बाद वे अपने परिवार सहित मनकापुर फ्रांसीसी मित्रों को साथ लेकर यहां आये इसके लिए हम उनके सदा के लिए कृतज्ञ रहेंगे"

इसके बाद रंगारंग कार्यक्रम की शुरुआत हुई। सबसे पहले माँ सरस्वती जी की वंदना की गई और उसके बाद कई और नाच गाने के प्रोग्राम हुए।

बीच में नीरजा ने आकर एमेलिया से पूछा, "क्या वह भी इस प्रोग्राम में हिस्सा लेना चाहेंगी"

"मेरे बच्चे आपके इस प्रोग्राम में शरीक होंगे और वह आप लोगों की सेवा में एक फ्रेंच लव सांग प्रस्तुत करेंगे", एमेलिया ने कहा और अपने दोनों बच्चों को फ्रेंच भाषा में यह समझाते हुए उनसे कहा, "गो अहेड एंड प्रेजेंट अ सांग ऑफ द फेमस फ्रेंच फ़िल्म Les Chansons d'amour, डोंट फील शाय का है"

एमेलिया के कहने पर विक्टर ने अपनी छोटी बहन एस्टेले का हाथ पकड़ा और धीरे धीरे सधे हुए कदमों से स्टेज पर आ पहुंचे। क्लब में उपस्थित सभी महिलाओं और पुरुषों ने उनका उत्साहवर्धन करते हुए तालियां बजाईं। उसके बाद दोनों ने मिलकर एक डुएट प्रस्तुत किया। जिसके भाव के बारे में एमेलिया ने सभी को बताया जिसको सुनकर उपस्थित समुदाय ने दिल खोलकर बच्चों के लिए आशीर्वाद स्वरूप तालियां बजाईं।

रंगा रंग कार्यक्रम की समाप्ति पर लेडीज़ क्लब की प्रेसीडेंट मिसेज़ सेठ ने सभी का धन्यवाद किया और सभी कलाकारों की विशेष सराहना करते हुए कहा कि इतने कम समय में उन्होंने इतना सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उन्होंने ऐरॉन और अरनव परिवार का एक बार फिर से विशेष रूप में धन्यवाद किया कि वे इतने मुश्किल दिनों में वे मनकापुर आ सके। बाद में क्लब प्रांगण में ही डिनर का इंतजाम था। डिनर करके जब सभी लोग लौट रहे थे तो गेस्ट हाउस के पोर्च के पास ऐरॉन और एमेलिया के साथ सभी को गुड नाईट कहा और अपने अपने रूम में लौट आए। एमेलिया ने एक बार फिर से ऐरॉन से कहा, "इतना सम्मान तो हमें कभी अपने देश में नहीं मिला जितना मनकापुर के लोगों ने दिया"

ऐरॉन ने भावेश में आकर यही कहा, "मुझे आज लगा कि हमारे माता पिता दोनों मनकापुर की इतनी तारीफ़ क्यों करते थे"

क्रमशः


04-08-20 20

अपनी बात : कल हमारे एक मित्र ने अपनी टिप्पणी में लिखा कि लॉक डाउन के समय में हमारे पात्र सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क नही पहन रहे हैं। मुझे उनकी यह बात बहुत अच्छी लगी। बस मुझे यह कहना था कि मनकापुर दुनिया जहान से कटा हुआ एक टापू जैसी टाउनशिप है इसलिए वहां अभी कोरोना का प्रसार नहीं हुआ है।

मैं अपने सभी पात्रों से निवेदन करूँगा कि जब वे आईटीआई की टाउनशिप से बाहर मनकापुर क़स्बे में जाएं तो सोशल डिस्टेंसिंग बना कर रहें और मास्क भी पहना करें।

गतांक से आगे : मिस्टर सेठ ने शाम को लेडीज क्लब के प्रोग्राम की सूचना दे दी थी। इसलिए शाम को ऐरॉन और अरनव परिवार सहित ऑफिसर्स क्लब बिल्डिंग में जाने के लिए तैयार होने लगे उसी बीच यूनियन वाले अरनव से मिलने आ गए। केपी सिंह से बात करने पर पता लगा कि राजा साहब तो अपने बलरामपुर जंगल वाली 'तपोवन' कोठी पर हैं फिर भी केपी सिंह ने राजा साहब से बात करके अरनव को बताने के लिए कहा...

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एपिसोड 12

केपी सिंह का सुबह सुबह अरनव के पास फ़ोन आया कि राजा साहब ने ख़बर कराई है कि वह भी आपसे और मिस्टर ऐरॉन से मिलना चाहते थे लेकिन उन्हें अचानक किसी खास काम से लखनऊ जाना पड़ रहा है इसलिए मुलाकात न हो सकेगी। केपी सिंह ने यह भी बताया कि राजा साहब का आदेश है कि आपकी पूरी ख़िदमत की जाए और आप जहां भी जाना चाहें वहां मिस्टर ऐरॉन और उनके परिवार आपको अवश्य घुमाने के लिए ले जाया जाए। अरनव ने उत्तर में कहा, "हम एक काम करते हैं अभी दस बजे मनवर कोठी पर मिलते हैं तभी आगे का प्रोग्राम भी तय कर लेंगे"

"यह ठीक रहेगा। राजा साहब भी अब जब कभी मनकापुर में होते हैं तो अधिकतर समय मनवर कोठी में ही बिताते हैं", केपी सिंह ने अरनव से कहा।

जैसा तय हुआ था उसी प्रकार तैयार होकर दोनों गाड़ियों से वे लोग आईटीआई गेस्ट हाउस से निकल कर मनवर कोठी के लिए चले जब वे लोग मनवर नदी के पुल के ऊपर से गुज़र रहे थे तो अरनव ने एक इंटरेस्टिंग बात ऐरॉन को बताई, "आईटीआई की यूनिट आने के पहले यहां कोई पुल नहीं था। इसके दो कारण थे कि इस नदी में साल भर पानी का वहाब नहीं रहता था, दूसरा यह सड़क भी सरकारी रिकार्ड्स में टेम्पररी अंकित हुआ करती थी। बहुत लोगों का आना जाना नहीं हुआ करता था"

"इसका मतलब यहां एक कॉज वे रहा होगा", ऐरॉन ने कहा, "इस तरह की प्रणाली हर उस जगह अपनाई जाती है जहां पानी बरसात में सड़क के ऊपर से बहता है"

"एक दम सही कहा", अरनव ने कहा और पुल के ऊपर गाड़ी रोकते हुए इशारा करके बताया, "अब पहले जैसे हालात नहीं हैं। आगे नदी पर एक बंधा बना दिया गया है जिससे अब पुल के नीचे सदैव पानी भरा रहता है"

"इसी कारण लगता है कि अब यह जगह अब झील बन गई है"

"यू आर एब्सोल्यूटली राइट", अरनव ने ऐरॉन की बात से सहमति जताते हुए कहा और बताया, "इसका फ़ायदा राजा साहब को यह हुआ कि इस झील में अब वे अब मत्स्य विभाग से मिलकर यहां मछलियों का उत्पादन करने लगे हैं। इस तरह से उनकी रेवेन्यू इनकम और बढ़ चुकी है"

अरनव की इस बात ऐरॉन ने कहा, "इंटेलिजेंट थिंकिंग"

"यस यू आर राइट, राजा साहब बहुत ही क्रिएटिव व्यक्ति हैं। मैं आपको उस जगह ले चलूँगा जहाँ उन्होंने इसी तरह एक और झील का निर्माण करवाया था। हुआ ये कि आईटीआई के कंस्ट्रक्शन के दिनों की बात है। आईटीआई को स्टेट गवर्नमेंट ने जो जगह अलॉट की थी उस लैंड का लेवल मनवर नदी के बाढ़ वाले हाईएस्ट पॉइंट से से नीचा था इसलिए आईटीआई मैनेजमेंट को लैंड फिलिंग करानी पड़ी। राजा साहब ने अपने महल के पीछे की ज़मीन से मिट्टी खुदवा कर आईटीआई की लैंड फिल कराने का काम अपने हाथ में ले लिया"

"बहुत बढ़िया"

"लेकिन यही बात राजा साहब के गले की हड्डी बन गई और उनके विरोधियों ने यह ख़बर उड़ा दी कि पहले तो उन्होंने अपनी ऊसर ज़मीन आईटीआई को दे दी और बाद में लैंड फिलिंग करा कर दुहरी कमाई की"

"फिर क्या हुआ", ऐरॉन ने पूछा।

"बाद में बताऊंगा, चलो अभी मनवर कोठी चलते हैं जिसमें शुरुआती दिनों में फ्रेंच क्लब हुआ करता था", कहकर अरनव ने गाड़ी ड्राइव की और साइड में लेकर मनवर कोठी के गेट के अंदर जाकर खड़ी की जहाँ केपी सिंह की कार पहले ही से खड़ी थी औए वह अपने मेहमानों का इंतज़ार कर रहे थे। कुछ देर मेहमानों ने मनवर कोठी में गुज़ारा वहां का स्विमिंग पूल वग़ैरह देखा। वे लोग उस ओर भी गए जहाँ राजा साहब ने कुछ साल पहले एक गेट और बालकॉनी बनवाई थी। वहां से झील का बहुत मनोरम दृश्य दिखता था। वे लोग जब वहीं खड़े हुए थे कि अचानक उनकी आंखों के सामने दो ख़रगोश एक तरफ से निकल कर दूसरी ओर भगाते हुए ओझल हो गए। यह बच्चों को देखकर बहुत अच्छा लगा।

केपी सिंह ने बताया, "यह कोठी राजा साहब के बड़े कक्का अम्बिकेश्वर प्रताप सिंह ने अपने लिये बनवाई थी जिन्हें मनकापुर के लोग प्यार से साधु राजा कहते थे। वह अपनी प्रजा में बहुत पॉपुलर थे"

मनवर कोठी कंपाउंड में कुछ समय बिता कर केपी सिंह उन सभी मेहमानों को अपने साथ राजमहल ले गए।

क्रमशः

05-08-20 20

गतांक से आगे: केपी सिंह के साथ कुछ समय मनवर कोठी में बिता कर सभी मेहमान राजमहल की ओर अपनी अपनी गाड़ियों से निकल पड़े।

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एपिसोड 13

केपी सिंह की गाड़ी आगे आगे चलते हुए जब राजमहल के ठीक सामने पहुंची तब अरनव ने ऐरॉन और एमेलिया को एक इंटरेस्टिंग स्टोरी सुनाई, "आईटीआई की यूनिट के आने के पहले मनकापुर का यह आलम था कि लगता था कि भले ही हिंदुस्तान को आज़ादी मिल गई हो लेकिन मनकापुर में तब भी अंग्रजों का वक़्त चल ही चल रहा था। जब कोई इस राजमहल के सामने से गुजरता था तो अगर वह साइकिल से जा रहा होता था तो उतर कर पैदल चलते हुए रास्ता पूरा करता था और राजमहल की ओर आदर सम्मान से झुख कर ही निकलता था"

ऐरॉन ने पूछा, "ऐसा क्यों"

"वह इसलिए कि राजा साहब का अपने इलाक़े में इतना रौब और दबदबा था"

ऐरॉन ने पूछा, "यह तो तभी हो सकता है जब लोगों के दिलों में डर बैठ गया हो"

"मनकापुर का राजपरिवार शुरू से ही राजनीति में सक्रिय रहा। राजा साहब के पिता श्री स्वतंत्र पार्टी के एक्टिव मेंबर थे। एक जनश्रुति कहावत के अनुसार जब यहां आंदोलन के लिए कांग्रेस पार्टी के बहुत बड़े नेता नेहरू जी आना चाह रहे थे तो उन्हें रेलवे स्टेशन से बाहर ही नहीं आने दिया और भीड़ के दबाव में उन्हें वहीं से वापस जाना पड़ गया। बाद में राजा साहब ने खुद कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और लोकसभा का चुनाव लड़ा और कई बार जीते। आईटीआई की यूनिट की स्थापना के लिए उन्होंने भरसक प्रयास किया और जब इंदिरा गांधी एक बार गोंडा आईं तो उन्होंने अपने क्षेत्र की प्रगति के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए। मनकापुर में आईटीआई यूनिट का आना उन्ही के प्रयासों का प्रतिफल है"

अरनव ने अपनी गाड़ी को राजमहल के गेट की ओर मोड़कर अंदर आकर एक जगह रोका और उतरते हुए ऐरॉन को बताया कि राजमहल के बाहरी ओर चारों तरफ एक परकोटा बना हुआ है जिसमें राजमहल के कर्मचारी रहते हैं। शुरू शरू में आईटीआई की कंस्ट्रक्शन के इंचार्ज अडिशनल जनरल मैनेजर एसएल आहूजा साहब ने जब अपना ऑफिस 'अयोध्या भवन' में बनाया था तो उनके मातहत काम करने वाले कई कर्मचारी जिन्हें साइट पर काम करना होता था वे लोग राजमहल के इसी परकोटे में बने मकानों में रहते थे। इस तरह राजा साहब ने आईटीआई के शुरुआती दिनों में किसी को कोई तकलीफ़ नहीं होने दी।

गाड़ी से उतरते हुए जब अरनव और ऐरॉन के परिवार को लेकर केपी सिंह राजमहल के दरबार हाल में पहुंचे और बोले , "आइये, आइये आप अपना आसन ग्रहण कीजिए"

एमेलिया के साथ साथ विक्टर और एस्टेले तथा अनिका के साथ साथ अनुष्का और आरुष भी थे। वे सभी लोग आराम से कुछ देर वहां रुके।

केपी सिंह ने राजमहल के किचेन स्टाफ को मेहमानों के लिए चाय और नाश्ते का प्रबंध करने के लिए कहा। चाय पी लेने के बाद में वे लोग जब राजमहल के भीतरी भागों को देखने निकले तो केपी सिंह उन सभी को साथ लेकर राजमहल के उस हिस्से में आये जहां एक खूबसूरत लाइब्रेरी थी। लाइब्रेरी के बारे में बताते हुए केपी सिंह ने कहा, "राजा साहब के बड़े कक्का जी पढ़ने लिखने के बहुत शौक़ीन थे। उन्होंने अपने समय में राजमहल में एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी भी बनाई थी जिसमें आज भी पुराने धार्मिक ग्रँथ, जंगल की कहानियों, जानवर और शिकार विषय पर अनेकोंनेक पुस्तकों का अद्भुत संकलन है। 1930 के ज़माने के लंदन टाइम्स वगैरह के अखबार की कॉपियां बहुत संजो कर रखीं गईं हैं। इसी लाइब्रेरी में अकबरनामा की मूल कॉपी भी है"

लाइब्रेरी की एक शेल्फ खोलकर केपी सिंह ने एक छोटी माचिस की डिबिया के बराबर की तुलसीदास रचित रामायण सभी को दिखाई और कहा, "इसी तरह की और भी कई नायाब पुस्तकें इस राजमहल की लाइब्रेरी में सजो कर रखी गईं हैं"

केपी सिंह ने यह भी बताया कि एक बार लंदन से बुकर्स ऑफ इंग्लैंड से एक टीम आई थी जिसने कई महीने रुककर लाइब्रेरी की बहमूल्य पुस्तकों का डिजिटाइजेशन का काम पूरा किया था।

अरनव ने अपनी ओर से जोड़ते हुए ऐरॉन और एमेलिया को बताया, "राजा महाराजाओं के अपने अपने शौक़ हुआ करते थे। राजा साहब के एक और भाई थे जिन्हें यहाँ के लोग प्यार से लल्लन साहब कहकर बुलाते थे उन्हें शिकार का बहुत शौक़ था। उनका परिवार एक दूसरे महल में रहता है अगर मौक़ा मिला तो आप लोगों को वहां भी ले चलेंगे"

ऐरॉन ने फ्रांस के इतिहास को याद करते हुए कहा, "एक ज़माने में फ्रांस में भी राजा रानी का राज हुआ करता था लेकिन 1778 -1799 की क्रांति में कुछ ऐसा हुआ कि उसके बाद हमारे यहां प्रजातंत्र में इलेक्टेड गवर्नमेंट का शासन हो गया"

ऐरॉन की इस बात पर अरनव ने कहा, "अंग्रेजों के आने के पहले हिंदुस्तान में भी यही कुछ था। यहां पहले पठानों ने और बाद में मुग़लों ने लंबे समय तक राज किया उसके पहले पृथ्वीराज चौहान जैसे कई महान राजा हुए लेकिन आपसी लड़ाई झगड़ो के चलते पठान बाहर से आये और यहां शासन किया। लेकिन मनकापुर के वर्तमान राजपरिवार की कहानी कुछ हट कर है"

"वह कैसे"

"एक लंबा इतिहास है बस आप यह समझिए कि मनकापुर रियासत जहां आप लोग हैं उसको बनाने में महाराज जू देव जी का बड़ा हाथ था। यह राजमहल तथा कुछ अन्य भवन भी उन्ही के ज़माने के बनवाये हुए हैं। उनके बाद कक्का राजा हुए जिनके बारे में हम पहले ही ज़िक्र कर चुके हैं। कक्का राजा की एक घटना में मृत्यु हो गई और उसके बाद राजा साहब के पिता जो उस समय इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे उन्हें बीच में ही हिंदुस्तान लौटना पड़ा और वे यहां के राजा बने। हकीकत में ब्रिटिश हुकूमत के दिनों में राज्य व्यवस्था ठीक ढंग से चले इसके लिए उन्होंने कई पुराने राज परिवारों की मदद ली। उनमें से एक था यह मनकापुर राजघराना जो ब्रिटिश हुकूमत के लिए काम करते और मालगुज़ारी बसूल किया करते और अपने अपने राज्य में कानून व्यवस्था की देखभाल करते थे। हिंदुस्तान के आज़ाद होने के बाद इन राजा रजवाड़ो के लिए प्रिवी पर्स की व्यवस्था हुई और इन रियासतों का अधिकार क्षेत्र सरकार ने अपने हाथ में ले लिया। इस लिहाज़ से कहा जा सकता है कि यहां की व्यवस्था और आपके देश की व्यवस्था में कुछ फ़र्क रहा है"

"ओह आई सी, ये बात है", ऐरॉन ने पूरी बात समझते हुए कहा।

बहुत देर इधर उधर राजमहल के चारो ओर घूमने के बाद जब दोपहर के खाने का समय हो गया तो वे ग्राउंड फ्लोर में बने डाइनिंग हॉल में आकर बैठे जहाँ नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए। जब भोजन परोसा जा रहा था तब केपी सिंह ने बताया, "मनकापुर में यह कहा जाता है कि आज भी खस्सी माल लेकर सबसे पहले राजमहल आते हैं और रसोइये को जो माल निकालना होता है वह निकाल लेता है उसके बाद ही वह समान बाज़ार में बेचा जाता है"

एमेलिया जब नहीं समझ पाई जो केपी सिंह ने कहा तो उसे समझाते हुए अरनव ने कहा, "ही इज़ टेलिंग अबाउट अ एज्ड ओल्ड ट्रेडिशन दैट बूचर फर्स्ट कम्स हियर एन्ड व्हाट एवर इज लाइकड बाई द कुक ही टेक्स आउट ओनली देन सैलिंग ऑफ मटन स्टार्टस इन द लोकल मार्किट"

"आई सी, सो व्हाट एवर इज ऑफर्ड टू अस इज द बेस्ट"
"यस मिसेज़ एमेलिया"

फ्रांसीसी परिवार को बहुत दिनों बाद नॉन वेज भोजन खाने का अवसर प्राप्त हुआ इसलिए वे लोग उस दिन बहुत ख़ुश हुए और एमेलिया ने इसके लिए केपी सिंह को धन्यवाद देते हुए कहा, "थैंक यू सो वेरी मच फ़ॉर सच अ नाइस रिसेप्शन"

केपी सिंह ने भी झुख कर अभिवादन स्वीकार करते हुए कहा, "मैं अपनी ओर से राजपरिवार की ओर से यहां पधारने पर आपको शुक्रिया अदा करता हूँ। आशा है कि आपकी मनकापुर यात्रा एक यादगार बनके आपके स्वप्नों में सालों तक बनी रहे।

बाद में अरनव की ओर मुड़ते हुए केपी सिंह ने कहा, "भइय्या लक्ष्मीपुर लौटे का कब प्रोग्राम है"

"अभी तो कुछ तय नहीं है। हम निकलने के पहले तुम्हें बता देंगे। एक काम था क्या इन लोगों को मनकापुर चीनी मिल दिखवाने की कोई व्यवस्था हो जाएगी तो मैं सोच रहा था इनको राजा साहब के किसानों के भले के बारे में भी हम बहुत कुछ बता सकेंगे"

"ठीक है कब चलना चाहेंगें"

"कल लंच के पहले का प्रोग्राम ठीक रहेगा"

क्रमशः

06-08-20 20

गतांक से आगे: केपी सिंह के साथ कुछ समय मनवर कोठी राजमहल में बेहतरीन वक़्त बिता कर अरनव सभी के साथ गेस्ट हाउस लौट आये। शाम होते ही वे सभी पैदल ही घूमने निकल पड़े।

आगे जानिए...

एपिसोड 14

इतने अच्छे लंच के बाद ऐरॉन और एमेलिया का कुछ देर आराम करने का मन कर रहा था। अरनव को भी लगा कि कुछ देर आराम कर ही लिया जाए उसके बाद इन लोगों को टाउनशिप दिखाना ठीक रहेगा।

शाम को तकरीबन छ बजे के आसपास चाय पीने के बाद अरनव और ऐरॉन का परिवार पैदल ही टाउनशिप की सैर के लिए निकल पड़े। ऑफिसर्स क्लब बिल्डिंग के पास ही स्विमिंग पूल को दिखाते हुए अरनव ने कहा, "जब इस कैंपस में बिल्डिंग्स बनना शुरू हो गया और लोग रहने लगे तब ये स्विमिंग पूल का निर्माण किया गया"

ऑफिसर्स क्लब बिल्डिंग के सामने से निकलते हुए वे लोग सी टाइप क्वार्टर लेन की तरफ़ मुड़ गए और जब वे सी-11 के सामने आए तो अनिका ने बताया, "एमेलिया आपके इन लॉज़ यहीं इसी मकान में रहते थे। उनके समय में सी-14 हमारे पास था"

एमेलिया ने अपने दोनों हाथ उठाकर अपने मुंह को ढका और बोली, "ओह माई गॉड"

ऐरॉन ने कहा, "क्या हम यह घर अंदर से देख सकते हैं"

अरनव ने आगे बढ़ कर देखा तो उसपर इस्टेट डिपार्टमेंट का ताला लगा हुआ था। अरनव ने तुरंत सैय्यद मुनब्बर राणा को फोन कर पूछा, "कहाँ हो मियां"

"घर पर ही हूँ सर"

"हम लोग तुम्हारे यहाँ एक मिनट के लिए आना चाह रहे थे मिस्टर एंड मिसेज़ ऐरॉन देखना चाह रहे थे कि सी टाइप मकान कैसा लगता है"

"सर जहेनसीब। तशरीफ़ लाइये। हमारा ग़रीबखाना आपके इंतज़ार में नज़रें बिछाए बैठा है"

"सैय्यद मुनब्बर राणा तुम बिल्कुल बदले नहीं", अरनव ने कहा, "तैयार रहो हम पांच मिनट में पहुंच रहे हैं"

बेग़म राणा को कुछ समय मिल गया उन्होंने झटपट अपना ड्राइंग रूम ठीक कर लिया अपने चेहरे का हल्का सा मेकअप कर ठीक किया और अरनव के आने का इंतजार करने लगीं। दस मिनट बाद ही अरनव ने सैय्यद मुनब्बर राणा के घर के बरामदे में जाकर कॉल बैल का स्विच दबाया। घर में घंटी बजते हुए ही सैय्यद मुनब्बर राणा ने दरवाजा खोला और मेहमानों को अंदर आने के लिए कहा। कुछ देर बैठकर ऐरॉन और एमेलिया ने घर का मुआयना किया जिससे वे यह अहसास कर सकें कि उनके माता पिता यहां कैसे रहे होंगे। अरनव ने ऐरॉन को बताया, "बाथरूम फ्रेंच एक्सपर्ट्स के लिए इम्प्रूव कर दिए गए थे और उसमें बाथिंग टब वग़ैरह लगा दिया गया था"

"एकोमोडेशन तो ठीक है दो व्यक्ति आराम से रह सकते हैं", ऐरॉन ने सोफ़े पर बैठते हुए कहा।

एमेलिया ने सोफ़े को ठोक कर देखा और बोली, "सॉलिड है लाइक स्टील"

बेग़म राणा ने जवाब में कहा, "जी। यह मनकापुर टीक का बना हुआ है"

इस पर अनिका ने कहा, "आप लोग यहां जिस किसी के भी घर जाएंगे तो फर्नीचर आपको हर घर में टीक का ही फर्नीचर मिलेगा जो बरसों चलने वाला है"

कुछ देर बात करके जब अरनव ने चलने की इजाज़त मांगी तो तुरंत बेग़म राणा बोल उठीं, "ऐसे कैसे जाने देंगे। अभी कुछ रोज़ पहले ही तो ईद हुई है आपको मीठी सिवइयां तो खानी ही पड़ेंगी"

सैय्यद मुनब्बर राणा ने सबको डाइनिंग हाल में आने के लिए कहा। डाइनिंग टेबल पर गरमा गर्म क़बाब और सिवइयां सजी हुई रखीं थीं। सभी लोगों ने दोनों आइटम्स का स्वाद चखा और तहेदिल से बेग़म राणा की तारीफ़ की। बेग़म राणा ने जब कॉफी बनाने की बात की तो सभी ने मना कर दिया।

बाद में वे लोग घूमते हुए सेंट माइकेल स्कूल की ओर बढ़ चले। रास्ते में एमेलिया ने अनिका से कहा, "आप लोगों के यहां कहीं भी जाइये खाने पीने पर इतना जोर रहता है कि आदमी उतना खाये तो मोटा हो जाये"

"सही कहा, देखो न मैं भी कितनी मोटी हो गईं हूँ"

"नहीं यू आर स्टिल मच बैटर'

"दरअसल मेहमानों की ख़िदमत करना उन्हें अच्छा अच्छा खाना खिलाना यह हमारे यहां की राबायत में है", अनिका ने एमेलिया को समझाया।

माइकेल स्कूल के गेट पर खड़े होकर अनुष्का और आरुष दोनों ने एक साथ कहा, "ये है हमारा स्कूल। यह इंग्लिश मीडियम के लिए बहुत मशहूर रहा है"

एस्टेले ने पूछा, "इसका मतलब तुम दोनों यहाँ पढ़ने आया करते थे"

"हां हम लोगों ने यहीं से सेकंडरी एडुकेशन पूरी की", अनुष्का ने बताया।

अरनव ने स्कूल के बारे में बताते हुए कहा, "इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे आज आइएस, आईपीएस बने हैं। यहां के कई बच्चे आर्मी में कमीशंड ऑफिसर बने हैं, इंजीनियर और डॉक्टर्स बने हैं"

"वेरी गुड। नाइस टू नो दैट", एमेलिया ने उत्तर में कहा।

वे लोग बाद में घूमते घूमते कॉलोनी के बीच में से होते हुए सेंट्रल स्कूल के पास आ गए। इस स्कूल के बारे में बताते हुए अरनव ने बताया यह स्कूल सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज के लिए बहुत उपयोगी रहा है। पूरे हिंदुस्तान में सेंट्रल स्कूल्स का एक ही सिलेबस होता है और सीजन में जब कभी बच्चे के पेरेंट्स का ट्रांसफर हो जाये तो वह उनके साथ वह भी बीच में दूसरे स्कूल में एडमिशन ले सकता है।

स्कूल के पीछे ही स्पोर्ट्स ग्राउंड था जिसे देखकर एमेलिया ने पूछा, "लगता है यहां बच्चे खेलने आते होंगे"

अनिका ने बताया कि इस कॉलोनी में तीन स्कूल हैं और तीनों के पास खेलने के लिए अलग अलग ग्राउंड हैं।

उसके बाद वे डीएवी इंटर कॉलेज की ओर जाने लगे तो ऐरॉन परिवार की निग़ाह कम्युनिटी हॉल पर पड़ी।

कम्युनिटी हॉल के बारे में बताते हुए अरनव ने बताया "यहां पहले साल भर फिल्म्स दिखाई जातीं थीं, लेकिन अब यह सब बन्द हो गया है। इस हॉल की सीटिंग कैपेसिटी लगभग एक हज़ार से ऊपर लोगों के लिए है"

उस चौराहे से मुड़ते वक़्त उन लोगों की निग़ाह लोकल सब्ज़ी मार्किट पर पड़ी जहां आसपास के किसान अपने खेत की सब्जियां बेचने के लिए शाम को इस बाज़ार में आ जाते हैं। कुछ दूर पर ही डीएवी स्कूल था और उसके पास ही हॉस्पिटल जिसमें हर तरह की फैसिलिटीज हुआ करतीं थीं। वहां से चलकर वे लोग शॉपिंग सेंटर भी गए और बच्चों के लिए टॉफ़ी खरीदीं। कॉलोनी घूम लेने के बाद एमेलिया ने कहा, "ताज़्ज़ुब होता है कि इस कॉलोनी में वह सब कुछ है जो एक छोटे से शहर में होता है। जो यहां रहेगा वह भला किसी टाउन में क्यों जाना चाहेगा"

अरनव ने और भी जो फैसिलिटीज मैनेजमेंट प्रोवाइड करता था उसके बारे में बताया, "इतना ही नहीं गोंडा, फैज़ाबाद और अयोध्या से एम्प्लॉयीज को ड्यूटी पर आने जाने के लिए बस भी चला करती थी। अगर किसी की तबीयत अधिक खराब है तो उसके लिए यहां से लखनऊ पीजीआई और केजीएमयू तक बस अलग से चला करती थी। पता नहीं अब क्या चल रहा है और क्या बंद हो गया"

"बिल्कुल इसी लिए तो हम लोग कहते थे कि यह अपने आप में एक पैराडाइज है", अनिका ने कहा।

"वास्तव में यहां आकर मज़ा गया", ऐरॉन ने कहा।

"हम लोगो को यहां की आजकल की स्थित देखकर बहुत दुख होता है लेकिन बदलते हुए हालात में कुछ किया भी नहीं जा सकता है", अरनव ने बड़े बुझे हुए मन से यह बात कही।

क्रमशः




07-08-20 20

गतांक से आगे: मनकापुर के संचार विहार की सैर करके सभी लोग गेस्ट हाउस आ गए और खाना पीना करके सो गए।

आगे जानिए...

एपिसोड 15

ऐरॉन को सुबह सुबह के समय में लगा कि गेस्ट हाउस के बाहर कोई स्पोर्टिंग एक्टिविटी चल रही है इसलिए वह अकेले ही उठकर बाहर आये और देखा तो कुछ लोग टेनिस खेल रहे हैं। वह भी वहां कुछ देर जाकर उनके साथ एक बेंच पर बैठकर शांतिपूर्वक खेल देखता रहा। कुछ देर बाद वहां गेस्ट हाउस का एक बेयरर चाय ले आया तो उठकर वह वहां से चलने की तैयारी करने लगा। तभी एक टेनिस खिलाड़ी ने उन्हें रोकते हुए कहा, "मिस्टर ऐरॉन कहाँ जा रहे हैं। बैठिए चाय पीजिये। मैं आपसे प्लांट विजिट में मिला था"

ऐरॉन क्या कहता वहां तो उससे इतने लोग मिले थे वह किस किस को याद रखता। न कुछ कहते हुए ऐरॉन ने रुक कर चाय पीना ही ठीक समझा और बाद में पूछा क्या यहां हर रोज़ टेनिस होता है? ऐरॉन को उत्तर मिला हर रोज़ तो नहीं लेकिन कुछ स्पोर्ट्स लवर संडे के दिन देर तक टेनिस खेलते हैं। कुछ इधर उधर की और बातें करके ऐरॉन ने सभी टेनिस प्लेयर्स को धन्यवाद कहा और अपने रूम में लौट आया। रूम में एमेलिया उठकर बैठी हुई थी उसने आते ही पूछा, "ऐरॉन तुम सुबह सुबह कहाँ चले गए थे मैं परेशान हो रही थी"

ऐरॉन ने एमेलिया को टेनिस वाली बात बताई कि मेरी आँख जल्दी खुल गई थी और कुछ आवाज़ें सुनकर वह गेस्ट हाउस के बाहर चला गया यह देखने कि क्या हो रहा है तो पता लगा कि कुछ ऑफिसर्स टेनिस कोर्ट पर टेनिस खेल रहे हैं वह वहीं उनके पास बैठकर टेनिस देखता रहा। एमेलिया ने ऐरॉन से कहा, "मुझे कम से कम बता तो देते"

"हनी मैंने सोचा कि तुम सो रही हो तुम्हें क्या डिस्टर्ब किया जाए"

एमेलिया ने प्यार से ऐरॉन की ओर देखते हुए कहा, "कोई बात नहीं चाय लाने के लिए किचेन में फ़ोन तो कर दो"

"तुम चिंता मत करो मैं आते समय चाय के लिए कहकर आया हूँ और बेयरर चाय लाता ही होगा"

कुछ देर में उनके बच्चे विक्टर और एस्टेले भी आगये और सब ने बैठकर मॉर्निंग टी ली।

दूसरी ओर केपी सिंह का फोन अरनव के पास आया और बोला, "भइय्या हम बोलत हैं केपी सिंह।

"हां बोलो केपी"

"हम आप से मनकापुर चीनी मिल, उतरौला रोड गेट पर ठीक ग्यारह बजे मिलब"

"ठीक है हमहुं टाइम से पहुंच जाइ"

ब्रेकफास्ट करने और तैयार होने के बाद वे लोग शुगर मिल देखने के लिए निकल पड़े। केपी उन्हें ठीक सिक्योरिटी गेट पर मिल गया और बाद में वे लोग सीधे शुगर मिल के चीफ केमिस्ट मिस्टर आर के चोपड़ा जी से मिले। शुरुआती मेल मिलाप की औपचारिकताओं के बाद मिल के भीतर गए और एक एक करके सभी सेक्शन देखे। मिस्टर चोपड़ा ने चलते समय शुगर के छोटे छोटे पैक बतौर यादगार ऐरॉन परिवार और अरनव परिवार को दिए।

जब वे लोग गेट की ओर आ रहे थे तब अरनव ने ऐरॉन को बताया, "यह शुगर मिल भी राजा साहब की मनकापुर के किसानों की देन है। आज यहां का किसान बहुत ख़ुश है और उसे अपनी फ़सल लेकर पहले की तरह दूर नहीं जाना पड़ता है"

ऐरॉन ने अरनव की बात बहुत ध्यानपूर्वक सुनी और पूछा, "इसका मतलब यह हुआ कि यह शुगर मिल आईटीआई की यूनिट लगने के बाद लगी"

ऐरॉन के प्रश्न के उत्तर में अरनव ने बताया, "इसके पीछे भी एक कहानी है। हुआ यह कि आईटीआई की यूनिट जब लगने लगी तो यहाँ के आसपास के लोगों में यह आस जगी कि उनको नौकरियां मिलेंगी और वे लोग पनपेंगे लेकिन हाई टेक्नोलॉजी ओरिएंटेड यूनिट होने के नाते यहां के लोगों को नौकरी तो मिली लेकिन बहुत कम लोगों को। इसके चलते लोगों को शिकायत रही कि उनकी ज़मीन भी चली गई और नौकरी भी नहीं मिली इसकी प्रतिक्रिया यह हुई कि राजा साहब यहां से चुनाव हार गए"

"ओह, वेरी वेरी बैड। जिस आदमी ने अपनी कांस्टीट्यूएंसी के लिए इतना काम किया वह इलेक्शन हार गया", ऐरॉन ने कहा।

इस पर अरनव ने बताया कि राजा साहब को बहुत बुरा लगा कि उन्होंने अपनी आनबान शान भी खोई और बदले में उन्हें उनकी जनता ने यह इनाम दिया। राजा साहब सदमे में थे लेकिन उन्होंने अपनी रियाया से मिलना जुलना बंद नहीं किया। जो उनसे मिलने आता, अपनी जो परेशानी बताता वह उसे दूर करने की कोशिश करते। प्रशासन में उनकी पकड़ कम नही हुई और साथ में उनके पुराने सम्बन्धों की वजह से उनका कोई काम किसी ने रुकने नहीं दिया। इसी बीच जब दोबारा से इलेक्शन्स हुए तो उन्होंने अपने पुत्र राजकुमार राजा भइय्या को राजनीति में उतारा और मेहनत करके उन्हें चुनाव जितवाया"

"बड़ी लंबी कहानी है"

"इतना ही नहीं जब आईटीआई में ऑर्डर्स की कमी के कारण प्रोडक्शन कम होने लगा तब लोगों ने उनसे मिलकर शिकायत की कि महाराज इस आईटीआई की यूनिट की जगह आपने चीनी मिल लगवाई होती तो किसानों का भला भी होता और आपका दबदबा भी बना रहता। यह बात राजा साहब के दिल को लग गई और उन्होंने मन ही न यह निश्चय किया कि वह अपने इलाक़े के लोगों के भलाई के यह काम करके ही रहेंगे। उसके बाद यह चीनी मिल यहां मनकापुर के आसपास वजूद में आईं"

ऐरॉन ने अरनव की हर बात को ध्यान से सुना और कहा, "यही वह एक बात एक नेता को जनता की निगाह में ऊंचा स्थान दिलाती है कि उसके किये कार्यों से लगे कि वह अपने लोगों की चिंता करता है"

"बिल्कुल आपने सही कहा मिस्टर ऐरॉन", अरनव ने कहा और यह भी बताया, "तब से इस क्षेत्र राजा साहब के पुत्र राजा भइय्या बराबर चुनाव जीत कर लोकसभा में यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं"

ऐरॉन ने पूरी बात सुनकर केवल इतना ही कहना ठीक समझा, "नाइस मूव"

बातों ही बातों में वे लोग जब ड्राइव करते हुए आईटीआई की कॉलोनी के गेस्ट हाउस वाले गेट तक आ पहुंचे तो केपी सिंह ने अपनी गाड़ी रोकी और अरनव से बातचीत की और अरगा लेक घूमने चलने के लिए कहा।
क्रमशः


08-08-20 20

गतांक से आगे: मनकापुर चीनी मिल देखने के बाद जब केपी सिंह ने अरगा लेक देखने के लिए कहा और यह भी बताया कि दोपहर के भोजन की व्यवस्था भी महाराज के कहने पर वहीं की गई है तो वे लोग अरगा लेक की ओर चल पड़े।

आगे जानिए...

एपिसोड 16

जब तीनों कार मनकापुर की ओर मुड़ीं तो एक बार राजमहल के सामने से गुज़रीं। ऐरॉन और एमेलिया ने एक बार फिर से उधर नज़र डाली। वे लोग मनकापुर क़स्बे की ओर थोड़ा आगे ही बढ़े होंगे कि अरनव ने इशारे से दिखाया कि सर्दियों के मौसम शुरू होने पर राजमहल के पीछे वाली झील में बेशुमार माइग्रेटरी बर्ड्स यहां आ जातीं हैं तब राजपरिवार के सदस्य इस मचान में बैठ कर बर्ड वाचिंग का लुत्फ़ उठाते हैं। इस पर ऐरॉन ने पूछा, "इसका मतलब अभी लेक में बर्ड्स नहीं होंगी"

अरनव ने उत्तर में कहा, "कह नहीं सकता। हो सकता इंडियन वैरायटी की बर्ड्स अभी हों, आप लोग चिंता नहीं करें जहाँ हम चल रहे हैं वह और बहुत बड़ी लेक है, हो सकता है वहां और बर्ड्स हों"

कुछ और आगे बढ़ने पर उन्हें मंगल भवन महल दिखाई पड़ा तो अरनव ने बताया, "यह महल भी राजपरिवार के सदस्यों का है, देखते हैं अगर छोटे भइय्या यहां होंगे तो एक दिन उनसे मिलने चलेंगे"

मंगल भवन महल से आगे दाएं हाथ मुड़ते ही बाज़ार पडता था उसके बीच से होते हुए उनकी गाड़ियां आगे बढ़तीं हुई रेलवे क्रासिंग पर आकर बाये हाथ मुड़कर टिकरी फॉरेस्ट की ओर तेजी से बढ़ चलीं। टिकरी फॉरेस्ट पार करते ही एक पतली सी गली एक गांव की ओर मुड़ते हुए वे लोग आगे बढ़ चले। जब वे लोग गांव से गुज़र रहे थे तो अरनव ने एक कहानी सुनाई जो रौंगटे खड़ी करने वाली थी, "मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ नहीं जानता हूँ कि यह सही है या केवल हवा हवाई बात है चूंकि ऐसा देखा गया है कि चुनाव आते ही विरोधी लोग तरह तरह की कहानियां बना कर मार्किट में छोड़ देते हैं"

ऐरॉन ने अरनव से सहमति जताई और यह कहा, "यह मैंने भी महसूस किया है कि अन्य देशों में जहां जहा प्रजातंत्र है वहां वहां चुनाव आते ही पोलिटिकल ग्रुप्स अनेकोंनेक झूठी बातें चलाने लगते हैं"

अरनव ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "हुआ यह कि एक चुनाव में राजा साहब इस गांव में वोट मांगने आये थे। उस समय एक युवा जो कि लखनऊ यूनिवर्सिटी का क्षात्र था और अपने आप को ग़रीबों का मसीहा समझने का मुग़ालता रखता था ने बातों ही बातों में कुछ ऐंठबाज़ी दिखाने और कीचड़ उछालने की कोशिश की। राजा साहब ने समझदारी का परिचय देते हुए उस नवयुवक से इतना ही कहा कि कभी आकर मिलना और अपने महल लौट आये। लेकिन राजा साहब को बगैर बताए हुए कुछ उनके लठैत उस नवयुवक से जाकर मिले और पूछने लगे कि क्या वह जानता था कि किससे बात कर रहा था वह यहां के राजा हैं वग़ैरग वग़ैरग। जब उस लड़के ने फिर अपनी ऐंठ दिखाई तो बस फिर क्या था राजा साहब के आदमियों ने उसकी अच्छे तरीक़े से धुनाई कर दी। हम नहीं कह सकते कि यह बात कहां तक सच है लेकिन कुछ लोग ऐसी बातें ज़रूर करते हैं। ऐसे ही कुछ हमारे आईटीआई के लोग यह भी कहते हैं कि 1989 के पार्लियामेंट्री इलेक्शन्स में जब वे वोट डालने गए तो राजा साहब के आदमियों ने उन्हें यह कर भगा दिया कि आप लोग जाओ, आपका वोट पड़ गया। अब इन कहानियों और किस्सों के पीछे हक़ीक़त क्या है वह तो उन्ही लोगों को पता होगी जो चुनाव लड़ते हैं या लड़वाते हैं। राजा साहब दो बार लगातार इलेक्शन्स हार गए। उसके बाद वह कुछ दिनों तक एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हो गए और उनकी जगह उनके पुत्र ने ले ली और वह चुनाव कभी जीते तो कभी हारे भी। राजा साहब ने हिम्मत करके एक बार फिर से एमएलए का चुनाव लड़ा। वह चुनाव धमाके के साथ जीते और उत्तर प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री बने"

ऐरॉन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी सिर्फ़ वह अरनव की बात को बहुत ध्यान से सुनते रहे। इसी बीच उन लोगों की गाड़ियां अरगा लेक के पास आकर रुकीं और वे लोग एक गेट से अंदर घुसते हुए वहां आ गए जहां राजा साहब की प्राइवेट प्रॉपर्टी थी और जहां उनका स्टाफ़ रहता था। वहां मेहमानों के उठने बैठने के लिए एक खूबसूरत कैनोपीनुमा गोल गोल छतरी सी बनी हुई थी जिसमें कुछ आरामदायक कुर्सियां पहले ही से लगवा दीं गईं थीं। वे लोग कुछ देर इधर उधर झील की ओर देखते रहे और जो कुछ रंग बिरंगी बर्ड्स, क्रेन्स, बगुला वग़ैरह थे उनको देखकर खुश होते रहे।

केपी सिंह ने इसी बीच कुछ रोहू मछलियां झील से शिकार कर निकलवाईं और उन्हें ताज़ा ताज़ा बनवा कर मेहमानों के सामने कई अन्य डिशेज़ के साथ पेश कराया। ताजी ताजी पकड़ी हुई मछलियों और वह भी रोहू के टेस्ट का क्या कहना। ऐरॉन तो ऐरॉन उसके साथ एमेलिया और विक्टर और एस्टेले को भी मज़ा आ गया। अनिका, अनुष्का और आरुष भी पहले कभी अरनव के साथ अरगा लेक नहीं आये थे इसलिए उनकी ख़ुशी का भी कोई पैमाना नहीं था।

जब लगभग तीन बज गए तब चाय पीकर वे सभी लोग मनकापुर लौट आए। राजमहल के सामने केपी सिंह ने गाड़ी रोकी और अरनव से कहा, "आइये भइय्या अंदर आइये"

"नहीं बहुत हो गया अब नहीं फिर कभी जब महाराज यहां होंगे तब आना होगा", अरनव ने उत्तर देते हुए कहा।

"भइय्या कोई गलती हुइ गई होय तो माफी देन जाइ"

उसी लहज़े में अरनव ने कहा, "काहे की माफ़ी, इत्ता बढ़िया प्रोग्राम रहा उह सब तुहार ख़ातिर ही तो रहा। अब चले देउ"

"राम राम भइय्या", कहकर केपी सिंह ने सभी लोगों से विदा ली।

क्रमशः

 

09-08-20 20

गतांक से आगे: पिछले रोज़ अरगा लेक पर एक बहुत ही खूबसूरत और यादगार वक़्त गुजार कर अरनव और ऐरॉन परिवार ने अगले दिन क्या किया आज जानिए।

एपिसोड 17

एमेलिया और ऐरॉन सुबह जल्दी उठ गए और अपने आप सैर के लिए निकल गए। टाउनशिप में इधर उधर घूमकर वे जब लौटे तब तक आठ बज चुके थे। वे जानते थे कि आज सुबह तो कहीं नहीं जाना है इसलिए ब्रेकफास्ट के लिए लेट भी होंगे तो कोई बात नहीं। जब वे लोग ब्रेकफास्ट के लिये डाइनिंग हॉल में मिले तो अरनव ने उन्हें बताया कि उनकी मंगल भवन वाले छोटे कुंवर साहब से बात हो गई है और वे हम लोगों का ग्यारह बजे के क़रीब अपने फिरोज़पुर वाले फार्म हाउस पर मिलेंगे और शाम को उन्होंने मंगल भवन महल में डिनर के लिए इनवाइट किया है। एमेलिया पूछ बैठी, "क्या हम लोग उनके बच्चों के लिए कोई गिफ़्ट लेकर चल सकते हैं"

"क्यों"

"हम लोग सबके यहां खाली हाथ जाते हैं यह ठीक नहीं लगता"

"लेकिन आप यहां गिफ़्ट लेंगे कहाँ से"

"मैंने उस दिन देखा था कि शॉपिंग सेंटर पर कुछ न कुछ मिल ही जायेगा"

अरनव मुस्कुराए और बोले, "रहने दीजिए मिसेज़ एमेलिया अभी उनके यहां कोई छोटा बच्चा नहीं है"

अरनव की बात सुनकर एमेलिया और ऐरॉन दोनों ही हंस पड़ा। तयशुदा प्रोग्राम के लिहाज़ से वे लोग ग्यारह बजे के बाद अरनव सभी के साथ फिरोज़पुर फार्म पर जा पहुंचे। छोटे कुंवर अपने इस्टेट मैनेजर जय प्रताप सिंह के साथ पहले ही से वहां आ गए थे। अरनव ने ऐरॉन के परिवार की मुलाक़ात छोटे कुंवर से और बाद में जय प्रताप सिंह से कराई। वे दोनों लोग गर्मजोशी के साथ एक दूसरे से मिले। जय प्रताप सिंह ने अरनव से कहा, "ठाकुर साहब हमें पता चल गया था कि आप सपरिवार यहां आए हुए हैं और हम इंतज़ार ही कर रहे थे कि आप हमारे यहां आते हैं कि नहीं"

"मनकापुर आना हो और ठाकुर साहब मंगल भवन न आना हो यह कैसे मुमकिन है" अरनव ने जवाब में कहा।

जय प्रताप सिंह ने बाद में एक किस्सा सुनाते हुए छोटे कुंवर से कहा, "कुंवर सा हम ठाकुर साहब से एक दूसरे से जब मिले थे बड़े राजा साहब लखनऊ में विधान परिषद के अध्यक्ष थे और डॉक्टर सा थे तब ठाकुर साहब मझले भइय्या के साथ पहली बार मनकापुर पधारे थे। बाद में जब ठाकुर साहब आईटीआई में आ गए तो आये दिन मुलाकात हुआ करती थी"

अरनव ने भी पुराने दिनों की याद ताज़ा करते हुए कहा, "याद है हमें भी सब कुछ याद है तब हम यहां मझले भइय्या जी के साथ आये थे और आपने तब हमें फार्म दिखाया था"

"...और ठाकुर साहब उस शाम की बात भूल गए जब हम दोंनो को मझले भइय्या के कहने पर बैठकी करनी पड़ी थी"

"सब याद है तब की एक एक बात याद है जब आपने हम से कहा था कि हम तो आपका साथ दे रहे हैं वरना राजघराने में कोई पीने पिलाने का शौक़ नहीं रखता है लेकिन पीने वालों को पिलाता ज़रूर है"

जय प्रताप सिंह भी पुराने दिनों की याद करते हुए बोले, "सब याद है उस दिन बड़े राजा साहब लखनऊ से वापस लौट आये थे शाम को क्या दावत हुई थी। जिसमें बड़े राजा साहब ने अपने शिकार के तमाम किस्से आपको सुनाए थे"

इन दोनों को बातें सुनकर बोले, "मैनेजर चाचा अब और लंबी लंबी न छोड़ो और मेहमानों का भी ख़्याल करो। हमें तो पता नहीं हम तो तब हॉस्टल में थे"

"जी सरकार", कहकर जय प्रताप सिंह ने सबका स्वागत करते हुए फार्म पर आने के लिए धन्यवाद किया और बैठने की व्यवस्था की।

जय प्रताप सिंह ने बाद बताया, "हम लोगों का यह फार्म लगभग चार सौ बीघे में फैला हुआ है। दो सौ बीघे में हर साल हम लोग गन्ना पैदा करते हैं और बाद बाकी ज़मीन पर मौसमी फ़सल जैसे कि गेंहू, दलहन और आलू वग़ैरह। पहले तो हमें गन्ना यहां से चालीस किमी दूर मिल में ले जाना पड़ता था लेकिन जब से मिल यहीं खुल गई है तब से कबायद कुछ कम हो गई है। इसके अलावा हमारे दो फार्म और हैं जिन पर आम के बाग हैं जिनमें कई वैरायटी के आम के पेड़ लगे हुए हैं"

छोटे कुंवर ने जय प्रताप सिंह को रोकते हुए कहा, "मैनेजर चाचा मेहमानों का भी कुछ ख़्याल रखा जाए"

छोटे कुंवर के कहने के बाद तुरंत सबके लिए चाय नाश्ते की व्यवस्था हुई और उसके बाद वे लोग फार्म देखने के लिए निकल गए। जब वे लोग मेंथा के खेतों के बीच होकर निकल रहे थे तब ऐरॉन ने पूछा, "यह किस चीज की फ़सल है"

जय प्रताप सिंह ने बताया, "हम लोग अपनी लोकल भाषा में इसे पुदीना कहते हैं लेकिन इसका बायोलॉजिकल नाम स्पीयरमेंट इसको प्रोसेस करके पीपीरमेंट का तेल या मिंट आयल निकाला जाता है जो मेडिसिन्स वग़ैरह के काम आता है"

ऐरॉन ने उत्सुकतावश पूछा, "इसकी प्रोसेसिंग कराने के लिए इस फ़सल को आप लोग कहाँ ले जाते हैं"

"जी हमने अपने महल के पास ही एक प्रोसेसिंग प्लांट लगाया हुआ है"

बाद में इधर उधर घूमते हुए जब वे लोग फार्म पर घूम रहे थे तभी दो हिरण दिखाई दिए जिन्हें देखकर बच्चे बहुत खुश हुए। हिरणों के बारे में बताते हुए जय प्रताप सिंह ने बताया कि यह पालतू हिरण हैं और इसी फ़ार्म के भीतर रहते हैं। इसी तरह वहां कुछ बत्तख़ भीं थीं जिन्हें देखकर सभी बच्चे बहुत खुश हुए। एक तरफ़ झाड़ियों के पीछे से कुछ बटेर निकल कर एक ओर भागीं जिनको देखकर बच्चों को बहुत अच्छा लगा।

इस तरह काफी समय बिताने के बाद जब अरनव ने चलने की बात की तो छोटे कुंवर ने जय प्रताप सिंह की ओर देखा और तुरंत ही उन्होंने अपने आदमियों से आम की कई पेटियां दोनों गाड़ियों में रखवा दीं और बोले, "अभी आम डाल के तैयार नहीं हैं इस लिए पाल के हैं और कुछ दिनों में तैयार हो जाएंगे। डाल के तैयार होते तो आज हम आप सभी की दावत करते"

अरनव ने जब कहा, "इसकी क्या ज़रूरत थी। आम तो हमारे यहां भी बहुत हैं। मेहमानों को आम खाने के लिए अभी कुछ दिन रुकना पड़ेगा"

अरनव की बात पर छोटे कुंवर ने कहा, "जिस तरह कोरोना हर दिन अपने पांव पसार रहा है लगता तो नहीं है कि लॉक डाउन खुलने वाला है। फ्रांस और पूरे यूरोप में शट डाउन चल रहा है। सभी फ्लाइट्स बंद हैं"

"ये बेचारे आये तो थे हिंदुस्तान को देखने लेकिन कोरोना के चक्कर में आकर फंस गए"

"कोई क्या कर सकता है। किसे पता था कि महामारी यह रूप ले लेगी"

कुछ देर बाद वे सभी लोग अपनी अपनी गाड़ियों से मनकापुर के लिए वापस चल पड़े तब जय प्रताप सिंह ने याद दिलाया कि शाम को महल पर इंतज़ार रहेगा आइयेगा ज़रूर। अरनव ने उत्तर में कहा, "ज़रूर आएंगे बस आज पीने पिलाने का प्रोग्राम मत रखियेगा"

"अरे यह क्यों फिर मेहमानों को मज़ा कैसे आएगा"

"आजकल वे लोग ऐसे ही रहना पसंद कर रहे हैं इसलिए। इन लोगो के चक्कर में हमारा भी पीना पिलाना बंद है"

जय प्रताप सिंह ने कहा, "चलिए कोई बात नहीं बस अब यह न कह दीजियेगा कि कुछ खाते भी नहीं है"

"नहीं नहीं ठाकुर साहब खाते सब कुछ हैं आप जो बनवाएंगे सब खाएंगे", कहकर शाम को मंगल भवन आने की बात कर अरनव सबको लेकर गेस्ट हाउस वापस लौट आये।

शाम के आठ बजे अरनव सभी के साथ मंगल भवन राजमहल पहुंचे जहां गेट के पास ही पहले से जय प्रताप सिंह उनका इंतज़ार कर रहे थे। सबको साथ लेकर वे मंगल भवन के पडले तल्ले पर उस जगह आ पहुंचे जहां लल्लन साहब का चमचमाता हुआ चांदी का आसन था जिसके दोनों ओर दो stuffed tiger looking straight in the eyes of guests sitting across।

बच्चे तो पहले चीतों को देखकर डर ही गये लेकिन उन्होंने जब देखा कि उनके ठीक सामने छोटे कुंवर बैठे हुए तो उनका डर धीरे धीरे निकल गया। छोटे कुंवर बैठे हुए थे और मेहमानों के आने का इंतज़ार कर रहे थे। सभी लोग जब अपनी अपनी जगह बैठ गए तो तिलक लगाकर औपचारिकताएं निभाईं गईं और आदर सत्कार स्वरूप सभी पुरुषों के सिर पर राजपूतानी जोधपुरी स्टाइल में पगड़ी बांधी गई। यह ऐरॉन, विक्टर, आरुष के लिए आश्चर्यपूर्ण लेकिन बहुत सुखद अनुभव था। महिलाओं को एक एक गुलाब का बुके देकर उनका स्वागत किया गया। जब फ़्रान्सीसी परिवार का स्वागत करने का कार्यक्रम चल रहा था तब जय प्रताप सिंह ने बताया कि कुंवर साहब की एक दादी माँसा जिनका नाम Rani Josephine Singh (née Carr), (known as Purab Sarkar) था। वह अपने ज़माने की एक फ्रेंच ब्यूटी थीं जिन पर हमारे महाराज का दिल आ गया और उन्होंने उन्हें अपनी जीवन संगिनी तथा रानी बनाया। फ़्रान्सीसी परिवार ने उस वक़्त के कई फ़ोटो भी देखे।

कुछ देर वहां बैठकर बातचीत करके वे लोग महल के उस हिस्से में आये जिसके बारे में है जय प्रताप सिंह ने बताया मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि इसलिए भी उन्हें आपका स्वागत करते हुए आज यह ख़ुशी महसूस हो रही है। जय प्रकाश सिंह ने बताया कि अंग्रेजों के ज़माने में यह महल राजमहल का गेस्ट हाउस हुआ करता था जो भी मेहमान वह चाहे देश से हों या विदेश के वे सब यहीं रुका करते थे। यह हाल उनके एनेटरटेंमेंट के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था। चूंकि यह इलाक़ा अवध के क्षेत्र में पड़ता है और फैज़ाबाद के बहुत क़रीब है तो अक्सर यहां तवायफों के नाच गाने का प्रोग्राम हुआ करता था जिसमें राजपरिवार के लोग शरीक़ हुआ करते थे।

उसके बाद वे भीतर की उस बैठक में आ पहुंचे जहां खास लोगों से राजा साहब मिला करते थे। पास ही आंगन के दूसरे छोर पर डाइनिंग हॉल था जहाँ उनके कहने पीने का इंतज़ाम था। एक से एक बढ़कर लज़ीज़ हिंदुस्तानी और मुग़लई डिशेज़ उस दिन खानसामों ने तैयार करवाईं थीं जो एक एक करके मेहमानों को परोसी गईं। खाने पीने का प्रोग्राम देर रात तक चला। अरनव वगैरह उस रात आधी रात के बाद ही गेस्ट हाउस वापस आ सके।

क्रमशः

10-08-20 20

अपनी बात: मनकापुर के बारे में जितना याद आया वगैर किसी के ऊपर व्यक्तिगत कोई टीका टिप्पणी किये हुए अपने पाठकों तक पहुंचा दिया। रिश्तों की नज़ाक़त देखते हुए उतना ही कहा जितना ज़रुरी समझा। कभी कभी असलियत को कुछ देर भूल कर रहना ही बेहतर है वैसे तो दर्द हर रिश्ते में छुपा होता है।

क़िस्मत की बात इस धारावाहिक के प्रसारण के दौरान मेरी कुछ पुरानी पोस्ट्स जो मनकापुर से नाता रखतीं थीं दिखाई पड गईं। उन्हें शेयर करते हुए मुझे विशेष ख़ुशी हुई। आज तो बस वापसी का दौर है उसकी की कहानी बताना शेष है।

गतांक से आगे: मंगल भवन महल में एक शाम गुज़ार कर देर रात को जब अरनव और ऐरॉन परिवार आईटीआई गेस्ट हाउस पहुंचे तो क्या हुआ जानिए...

एपिसोड 18

ऐरॉन ने अरनव से गेस्ट हाउस पहुंच कर याद दिलाया कि उनकी परमिट कल शाम तक का ही है और उन्हें पांच बजे शाम से पहले हर हाल में लक्ष्मीपुर लौटना है। अरनव ने उत्तर दिया, "चिंता नहीं करिये मिस्टर ऐरॉन हम कल सुबह नौ बजे निकल कर शाम तक हर हाल में लक्ष्मीपुर पहुंच जाएंगे।

"इसका मतलब यह हुआ कि हम लोग तैयार होकर समान लेकर डाइनिंग हॉल में साढ़े आठ बजे मिलें"

"समान लाने की ज़रूरत नहीं है वह तो गेस्ट हाउस का स्टाफ उठा लाएगा बस करना यह होगा कि आज रात को सोने से पहले ही पैकिंग कर लेनी होगी"

"डन",ऐरॉन ने बोला तो कल मिलते हैं"

"गुड नाईट एवरीबॉडी", अरनव ने कहा और सभी लोग अपने अपने रूम में चले गए।

अगले दिन वे लोग तैयार होकर जब अपनी अपनी गाड़ी से निकल रहे थे तो अरनव को ख़्याल आया कि उसने मिस्टर सेठ, यूनिट हेड से तो बात की ही नहीं। यह सोचकर उन्होंने मिस्टर सेठ को फोन किया और अपने गेस्ट हाउस के प्रवास तथा इतने सुंदर स्वागत के लिए उनका तथा पब्लिक रिलेशन्स डीपार्टमेंट का धन्यवाद किया और लक्ष्मीपुर निकलने की अनुमति मांगी। मिस्टर सेठ ने अरनव से कहा, "आइये एक कप चाय पी लीजिए फिर निकलिये"

"सेठ साहब अब रहने दीजिए, हम जब कभी आएंगे तब सही"

"ओके आल द बेस्ट एंड ड्राइव सफेली, प्लीज कन्वे माइ रिगार्ड्स टू आल", कहकर मिस्टर सेठ साहब ने विदा कहा।

अरनव और पांडेय ड्राइवर ने अपनी अपनी गाड़ी गियर में डाली और वहां से चल दिये। रास्ते में अनिका को ख़्याल आया कि अभी तो पूरा दिन पड़ा है क्यों न इन लोगो को अयोध्या के कुछ मंदिर दिखवा दिए जाएं। यह सोचकर उसने अरनव से अपने मन की इच्छा ज़ाहिर की लेकिन अरनव ने अनिका की बात पर कहा, "हमें उधर जाने का परमिट नहीं मिला है अयोध्या की ओर जाना उचित नहीं होगा"

"एक बार ट्राय तो कर लीजिए क्या पता कोई भी न पूछे"

"नहीं अनिका उधर जाना ठीक नहीं है वैसे भी सभी मंदिर बंद हैं उधर जाने का कोई लाभ नहीं होगा"

अनिका ने फिर कुछ नहीं कहा और रास्ते भर चुपचाप बैठी रही जैसे कि वह रूठ गई हो। अरनव ने गोरखपुर पहुंचने से पहले अनिका से पूछा, "क्या कहती हो मिस्टर BN Pandey को फोन लगाया जाए। अगर वह घर पर हों तो उनसे मिल सकते हैं"

"आपको भी न जाने क्या सूझता है बेमतलब किसी को परेशान करने से क्या मिलेगा"

जब वे दोनों आपस में बात कर रहे थे तो एमेलिया ने मिस्टर BN Pandey जी का नाम आते ही कहा, "क्या यह वही मिस्टर पांडेय हैं जो हमारे फ़ादर इन लॉ के साथ काम कर चुके हैं"

अरनव ने कहा, "वही मिस्टर पांडेय"

"तो चलिए न कुछ देर उनके यहां उनसे भी मुलाकात हो जाएगी"

एमेलिया की बात सुनकर अरनव ने अनिका की ओर देखा और मोबाइल से पांडेय जी को घंटी की जब उनका उत्तर मिला तो अरनव ने उन्हें ऐरॉन और उसके परिवार के बारे में बताया कि वे लोग आपसे मिलने के बहुत इच्छुक हैं"

"उनसे मिलकर मुझे बेहद ख़ुशी होती लेकिन मैं इस समय गोरखपुर के बाहर अपने बेटे के यहां लखनऊ में हूँ"

"अरे फिर रहने दीजिए। बाद में फिर कभी देखेंगे"

"मैं लॉक डाउन में थोड़ी भी ढील मिलने पर गोरखपुर पहुँच जाऊँगा उसके बाद मैं लक्ष्मीपुर आकर उनसे मिलने की कोशिश करूंगा"

अरनव ने कहा, "आप लक्ष्मीपुर आइये बहुत ख़ुशी होगी"

एमेलिया बातों से समझ गई कि पांडेय जी आउट ऑफ स्टेशन हैं इसलिए उसने अरनव से कहा, "रहने दीजिए हम लोग सीधे लक्ष्मीपुर चलते हैं"

दोपहर लगभग दो बजे वे लोग लक्ष्मीपुर वापस पहुंच गए अरनव के यहां कुछ हल्का फुल्का लंच किया। बाद में ऐरॉन परिवार गेस्ट हाउस की ओर निकल गया।

क्रमशः


11-08-20 20

गतांक से आगे: मनकापुर में अपने माता पिता की यादों को ताज़ा करके और उस छोटी सी जगह को महसूस किया कि वहां उस वक़्त में बहुत अच्छा था जिसे उनके माता पिता ने जिया।

आगे जानिए...

एपिसोड 19

लक्ष्मीपुर लौटने के बाद आनंदिता से जब विक्टर की मुलाक़ात हुई तो उसने पूछा, "कैसा रहा तुम्हारा मनकापुर विजट"

"कोई ख़ास नहीं बस ऐसे ही रहा। कह सकती हो कि अच्छे बुरे का मिक्स्ड बैग। अच्छा यह लगा कि जहां मेरे दादाजी ने और मेरी दादीजी ने कुछ वक्त गुजारा था उस जगह को हम लोगों को देखकर अच्छा लगा। यह भी अच्छा लगा कि वहाँ के लोग उन्हें आज भी याद करते हैं। बाकी वहां कुछ ऐसा था भी नहीं देखने या घूमने के लिये"

"कुछ तो ऐसा होगा जो तुम्हें वहां अच्छा लगा होगा"

"हां, जो अच्छा लगा वह था लोगों का प्यार और जो आदर सत्कार वहां मिला," विक्टर जब बता ही रहा था कि अचानक ही उसकी आँखों में ख़ुशी की चमक सी आई और वह कहने लगा, "तुम्हें मालूम है कि जब हम लोग मंगल भवन राजमहल में गए तो वहां दो टाइगर थे, ज़िंदा नहीं मरे हुए लेकिन उनकी आंखें ऐसीं थी कि क्या बताऊँ। जैसे ही हम लोग उसके सामने जाकर बैठे मेरे तो होश ही उड़ गए"

"...और भी कुछ"

"हां एक बात और जब हमारे सिर पर साफा बांधा गया तो मुझे लगा कि मैं भी कहीं का राजकुमार हूँ"

"तुम तो वैसे भी राजकुमार हो"

"वो कैसे"

"मेरे दिल से पूछो न"

"ओह यू मीन...यस आई लव यू"

"शुक्रिया यह कहने के लिए...", आनंदिता ने कहा, "वहां और भी लोग तो थे तुम्हारे चाहने वाले"

"व्हाट डू यू मीन।.....अनुष्का.....नो...नो। मैंने वह स्कूल देखा जहां वह पढ़ने जाया करती थी"

"कैसा लगा"

"अंदर तो जा नहीं पाए लॉक डाउन की वजह से बंद था। बाहर से देखा, ठीक ही लगा"

"...और क्या क्या देखा"

"वहां खेलने कूदने की अच्छी फैसिलिटीज थीं"

"....और कुछ"

"क्या और कुछ, आनंदिता तुम क्या कहना चाह रही हो"

आनंदिता ने विक्टर के सीने पर अपने दोनों हाथ से हल्के हल्के मुक्के मारे और दौड़ कर अपने घर की ओर जाते हुए बोली, "तुम नहीं समझोगे छोड़ो भी..."

विक्टर की कुछ समझ में नहीं पा रहा था कि आनंदिता को अचानक क्या हो गया इसलिए उसके पीछे दौड़ते हुए बोला, "सुनो तो..."

लेकिन आनंदिता रुकी नहीं और अपने घर में जाकर घर के दरवाजे को जोर से बंद कर दिया। विक्टर चुपचाप अपने रूम में लौट आया। एस्टेले टीवी न्यूज़ देख रही थी। एक न्यूज जिसने विक्टर का ध्यान खींचा वह थी कि यूपी गवर्मेन्ट कोटा, राजस्थान सिटी से अपने फंसे हुए बच्चों को बस फ्लीट्स भेजकर रेस्क्यू करने जा रही है। उसने यह न्यूज अपनी मॉम और डैड का जाकर बताई। ऐरॉन ने टीवी स्विच ऑन कर देखना शुरू किया। पूरी न्यूज़ देखने के बाद उसने एमेलिया से कहा, "मुझे लगता है कि हमको भी अपनी एम्बेसी से बात करनी चाहिए हो सकता है कि वे लोग हमें रेस्क्यू कर सकें।

"मुझे भी लगता है फोन मिलाकर बात करो", एमेलिया ने कहा।

ऐरॉन ने तुरंत फोन अपनी एम्बेसी के फर्स्ट डेस्क ऑफिसर से बात की जिसने उसे बताया कि एम्बेसी स्टाफ गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से बातचीत कर रही है और अभी तक जो हमें पता लगा है उसके हिसाब से मई के फर्स्ट वीक के बाद हो सकता है कि वे हमें अपने सिटीजन्स को रेस्क्यू करने की परमिशन दे दें। वही बात ऐरॉन ने एमेलिया और विक्टर को बताई। विक्टर भी दौड़कर अपने कमरे में आया एस्टेले से बोला, "गुड न्यूज हम लोग हो सकता है जल्दी ही पेरिस जा सकेंगे"

"व्हाट"

"मैंने कहा हम लोग आने वाले दिनों में हो सकता है कि पेरिस जा सकें"

एस्टेले ने बेड से कूद कर अपने भाई को जोर से गले लगाया और खुशी से चिल्लाई, "ओह माइ गॉड एट लास्ट यू हैव हर्ड अस"

अपनी बात: आज यह एपिसोड लिखते वक़्त न जाने क्यों ख्यालों में उमराव जान 'अदा' की रेखा याद आ गई जब फ़ारुख शेख अपनी शादी का दावतनामा लेकर उसके सामने जा खड़े हुए थे। कुछ देर फ़ारुख की ओर फटी आंखों से देख कर जिस क़दर रेखा ने फ़ारुख का कुर्ता फाड़ा था। बस वही सीन याद आ गया।

क्रमशः

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