कलम से____
आप हमसे काश मिले होते
तो शायद हम सातवें आसमान पर होते
वक्त के साथ चलना सीखे होते
रेत पर दासतां अपनी हम लिखते
आगे आगे चलता मैं पीछे तुम रहते
परछाईं सी पीछे चलते तुम होते
मिलजुलकर जीवन की नैया खेते
नाव कागज की बना तैराया करते
सपने दिन में बुना करते
रातों को जागा करते
जीना किसे कहते हैं
जीके दिखाया करते........
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
आप हमसे काश मिले होते
तो शायद हम सातवें आसमान पर होते
वक्त के साथ चलना सीखे होते
रेत पर दासतां अपनी हम लिखते
आगे आगे चलता मैं पीछे तुम रहते
परछाईं सी पीछे चलते तुम होते
मिलजुलकर जीवन की नैया खेते
नाव कागज की बना तैराया करते
सपने दिन में बुना करते
रातों को जागा करते
जीना किसे कहते हैं
जीके दिखाया करते........
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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