Sunday, August 7, 2016

रिनीं खन्ना की कहानी उसकी जुबानी..


 रिनीं खन्ना की कहानी उसकी जुबानी..

आज कुछ मीठा न भी हो चलेगा पर कुछ हट के हो जाये......... एक नया प्रयोग।

एक लघु कथा।

रिंनी खन्ना, जी सही सुना आपने मेरा नाम रिंनी खन्ना ही है। आप से कुछ रोज़ पहले मुलाक़ात हुई थी तब मैं आपको समझ नहीँ पाई थी। अब बहुत बेहतर समझती हूँ मैं आपको......

यह कहानी एक रिंनी खन्ना की नहीँ वरन् उन तमाम रिंनी खन्ना जैसी लड़कियों की है जो आज समाज में अपनी जगह बनाते हुए एक आम ज़िंदगी जीना चाहतीं हैं।

रिंनी ने एक विज्ञापन क्या दिया, शांत तालाब में जैसे सैलाब आ गया। किसी ने कुछ कहा किसी ने कुछ। आखिर उस विज्ञापन में ऐसा क्या था जिस पर इतना बबाल हो गया।

रिंनी ने बस यही तो विज्ञापन दिया था कि एक अदद मर्द की ज़रूरत है जो उसके साथ रह सके।

समाज सेवी संस्थाओं ने रिंनी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया।कुछ मनचलों को यह विज्ञापन बहुत पसंद आया। कुछ बुजुर्गवार ने यह कह कर दुत्कार दिया कि हाय यह कैसा ज़माना आ गया है। मसलन जिसके मुँह जो आया कहा।

रिंनी इन सब से बेख़बर अपनी ही दुनियाँ में ज़िंदगी जी रही थी। उसकी सोच सबसे निराली जो थी।उसका मानना था कि जिंदगी जब तक अपने हिसाब से न जी जाये तो ऐसी ज़िंदगी का क्या मतलब? खासतौर पर किसी का ग़ुलाम बन कर रहना कम से कम उसके लिये मुनासिब नहीँ था।

बहरहाल, रिंनी ने यह तय कर लिया, कि वह किसी की नहीँ सुनेगी और अपने मन की कर के रहेगी। लिहाज़ा उसने उन आवेदनों पर गौर करना शुरू किया जिन्होंने उसके विज्ञापन के उत्तर में आये थे।

आवेदनों के गठ्ठर से उसने कुछ का चुनाव किया और एक एक कर आवेदकों को विभिन्न जगहों पर बुला कर interview की प्रक्रिया शुरू की।

उन आवेदकों में जो पहले नंम्बर पर आया उन सज्जन का नाम था, सुनील। सुनील को उसने Hotel Park में लंच पर बुलाया और एक लंबी चर्चा करी। पहले तो अपने बारे में बताया कि उसने आईआईएम( अहमदाबाद) से MBA किया है और वह एक multinational company में senior post पर है और उसका annual package लगभग 24 लाख रूपये है और निकट भविष्य में वह अमेरिका जा कर वहीँ settle होने की सोच रही है।

रिंनी ने पूछा, "आपका क्या विचार है?"

क्रमशः।
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Comments
Ram Saran Singh सर आगे की प्रतीक्षा रहेगी
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Rajan Varma भाई सॉ शुरुआत अच्छी अौर रोचक मध्य की अोर इशारा कर रही है; ये आपकी धारावाहिक अौर मुझे संशोधन/त्रुटि-दोष सुधार का कोई हक नहीं- पर मुझे लगता है कि advertisement का शार्ट-फ़ार्म 'ad' होना चाहिये न कि 'add'. It is giving a different meaning.
क्षमा चाहता हूँ इस दुस्साहस के लिये-
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S.p. Singh सुझाव मान्य है अभी correct कर रहा हूँ।
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Rajan Varma S.p. Singh जी सर- धन्यवाद
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S.p. Singh मैं अपनी ग़लती स्वीकारता हूँ। जब यह कहानी लिख रहा था तब दिमाग़ की घँटी नहीँ बजी और हिंदी का उचित शब्द भी ध्यान में नहीँ आ पाया इसलिए वह शब्द बस यूँ ही निकल गया। वैसे भी मैं words को spell करने में ग़लती कर ही जाता हूँ।

आपकी मदद समय समय पर मिलती रही है और आगे भी मिलेगी यही आशा रहेगी।...See More
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Rajan Varma S.p. Singh सर आपका लेख/धारावाहिक अत्रुटीय हो अौर सही अर्थ दर्शाये- बस यही सब मंशा है हम मित्रजनों की; शुभ इतवार
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Pankaj Pande कैमरे की आंख से कुछ नहीं छुपता। वाह!
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S.p. Singh
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Pooran Chandra Juyal Good morning sirji.
Bahut sunder.
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S.p. Singh सुप्रभात
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S.p. Singh
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Sanjay Bedi Waiting sir
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Neelesh B Sokey शुरूआत अच्छी है। धारावाहिक hit होगा ।
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S.p. Singh उम्मीद तो यही है
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S.p. Singh
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Rp Singh सुन्दर
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S.p. Singh धन्यवाद आप अपना आशीर्वाद दे रहे हैं तो इसे मैं और आगे तक ले जाऊँगा। कृपया साथ बने रहें, सुझाव कोई भी हो वह भी पोस्ट करें, जिससे सुधार किया जा सके।
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