रिनीं खन्ना की कहानी उसकी जुबानी..
आज कुछ मीठा न भी हो चलेगा पर कुछ हट के हो जाये......... एक नया प्रयोग।
एक लघु कथा।
रिंनी खन्ना, जी सही सुना आपने मेरा नाम रिंनी खन्ना ही है। आप से कुछ रोज़ पहले मुलाक़ात हुई थी तब मैं आपको समझ नहीँ पाई थी। अब बहुत बेहतर समझती हूँ मैं आपको......
यह कहानी एक रिंनी खन्ना की नहीँ वरन् उन तमाम रिंनी खन्ना जैसी लड़कियों की है जो आज समाज में अपनी जगह बनाते हुए एक आम ज़िंदगी जीना चाहतीं हैं।
रिंनी ने एक विज्ञापन क्या दिया, शांत तालाब में जैसे सैलाब आ गया। किसी ने कुछ कहा किसी ने कुछ। आखिर उस विज्ञापन में ऐसा क्या था जिस पर इतना बबाल हो गया।
रिंनी ने बस यही तो विज्ञापन दिया था कि एक अदद मर्द की ज़रूरत है जो उसके साथ रह सके।
समाज सेवी संस्थाओं ने रिंनी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया।कुछ मनचलों को यह विज्ञापन बहुत पसंद आया। कुछ बुजुर्गवार ने यह कह कर दुत्कार दिया कि हाय यह कैसा ज़माना आ गया है। मसलन जिसके मुँह जो आया कहा।
रिंनी इन सब से बेख़बर अपनी ही दुनियाँ में ज़िंदगी जी रही थी। उसकी सोच सबसे निराली जो थी।उसका मानना था कि जिंदगी जब तक अपने हिसाब से न जी जाये तो ऐसी ज़िंदगी का क्या मतलब? खासतौर पर किसी का ग़ुलाम बन कर रहना कम से कम उसके लिये मुनासिब नहीँ था।
बहरहाल, रिंनी ने यह तय कर लिया, कि वह किसी की नहीँ सुनेगी और अपने मन की कर के रहेगी। लिहाज़ा उसने उन आवेदनों पर गौर करना शुरू किया जिन्होंने उसके विज्ञापन के उत्तर में आये थे।
आवेदनों के गठ्ठर से उसने कुछ का चुनाव किया और एक एक कर आवेदकों को विभिन्न जगहों पर बुला कर interview की प्रक्रिया शुरू की।
उन आवेदकों में जो पहले नंम्बर पर आया उन सज्जन का नाम था, सुनील। सुनील को उसने Hotel Park में लंच पर बुलाया और एक लंबी चर्चा करी। पहले तो अपने बारे में बताया कि उसने आईआईएम( अहमदाबाद) से MBA किया है और वह एक multinational company में senior post पर है और उसका annual package लगभग 24 लाख रूपये है और निकट भविष्य में वह अमेरिका जा कर वहीँ settle होने की सोच रही है।
रिंनी ने पूछा, "आपका क्या विचार है?"
क्रमशः।
एक लघु कथा।
रिंनी खन्ना, जी सही सुना आपने मेरा नाम रिंनी खन्ना ही है। आप से कुछ रोज़ पहले मुलाक़ात हुई थी तब मैं आपको समझ नहीँ पाई थी। अब बहुत बेहतर समझती हूँ मैं आपको......
यह कहानी एक रिंनी खन्ना की नहीँ वरन् उन तमाम रिंनी खन्ना जैसी लड़कियों की है जो आज समाज में अपनी जगह बनाते हुए एक आम ज़िंदगी जीना चाहतीं हैं।
रिंनी ने एक विज्ञापन क्या दिया, शांत तालाब में जैसे सैलाब आ गया। किसी ने कुछ कहा किसी ने कुछ। आखिर उस विज्ञापन में ऐसा क्या था जिस पर इतना बबाल हो गया।
रिंनी ने बस यही तो विज्ञापन दिया था कि एक अदद मर्द की ज़रूरत है जो उसके साथ रह सके।
समाज सेवी संस्थाओं ने रिंनी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया।कुछ मनचलों को यह विज्ञापन बहुत पसंद आया। कुछ बुजुर्गवार ने यह कह कर दुत्कार दिया कि हाय यह कैसा ज़माना आ गया है। मसलन जिसके मुँह जो आया कहा।
रिंनी इन सब से बेख़बर अपनी ही दुनियाँ में ज़िंदगी जी रही थी। उसकी सोच सबसे निराली जो थी।उसका मानना था कि जिंदगी जब तक अपने हिसाब से न जी जाये तो ऐसी ज़िंदगी का क्या मतलब? खासतौर पर किसी का ग़ुलाम बन कर रहना कम से कम उसके लिये मुनासिब नहीँ था।
बहरहाल, रिंनी ने यह तय कर लिया, कि वह किसी की नहीँ सुनेगी और अपने मन की कर के रहेगी। लिहाज़ा उसने उन आवेदनों पर गौर करना शुरू किया जिन्होंने उसके विज्ञापन के उत्तर में आये थे।
आवेदनों के गठ्ठर से उसने कुछ का चुनाव किया और एक एक कर आवेदकों को विभिन्न जगहों पर बुला कर interview की प्रक्रिया शुरू की।
उन आवेदकों में जो पहले नंम्बर पर आया उन सज्जन का नाम था, सुनील। सुनील को उसने Hotel Park में लंच पर बुलाया और एक लंबी चर्चा करी। पहले तो अपने बारे में बताया कि उसने आईआईएम( अहमदाबाद) से MBA किया है और वह एक multinational company में senior post पर है और उसका annual package लगभग 24 लाख रूपये है और निकट भविष्य में वह अमेरिका जा कर वहीँ settle होने की सोच रही है।
रिंनी ने पूछा, "आपका क्या विचार है?"
क्रमशः।
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