Sunday, March 29, 2015

तस्वीर की मांग में !



कलम से____

मेरी एक तस्वीर
बहुत पहले जो तुमने 
कैनवस पर उतारी थी

मेरी जिंदगी में जब
दाखिल तुम हुये थे
आड़ी-तिरछी चंद लकीरों
को सलीके से लगा कर
पूरी करी थी,
मुझे आज अधूरी सी लगी
रुक न पाई मैं,
ब्रश उठ गया अचानक
बस एक रंग की
कमी सी लगी
रंग वो मैंने
भर दिए हैं,
तस्वीर की मांग में !

अब बस इंतजार है
तुम्हारे आने भर का
हर आहट पर लगता है
तुम आ गये.......

©सुरेंद्रपालसिंह 2015http://spsinghamaur.blogspot.in/

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