कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Saturday, March 7, 2015
तेरी याद आज फिर आ गई.....
कलम से____
तू फिर आज
आकर रुला गई
तेरी याद
आज फिर आ गई......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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