Sunday, June 21, 2015

साथ रहे बस तेरा कयामत तक याद में तेरी आँख फिर भर आई है ।



साथ रहे बस तेरा कयामत तक
याद में तेरी आँख फिर भर आई है ।



कलम से____

जब जब की है हमने चौबारे में खुदाई
हमें चारों ओर तेरी सूरत है नज़र आई।
खत ढूँढता रहा हूँ कोने में रखी पोटली में
हर वक्त नसीहत ही तेरी याद आई है ।
अंधेरे जिंदगी का पीछा छोड़ते नहीं
आशीर्वाद ने तेरे ऊम्मीद-ए-लौ जलाईं है।
हार न मानूँगा मैं हालात से इस कदर
लडूगाँ तूने की जो हौसलाअफजाई है।
साथ रहे बस तेरा कयामत तक
याद में तेरी आँख फिर भर आई है ।

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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