Friday, June 12, 2015

प्राण मेरे हैं तुझमें समाए हुए....



कलम से____

सांसों का आना जाना चलता रहा
एक बस तुम न आए
अरमानों की दुनियाँ सजती रही
बस एक तुम न आए
तमन्ना यही थी दर्शन प्रभु दोगे अवश्य
बस एक तुम न आए
मानूँगा नहीं ऐसे मैं तुमको आना ही होगा
प्राण मेरे हैं तुझमें समाए हुए....

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment