Saturday, June 27, 2015

मन के भीतर की बात तो बात आगे बढ़े कहानी कुछ आगे चले मैं चलूँ, तू चले, जमाना चले......



कलम से____

जब से यह जाना है कि
तुम्हारी नज़र है मुझ पर
देखती हो 
अपनेपन के अंदाज में
पढ़ती हो मेरी हर रचना को
लफ्ज दर लफ्ज
समझने की कोशिश करती हो
जो मैं नहीं कहता
मतलब वो
समझती हो

तब से मैं भी
एतिहात बरतता हूँ
बेफिक्र रहता था
फिक्र अब करता हूँ
अपनी हर पोस्ट पर
ध्यान बहुत देता हूँ
कहीं कुछ छूट न जाए
कुछ ऐसा न हो जाये
कुछ वैसा न हो जाये
कुछ अनकहा रह न जाये
हर कोने से देखता हूँ
तराशता हूँ बार बार
एक शहकार की तरह

जो तुम्हें पसंद हो
तुम्हारी नज़रो को दिखे
ख्याल इसका करता हूँ
पहले ऐसा न था मैं
तुम्हारा ख्याल
अब हर बात में रखता हूँ
बदलाव जो आया है यह
क्या तुम जानती हो?
बताओ तो जरा
मन के भीतर की बात
तो बात आगे बढ़े
कहानी कुछ आगे चले
मैं चलूँ, तू चले, जमाना चले......

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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