ख्वाब कभी हुकूमतों के मोहताज़ नहीं होते
कलम से______
प्रेम सदैब ही मुक्त रहता संदेह के दायरों से
ख्वाब कभी हुकूमतों के मोहताज़ नहीं होते
बुलबुले फूटने के लिए जन्म नहीं लेते
पृथ्वी की हलचल और प्रकृति की भाषा
अनजान लोगों की गुफ्तगू में शरीक़ नहीं होते
सारे हौसले एकाकीपन में पस्त नहीं होते।
इस जीवन के सभी पात्र गर सजीव होते
सभी मानव मृत भावनाओं से नहीँ खेलते
समाप्ति की ओर कभी न सम्बंध बढ़ते
अपरिभाषित बंधनों से दूर दूर ही रहते.....
बासी कभी सम्बंध प्रेम के देखे नहीँ होते
सारे हौसले एकाकीपन में पस्त नहीं होते
बस अपने ही लोग जज़्बातों मेँ बहे न होते
फूल बाग़ में गर हर रोज़ खिले जो होते।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://
No comments:
Post a Comment