मन करता है कोई अब ऐसा मिले
जो अपना सा लगे......
जो अपना सा लगे......
कलम से______
मन करता है कोई अब ऐसा मिले
जो अपना सा लगे......
दिखने को तो बहुत हँसी दिखते हैँ
मन भीतर जो समा जाये तो कुछ बात बने
मन करता है कोई अब ऐसा मिले
जो अपना सा लगे......
बनने को दोस्त हो जायेंगे वो तैयार
टकरा लेंगें जाम भी दो एक बार
ग़म हमारे जो अपना लें तो कुछ बात बने
तो वो अपना सा लगे......
मिले थे इस ज़माने में ऐसे कई लोग
कहते थे भाई से गर मिल जाये भाई
कमल सा फ़ूल ह्रदय में खिले
कोई बात अपनी सी लगे......
हाथ मेरा हाथ ले कहने लगे वो
चलो आज मेहँदी हम लगाते हैं
रची खूब हथेली मेरे अपनी सी लगे
वो आज बहुत अपने से लगे
चांदनी बिखरी है अंगना हमारे
चन्द्रमा देख हमें आसमां में हँसे
खुशिओं की कमी न आये कभी
मन बस यही सोचा करे......
जब भी मिले हो यहाँ या वहां
वापस जाने की ही बात करते हो
आओ जो इक बार फिर वापस न जाओ
मन बस अब यही कहे.......
मन करता है कोई अब ऐसा मिले
जो अपना सा लगे......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
मन करता है कोई अब ऐसा मिले
जो अपना सा लगे......
दिखने को तो बहुत हँसी दिखते हैँ
मन भीतर जो समा जाये तो कुछ बात बने
मन करता है कोई अब ऐसा मिले
जो अपना सा लगे......
बनने को दोस्त हो जायेंगे वो तैयार
टकरा लेंगें जाम भी दो एक बार
ग़म हमारे जो अपना लें तो कुछ बात बने
तो वो अपना सा लगे......
मिले थे इस ज़माने में ऐसे कई लोग
कहते थे भाई से गर मिल जाये भाई
कमल सा फ़ूल ह्रदय में खिले
कोई बात अपनी सी लगे......
हाथ मेरा हाथ ले कहने लगे वो
चलो आज मेहँदी हम लगाते हैं
रची खूब हथेली मेरे अपनी सी लगे
वो आज बहुत अपने से लगे
चांदनी बिखरी है अंगना हमारे
चन्द्रमा देख हमें आसमां में हँसे
खुशिओं की कमी न आये कभी
मन बस यही सोचा करे......
जब भी मिले हो यहाँ या वहां
वापस जाने की ही बात करते हो
आओ जो इक बार फिर वापस न जाओ
मन बस अब यही कहे.......
मन करता है कोई अब ऐसा मिले
जो अपना सा लगे......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://
No comments:
Post a Comment