रास्ते बदल जाते हैं , मंजिलें बदल जाती हैं ,
क्यों नहीं बदलते दिल,
जो तकदीरें बदल जाती हैं ,
दिल वहीं रहता है ,
यादों की अनगिनत परछाइयाँ ले कर,
आँखों की नमी छुपा कर नजरें बदल जाती है ,
रुह रहती है हर लम्हा अश्कवार लब हंसते हैं
बाहर और अंदर किस तरह फिजाएँ बदल जाती है
कोइ होता है रफ्ता- रफ्ता जिंदगी से दूर,
हाथों की लकीरें क्यूँ अकसर बदल जाती हैं ।
Ramaa Singh
No comments:
Post a Comment