Thursday, October 15, 2015

नंगे पाँव तुम्हारे ही नहीं हमारे भी हैं


कलम से____

नंगे पाँव
तुम्हारे ही नहीं
हमारे भी हैं
पाँव में
छाले तुम्हारे ही नहीं
हमारे भी हैं
हम दाग़ दिल के छिपा लेते हैं
कुछ उनके अफसाने बना देते हैं........

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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