Wednesday, October 14, 2015

कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ लौट चलूँ।


कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ लौट चलूँ।




कलम से____

कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ लौट चलूँ।

करते थे जब प्यार यहाँ फिर लाकर कैसे छोड़ गए
साथ आए थे दूर और करीब के रिश्तेदार
साथ निभाया यहाँ तक फिर यहाँ लाकर छोड गए
दफन कर फर्ज अपना निभाकर मुछे यहाँ छोड गए
कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ लौट चलूँ।

हारसिगांर की सेज पर बैठ कर कीं थीं जो बातें
उन तुम इतनी आसानी से कैसे भूल गए
रातरानी महकती थी रात भर फिजाओं में
दिए से ही सही रौशन होती रही रातें
याद आती हैं वो मोहब्बत में डूबी बातें
वो हसीन लम्हात तुम कैसे भूल गए
कहो अभी भी तो तुम्हारे साथ लौट चलूँ।

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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