बीत गई अब मिलन की बेला !!!
कलम से____
बीत गई अब मिलन की बेला !!!
धुंधले मन से निकली
उर-तन्त्री की पीड़ा
कहती है समाप्त है
अब यह जीवन लीला !!
बीत गई अब मिलन की बेला !!!
उर-तन्त्री की पीड़ा
कहती है समाप्त है
अब यह जीवन लीला !!
बीत गई अब मिलन की बेला !!!
आकाश में गतिविहीन सितारे
रहे मांग साथ दोनों हाथ पसारे
भाग्यविहीन से रहे आजीवन
खाली हाथों दुख दिन भर झेला !!
बीत गई अब मिलन की बेला !!!
रहे मांग साथ दोनों हाथ पसारे
भाग्यविहीन से रहे आजीवन
खाली हाथों दुख दिन भर झेला !!
बीत गई अब मिलन की बेला !!!
मनवा हो रहा बिचिलित
लयताल श्वासों का टूटा
आस मिलन की लिए,
अंतस खाली खाली सा डोला !!
बीत गई अब मिलन की बेला !!!
लयताल श्वासों का टूटा
आस मिलन की लिए,
अंतस खाली खाली सा डोला !!
बीत गई अब मिलन की बेला !!!
नभ में विचरण करता
आकुल व्याकुल सा
राह नीड़ की खोज रहा है,
बिछड़ा पंक्षी एक अकेला !!
बीत गई अब मिलन की बेला !!!
आकुल व्याकुल सा
राह नीड़ की खोज रहा है,
बिछड़ा पंक्षी एक अकेला !!
बीत गई अब मिलन की बेला !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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