कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Thursday, May 21, 2015
तू फिर आज आकर रुला गई तेरी याद आज फिर आ गई......
कलम से____
तू फिर आज
आकर रुला गई
तेरी याद
आज फिर आ गई......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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