उनके मेरे आलिंगनपाश
मे आने का उदघोष कर रहे हैं
मे आने का उदघोष कर रहे हैं
कलम से____
7th May, 2015
हे मन
तू सध जा
तनिक
और
रुक जा !
संध्या
हो गयी,
निमंत्रण
नहीं आया,
इंतजार
कुछ और करना होगा,
चाँदनी रात को,
कुछ देर और ठहरना होगा !
जुगनू
मेरे आगे-पीछे,
घूम-घूम,
कुछ कहने
का प्रयास कर रहे हैं,
खुद-ब-खुद
उनके मेरे आलिंगनपाश
मे आने का उदघोष कर रहे हैं !
7th May, 2015
हे मन
तू सध जा
तनिक
और
रुक जा !
संध्या
हो गयी,
निमंत्रण
नहीं आया,
इंतजार
कुछ और करना होगा,
चाँदनी रात को,
कुछ देर और ठहरना होगा !
जुगनू
मेरे आगे-पीछे,
घूम-घूम,
कुछ कहने
का प्रयास कर रहे हैं,
खुद-ब-खुद
उनके मेरे आलिंगनपाश
मे आने का उदघोष कर रहे हैं !
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
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