कलम से____
जिस शहर में रहता हूँ मैं
बढ़ कितना गया है न पूछो
फंस गई है मछली जाल में
कितना रोया है ताल मत पूछो
संध्या ने छिपा लिया है सूरज
अधेंरो की चाल के बाबत न पूछो
मिलने का वादा था उनका
आये न क्यों हमसे मत पूछो
दुश्मन जो न कर पाये
दोस्तों के कमाल मत पूछो
जियेंगें जहान में किसकी खातिर
यह सवाल हमसे ने पूछो
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
जिस शहर में रहता हूँ मैं
बढ़ कितना गया है न पूछो
फंस गई है मछली जाल में
कितना रोया है ताल मत पूछो
संध्या ने छिपा लिया है सूरज
अधेंरो की चाल के बाबत न पूछो
मिलने का वादा था उनका
आये न क्यों हमसे मत पूछो
दुश्मन जो न कर पाये
दोस्तों के कमाल मत पूछो
जियेंगें जहान में किसकी खातिर
यह सवाल हमसे ने पूछो
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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