शब के होते होते दोनों ही जल गये
किसको समझें शमा-ये-महफिल किसको दीवाना कहें !
किसको समझें शमा-ये-महफिल किसको दीवाना कहें !
कलम से____
27th May, 2015/ Kaushambi
कोई प्यार से पूछे तो उसे हम क्या कहें
हम तो वो हैं जिसे अपने भी बेगाना कहें !
क्या कहके पुकारे जायेंगे हम जैसे वहाँ
होश वालों को जहाँ लोग दीवाना कहें !
तनहाई में आज फिर आँख से टपके हैं आँसू
बहलाने को जी आज हम अपना अफसाना कहें !
उनसे बनी हुई है रौनक कत्ले-निगाह की
कहने वाले मुझे बेकार ही उनका दीवाना कहें !
शब के होते होते दोनों ही जल गये
किसको समझें शमा-ये-महफिल किसको दीवाना कहें !
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
27th May, 2015/ Kaushambi
कोई प्यार से पूछे तो उसे हम क्या कहें
हम तो वो हैं जिसे अपने भी बेगाना कहें !
क्या कहके पुकारे जायेंगे हम जैसे वहाँ
होश वालों को जहाँ लोग दीवाना कहें !
तनहाई में आज फिर आँख से टपके हैं आँसू
बहलाने को जी आज हम अपना अफसाना कहें !
उनसे बनी हुई है रौनक कत्ले-निगाह की
कहने वाले मुझे बेकार ही उनका दीवाना कहें !
शब के होते होते दोनों ही जल गये
किसको समझें शमा-ये-महफिल किसको दीवाना कहें !
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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