कलम से ____
जान हो तुम मेरी कह गया कोई
मर गया तन्हा इंतजार में कोई।
बयां कर न पाऊँगा उस सैर की बानी
मिले न चैन बहार में अब कोई।
आ गया हूँ छोड़कर अपनी दुनियां
पिला दे जाम साकिया अब कोई।
जिक्र उस रात का क्या करूँ मैं
सिर रखके तेरी गोद में सो गया कोई।
भूल न जाना शहीदों को
चैन की नींद सो रहा है वहाँ कोई।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
जान हो तुम मेरी कह गया कोई
मर गया तन्हा इंतजार में कोई।
बयां कर न पाऊँगा उस सैर की बानी
मिले न चैन बहार में अब कोई।
आ गया हूँ छोड़कर अपनी दुनियां
पिला दे जाम साकिया अब कोई।
जिक्र उस रात का क्या करूँ मैं
सिर रखके तेरी गोद में सो गया कोई।
भूल न जाना शहीदों को
चैन की नींद सो रहा है वहाँ कोई।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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