Tuesday, May 5, 2015

फूलों पर बहार कुछ ही दिनों की है





कलम से____

फूलों पर बहार कुछ ही दिनों की है
मेरा बजूद बस इन्हीं की जरूरत है
ज़माने ने तो भुला ही दिया है... See More
 — with Puneet Chowdhary.

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