कलम से____
कचनार।
तोडी नहीं जाती है कच्ची कली कचनार की
फूलों के बाजार में यह कहावत तो सुनी ही होगी।
गुलाबी और सुफैद रंगो से रहती है सजी
हरे भरे पेड़ पर लगती है कली कचनार की।
माली बाग का वोले यही दिल में है समाती
अद़ब से कही गई सुदंर तारीफ सी है लगती।
सामने खड़े हो भगवान के कहता है पुजारी
बात इतनी सी कानों को कितनी है सुहाती।
कोठा लखनऊ पर खालाज़ान जब ये बोले
दिल को चुभती है खराब गाली सी है लगती।
कहते हैं अक्सर कहावतें यूँ ही नहीं बनतीं
हर कहानी एक आसूँ भरी दास्तां है कहती।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
कचनार।
तोडी नहीं जाती है कच्ची कली कचनार की
फूलों के बाजार में यह कहावत तो सुनी ही होगी।
गुलाबी और सुफैद रंगो से रहती है सजी
हरे भरे पेड़ पर लगती है कली कचनार की।
माली बाग का वोले यही दिल में है समाती
अद़ब से कही गई सुदंर तारीफ सी है लगती।
सामने खड़े हो भगवान के कहता है पुजारी
बात इतनी सी कानों को कितनी है सुहाती।
कोठा लखनऊ पर खालाज़ान जब ये बोले
दिल को चुभती है खराब गाली सी है लगती।
कहते हैं अक्सर कहावतें यूँ ही नहीं बनतीं
हर कहानी एक आसूँ भरी दास्तां है कहती।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://
No comments:
Post a Comment