कलम से____
इन्सान एक भी नज़र मुझे आया नहीं है।
तबीयत लगेगी कैसे किसी की यहाँ
दर्द बांटने को
कोई आता ही नहीं है।
आँखों की रौशनी है सबब परेशानी की यहाँ
अधेंरे दिल के रहते हैं रौशनी खोजते यहाँ।
किरण आशा की बस नज़र एक आती है
पास आके पूछे अन्जान, आप अच्छे तो हो यहाँ।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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