कलम से____
शुरूआती दौर की बात है, नई नई नौकरी लगी थी ITI में। 'नोट' वगैर लिखे काम नहीं चलता था। कुछ भी करना हो तो 'नोट'। न करना हो थो 'नोट'। बहरहाल वगैर 'नोट' के गुज़ारा नहीं था। Sorry don't mistake me for currency note. I am referring to a Note on the Notesheet of a Government file.
मैं बेहतर से बेहतर नोट लिखता और कोशिश रहती कि सभी बिंदुओं पर विशिष्ट ध्यान आकर्षित करते हुए अपने बिंदु पर रहूँ और जिसका अनुमोदन प्राप्त करना हो वह काम हो जाय।
इस बात में मुझे mastery हासिल थी ऐसा मेरे दोस्त और वरिष्ठ अधिकारी कहते थे, मैं नहीँ।
हमारे जनरल मैनेजर साहब, जो कि भारत सरकार के उच्च अधिकारी रह चुके थे, मेरी नोटिंग्स पढ़ कर बहुत प्रभावित होते थे और मुझे लगता था कि चलो अपना काम बन गया।
परंतु ऐसा हुआ नहीं कि उन्होंने कोई भी प्रस्ताव एक बार में मान लिया हो। हर बार यह कह कर कि इसको इस दृष्टिकोण से और देख लो और फिर फाइल वापस मेरे पास।मैं भी था, थोड़ा ज़िद्दी स्वभाव का। जो कहते, उस बिन्दु पर फिर नोटिंग लिख फिर फाइल उनकी सेवा में भेज दिया करता था।
मज़बूरन उनको तब फाइल पर लिखे प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति देनी पड़ती थी। आज भी यह सब फाइलें रिकार्ड रूम की शोभा बढ़ा रही होंगी, रायबरेली इकाई में।
जब कभी ऐसा होता था, तब हम अपने साथियों के बीच एक जुमला कहते थे और दिल खोल कर हँस भी लिया करते थे। वह था :-
" Jhnony won't hit today मूड था साहब का, पर आज hit करने पर मज़बूर कर ही दिया जी एम साहब को।"
I thought that this anactode let me share today with my Facebook friends because some of you who are yet in job may be having such difficult boss to deal with.
शुक्रिया।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
शुरूआती दौर की बात है, नई नई नौकरी लगी थी ITI में। 'नोट' वगैर लिखे काम नहीं चलता था। कुछ भी करना हो तो 'नोट'। न करना हो थो 'नोट'। बहरहाल वगैर 'नोट' के गुज़ारा नहीं था। Sorry don't mistake me for currency note. I am referring to a Note on the Notesheet of a Government file.
मैं बेहतर से बेहतर नोट लिखता और कोशिश रहती कि सभी बिंदुओं पर विशिष्ट ध्यान आकर्षित करते हुए अपने बिंदु पर रहूँ और जिसका अनुमोदन प्राप्त करना हो वह काम हो जाय।
इस बात में मुझे mastery हासिल थी ऐसा मेरे दोस्त और वरिष्ठ अधिकारी कहते थे, मैं नहीँ।
हमारे जनरल मैनेजर साहब, जो कि भारत सरकार के उच्च अधिकारी रह चुके थे, मेरी नोटिंग्स पढ़ कर बहुत प्रभावित होते थे और मुझे लगता था कि चलो अपना काम बन गया।
परंतु ऐसा हुआ नहीं कि उन्होंने कोई भी प्रस्ताव एक बार में मान लिया हो। हर बार यह कह कर कि इसको इस दृष्टिकोण से और देख लो और फिर फाइल वापस मेरे पास।मैं भी था, थोड़ा ज़िद्दी स्वभाव का। जो कहते, उस बिन्दु पर फिर नोटिंग लिख फिर फाइल उनकी सेवा में भेज दिया करता था।
मज़बूरन उनको तब फाइल पर लिखे प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति देनी पड़ती थी। आज भी यह सब फाइलें रिकार्ड रूम की शोभा बढ़ा रही होंगी, रायबरेली इकाई में।
जब कभी ऐसा होता था, तब हम अपने साथियों के बीच एक जुमला कहते थे और दिल खोल कर हँस भी लिया करते थे। वह था :-
" Jhnony won't hit today मूड था साहब का, पर आज hit करने पर मज़बूर कर ही दिया जी एम साहब को।"
I thought that this anactode let me share today with my Facebook friends because some of you who are yet in job may be having such difficult boss to deal with.
शुक्रिया।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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