कलम से____
मेरी मदद करिए कृपया यह बता दीजिए,
नहीं बहे बसंती बयार, तो भी क्या यही मधुमास है।
हर साल बसंत ऋतु आती थी उमंग सी छा जाती थी,
अबके सुस्ती सुस्ती सी छाई है, क्या यही बसंत है।
अबके रजाई छोड़ी नहीं जाती है ठंढ बहुत सताती है
मौसम ने ली अंगडाई है, क्या यही बसंत है।
अमराई में दिखा नहीं है बौर होंगे कैसे आम
चिंता रही है बहुत सताय, क्या यही बसंत है।
पलाश पर दिखे न कोई बहार, टेसू भी हुआ निढ़ाल
रंग बिहीन है फिज़ा कैसे खेलेंगे फाग, क्या यही बसंत है।
तुम कहलाते हो ऋतुराज कहाँ कर रहे हो निवास
दुखी है मनुवा लगे न यह मधुमास, यह कैसा बसंत है।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
मेरी मदद करिए कृपया यह बता दीजिए,
नहीं बहे बसंती बयार, तो भी क्या यही मधुमास है।
हर साल बसंत ऋतु आती थी उमंग सी छा जाती थी,
अबके सुस्ती सुस्ती सी छाई है, क्या यही बसंत है।
अबके रजाई छोड़ी नहीं जाती है ठंढ बहुत सताती है
मौसम ने ली अंगडाई है, क्या यही बसंत है।
अमराई में दिखा नहीं है बौर होंगे कैसे आम
चिंता रही है बहुत सताय, क्या यही बसंत है।
पलाश पर दिखे न कोई बहार, टेसू भी हुआ निढ़ाल
रंग बिहीन है फिज़ा कैसे खेलेंगे फाग, क्या यही बसंत है।
तुम कहलाते हो ऋतुराज कहाँ कर रहे हो निवास
दुखी है मनुवा लगे न यह मधुमास, यह कैसा बसंत है।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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