कलम से_____
इस वीकेंड
पर बाहर चलेंगे
यह प्रोग्राम तुम्हारा था
कहाँ हो तुम
बताते नहीं हो
मोबाइल भी बंद है
ट्रेन भी आती नहीं है
सरदी है बढ़ती जा रही
खुले में
इस छोटे से
स्टेशन पर
करूँ इंतजार मैं
कब तक
समझ कुछ नहीं आ रहा है...
................दूर बहुत दूर
कोई आ रहा है, तुम ही हो
दिल मेरा कह रहा है...
चलो अच्छा हुआ
तुम आ गए
बेचैन था दिल
कुछ दम आ गया है
नहीं ट्रेन आई
कुछ बिगड़ा नहीं है
छोड़ो नहीं जाएंगे
अब कहीं और हम
घर ही चलो
चलते है हम
वहीं कुछ शुगल करेंगे
लगा कर आग लकड़ियों में
शाम रंगीन अपनी करेंगे
और भी सोचो
जो न कर सके
वह काम हम दोनों करेंगे
.....
.......
परिवार के साथ कभी रहे नहीं
पल दो पल उनके साथ जिएंगे
खुशियाँ में उनकी शरीक होकर
थोड़ा सा ही सही खुश हो लेंगे !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
इस वीकेंड
पर बाहर चलेंगे
यह प्रोग्राम तुम्हारा था
कहाँ हो तुम
बताते नहीं हो
मोबाइल भी बंद है
ट्रेन भी आती नहीं है
सरदी है बढ़ती जा रही
खुले में
इस छोटे से
स्टेशन पर
करूँ इंतजार मैं
कब तक
समझ कुछ नहीं आ रहा है...
................दूर बहुत दूर
कोई आ रहा है, तुम ही हो
दिल मेरा कह रहा है...
चलो अच्छा हुआ
तुम आ गए
बेचैन था दिल
कुछ दम आ गया है
नहीं ट्रेन आई
कुछ बिगड़ा नहीं है
छोड़ो नहीं जाएंगे
अब कहीं और हम
घर ही चलो
चलते है हम
वहीं कुछ शुगल करेंगे
लगा कर आग लकड़ियों में
शाम रंगीन अपनी करेंगे
और भी सोचो
जो न कर सके
वह काम हम दोनों करेंगे
.....
.......
परिवार के साथ कभी रहे नहीं
पल दो पल उनके साथ जिएंगे
खुशियाँ में उनकी शरीक होकर
थोड़ा सा ही सही खुश हो लेंगे !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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