कलम से____
उमड़ता हो मचलता हो
धड़कता हो सीने में ,
ये सारी नेंमतें हो तो..
मज़ा आता है जीने में ,
तसव्बुर में कोई आए
आके रुसवा भी कर जाये
तक्कलुफ़ इस तरह हो ,
तो मज़ा आता है पीने में....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
उमड़ता हो मचलता हो
धड़कता हो सीने में ,
ये सारी नेंमतें हो तो..
मज़ा आता है जीने में ,
तसव्बुर में कोई आए
आके रुसवा भी कर जाये
तक्कलुफ़ इस तरह हो ,
तो मज़ा आता है पीने में....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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