चाहती हूँ काश मुझे कोई ऐसा मिले
मन जिससे बार बार मिलने को करे
मथ ड़ाले मेरे भीतर के समंदर को
निकाल ले मणिरत्नम हैं जो वहाँ पड़े!
मन जिससे बार बार मिलने को करे
मथ ड़ाले मेरे भीतर के समंदर को
निकाल ले मणिरत्नम हैं जो वहाँ पड़े!
कलम से____
कैसा होता है मन सुन्दरता का मानसरोवर
कैसा होता है तन सुन्दरता का शिखर
चाहती हूँ काश मुझे कोई ऐसा मिले
मन जिससे बार बार मिलने को करे
मथ ड़ाले मेरे भीतर के समंदर को
निकाल ले मणिरत्नम हैं जो वहाँ पड़े
लंबे अरसे से तलाश है मुझको
मुझे एक शक्सियत ऐसी मिले
देखते ही जिसे मुझे कुछ ऐसा लगे
मिट गए सब पाप इस जीवन के
कट गए हों सब बंधन जैसे
मिल गया हो मोक्ष इसी काया में
इसी आस में जीवन चले
चाहती हूँ, काश मुझे कोई ऐसा मिले........
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
कैसा होता है तन सुन्दरता का शिखर
चाहती हूँ काश मुझे कोई ऐसा मिले
मन जिससे बार बार मिलने को करे
मथ ड़ाले मेरे भीतर के समंदर को
निकाल ले मणिरत्नम हैं जो वहाँ पड़े
लंबे अरसे से तलाश है मुझको
मुझे एक शक्सियत ऐसी मिले
देखते ही जिसे मुझे कुछ ऐसा लगे
मिट गए सब पाप इस जीवन के
कट गए हों सब बंधन जैसे
मिल गया हो मोक्ष इसी काया में
इसी आस में जीवन चले
चाहती हूँ, काश मुझे कोई ऐसा मिले........
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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