एक दिन और ढ़ेर
हो गया
जिन्दगी
एक सीढी
और चढ़ गई.....
जाते जाते
शाम न्योता दे गई...
आना मिल बैठेंगे
कुछ अपनी कह लेंगें
कुछ तेरी सुन लेंगें
जीवन में रंग नये भर लेंगें...
राम राम जी !
हो गया
जिन्दगी
एक सीढी
और चढ़ गई.....
जाते जाते
शाम न्योता दे गई...
आना मिल बैठेंगे
कुछ अपनी कह लेंगें
कुछ तेरी सुन लेंगें
जीवन में रंग नये भर लेंगें...
राम राम जी !
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