कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Monday, August 24, 2015
खुमारी अभी उतरी नहीं है कल रात की गूँज रही है अभी तलक गजल आपकी.
खुमारी अभी उतरी नहीं है कल रात की
गूँज रही है अभी तलक गजल आपकी.
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