Tuesday, August 25, 2015

जीवन के कुछ पल उसको दे दो।



बंद जो है पिंजरे में व्याकुल
भूला बैठा है जो
दुख जतलाने की भाषा
वाणी के कुछ क्षण उसको भी दे दो।



कलम से____

भटक गया है जो जीवन में
सही राह चले कुछ ऐसा तुम कर दो
बुझे हुए दीपक को
अंजुलि भर प्रकाश तुम दे दो।

बिखराते हो जो तुम भू पर
सोने की किरणें
एक किरण उसको भी दे दो
भाल उसका आलोकित तुम कर दो।

जगा रहे हो तुम
दल दल के कमलों की आँखो को
उनके सोये सपनों को
एक किरण उसको भी दे दो।

बंद जो है पिंजरे में व्याकुल
भूला बैठा है जो
दुख जतलाने की भाषा
वाणी के कुछ क्षण उसको भी दे दो।

एक मात्र एक स्वप्न
उसके सोये मन में
जागृत कर दो
जीवन के कुछ पल उसको दे दो।

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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