Monday, August 24, 2015

कभी पास बैठ कर तो देखो




कलम से____

कभी पास बैठ कर तो देखो
फूल कैसे है खिलता
जब है खिलता 
तो कैसे है महकता
चुपके चुपके वो
अपनी व्यथा है कहता
जब वो है चटकता
खिलखिला के है हँसता
कभी वो बेकरारी से
इंतजार किसी का है करता
कभी वो किसी भँवरे के
राह देखा है करता
कभी वो बागँवा की राह है तकता
कभी वो फूल चुनने वाले का
इंतजार करता है रहता
कभी वो मुरझा के
बिखरने की चाह है रखता
फूल है इसलिए वो हर किसी को
खुश करने की कोशिश में लगा है रहता
कांटों में खिलके भी मुस्कुराता है रहता ....

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment