कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Saturday, July 18, 2015
दफ्न हो गये अहसासों को जगाया न करो
दफ्न हो गये अहसासों को जगाया न करो
जब तुम्हें याद आयें तो हमें बुलाया न करो।
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