Wednesday, July 22, 2015

प्यास लगी थी गज़ब की मगर पानी मे ज़हर था



कलम से_____

यूँ समँझ लो....

प्यास लगी थी गज़ब की
मगर पानी मे ज़हर था
देदी जो होती थोड़ी सी शराब
पल दो पल के ही लिये
जिंदगी तो जी लेते जनाब....

पीते तो मर जाते
और ना पीते तो भी मर जाते
ग़म तो नहीं मनाता ये जमाना
बस आता कभी कभी रुलाना

बस यही दो एक मसले,
जिंदगी भर ना हल हुए !!
ना नींद पूरी हुई,
ना ख्वाब मुकम्मल हुए !!

बस यूँही समझ लो
जिदंगी हम जीते रहे !!

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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