कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Sunday, July 12, 2015
बरसोगे यहाँ या सौतन के जंहा.....
उमड घुमड करते आये तो हो
बरसोगे यहाँ या सौतन के जंहा.....
बस अभी
हमारे घर के ऊपर
आकाश में
घिर आये हैं, बदरा।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment