Kanpur Smart City
Smart Cities in UP(India): Kanpur
British Time Spelled as Cawanpore
Kanpur भी smart city बन ही जाएगा अगर मोदीजी की मानें तो। पर एक शर्त है कि बीजेपी को कम से कम अगले चुनाव में विजय दिला देना। डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी जी को अगले चुनाव में हरा देना और मोदीजी को चुन लेना।जोशी जी ग्यानी ध्यानी और पढ़े लिखे हैं। राजनीति में पढ़े लिखे लोगों के लिए गुंजाइश नहीं है।
कानपुर एक वो शहर है जिसने गंगा जी का कूड़ा किया है। है तो पुराना शहर जाना माना अपने कपड़ा उद्योग के लिए। ब्रिटिश वक्त में इसे मैनचेस्टर के नाम से जाना जाता था। उससे पहले इसका ऐतिहासिक दर्जा भी प्राप्त है। रानी झांसी का बचपन यहीं बिठूर में नानाजी के यहाँ गुजरा था।
उद्योग की भरमार के कारण भीड़भाड़ और मारामारी लगी ही रहती है। ठेला ठिलया जाम एक आम बात। गंदगी तो यहाँ की नस नस में रमी बसी है।
जूता और टेनरी का काम इतना बढ़ा कि गंगा की रेड़ मार दी। आज कानपुर बीमार है। लचीली कानून व्यवस्था और राजनीतिक दलों की मारामारी चलती ही रहती है।
यहीं से शुरुआत हुई लाल झंडे वालों की ट्रेड यूनियन लीडर बनर्जी साहब की। बस जेके सिंहानिया उद्योग एक एक कर बीमार होते गये और कानपुर बर्बाद होता रहा। सरकारी आर्डनेंन्स फैक्टरियों ने जान फूंकने की कोशिश की पर वो पुराना कानपुर कभी गरिमापूर्ण स्थान प्राप्त न कर सका।
कानपुर में चारों तरफ से लोग आये और बस गये। भीड़ बढ़ती रही। नये नये स्कूल कॉलेज भी खुले पर सब कम पड़ते रहे। फिर भी बहुत सहारा दिया उत्तर प्रदेश को आगे आगे बढ़ने में।कहने को यहाँ IIT & HBTI भी है वह भी आज के जमाने का नहीं जब से भारत में IIT की शुरुआत हुई थी।
ग्रीन पार्क क्रिकेट का मक्का बन गया जब जस्सू पटेल ने एक इनिंग में आस्ट्रेलिया के नौ विकेट लिए और उस टेस्ट में पालीउम्रीगर की कप्तानी में जीता। गावस्कर की ससुराल भी यहीं कानपुर में ही है।
और भी बहुत कुछ है कानपुर में जैसे ठग्गू के लड्डू और जेके मंदिर, फूल बाग इत्यादि। देश विभाजन के बाद बहुत लोग पाकिस्तान से आकर बस गये और कानपुर में आया फैशन का ट्रेंड। लड़के लडकियों की सोच में आया बदलाव। कानपुर माडर्न हो चला।
सक्सेना कायस्थों का गढ़ भी कहलाता है कानपुर। कान्यकुब्जी ब्राम्हणों का भी जोर है उन्नाव जिले और देहात कानपुर की बजह से।
कपडे का थोक मार्केट बना तो और दूसरे क्षेत्रों में तरक्की हुई।
रेलवे स्टेशन के पास बस उड्डे का क्या कहना कीचड से आप अगर बच पायें तो आठवाँ अजूबा ही होगा। अब गनीमत है कि राज्य सरकार ने बस अड्डा हटा दिया है। पर टैक्सी स्टैंड तक पहुँचना अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है।
पुराने जमाने का पनकी बिजलीघर है जो धुआँ ज्यादा ऊल है बिजली कम पैदा करता है। नार्दन रेलवे का सबसे बड़ा तेल डिपो भी है यहीं पनकी में। प्रसिद्ध हनुमान जी का मंदिर भी है पनकी में। उन्ही की कृपादृष्टि बनी हुई है कानपुर पर।
मस्ती का आलम यह है कि लोग मस्त रहते हैं। होली में रंग होली बीत जाने के सात दिन तक खेला जाता है। बाजार में से निकलते हुए आप बच नहीं सकते हैं।
अब कानपुर भी स्मार्ट हो जायेगा। मेट्रो चलने लगेगी। लोगों को रोजगार मिलने लगेगा। उन परिवारों को नई जिंदगी मिलेगी जिनकी अगली पुश्त को नौकरी की तलाश में कानपुर छोड़कर जाना पड़ा था।
चलो जो हो अच्छे के लिए हो। सब चलेगा।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
British Time Spelled as Cawanpore
Kanpur भी smart city बन ही जाएगा अगर मोदीजी की मानें तो। पर एक शर्त है कि बीजेपी को कम से कम अगले चुनाव में विजय दिला देना। डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी जी को अगले चुनाव में हरा देना और मोदीजी को चुन लेना।जोशी जी ग्यानी ध्यानी और पढ़े लिखे हैं। राजनीति में पढ़े लिखे लोगों के लिए गुंजाइश नहीं है।
कानपुर एक वो शहर है जिसने गंगा जी का कूड़ा किया है। है तो पुराना शहर जाना माना अपने कपड़ा उद्योग के लिए। ब्रिटिश वक्त में इसे मैनचेस्टर के नाम से जाना जाता था। उससे पहले इसका ऐतिहासिक दर्जा भी प्राप्त है। रानी झांसी का बचपन यहीं बिठूर में नानाजी के यहाँ गुजरा था।
उद्योग की भरमार के कारण भीड़भाड़ और मारामारी लगी ही रहती है। ठेला ठिलया जाम एक आम बात। गंदगी तो यहाँ की नस नस में रमी बसी है।
जूता और टेनरी का काम इतना बढ़ा कि गंगा की रेड़ मार दी। आज कानपुर बीमार है। लचीली कानून व्यवस्था और राजनीतिक दलों की मारामारी चलती ही रहती है।
यहीं से शुरुआत हुई लाल झंडे वालों की ट्रेड यूनियन लीडर बनर्जी साहब की। बस जेके सिंहानिया उद्योग एक एक कर बीमार होते गये और कानपुर बर्बाद होता रहा। सरकारी आर्डनेंन्स फैक्टरियों ने जान फूंकने की कोशिश की पर वो पुराना कानपुर कभी गरिमापूर्ण स्थान प्राप्त न कर सका।
कानपुर में चारों तरफ से लोग आये और बस गये। भीड़ बढ़ती रही। नये नये स्कूल कॉलेज भी खुले पर सब कम पड़ते रहे। फिर भी बहुत सहारा दिया उत्तर प्रदेश को आगे आगे बढ़ने में।कहने को यहाँ IIT & HBTI भी है वह भी आज के जमाने का नहीं जब से भारत में IIT की शुरुआत हुई थी।
ग्रीन पार्क क्रिकेट का मक्का बन गया जब जस्सू पटेल ने एक इनिंग में आस्ट्रेलिया के नौ विकेट लिए और उस टेस्ट में पालीउम्रीगर की कप्तानी में जीता। गावस्कर की ससुराल भी यहीं कानपुर में ही है।
और भी बहुत कुछ है कानपुर में जैसे ठग्गू के लड्डू और जेके मंदिर, फूल बाग इत्यादि। देश विभाजन के बाद बहुत लोग पाकिस्तान से आकर बस गये और कानपुर में आया फैशन का ट्रेंड। लड़के लडकियों की सोच में आया बदलाव। कानपुर माडर्न हो चला।
सक्सेना कायस्थों का गढ़ भी कहलाता है कानपुर। कान्यकुब्जी ब्राम्हणों का भी जोर है उन्नाव जिले और देहात कानपुर की बजह से।
कपडे का थोक मार्केट बना तो और दूसरे क्षेत्रों में तरक्की हुई।
रेलवे स्टेशन के पास बस उड्डे का क्या कहना कीचड से आप अगर बच पायें तो आठवाँ अजूबा ही होगा। अब गनीमत है कि राज्य सरकार ने बस अड्डा हटा दिया है। पर टैक्सी स्टैंड तक पहुँचना अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है।
पुराने जमाने का पनकी बिजलीघर है जो धुआँ ज्यादा ऊल है बिजली कम पैदा करता है। नार्दन रेलवे का सबसे बड़ा तेल डिपो भी है यहीं पनकी में। प्रसिद्ध हनुमान जी का मंदिर भी है पनकी में। उन्ही की कृपादृष्टि बनी हुई है कानपुर पर।
मस्ती का आलम यह है कि लोग मस्त रहते हैं। होली में रंग होली बीत जाने के सात दिन तक खेला जाता है। बाजार में से निकलते हुए आप बच नहीं सकते हैं।
अब कानपुर भी स्मार्ट हो जायेगा। मेट्रो चलने लगेगी। लोगों को रोजगार मिलने लगेगा। उन परिवारों को नई जिंदगी मिलेगी जिनकी अगली पुश्त को नौकरी की तलाश में कानपुर छोड़कर जाना पड़ा था।
चलो जो हो अच्छे के लिए हो। सब चलेगा।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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