Wednesday, July 22, 2015

का से कहूँ मैं अपने मन की बात




कलम से ____

का से कहूँ मैं अपने मन की बात
कोई नहीं है पास बीती जा रही है रात
जन्मजन्मातंर का है तेरा मेरा साथ
तूने भी प्रभु सुनी न मेरी कोई बात
दर्शन देकर कर दो मुझे निहाल
बंदा तेरे दर पे है पड़ा हो निढ़ाल

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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