कलम से____
मिलते हैं लोग दाग दिल के छिपाने वाले
लोग मिलते हैं कहाँ अब पुराने वाले
तू भी तो मिलता है मतलब से मिलता है
लग गये हैं तुझे रोग सभी वो जमाने वाले
मिन्नतें बेकार गईं दुआयें भी बेअसर हुईं
लौट के आते नहीं है छोड़के जाने वाले
पार करता नहीं आग का दरिया अब कोई
थे वो कोई और डूबके मरने वाले
अब तो सभी मिलते हैं दिल का दुखाने वाले
जाने किस राह गये वो जाने वाले
दर्द उनका जो करते हैं फुटपाथ पर बसर
क्या समझ पायेंगे महलों में रहने वाले
देखो पी रहा है वो अकेला बैठा मयखाने में
कहाँ खो गये वो मय आँखों से पिलाने वाले
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
मिलते हैं लोग दाग दिल के छिपाने वाले
लोग मिलते हैं कहाँ अब पुराने वाले
तू भी तो मिलता है मतलब से मिलता है
लग गये हैं तुझे रोग सभी वो जमाने वाले
मिन्नतें बेकार गईं दुआयें भी बेअसर हुईं
लौट के आते नहीं है छोड़के जाने वाले
पार करता नहीं आग का दरिया अब कोई
थे वो कोई और डूबके मरने वाले
अब तो सभी मिलते हैं दिल का दुखाने वाले
जाने किस राह गये वो जाने वाले
दर्द उनका जो करते हैं फुटपाथ पर बसर
क्या समझ पायेंगे महलों में रहने वाले
देखो पी रहा है वो अकेला बैठा मयखाने में
कहाँ खो गये वो मय आँखों से पिलाने वाले
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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— with Puneet Chowdhary.
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