Sunday, April 19, 2015

जाने भी दो मत रोको मुझे कल सुबह फिर आऊँगी मैं

जाने भी दो
मत रोको मुझे
कल सुबह
फिर आऊँगी मैं



कलम से____
19th April, 2015/ Kaushambi, Ghaziabad
कल शाम मिली थी
जाने के पहले
कहने लगी
जाने भी दो
मत रोको मुझे
कल सुबह
फिर आऊँगी मैं
सुबह बन कर
अभी मुझे
परिधि के उस पार
जाना है
अभी जाने दो
जल्दी में हूँ.....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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