सुबह सुबह आज उनसे मुलाकात हो गयी,
कलम से....
सुबह सुबह आज उनसे मुलाकात हो गयी,
जो कभी रहते थे अपने धर के पिछवाडे,
बोले यार कहाँ खो गये थे
कहाँ गायब हो गये थे
रोज मिलते मिलाते,
कहा मैंने भी उनसे कुछ ऐसे
चला गया था इक हसीना के पीछे दिल लगाते लगाते,
कैसा रहा एक्सपीरयेस लगाने के दिल का, पूछा जो उसने
अनायास ही निकला मेरी जुवाँ से,
नहीं रास आया मुझे ऐ दिल का ए देना दिलाना,
है राह बहुत ही मुश्किल,
दिल की तंग गलियों मै
चलना चलाना ।
मै और मेरी जिन्दगी यूँही
गुजरेगी किसी की मुहबबत बिना बहुत अछी,
मै यूही बहुत खुश हूँ
और खुश ही रहूंगा,
तूमसे बस मिलते मिलाते ।
सुबह सुबह आज उनसे मुलाकात हो गयी,
जो कभी रहते थे अपने धर के पिछवाडे,
बोले यार कहाँ खो गये थे
कहाँ गायब हो गये थे
रोज मिलते मिलाते,
कहा मैंने भी उनसे कुछ ऐसे
चला गया था इक हसीना के पीछे दिल लगाते लगाते,
कैसा रहा एक्सपीरयेस लगाने के दिल का, पूछा जो उसने
अनायास ही निकला मेरी जुवाँ से,
नहीं रास आया मुझे ऐ दिल का ए देना दिलाना,
है राह बहुत ही मुश्किल,
दिल की तंग गलियों मै
चलना चलाना ।
मै और मेरी जिन्दगी यूँही
गुजरेगी किसी की मुहबबत बिना बहुत अछी,
मै यूही बहुत खुश हूँ
और खुश ही रहूंगा,
तूमसे बस मिलते मिलाते ।
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