बुला रहे है अपने
कलम से .....
बुला रहे है अपने
करीब मुझे पवॆत, नदी और नाले,
कभी जो थे हमारे ।
दूरिया,
कुछ इस कदर बढ़ी,
कभी दुबारा न मिलेजो कहते थे 'सदा तुम रहोगे हमारे'।
बुला रहे है अपने
करीब मुझे पवॆत, नदी और नाले,
कभी जो थे हमारे ।
दूरिया,
कुछ इस कदर बढ़ी,
कभी दुबारा न मिलेजो कहते थे 'सदा तुम रहोगे हमारे'।
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