कौन सोता है रात को
कलम से____
कौन सोता है
रात को
रात कहती है
जागता रह मेरे लिए
करीब आ पास आ
अंधेरों के परे भी
एक दुनियां है
चमचमाती हुई
चमकते तारों की
जुगनुओं सी
दिखती है
आकाशगंगा।
एक दीप जलाकर
बैठा हूँ मैं
अंधकार है
जो मेरे आसपास
मेरे भीतर
उसे मिटाने के लिए।
रात ऐसे ही
गुजर गई
सुबह तक
तेरे इंतजार में....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
कौन सोता है
रात को
रात कहती है
जागता रह मेरे लिए
करीब आ पास आ
अंधेरों के परे भी
एक दुनियां है
चमचमाती हुई
चमकते तारों की
जुगनुओं सी
दिखती है
आकाशगंगा।
एक दीप जलाकर
बैठा हूँ मैं
अंधकार है
जो मेरे आसपास
मेरे भीतर
उसे मिटाने के लिए।
रात ऐसे ही
गुजर गई
सुबह तक
तेरे इंतजार में....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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