Wednesday, April 8, 2015

सूर्यास्त कल का बहुत कुछ कह गया


सूर्यास्त
कल का बहुत कुछ
कह गया


कलम से_____

सूर्यास्त
कल का बहुत कुछ
कह गया
बादल फिर
धिरने लगे
बेमौसम मार सहते सहते
खेत खलिहान चौपट हुये
आस का दीपक
भी बुझ गया
विश्वास अब
तुझसे भी उठ गया
मैं जीते जी टूट गया।

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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