कुछ कहीं, कुछ अनकही !
Sunday, April 12, 2015
माली की कैंची चलने ही वाली है बस दो एक दिन की और छूट है !!
कलम से____
माली की कैंची चलने ही वाली है
बस दो एक दिन की और छूट है !!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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