चलेंगे साथ साथ
हम और तुम........
हम और तुम........
मुझे आज से अपनी बात कहने का अवसर मिला है और श्री एस डी तिवारी जी का आदेश है। इसी श्रंखला में अपनी बात रखता हूँ। कल दिनांक 10 अप्रैल के लिए मैं अपने लघु भ्राता हरिहर सिंह जी को अपनी रचना रखने को आहुत करता हूँ।वह अगले चार दिनों तक रचनायें आपकी सेवा में लेकर आयेंगे।
कलम से____
07:30 Hrs/ 9th April, 2015
Kaushambi Central Park
मुझे फिर वही जगह
मिल गई
वही पार्क की बैन्च खाली दिख गई
हक अपना जताया
ऐसे जैसे वो मेरी हो गई।
हम लोग
अक्सर उनको अपना
बना लेते हैं
जो हमारे नहीं होते
जिनको देना होता है
साथ वो कभी
पुराने नहीँ होते।
वो भी आज पास आ गये
बैठ कर हाथ मेरा
अपने हाथ
दिलासा दे गये
हूँ न मैं तेरे लिये
इस दुनियां जहान में
चलने का वक्त
आयेगा जब
चलेंगे साथ साथ
हम और तुम........
आ तब तक जी लें
कदम दो एक साथ तय कर लें।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
कलम से____
07:30 Hrs/ 9th April, 2015
Kaushambi Central Park
मुझे फिर वही जगह
मिल गई
वही पार्क की बैन्च खाली दिख गई
हक अपना जताया
ऐसे जैसे वो मेरी हो गई।
हम लोग
अक्सर उनको अपना
बना लेते हैं
जो हमारे नहीं होते
जिनको देना होता है
साथ वो कभी
पुराने नहीँ होते।
वो भी आज पास आ गये
बैठ कर हाथ मेरा
अपने हाथ
दिलासा दे गये
हूँ न मैं तेरे लिये
इस दुनियां जहान में
चलने का वक्त
आयेगा जब
चलेंगे साथ साथ
हम और तुम........
आ तब तक जी लें
कदम दो एक साथ तय कर लें।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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