नेता
कलम से_____
.......................... ..भैय्या
अबहीं सोवत हैं
कुछ देर बाद
फुनवा किया जाये।
यह जबाब भैय्या के
पीए ने फोन कालर को दिया
वक्त था, दिन का ग्यारह बजे।
यह एक भैय्या की नहीं
सभी की कहानी है,
जो आज राजनीति में हैं।
खासतौर पर अपने
उत्तर प्रदेश में।
नेता के लिए
इशेन्शियल क्वालीफिकेशन्स
आपके पीछे दस बीस लठैत
बंदूकधारी चार पांच खुली जीप
और स्वयं के लिये
चमचमाती एसी एसयूवी
इतनी हैसियत कम से कम
एक इलैक्शन लड़ने के लये
पांच करोड़ एमपी के लिये
दो करोड़ एमएलए के लिए
पचास लाख ब्लाक प्रमुख के लिये
कम से कम बीस लाख रुपये
ग्राम पंचायत प्रधान के लिये
सुबह का नाश्ता
दोपहर का खाना
शाम की दारू
और मुर्गे की टांग,
इस सबकी हो व्यवस्था
पीछे चलने बाली भीड़ की खातिर
जरूरी है,
अपनी जाति बिरादरी के
कम से कम दो लाख वोट
एमपी के लिये,
एक लाख एमएलए के लिए,
और इसीतरह,
ब्लाक प्रमुख और प्रधानी के लिये
नहीं है, अगर इतनी हैसियत
तो वक्त न खराब कर यार मेरे
आज की राजनीति आपके लिए
नहीं है।
पब्लिक प्लेटफार्म पर
माइक लेके गरियाना जरूरी है
डीएम एसएसपी तो अब पानी भरते हैं
इनकी औकात बस अब इतनी है
जो नेताओं के जूते साफ
घर में पानी भरते हैं।
जनता की निगाह
आप पर तब उठती है,
बड़ी मुश्किल से,
वो 'आप ' पर मेहरबान होती है।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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अबहीं सोवत हैं
कुछ देर बाद
फुनवा किया जाये।
यह जबाब भैय्या के
पीए ने फोन कालर को दिया
वक्त था, दिन का ग्यारह बजे।
यह एक भैय्या की नहीं
सभी की कहानी है,
जो आज राजनीति में हैं।
खासतौर पर अपने
उत्तर प्रदेश में।
नेता के लिए
इशेन्शियल क्वालीफिकेशन्स
आपके पीछे दस बीस लठैत
बंदूकधारी चार पांच खुली जीप
और स्वयं के लिये
चमचमाती एसी एसयूवी
इतनी हैसियत कम से कम
एक इलैक्शन लड़ने के लये
पांच करोड़ एमपी के लिये
दो करोड़ एमएलए के लिए
पचास लाख ब्लाक प्रमुख के लिये
कम से कम बीस लाख रुपये
ग्राम पंचायत प्रधान के लिये
सुबह का नाश्ता
दोपहर का खाना
शाम की दारू
और मुर्गे की टांग,
इस सबकी हो व्यवस्था
पीछे चलने बाली भीड़ की खातिर
जरूरी है,
अपनी जाति बिरादरी के
कम से कम दो लाख वोट
एमपी के लिये,
एक लाख एमएलए के लिए,
और इसीतरह,
ब्लाक प्रमुख और प्रधानी के लिये
नहीं है, अगर इतनी हैसियत
तो वक्त न खराब कर यार मेरे
आज की राजनीति आपके लिए
नहीं है।
पब्लिक प्लेटफार्म पर
माइक लेके गरियाना जरूरी है
डीएम एसएसपी तो अब पानी भरते हैं
इनकी औकात बस अब इतनी है
जो नेताओं के जूते साफ
घर में पानी भरते हैं।
जनता की निगाह
आप पर तब उठती है,
बड़ी मुश्किल से,
वो 'आप ' पर मेहरबान होती है।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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