कलम से ____
28th April, 2015/Kaushambi
प्रकृति रंग विहीन हो जाएगी,
पशु पक्षी त्राहि त्राहि करने को विवश,
झरनों की कल कल शांत हो जाएगी,
मानव विहीन मानवता तब कहाँ जाएगी ।
गीत कोई भ्रमर नहीं गाएगा,
पराग ले कोई तितली रंग न फैलाएगी,
धरा तब जीवन विहीन हो जाएगी ।
रुद्र नारायण को शृष्टि रचियता रूप में आना होगा,
समंपूणॆ धरा को पुनः नये रूप मे सवाँरना होगा ।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
28th April, 2015/Kaushambi
प्रकृति रंग विहीन हो जाएगी,
पशु पक्षी त्राहि त्राहि करने को विवश,
झरनों की कल कल शांत हो जाएगी,
मानव विहीन मानवता तब कहाँ जाएगी ।
गीत कोई भ्रमर नहीं गाएगा,
पराग ले कोई तितली रंग न फैलाएगी,
धरा तब जीवन विहीन हो जाएगी ।
रुद्र नारायण को शृष्टि रचियता रूप में आना होगा,
समंपूणॆ धरा को पुनः नये रूप मे सवाँरना होगा ।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://
No comments:
Post a Comment