Friday, June 19, 2020

लौक डाउन - एसपी सिंह



 

 

"लॉक डाउन":

चीन के वुहान की एक डिफेंस लैब से निकले एक छोटे से वायरस कोविड 19 ने विश्व के सभी लोगों की ज़िंदगी में तूफान ला दिया है। कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखकर हिंदुस्तान की सरकार को भी लॉक डाउन लगाना पड़ा। लॉक डाउन की घोषणा के पश्चात जो जहाँ था वहीं फंस कर रह गया।

कुछ दिन पहले एक ख़बर आई थी कि एक फ्रांसीसी परिवार जो नेपाल और हिंदुस्तान घूमने के इरादे से आया हुआ था वह लॉक डाउन की घोषणा के दिन नेपाल से गोरखपुर जाते हुए लक्ष्मीपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद के एक गांव में फंस गया। मज़बूरन फ्रांसीसी परिवार को वहां के एक प्राचीन मंदिर में शरण लेनी पड़ी। जब तक वह फ्रांसीसी परिवार उस गांव में रहा उनकी देख भाल गांव वालों ने की। गांव वालों के इस प्रेम को देखकर फ्रांसीसी परिवार गदगद हो गया। उन्हें जो भोजन परोसा गया ख़ुशी ख़ुशी खाया। जैसे भी हालात थे उन्ही हालात के बीच रहे और जब वे फ्रांस वापस जाने लगे तो उनकी आंखों में आंसू और दिल में हिंदुस्तानियों के लिए अपार प्यार और सम्मान था।

मैंने अपने परम मित्र, जो कि गोरखपुर के निवासी हैं, श्री BN Pandey जी से पूछा कि मेरा मन कर रहा है कि इस घटना को लेकर कुछ लिखूं। उन्होंने मुझे इस कहानी को लिखने के लिए प्रोत्साहित ही नहीं किया बल्कि ढेर सारा मसाला भी भेजा।

इसी सिलसिले में मुझे एक घटना याद आ गई जब मैं आईटीआई लिमिटेड, मनकापुर-गोंडा में पोस्टड था तो गोरखपुर सरकारी काम से अक़्सर ही आना जाना लगा रहता था। हमारे बाबू सा उन दिनों मनकापुर आए हुए थे। मैं अपने कुछ मित्रों सर्व श्री Krishna Dutt Singh, DS Singh, CK Verma और परिवार के साथ नेपाल जा रहा था। रास्ते में हम सभी कुछ देर के लिए संत कबीर की मज़ार मगहर, संत कबीरनगर जनपद पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिये कुछ समय के लिए रुके थे। गोरखपुर में चाय पानी के विश्राम के बाद जब हम लोग नेपाल की ओर बढ़ रहे थे तो रास्ते में चौरीचौरा आया तो हमारे बाबू सा ने बताया कि चौरीचौरा ही वह स्थान है जहां पर 5 फ़रवरी 1922 को भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। इस घटना को 'चौरीचौरा कांड' के नाम से जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप गांधीजी ने कहा था कि हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन उपयुक्त नहीं रह गया है और उसे वापस ले लिया था। बाद चौरी-चौरा कांड के अभियुक्तों का मुक़दमा पंडित मदन मोहन मालवीय ने लड़ा और उन्हें बचा ले जाना उनकी एक बड़ी सफलता थी।

कुशीनगर जनपद में ही भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण का स्थल देखने योग्य है और वहां भी कुछ देर रुक कर हमारे बाबू सा ने कुछ पल गुजारे थे।

इन सब कारणों से भी मुझे लक्ष्मीपुर गांव में फ्रांसीसी परिवार के कुछ दिन गुजारने को लेकर कुछ लिखने का न कर रहा था। श्री BN Pandey ने इस कथानक को लिखने के लिए प्रोत्साहित किया और मुझे आशीर्वाद देते हुए कामना की है कि मैं अपने इस प्रयास में पूर्व की भांति अवश्य सफल होऊगां।

दिनांक 20-06-2017 को मेरा एक धारावाहिक "एक थे चंद्रचूड सिहं" पूरा हुआ, 20-06-2019 को एक और धारावाहिक "तनिष्का" भी पूरा हुआ था। "Hi! Buddies", दिनांक 20-06-2018 लिखने का संकल्प लिया। इस तरह 20 जून मेरे लिए एक महत्वपूर्ण दिवस रहा। आज दिनांक 20-06-2020 को मैं एक और संकल्प लेता हूँ कि आपकी सेवा में अपना नया धारावाहिक "लॉक डाउन" लेकर आने का प्रयास करूंगा। मुझे आशा है कि आप सभी पूर्व की भांति मेरे इस प्रयास से जुड़कर मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। मेरी यह कोशिश रहेगी कि मैं इस नए धारावाहिक "लॉक डाउन" का प्रारंभ दिनांक 21-06-2020 से ही कर सकूँ।

धन्यवाद सहित,

एस पी सिंह

20-06-2020

 

 

अस्वीकारोक्ति

"मैं एतदद्वारा घोषणा करता हूँ कि इस कथानक में वर्णित व्यक्ति और घटनाएं काल्पनिक हैं। वास्तविकता से इनका कोई सरोकार नहीं है। तथापि इस कथानक में उल्लिखित यदि किसी व्यक्ति या घटना का वास्तविक जीवन से सम्बंध है, तो यह मात्र संयोग माना जाये।"

पूर्व भूमिका -1

एक फ्रांसीसी परिवार बहुत दिनों से नेपाल और भारत की यात्रा करना चाह रहा था। एरॉन (52) ने एक दिन अपनी पत्नी एमेलिया (49) से इसकी चर्चा की और शीघ्र ही उन्होंने अपने पुत्र विक्टर लॉन (18-हाई स्कूल) और पुत्री एस्टेले (16-मिडल स्कूल) के साथ काठमांडू आने का प्रोग्राम बना लिया।

एमेलिया जानती थी कि एरॉन के दिल में नेपाल और भारत की यात्रा पर चलने का मन बहुत बहुत वर्षों से था और इसका मुख्य कारण था कि उनके पिता मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो और मां शेर्लोट ने अपने जीवन के दो साल मनकापुर, गोंडा में आईटीआई लिमिटेड के इलेक्ट्रॉनिक सुइचिंग सिस्टम की यूनिट के निर्माण के शुरुआती दौर में गुजारे थे।

अपने नेपाल और भारत के दौरे के लिए एमेलिया ने अपनी बेटे विक्टर लॉन और बेटी एस्टेले को उनके ग्रान्डपरेंट्स के बारे में जब बताया तो उनके बारे में जानकर बच्चों के दिल में भी भारत को देखने की इच्छा तीव्र हो उठी।

बस फिर क्या था, जैसे ही उनकी एयर टिकट आई वे लोग पेरिस से काठमांडू के लिए निकल पड़े।

आज के लिए बस इतना ही...

22-06-2020

पूर्व भूमिका -2

 

अरनव सिंह (66) अपनी धर्मपत्नी अनिका सिंह(62) के साथ मनकापुर, आईटीआई लिमिटेड से रिटायरमेंट के बाद अपने पुश्तैनी गांव लक्ष्मीपुर, जनपद महराजगंज, गोरखपुर कमिश्नरी, उत्तर प्रदेश में रहते थे। उनकी बेटी अनुष्का(19) जो कि आईटी कॉलेज, लखनऊ में पढ़ती थी और बीए (सोशियोलॉज) के फर्स्ट ईयर में थी और बेटा आरुष (21) कंप्यूटर साइंसेज में बीई आईआईटी, दिल्ली के फर्स्ट ईयर में था। दोनों बच्चे माता पिता से मिलने और मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के सौंवे साल के जलसे में शरीक होने के लिए गांव आये हुए थे जब अचानक ही प्रधानमंत्री जी ने 25 मार्च को रात आठ पूरे देश में कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉक डाउन की घोषणा कर दी।

 

बस फिर क्या हुआ?

 

आगे की बात आगे आज इतना ही...

 

23-06-2020

पूर्व भूमिका -3

स्वामी नागार्जुन (63) लक्ष्मीपुर गांव, महराजगंज के लक्ष्मी नारायण (ठाकुर जी) मंदिर में पुजारी तो थे ही लेकिन साथ ही साथ लक्ष्मीपुर गांव के ठाकुरों के पुरोहित और धर्मगुरू भी थे। गांव के सभी लोग वे चाहे उच्च आय वर्ग से हों अथवा निम्न आय वर्ग से हों स्वामी नागार्जुन जी का बहुत ही आदर और सम्मान करते थे।

स्वामी नागार्जुन केरल प्रांत के वेंगनूर गांव, तिरुवनंतपुरम जनपद के रहने वाले थे और उच्च कुल के ब्राम्हण परिवार से थे। लक्ष्मीपुर के मंदिर के मुख्य पुजारी का पद हमेशा इन्ही के परिवार का सदस्य को प्राप्त होता था। अतः जब स्वामी नागार्जुन के पिता के देहावसान के बाद मुख्य पुजारी का पद भार स्वतः ही उनको प्राप्त हुआ और वे सपत्नीक लक्ष्मीपुर चले आये। पिछले तीस वर्षों से मंदिर में प्रभु की सेवा करते और पत्नी कामायनी (56) के साथ सुखी जीवन व्यतीत करते थे। उनकी एक पुत्री थी आनंदिता (15) जो अपने चाचा के साथ तिरुवनंतपुरम में ही रहकर शिक्षा प्राप्त कर रही थी। जब उसके कॉलेज की छुट्टियां होती तो वह लक्ष्मीपुर अपने माता पिता से मिलने आ जाती थी।

आगे की कहानी जैसे जैसे हम आगे बढ़ेंगे तब...

 

 

24-06-2020

पूर्व भूमिका -4

लक्ष्मीपुर लक्ष्मी नारायण मंदिर के रख रखाव में वैसे तो सेवकों की लंबी चौड़ी लिस्ट थी जिनकी देखभाल मंदिर किया करता था जिसमें उनके परिवारों के उत्थान के कार्यों के अलावा उनके खाने पीने तक की व्यवस्था भी मंदिर किया करता था। लंबी लिस्ट में से भी दो व्यक्ति बहुत महत्व के थे। धर्मवीर और कर्मवीर, नेपाल के रहने वाले, दो सगे भाई थे। वे दोनों ही मंदिर के क्रिया कलाप में स्वामी नागार्जुन का हाथ बटाते और जब कोई मेहमान गेस्ट हाउस में रुका हुआ होता तो उसके लिए भोजन इत्यादि की व्यवस्था भी देख लिया करते थे। दोनों ही पुजारी जी की धर्म पत्नी कामायनी तथा के लाडले और चहते भी थे। वे भी पुजारी जी और उनकी पत्नी का बहुत आदर सम्मान करते थे। आनंदिता दोनों को उतनी प्यारी थी जितनी कि पुजारी ही को अथवा कामायनी को।

पुलिस इंस्पेक्टर पांडेय जी एवं रमेश पांडेय ड्राइवर तो हैं ही साथ में कुछ चरित्र और भी हैं जिनका अभी जन्म नहीं हुआ लेकिन जो कहानी की ज़रूरत के अनुसार जुड़ेंगे और बिछड़ेंगे। उनका परिचय फ़िलहाल अभी नहीं, बाद में कथानक के साथ साथ। फ़िलहाल के लिए इतने ही चरित्रों का पात्र परिचय। बाकी जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ेगी इनकी भूमिका आपके सामने आती जाएगी।

अब जब कि पूर्व भूमिका बन ही गई है नेपाल की देवभूमि लुम्बिनी से कल से शुरू होगा अपना धारावाहिक "लॉक डाउन"। मिलने का वायदा हम आपसे करते हैं...बस आप कहीं नहीं जाइयेगा।

धन्यवाद।

एस पी सिंह

 

25-06-2020

एपिसोड 1

नेपाल की यात्रा के अंतिम चरण में एरॉन और एमेलिया अपने पुत्र विक्टर लॉन और पुत्री एस्टेले के साथ जब वे लोग लुम्बिनी पहुंचे तो उस वक़्त शाम के लगभग चार बजे रहे थे। लुम्बिनी में भगवान बुद्ध की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना बहुत देर तक खड़े रहे और जब चैतन्वय अवस्था में आए तो बौद्ध आश्रम के भंते ने उन्हें बताया, "गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ। उनकी माता कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी जब अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो उन्होंने रास्ते में लुम्बिनी वन में सिद्धार्थ को जन्म दिया। उनका जन्म का नाम सिद्धार्थ रखा गया। सिद्धार्थ के पिता शुद्धोदन कपिलवस्तु के राजा थे और उनका सम्मान नेपाल ही में नहीं समूचे भारत में किया जाता था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया क्योंकि सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी माँ महामाया का देहांत हो गया। वैसे तो सिद्धार्थ ने कई विद्वानों को अपना गुरु बनाया किंतु गुरु विश्वामित्र के पास उन्होंने वेद और उपनिषद् पढ़े, साथ ही राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हांकने में कोई उनकी बराबरी नहीं कर सकता था"

कुछ पल रुकने के बाद भंते ने आगे बताते हुए कहा, "शाक्य वंश में जन्मे सिद्धार्थ का सोलह वर्ष की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। यशोधरा से उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम राहुल रखा गया। एक दिन सिद्धार्थ बगीचे में घूमने के लिए राज महल से निकले। कड़ा पहरा होने पर भी पता नहीं कैसे, कुछ लोग मुर्दे को उठाकर ले जाते दिखाई दिए। मुर्दा कपड़े में लिपटा और डोरियों से बंधा था। मरने वाले के संबंधी जोर-जोर से रो रहे थे। उसकी पत्नी छाती पीट-पीटकर रो रही थी।उसकी मां और बहनों का बुरा हाल था। राजकुमार ने सारथी से इस रोने-पीटने का कारण पूछा। उसने बताया कि जिस कपड़े में लपेटकर और डोरियों से बांधकर चार जने उठाकर चल रहे हैं, यह मर गया है। रोने वाले इसके संबंधी हैं। इसे श्मशान में जला दिया जाएगा। यह सुनकर राजकुमार के चेहरे पर गहरी उदासी छा गई। उसने पूछा, 'यह मर क्यों गया?' सारथी ने उत्तर में कहा, 'एक ‍न एक दिन सभी को मरना है। मौत से आज तक कौन बचा है?'''

"फिर क्या हुआ", एरॉन ने पूछा।

"उसके बाद जो हुआ वह मानवता के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। सिद्धार्थ ने एक रात यशोधरा को अपने पुत्र के साथ सोते हुए राज भवन में ही त्याग दिया। बोधगया में जाकर कठिन तपस्या के पश्चात वह बुद्धत्व को प्राप्त कर भगवान बुद्ध बने"

एरॉन के परिवार ने भगवान की जीवनी से जुड़े हुए कई और वृतांत भंते से सुने और देर शाम अपनी कार से लुम्बिनी से गोरखपुर के लिए रवाना हुए। जब सुनौली नेपाल भारत बॉर्डर पर पहुंचे तो उन्हें सुनौली नेपाल भारत बॉर्डर पर डाक्यूमेंट्स चेक कराने के लिए कुछ देर रुकना पड़ा। जब सब औपचारिकताएं पूरीं हुईं तो वे लोग भारत की भूमि पर आकर बेइंतहा ख़ुश हुए। उन्होंने अपनी कार के ड्राइवर रमेश से सीधे गोरखपुर चलने के लिए कहा। कार में बैठते ही ड्राइवर ने सिद्धार्थनगर जनपद की सड़कों पर उनकी कार तीव्रगति से गोरखपुर की ओर बढ़ने लगी। रास्ते में नौतनवा में वे लोग कुछ देर के लिए रुके। एक होटल में डिनर किया। उसी समय उनको होटल के मैनेजर से उन्हें पता लगा कि भारत में कोरोना के कारण टोटल लॉक डाउन लागू कर दिया गया है। जब एरॉन ने यह जानना चाहा इसका मतलब यह हुआ कि वे अब आगे नहीं जा सकेंगे। होटल मैनेजर ने यह सलाह दी कि वे रात को वहीं उसके होटल में रुक सकते हैं। एरॉन ने जब अपनी कार के ड्राइवर से बात की तो रमेश ड्राइवर ने कहा, "यह बहुत ही छोटी जगह है और होटल एकमोडेशन आपके लिहाज़ से ठीक नहीं रहेगी इसलिए मैं यह कहूँगा कि यहां से चलना चाहिए। मैं आपको गोरखपुर में किसी अच्छे होटल में रुकने की सलाह दूंगा"

रमेश ड्राइवर की बात को सुनकर एमेलिया ने भी एरॉन से कहा, "मुझे लगता है कि हम लोगों को यहां से निकलना चाहिए और किसी अच्छी जगह ही चल कर रुकना चाहिए"

एमेलिया के साथ वही बात विक्टर लॉन और एस्टेले ने भी दुहराई। रमेश ड्राइवर की बात मानकर वे लोग कार से गोरखपुर के लिए रवाना हुए। जब वे लोग परसोनी के पास पहुंचे तो पुलिस का बैरियर लगा हुआ था। पुलिस ने उनको वहां से आगे नहीं जाने दिया और वे सब वहीं फंस गए। एरॉन को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?

क्रमशः

 

26-06-2020

गतांक से आगे: कल के एपिसोड में आपने देखा कि फ्रांसीसी परिवार लुम्बिनी होते हुए गोरखपुर जा रहा था तब उन्हें पता चला कि पूरे भारतवर्ष में लॉक डाउन लागू कर दिया है। उनके ड्राइवर ने उन्हें सलाह दी कि उन लोगों को गोरखपुर चलना चाहिए और वह उनका किसी अच्छे होटल में रुकने की व्यवस्था करवा देगा। लेकिन जब वे लोग लक्ष्मीपुर के आसपास पहुंचे तो उन्हें सड़क पर पुलिस का बैरियर लगा हुआ मिला। उन लोगों को मज़बूरन वहीं रुकना पड़ा।

उसके आगे....

एपिसोड 2

एरॉन और एमेलिया को परेशान देख रमेश ड्राइवर ने वहां खड़े एक पुलिस इंस्पेक्टर से बात की कि कुछ ले देकर वह उन्हें निकल जाने दें, जिससे कि ये विदेशी मेहमान गोरखपुर पहुंच कर किसी अच्छे होटल में रुक सकें जब तक फ्रांसीसी दूतावास से उन्हें कोई राहत नहीं मिल पाती है। पुलिस इंस्पेक्टर ने रमेश ड्राइवर से यह कहकर साफ मना कर दिया कि सम्पूर्ण देश में लॉक डाउन लागू हो चुका है इसलिए उनके लिए अब कोई रास्ता नहीं है इन्हें अब यहीं कहीं रुकना होगा।

रमेश ड्राइवर ने पुलिस इंस्पेक्टर के सीने पर लगी नेम प्लेट देखी और उसे देखते ही एक बार उसकी आशा ने जोर मारा और वह इंस्पेक्टर से बोला, "भोला नाथ जी। हम भी आपकी तरह पांडेय ब्राह्मण हैं और गोरखपुर के रहने वाले हैं। आप कुछ मदद कर देंगे तो यह एक ब्राह्मण का दूसरे ब्राह्मण पर बहुत बड़ा उपकार होगा"

इतना सुनते ही इंस्पेक्टर का दिल पिघल गया और बोले, "पांडेय जी, देखिए जो आप चाह रहे हैं वह तो नहीं हो सकता है लेकिन आपकी उम्र का लिहाज़ करते हुए मैं केवल इतना कर सकता हूँ कि आपके इन विदेशी मेहमानों को लक्ष्मीपुर गांव के मंदिर के गेस्ट हाउस में रुकवाने की व्यवस्था करवा दूँ। वहां के पुजारी केरल के रहने वाले बहुत सज्जन व्यक्ति हैं और अंग्रेजी भी बोल लेते हैं इसलिए इन्हें कोई तक़लीफ़ नहीं होगी"

रमेश ड्राइवर ने बहुत मज़बूरी में 'हाँ' कह दिया। रमेश ड्राइवर का उत्तर सुनकर इंस्पेक्टर पांडेय ने कहा, "जरा पौ होने दीजिए तो हम आपके साथ लक्ष्मीपुर गांव चलेंगे और इन लोगो का इंतजाम करवा देंगे। तब तक आप यहीं रुकिए। हम मेहमानों के लिए चाय की व्यवस्था करते हैं"

"
धन्यवाद", कहकर रमेश ड्राइवर एरॉन और एमेलिया के पास कार तक आया और पूरी बात बताई। रमेश ड्राइवर की बात सुनकर एरॉन ने एमेलिया से कहा, "हम लोग कहाँ आकर फंस गए"

एमेलिया बहुत सुलझी हुई महिला थी और जीवन में उसने कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया था। एरॉन को परेशान देखकर उसने कहा, "एरॉन तुम इतनी जल्दी परेशान हो जाते हो उससे समस्या का हल नहीं निकलता है। मुझे लगता है कि रमेश सही कह रहा है, अब और कोई चारा नहीं है हम लोगों को वही करना चाहिए जो पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा है। वहां चलते हैं और फिर दिन में अपनी एम्बेसी को कांटेक्ट कर उनसे मदद की गुहार लगाएंगे"

एरॉन ने एमेलिया को ध्यानपूर्वक सुना और उसे भी यही लगा कि अब कोई चारा नहीं है। वही करना होगा जो इन कठिन परिस्थितियों में मुमकिन है। इतने में पुलिस इंस्पेक्टर पांडेय ने सभी लोगों के लिए चाय भिजवाई जिसे पीकर वे लोग सुबह होने तक का इंतज़ार करने लगे। सुबह होते ही पुलिस इंस्पेक्टर पांडेय उनको अपने साथ लक्ष्मीपुर मंदिर लेकर आए और पूर्वी दरवाजे से प्रविष्ट हुए।

लक्ष्मीपुर गांव का मंदिर अपने आप में बहुत भव्य और देखने लायक था। प्रभु विष्णु और लक्ष्मी जी को समर्पित यह लक्ष्मी नारायण मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना था तथा लगभग पांच एकड़ जमीन के टुकड़े पर गांव से सट कर बना हुआ था। मंदिर का निर्माण नागर शैली में बलुई गुलाबी रंग के पत्थरों से कराया गया था। नागर शैली में जो मंदिर बनाये जाते हैं उनमें अर्ध मंडप, नृत्य मंडप और मुख्य गर्भ गृह बाकायदा धरातल से ऊंचे स्थान पर पत्थर में निर्मित किये जाते हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उसके चारों दिशा में परकोटा बना कर सुरक्षित किया गया था। मंदिर में जाने के दो दरवाज़े थे। मुख्य दरवाजा पूर्व दिशा में तथा दूसरा दरवाजा उत्तरी दिशा में स्थित था। उत्तरी दिशा का दरवाजा गांव के मुहाने पर ठाकुर साहब की हवेली के ठीक सामने था। इसी दरवाजे से ठाकुर परिवार के सदस्यों का आना जाना हुआ करता था और आम जन पूर्वी छोर के मुख्य दरवाजे से आया जाया करते थे। उत्तरी दरवाज़े के पश्चिम की ओर पुजारी जी का आवास और मंदिर की रख रखाव करने वाले सेवको के लिए लोगों के उचित निवास की व्यवस्था थी। उत्तरी दरवाजे के पूर्वी दिशा में परकोटे की ओर सुंदर मेहमानदारी और जल कुंड था। मंदिर परकोटे के ठीक बीचों बीच में एक ऊंचे स्थान पर बनाया गया था। मंदिर के चारों ओर परिक्रमा का प्रावधान और दक्षिणी दिशा में सुंदर बाग बगीचों के लिए स्थान सुरक्षित था जिसमें ऊंचे ऊंचे कई प्रकार के वृक्ष लगे हुए थे जो गर्मियों के दिनों में मंदिर परिसर में शीतलता प्रदान करने में सहायक होते थे।

इंस्पेक्टर पांडेय जी ने स्वामी नागार्जुन जी के निवास पर आकर उनसे भेंट कर विदेशी मेहमानों की रुकने की व्यवस्था करवा दी। स्वामी नागार्जुन ने एरॉन को तस्सली देते हुए कहा, "जब तक आपकी कोई उचित व्यवस्था नहीं हो जाती है तब तक आप लोग आराम से यहां रुक सकते हैं। चलिए मैं आपको रूम्स दिखा देता हूँ"

मंदिर के गेस्ट हाउस के रूम्स को देखकर एरॉन और एमेलिया को लगा इससे अच्छा कुछ और इंतज़ाम नहीं हो सकता है। रमेश ड्राइवर की मदद से उन्होंने आराम से अपना सामान लाकर दो कमरों में रख दिया। एक रूम में एरॉन और एमेलिया और दूसरे रूम में विक्टर लॉन और एस्टेले आराम से सेटल हो गए। जब सब लोग फ्रेश होकर तैयार हो गए बाद स्वामी नागार्जुन ने उन्हें ब्रेकफास्ट करने के लिए बुलवा भेजा। ब्रेकफास्ट टेबल पर स्वामी नागार्जुन ने उनसे कहा, "ब्रेकफास्ट मंदिर के गेस्ट हाउस के नियमानुसार खाना वग़ैरह वेजेटेरियन ही मिल सकेगा, अंडे वग़ैरह मंदिर में लाने की परमिशन नहीं है"

एमेलिया ने स्वामी जी को धन्यवाद देते हुए कहा, "आपके जो रूल्स हैं, हम उनका पालन करेंगे। वैसे भी हम लोग खाने पीने के मामले में बहुत चूजी नहीं है जो मिल जाएगा उससे हमारा काम चल जाएगा"

स्वामी नागार्जुन ने उनके लिए ब्रेकफास्ट में डोसा और कॉफी का इंतज़ाम कराया और एरॉन के मंदिर की व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर बताया, "हमारा यह लक्ष्मी नारायण बहुत प्राचीन मंदिर है जो विष्णु भगवान और लक्ष्मी जी को समर्पित है। इसकी व्यवस्था की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट की है और मुख्य ट्रस्टी पुराने ज़माने के जाने माने जमींदार घराने के ठाकुर अरनव सिंह और उनकी धर्मपत्नी अनिका सिंह जी की हैं। सिंह परिवार यहीं जो मंदिर के पास वाली हवेली में ही रहता है आप लोग ब्रेकफास्ट कर लीजिए। कुछ देर में जब वे यहां पूजापाठ के लिए आएंगे तो आपकी मैं उनसे भेंट करा दूंगा"

"
मुझे उनसे मिलकर बहुत प्रसन्नता होगी", एरॉन ने स्वामी जी का धन्यवाद किया। एरॉन परिवार फ्रेश होकर और नाश्ता करके ठाकुर अरनव सिंह जी के आने का इंतजार करने लगा।

क्रमशः

 

27-06-2020

गतांक से आगे: कल तक आपने पढ़ा कि एरॉन परिवार को लेकर इंस्पेक्टर पाण्डेय जी उन्हें लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्वामी नागार्जुन जी के पास छोड़ गए और उनकी रुकने की व्यवस्था मंदिर के गेस्ट हाउस में करा दी।

आगे जानिए...

एपिसोड 3

जब अरनव और अनिका मंदिर से पूजा पाठ कर जाने लगे तो स्वामी नागार्जुन ने फ्रांसीसी परिवार के बारे में उन्हें बताया। स्वामी नागार्जुन की बात सुनकर दोनों ही बहुत प्रसन्न हुए और उनसे मिलने की इच्छा ज़ाहिर की। स्वामी नागार्जुन ने धर्मवीर को भेज कर फ्रांसीसी परिवार को तुरंत बुलवाया और उनका परिचय सिंह दंपति से कराया। अरनव ने फ्रांसीसी परिवार को सांत्वना देते हुए कहा, "इस विपदा की घड़ी में आप हमारे मंदिर में पधारे हम इसे अपना सौभाग्य समझते हैं। आप जब तक लॉक डाउन समाप्त नहीं हो जाता तबतक यहां आराम से रहिये", स्वामी नागार्जुन की ओर मुड़ते हुए उनसे कहा, "स्वामी जी देखिएगा इन्हें यहां किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होना चाहिए"

"महाराज मंदिर में और सब व्यवस्थायें तो ठीक है लेकिन मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एरॉन परिवार को शायद हमारे मंदिर की भोज्य सामग्री उतनी पसंद न आये"

"स्वामी जी आप फ़िक्र न करिये एरॉन परिवार के खाने पीने की व्यवस्था हम हवेली पर करा देंगे", फिर एरॉन की ओर पलट कर देखते हुए कहा, "मिस्टर एंड मिसेज़ एरॉन आप बिल्कुल भी परेशान न होइए हम लोग सभी तरह का खाना खाते पीते हैं आप शाम को हमारे यहां आइए और डिनर करिए"

"थैंक यू सो वेरी मच मिस्टर सिंह"

"नो फॉर्मेलिटीज हम शाम को आपका इंतजार करेंगे। आपके बेटे और बेटी कहाँ हैं। उन्हें हमसे नहीं मिलवाइयेगा। हमारे यहां भी एक बेटा और एक बेटी है। क़िस्मत से वे दोनों आजकल यहीं आये हुए हैं। बच्चे आपस में मिलेंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा"

"स्योर मिस्टर सिंह", और एमेलिया की ओर पलट कर एरॉन ने कहा, "कैन यु कॉल विक्टर लॉन एंड एस्टेले। लेट दैम मीट मिस्टर एंड मिसेज़ सिंह"

एमेलिया तुरंत विक्टर लॉन और एस्टेले को अपने साथ बुलाकर ले आई और बच्चों का इंट्रोडक्शन मिस्टर एंड मिसेज़ सिंह से कराया। विक्टर लॉन और एस्टले से मिलकर अरनव और अनिका बहुत ख़ुश हुए। अनिका एमेलिया की ओर मुड़ते हुए बोली, "मिसेज़ एरॉन हम शाम को आपका इंतजार करेंगे। अगर आपको कुछ फ्रेंच क्यूजीन ही खाने हैं तो आपको मुझे ट्रेनिंग देनी पड़ेगी"

हंसकर एमेलिया ने कहा, "ऐसा कुछ नहीं हम लोग इंटरनेशनल ट्रैवेलर्स हैं और सभी प्रकार के भोजन खाने के शौक़ीन हैं। खासतौर पर इंडियन कुजीन। आप बेफ़िक्र रहिये"

"तब तो ठीक है फिर भी मैं किचेन स्टाफ को मिर्च मसाले कम ही रखने के लिए कह दूंगी"

एमेलिया और एरॉन ने मुस्कुराते हुए सिंह दंपति का शुक्रिया किया और शाम को मिलने की रजामंदी दी। शाम आठ बजे के करीब जब एरॉन परिवार ठाकुर हवेली पहुंचे तो सभी से मिलकर बहुत ख़ुश हुए। एरॉन और एमेलिया को तो विश्वास ही नहीं हुआ कि हिंदुस्तान के गांव में कुछ लोग शाही अंदाज में अपनी ज़िंदगी बसर करते हैं।

विक्टर लॉन और एस्टले भी अनुष्का और आरुष से मिलकर बहुत खुश हुए। चारों बच्चे लगभग हम उम्र थे इसलिए तुंरत वे ऐसे घुल मिल गए जैसे कि दूध में शक़्कर। बातों बातों में एरॉन को जब यह पता चला कि अरनव आईटीआई, मनकापुर में काम कर चुके हैं तो उन्होंने उन्हें अपने पिता मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो और मां शेर्लोट के बारे में बताया कि वे लगभग दो साल तक फ्रेंच एक्सपर्ट की तरह आईटीआई, मनकापुर में 1985-86 में रह चुके हैं। मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो और शेर्लोट की जब बात चली तो अरनव ने उन्हें बताया कि मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो उनके डिपार्टमेंट में ही एक्सपर्ट थे और उनसे उनकी बहुत अच्छी पटरी खाती थी।

अरनव ने यह भी कहा, "मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो और आपकी मां शेर्लोट हम लोगों के घर अक़्सर डिनर पर आया करते थे"

इतना जानकर दोनों परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई। खाने पीने को लेकर उन लोगों में बहुत देर बात चली। मनकापुर की यादों को आपस में बांटते हुए दोनों ही परिवार अतीत के दिनों में खो गए। एरॉन ने जब अरनव से पूछा, "क्या आप कभी फ्रांस गए हैं"

"जी नहीं। मुझे मौका ही नहीं मिला बाबजूद इसके कि मैने एचएल, बंगलोर की नौकरी इसलिए छोड़ी थी कि आईटीआई लिमिटेड मनकापुर नया प्लांट है, मुझे उम्मीद थी लेकिन ऐसा हो न सका"  

"ओह! सॉरी टू नो दैट", एरॉन ने दुःख जताते हुए कहा।

रात जब बहुत हो गई औ कॉफी का दौर जब ख़त्म हुआ तो अरनव ने एरॉन से अपनी ओर से कहा, "आपके रूम में टीवी नहीं है। मैं कल ही अपने आदमियों से कह दूंगा कि दोनों कमरों में टीवी लगवा दें जिससे कम से कम आप दुनिया से कनेक्टेड तो रह सकें"

एमेलिया ने झिझकते हुए कहा, "इतना फेवर ठीक नहीं लगता है, आप रहने ही दीजिए"

एमेलिया को उत्तर में अनिका ने कहा, "जब हम लोगों के बीच इतनी अच्छी जान पहचान निकल आई है तो इसमें फवेर की क्या बात है। वैसे भी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि आपको यहां कितने दिन लग जाएं"

इस पर एरॉन ने कहा, "मिसेज़ सिंह आप सही कह रहीं हैं। यही बात हमारी एम्बेसी ने कही है कि हम लोगों को यहां से निकालने में कुछ वीक्स लग सकते हैं"

चलते चलते भी दोनों परिवार के लोगों में बहुत देर तक बात होती रही अंत में अनरव ने ही उनसे कहा, "हम लोग हर रोज मंदिर में पूजा करने आते हैं उम्मीद है कि आप भी हमारे साथ पूजा में जुड़िये क्या पता प्रभु विष्णु ही आपकी कुछ मदद करें"

"हो सकता है, बिल्कुल हो सकता है। हम लोग भी यही विश्वास करते हैं कि जब कहीं से कुछ न हो रहा हो तो प्रभु यीशु ही आकर दरवाजा खोलते हैं। हम आपसे सुबह प्रेयर्स के समय मिलते हैं। माफ़ करिएगा आज हमने आपको बहुत तक़लीफ़ दी", एरॉन सिंह परिवार को धन्यवाद स्वरूप कहा।

"ओहो हमको तो पता ही नहीं था कि फ्रेंच लोग लखनऊ वालों से अदब, नज़ाकत और नफ़ासत में बढ़ कर होते हैं"

"व्हाट, लखनऊ क्या चीज है"

"बताऊंगा जब कभी हम फुर्सत से बैठेंगे तब, अभी नहीं। रात बहुत हो चुकी है चलिए हम आपको मंदिर के दरवाजे तक छोड़ देते हैं", कहकर अरनव और अनिका उन लोगो के साथ मंदिर के उत्तरी दरवाज़े तक आये और उनको गुड नाईट कहकर ही हवेली लौटे।

03-07-2020

गतांश से पहले: अपने वायदे के अनुसार अरनव एरॉन और एमेलिया को साथ लेकर अपने फार्म घुमाने के लिए मंदिर कंपाउंड से संध्याकाल की पूजा के बाद निकल पड़े।

एपिसोड 8

मंदिर के पूर्वी दरवाज़े से निकल कर सड़क के दूसरी छोर पर जाकर वे लोग पैदल ही खेतों के बीच गांव की पतली चक रोड पर चलते हुए कुछ ही देर मेंवे लोगें अरनव के फॉर्म हाउस आ पहुंचे। वहां खड़े होकर अरनव ने बताया कि चारों ओर जो बाग बगीचे और खेत दिखाई पड़ रहे हैं वे सब के सब उनके ही हैं। अरनव ने यह भी बताया, "दूर उस बाग के पीछे मंदिर की बहुत बड़ी ज़मीन है जिस पर आम का बाग है। उसी बाग की इनकम से मंदिर की देखभाल होती है"

"
तो क्या आपके यहाँ आम भी पैदा होते हैं", एरॉन ने अनरव से पूछा।

"
आइए आपको दिखा कर लातें हैं अपना आम का ऑर्चर्ड"

"
चलिए", कहकर एरॉन और एमेलिया अरनव के साथ हो लिए।

बाग में पहुंच कर अरनव ने बताया, "देखिए अभी आम बहुत छोटे हैं 15 जून तक बिल्कुल तैयार हो जाएंगे। बेहद ही मीठे होते हैं। ये हमारे यहां की मशहूर दशहरी वैराइटी है"

"
अभी इन आमों का टेस्ट कैसा होगा", एमेलिया ने अरनव से पूछा!

"
अभी तो खट्टा टेस्ट होगा"

"
एक आम मैं टेस्ट कर सकती हूं"

"
बिल्कुल", कहकर अरनव ने एक सेवक को पेड़ से एक अमियां तोड़ कर लाने के लिए कहा। जब सेवक अमियां लेकर आया तो अरनव ने उससे कहा कि अमियां को अच्छी तरह से धोकर उसकी फांक काट कर एक प्लेट में लेकर आए। जब सेवक दोबारा आया तो प्लेट में से एक एक फांक अरनव ने एरॉन और एमेलिया को दिया और कहा, "लीजिए टेस्ट कर के देखिए"

जैसे ही दोनों ने अमियां की फांक का थोड़ा सा टुकड़ा दांत से काटकर खाया तो दोनों का मुंह बन गया और एमेलिया बोली, "बहुत ही खट्टा है"

"
मिसेज एमेलिया हम लोग इसका अचार बना लेते हैं और फिर वह साल भर खाने के साथ पिकल की तरह इस्तेमाल किया जाता है", अरनव ने समझाते हुए कहा। जब एमेलिया अरनव की ओर ध्यान से देख रही थी तो अरनव ने उससे कहा, "...थोड़ा और खाइए"

"
नो, नो बहुत खट्टा है"

"
इसका मतलब यह हुआ कि मिसेज़ एमेलिया आप प्रेग्नेंट नहीं हैं"

जोर से हंसते हुए एमेलिया ने कहा, "मिस्टर अरनव मुझे मालूम है कि प्रेग्नेंट लेडीज़ को खट्टा खाना अच्छा लगता है। फ्रांस में भी जब तक प्रेग्नेंसी के टेस्ट वग़ैरह नहीं हुआ करते थे एल्डरली लेडी जान जातीं थीं कि उनके घर में किस यंगर लेडी को खट्टा खाने का मन कर रहा है और वह प्रेग्नेंट हो गई है"

"
एक्सएक्टली यही बात हमारे यहां की लेडीज भी कहा करतीं थीं", अरनव ने एमेलिया को समझाते हुए कहा।

एराॉन ने आम के बाग की ओर देखते हुए कहा, "बहुत खूबसूरत है, आपका मैंगो ऑर्चर्ड"

"
आपको आम खाने हैं तो जून तक रुकना पड़ेगा और तब आप हमारे ऑर्चर्ड में आपको आम उस तरह खाने होंगे जैसे कि गांव वाले खाते हैं"

"
वह भला कैसे"

"
पेड़ से आम तोड़कर एक पानी से भरी बाल्टी में ठंडे होने के लिए डाल दिये जाते हैं और फिर एक एक कर हम लोग सीधे आम को दबा दबा कर उसका रस इस तरह पी जाते हैं", यह कहकर अरनव ने अपने मुँह की ओर इशारा करते हुए बताया।

"
वाओ", एरॉन के मुंह से अचानक ही आम खाने की तरक़ीब पर ये शब्द निकले।

आम के ऑर्चर्ड से फार्म हाउस लौटते वक़्त एक खेत की ओर इशारा करके एमेलिया ने पूछ, "इस खेत में किस चीज की पैदावार है"

अरनव ने बताया, "इस खेत में ईख लगी है और इसी से चीनी बनाई जाती है"

"
यू मीन शुगरकेन"

"
यस यू आर राइट"

एरॉन ने अरनव से कहा, "फ्रांस में हम लोगों के यहां सुगरकेन की पैदावार तो नहीं होती है और अधिकतर शुगर इम्पोर्ट की जाती है। हो सकता है इंडिया भी सप्लाई करता हो मुझे उसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है"

"
मैंने सुना है कि फ्रांस में बीटरूट से शुगर बनाई जाती है", अरनव ने कहा।

"
हो सकता है, मुझे बहुत अधिक नही मालूम", एरॉन ने अरनव के सुझाव पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा।

जब वे लोग ईख के खेतों के बीच से चलते हुए फार्म हाउस की ओर लौट रहे थे तब एक खेत के किनारे गन्नों की पिराई हो रही थी, भट्टी चल रही थी और गुड़ बनाया जा रहा था। उसके बारे में एरॉन ने अरवन से काफी डिटेल्स में बात की। अरनव ने गुड़ बनाने की विधि के बारे में डिटेल्स में बताया और यह भी कहा कि यह स्वास्थ्यवर्धक है और इसमें किसी प्रकार के केमिकल्स का उपयोग नहीं किया जाता है। एक ज़माने में जो सामने कोेल्हू लगा है जिसमें गन्नौ को क्रश किया जा रहा है वह बैलों के सहारे चलाया जाता था लेकिन अब इस काम के लिए डीजल इन्जिन का इस्तेमाल होने लगा है! बातों बातों में अरनव ने यह भी कहा कि कल शाम जब आप डिनर करने के लिए हमारे यहां आएंगे तो आपको गन्ने के जूस की बनी हुई रसखीर परोसी जाएगी जो मुझे उम्मीद है आप लोगों को बहुत पसंद आएगी।

कुछ देर इधर उधर देखकर वे लोग फॉर्म हाउस के सामने कुर्सियों पर बैठ गए। थोड़ी ही देर में वहां जो स्टाफ़ था सभी के लिए चाय बनाकर ले आया। चाय के कप को एमेलिया की ओर बढ़ाते हुए अरनव ने कहा, "हो सकता है चाय में शुगर कुछ अधिक हो। गांव के लोग मीठी चाय पीना पसंद करते हैं"

"
चिंता की कोई बात नहीं। हम में से अभी तक कोई डायबिटीज का पेशेंट नहीं है", एमेलिया ने हंसते हुए कहा।

"
आप लोगों के लिए मिल्क कहाँ से आता है", एमेलिया ने अरनव से पूछा।

"
मैं तो यह बताना ही भूल गया कि मंदिर की अपनी गौशाला है और हम लोगों के लिए दूध वहीं से आता है। बिल्कुल प्योर मिल्क। शहर में तो मिल्क की क्वालिटी बहुत ख़राब मिलती है लेकिन हमारे यहां कोई इशू नहीं है"

"
मिस्टर अरनव आप बहुत अच्छी ज़िंदगी बिता रहे हैं। साफ़ सुथरा वातावरण। ख़ूब सारी ऑक्सीजन। अपने खेत की पैदा की हुई सब्ज़ियां और फ्रूट्स। ऐसी ज़िंदगी जीने के लिए पेरिस से सैकड़ों मील दूर जाना पड़ता है", एरॉन ने कहा।

"
एरॉन, मिस्टर सिंह की लाइफ स्टाइल देखकर मेरा भी मन कर रहा है कि हम अपने लिए कोई प्राॉपर्टी पेरिस से दूर जाकर खरीद कर वहीं रहें। कम से कम हम लोगों की ज़िंदगी के दस दस साल और बढ़ जाएंगे"

एरॉन ने हंसते हुए कहा, "तुम क्या बहुत लंबी जिंदगी जीना चाहती हो। मैं तो बस उसी समय तक जीना चाहूंगा जब तक मेरी सेहत ठीक रहे"

"
तुम ऐसा क्यों सोचते हो। तुम्हें मेरे जिंदा रहते तक मेरा साथ देना है"

"
ठीक, ठीक है भाई, ठीक है। रह लूंगा जितना तुम कहती हो", कहकर एरॉन ने एमेलिया का हाथ अपने हाथ में लेकर प्यार से दबाया। एमेलिया ने भी बढ़कर एरॉन को किस किया। फार्म हाउस पर खडे़ सभी सेवक एमेलिया को यह करते हुए अचंम्भित हो गए!
सूरज जब पश्चिमी क्षितिज पर पहुंचकर डूबने लगा तो वे लोग मंदिर की ओर वापस चल पड़े। एरॉन और एमेलिया बीच बीच में फ्रेंच भाषा में भी बात करते जा रहे थे। उनकी बातों को सुनकर अरनव ने कहा, "मैं फ्रेंच भले ही बोल न सकूं लेकिन थोड़ी बहुत समझता तो हूँ ही। मिस्टर एंड मिसेज बचेलेट के साथ रहकर सीखा था"

"
यह तो हम भूल ही गए थे। वैसे हम लोग कुछ ख़ास बात नहीं कर रहे थे", एरॉन ने कहा।

"
जानता हूँ, जानता हूँ", हंसकर अरनव ने भी बढ़कर एरॉन से हाथ मिलाया और मज़ाक करते हुए वे मंदिर लौट आये। एरॉन परिवार से विदाई लेते हुए अरनव ने कहा, "मिसेज़ एमेलिया आपका क्या ख़्याल है कि बच्चे लोग फार्म हाउस पर आकर एन्जॉय करेंगे"

"
व्हाई नॉट मिस्टर सिंह"

"
तो चलिए यह तय रहा कि एक दिन हम दाल बाटी का प्रोग्राम रखेंगे और खाना हम सभी मिलकर बनाएंगे"

एरॉन ने अरनव की पीठ पर हाथ रखा और कहा, "वन्डरफुल, फिर तो मज़ा आएगा बस एक चीज का ख़्याल रखियेगा कि हम आपके मेहमान नहीं होंगे"

"
क्या मतलब"

"
मिस्टर सिंह मेरा मतलब है कि हम भी उस दिन काम करेंगे", एरॉन ने कहा।

"
ठीक है", कहकर अरनव ने गुड नाईट कहा और अपनी हवेली का रुख किया।

क्रमशःक्रमशः

(नोट: चित्र उस स्थान का नहीं है जिस जगह का ज़िक्र कथानक में आया है)

 

28-06-2020

गतांक से आगे: कल तक आपने जाना कि एरॉन के परिवार की जब सिंह परिवार से भेंट हुई तो बातों बातों में उनके पुराने सम्बंध निकले जब अरनव मनकापुर प्लांट में कार्यरत थे और एरॉन के पिता सीआईटी अल्काटेल के फ्रेंच एक्सपर्ट होकर मनकापुर आये थे। उस समय अरनव और एरॉन के पिता ने साथ साथ काम किया था। उन लोगों ने डिनर बहुत ही पारिवारिक वातावरण में किया और बाद में अरनव और अनिका, एरॉन परिवार को मंदिर के उत्तरी दरवाजे तक छोड़कर गुड नाईट कहकर अपने घर वापस लौट गए।

उससे आगे..

एपिसोड 4

अरनव और अनिका तो एरॉन परिवार को मंदिर तक छोड़कर चले गए लेकिन एरॉन के मन में एक प्रश्न बना रहा कि जो आदमी इतनी शानो शौक़त से रहता हो उसको भला नौकरी करने की क्या ज़रूरत आन पड़ी होगी। एरॉन ने अपनी चिंताएं एमेलिया से जताते हुए यही प्रश्न पूछा। एमेलिया जो हिंदुस्तान के बारे में उतना ही जानती थी जितना कि एरॉन इसलिए उसने यही कहा, "होगा कोई उनका निजी कारण, हमको क्या करना है। हमें तो इस बात से ख़ुश होना चाहिए कि मिस्टर अरनव हमारे डैड के साथ आईटीआई, मनकापुर में काम कर चुके हैं। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि वे हमारी आगे भी मदद करते रहेंगे"

"तुम्हारी यह सोच भी ठीक है। हमें क्या करना है", एरॉन ने कहा और उसके बाद वे दोनों बच्चों के साथ गेस्ट हाउस में अपने अपने रूम में चले गए।

सुबह सुबह एरॉन परिवार फ्रेश होकर तैयार हो गया और मंदिर के पूजा ग्रह में अरनव और अनिका के आने का इंतज़ार करने लगा। अरनव के साथ अनिका तो थीं ही आज उनके दोनों बच्चे अनुष्का और आरुष भी साथ आये थे। मंदिर में लक्ष्मीपुर गांव के कई अन्य सज्जन व्यक्ति एवं महिलाएं भी वहां हर रोज़ की तरह उपस्थित थीं। सभी ने मिलकर स्वामी नागार्जुन के निर्देशन में विधिविधान से पूजा की और प्रसाद ग्रहण किया। पूजा के बाद स्वामी नागार्जुन ने हर रोज़ की तरह अपना सूक्ष्म संदेश दिया। जिसकी भाषा आज हिंदी न होकर अंग्रेजी थी। अपना संदेश देने के पहले ही स्वामी नागार्जुन ने एरॉन से पूछ लिया था कि अगर वह अपनी बात अंग्रेजी में रखते हैं तो उन्हें कोई दिक्कत तो नहीं होगी। एरॉन की सहमति प्राप्त होने पर उन्होंने समस्त मानव समाज के बीच प्रेमाभाव विषय पर अपनो सारगर्भित बात रखी और आशा की कि मानवता के उद्धार के लिए सभी लोग आपसी भाईचारा और प्रेम के प्रकाश को जगत में चहुंओर फैलाने का पुनीत कार्य कर प्रभु की इच्छा पूरी करेंगे। वहां उपस्तिथ समाज के सभी लोगों ने स्वामी नागार्जुन के उपदेश से अपनी सहमति जताई।

बाद में अरनव और अनिका, एरॉन तथा एमेलिया और विक्टर लॉन तथा एस्टेले के रूम में अपने बच्चों के साथ पहुंचे और एरॉन से पूछा, "कोई कमी तो नहीं है" इस पर एमेलिया ने कहा, "मच्छर बहुत हैं, लेकिन कोई बात नहीं धीरे धीरे हम बर्दास्त करने की आदत डाल लेंगे"

"नहीं, नहीं आप चिंता मत करें हम कुछ इंतज़ाम करते हैं", अनिका ने आश्वासन देते हुए धर्मवीर को बुला कर कहा, "दो मोस्क्विटो रिपेलेंट दोनों कमरों में लगाओ। टीवी वाले को बुलवा कर दोनों कमरों में एलईडी भी लगवा दो"

इसके एरॉन और एमेलिया दोनों ही अरनव और अनिका से बात करने लगे। उन लोगों को बात करते देख अनुष्का ने अरनव से कहा, "डैड आप लोग गपशप करिये हम लोग दूसरे कमरे में और विक्टर लॉन और एस्टेले से बातचीत कर रहे हैं"

जब बच्चे लोग आपस में मिले तो जैसे बच्चे आपस में बात करते हैं उन लोगों में उस तरह की बातें हुईं। एस्टेले से आरुष ने फ्रेंच लाइफ के ऊपर ख़ूब सवाल किए। उसी तरह एस्टेले ने आरुष से कहा, "मैंने सुना है कि बंगलोर तो बहुत मॉडर्न सिटी है शायद कुछ लिहाज में फ्रांस से भी ज्यादा मॉडर्न"

पहले तो आरुष समझा नहीं कि एस्टेले किसकी बात कर रही है लेकिन जब उसे एहसास हुआ तो हंसते हुए बोला, "यह तो सही है। मेरा मन कर रहा है, जब सब नॉर्मल हो जाय तो मैं तुम्हें खुद बंगलोर दिखाने ले चलूँ। एक बात तो अभी बता सकता हूँ कि बंगलोर में दवाई की दुकानों से अधिक वाइन शॉप और बार हैं"

इस पर एस्टेले ने अपने दोनों हाथ उठाकर आरुष के हथेलियों पर प्यार से मारते हुए पूछा, "क्या ऐसा है?"

"हाँ बिल्कुल ऐसा ही है जैसा मैं बता रहा हूँ"

दूसरी ओर अनुष्का, विक्टर लॉन को अपने आईटी कॉलेज होस्टल के किस्से सुनाकर हंसाती रहती। बाद में विक्टर लॉन ने भी अपने स्कूल के यार दोस्तों के किस्से ख़ूब सुनाए। विक्टर लॉन ने यह भी बताया कि फ्रांस में युवा लोग जब आपस में मिलते जुलते हैं तो नाचते गाते हैं और देर रात घर लौटते हैं।

"ना बाबा हमारे इंडिया में अभी इतनी फ्रीडम तो नहीं है लेकिन फ़िर भी आज से पांच साल पहले के कंपैरिजन में लाइफ स्टाइल में बहुत बदलाव आया है। हम लोग अक़्सर देर रात तक आपस में मोबाइल पर चैट करते हैं, वीडियो बनाते हैं और आपस में शेयर करते हैं", अनुष्का ने विक्टर लॉन को बताया।

बच्चे लोग आपस में बात कर ही रहे थे कि अनिका और एमेलिया उनके रूम में आईं और पूछा, "बच्चो क्या हो रहा है?"

"आंटी हम लोग आपस में नोट्स एक्सचेंज कर रहे हैं। एक दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे हैं। फ्रांस और इंडिया की कल्चरल वैल्यूज को लेकर बात कर रहे हैं", एस्टेले ने कहा।

"ठीक है तो तुम लोग बात करो मैं तुम्हारे डैड के साथ घर निकल रहीं हूँ", अनिका ने बच्चों से कहा और फिर एस्टेले से कहा, "तुम और विक्टर लॉन शाम को चार बजे टी टाइम पर हमारे यहां आ जाना बच्चों के लिअ कुछ ख़ास प्रोग्राम रखा है"

"जी आंटी। हम दोनों ठीक समय पर आ जाएंगे", एस्टेले ने अनिका को आश्वश्त किया।

क्रमशः

कलमकार की ओर से अपने सुधी पाठकों से एक विशिष्ट प्रार्थना: इस धारावाहिक के शुरूआती दौर के पांच एपिसोड तो हमने अपने अन्दाज़ में लिख लिए थे लेकिन प्रश्न यह है कि पाठकों की पसंद क्या है??? अगर आप अपनी चॉइस नहीं बताएंगे तो हम कथानक को आगे कैसे बढ़ाएंगे।

 

धन्यवाद सहित,

 

एस पी सिंह

 

कलमकार की ओर से अपने सुधी पाठकों से एक विशिष्ट प्रार्थना: इस धारावाहिक के शुरूआती दौर के पांच एपिसोड तो हमने अपने अन्दाज़ में लिख लिए थे लेकिन प्रश्न यह है कि पाठकों की पसंद क्या है??? अगर आप अपनी चॉइस नहीं बताएंगे तो हम कथानक को आगे कैसे बढ़ाएंगे।

धन्यवाद सहित,

एस पी सिंह

29-06-2020

गतांक से आगे: अरनव और कनिका अपने बच्चों के साथ सुबह सुबह मंदिर आये हुए थे जब उनकी मुलाकात एरॉन परिवार से हुई। पूजा अर्चना के बाद स्वामी नागार्जुन जी के संक्षिप्त संबोधन के बाद जब वे लोग चलने लगे तो अरनव ने एमेलिया से जब पूछा कि उन्हें कोई दिक्कत तो नहीं आ रही है। एमेलिया के मच्छरों की बात बताने पर अरनव ने धर्मवीर से उनके कमरों में मोस्क्विटो रिपेलेंट और टीवी लगवाने के लिए कहा।

एमेलिया के मन में कई जटिल प्रश्न घूमते रहे और वह रात भर बेचैन रही। वह सुबह उठकर प्रभु के दरबार में आकर बैठी जिससे कि मन में जो भाव पैदा हो रहे थे शांत हो सकें।

बस आज वहीं से कुछ और आगे...

एपिसोड 5

कुछ देर बाद एमेलिया अपने रूम से निकल कर मंदिर में भगवान के दरबार में आकर बैठ गई। उसे अकेले देख स्वामी नागार्जुन उसके पास आये और बैठते हुए पूछा, "क्या हुआ बेटी आज अकेले ही भगवान के दरबार में आकर बैठी हो"

"जी स्वामी जी। पेरिस में जब हम चर्च जाते हैं और यीशु की प्रार्थना करते हैं तो अशांत मन शांत हो जाता है। मेरा मन किया कि मैं कुछ देर भगवान के दरबार में बिताऊं"

"कोई चिंता खाए जा रही हो तो मुझे बताओ हम तुम्हारे साथ मिलकर प्रार्थना करेंगे। मुझे उम्मीद है, प्रभु हमारी मदद करेंगे"

"नहीं ऐसी कोई विशेष बात नहीं थी बस मैं सोच रही थी कि हम लोग किस इरादे से हिंदुस्तान आये थे और कहां आकर फंस गए"

स्वामी नागार्जुन ने एमेलिया को समझाते हुए कहा, "बेटी, इस बात को हमेशा ध्यान में रखना जो प्रभु करता है वह तुम्हारी भलाई के लिए करता है। यह बात और है कि हम उसे अपनी आंखों से देख नहीं पाते और महसूस नहीं कर पाते। मेरी यह बात ध्यान में रखना कि आज तुम अगर यहां बैठी हो तो यह भी तुम्हारे भले के लिए है। क्या पता जब तुम यहाँ से घर वापस जाओ तो यहां से अपने साथ क्या क्या लेकर जाओगी"

एमेलिया चुपचाप स्वामी नागार्जुन की बातें सुनती रही और मनन करने लगी तो उसे लगा जो स्वामी जी ने कहा वह सत्य ही है। कुछ देर बाद स्वामी जी ने एमेलिया से पूछा, "तुमको या तुम्हारे परिवार को यहां कोई तक़लीफ़ तो नहीं है। भोजन वगैरह तो ठीक लग रहा है"

"जी स्वामी जी हम लोग बहुत ख़ुश हैं", एमेलिया ने स्वामी जी उत्तर देते हुए कहा, "मेरी एक प्रार्थना है, क्या मैं हिंदुस्तानी खाना बनाना सीख सकती हूं जिससे हम लोग जब अपने देश में वापस जाएंगे तो कभी कभी यहां के व्यंजनों को बनाकर इन पलों को दोबारा जी लिया करेंगे"

"अच्छा विचार है", स्वामी नागार्जुन ने बताया, "मैं कामायनी से कह दूंगा कि तुम्हें हम लोगों वाला भोजन बनाने सिखा दे। मैं अभी उसे बुलाकर तुम्हारी मुलाकात करा देता हूँ। आनंदिता भी आजकल यहीं है उससे भी मिल लो"

"कामायनी,आनंदिता मैं कुछ समझी नहीं"

"कामायनी मेरी धर्मपत्नी है और आनंदिता मेरी पुत्री। आनंदिता तिरुवनंतपुरम में अपने चाचा के साथ रहकर पढ़ रही लेकिन वह आजकल यहीं आई हुई है"

कर्मवीर को इशारे से अपने पास बुलाकर स्वामी जी ने उससे कहा, "जाओ कामायनी और अनंदिता दोनों को बुला कर लाओ"

कुछ देर में ही कामायनी और आनंदिता आ गईं तब स्वामी नागराज ने उसकी मुलाकात एमेलिया से कराई और कहा, "एमेलिया हमारे भोजन बनाने की विधि को जानना और समझना चाहती है, क्या तुम उसकी मदद करोगी"

पहले तो कामायनी कुछ घबराई लेकिन स्वामी नागार्जुन के दोबारा कहने पर वह एमेलिया को खाना बनाना सिखाने के लिए तैयार हो गई और उसे वह अपने साथ मंदिर के पश्चिमी दरवाजे के दक्षिणी ओर बने अपने घर में ले गई। एमेलिया को उसने आदर सहित ज़मीन पर एक चादर बिछा कर बिठाया और बोली, "मैं अभी आती हूँ"

किचन में जाकर कामायनी जल्दी से कॉफी बनाकर स्टील टम्बलर को कोनेदार कटोरी में रख कर और एक प्लेट में खाने के लिए एक डिब्बे से कुछ मुरकू निकाल कर लेआई। कॉफी को एमेलिया को देते हुए बोली, "हमारे यहां जब कोई मेहमान आता है तो सबसे पहले हम उसे कॉफी पीने के लिए देते हैं और साथ में खाने के लिये कुछ नमकीन। लो यह मुरुकू है, जिसे यहां के लोग चकरी भी कह कर पुकारते हैं"

स्टील टम्बलर में कॉफी देख कर एमेलिया सकते में आ गई। उसकी परेशानी को समझते हुए कहा, "देखो, हम लोग कॉफी ऐसे पीते हैं", कामायनी ने थोड़ी कॉफी स्टील की कटोरी में गिराई और सिप लेकर दिखाया।

एमेलिया ने कॉफी का स्टील टम्बलर अपने हाथ में लेते हुए कामायनी को धन्यवाद कहा और कॉफी का पहला सिप जैसे कामायनी ने सिखाया था वैसे किया। कॉफी का सिप लेते ही उसका मन खिल उठा और बोली, "अरे यह तो बहुत बढ़िया कॉफी है, इसे कैसे बनाया जाता है"

"बताऊंगी एक एक कर के सब बताऊंगी लेकिन लो पहले मुरुकू भी टेस्ट करो", कामायनी एमेलिया को बताते हुए कहा, "हमारे साउथ का खाना पीना नार्थ के खाने पीने से एक दम अलग है। तुम्हें ठाकुर साहब के यहाँ का खाना हमारे यहां के खाने से एकदम अलग लगेगा"

एमेलिया ने कहा, "आप अपने यहां का खाना बनाना सिखा दीजिए। ठाकुर साहब के यहां मैं उनके यहां का खाना बनाना भी सीख लूंगी"

जब कामायनी और एमेलिया में बातें शुरू हुईं तो एमेलिया ने खाने पीने के अलावा साउथ इंडियन कल्चर के बारे में भी बहुत कुछ सीखा। चलते वक़्त आनंदिता को अपने सीने से लगाया और बोली, "बहुत ही प्यारी बेटी है आपकी। मैं इसे अपने साथ ले जा रहीं हूँ जिससे यह विक्टर लॉन और एस्टेले से मिल सके"

क्रमशः

(आनंदिता का चित्र केवल प्रतीकात्मक माना जाए)

गतांक से आगे: एमेलिया ने कामायनी के साथ जाकर बढ़िया साउथ इंडियन कॉफी का मज़ा साउथ इडिंयन स्टाइल में लिया और देर तक खाने पीने के बारे में बात चीत की। बाद में एमेलिया आनंदिता को विक्टर और एस्टेले से मिलवाने के लिए अपने साथ ले आई। जब आनंदिता उन लोगों से मिली तो आपस में बहुत अच्छी अच्छी बातें करीं।

आगे जानिए कि क्या हुआ....

30-06-2020

एपिसोड 6

एमेलिया, आनंदिता को साथ लेकर सीधे बच्चों के रूम में आई और उनकी मुलाकात आनंदिता से कराई। दोनों ही बच्चों ने आनंदिता से हाथ मिलाकर कहा, "नाइस टू मीट यू"

आनंदिता ने भी अपनी ओर से कहा कि मुझे भी तुम दोनों से मिलकर बहुत खुशी हुई। उसके बाद तीनों बैठकर आपस में बहुत देर तक बात करते रहे। आनंदिता ने उन्हें तिरुवनंतपुरम के बारे में बहुत कुछ बताया जिसे सुनकर विक्टर लॉन ने कहा, "मुझे लगता है कि तिरुवनंतपुरम बहुत अच्छी जगह है। वहां के सी बीच भी बहुत अच्छे होंगे"

"हां, बहुत शांत और साफ सुथरे। मुझे ख़ुशी होगी कि तुम दोनों वहां मेरे साथ घूमने चलो", आनंदिता ने कहा।

"अभी हम कुछ नहीं कह सकते। हमें लगता है कि हमारा इंडिया घूमने का प्रोग्राम ही खटाई में पड़ने वाला है जिस तरह यह कोविड 19 पेंडेमिक दुनिया भर में अपने पांव पसार रहा है"

"हूँ, यह बात तो है", आनंदिता बोली।

एस्टेले ने आनंदिता से कहा, "हमारी मुलाक़ात अनुष्का और आरुष से हुई थी। वे दोनों भी अब हमारे बहुत अच्छे दोस्त बन गए हैं"

"शायद मैं भी तो तुम्हारे अच्छे दोस्तों में से एक बन सकती हूं"

"यस आनंदिता स्योर, क्यों नहीं तुम हमारी अच्छी दोस्त बन चुकी हो"

आपस में बातों ही बातों में विक्टर लॉन ने आनंदिता को बताया कि वे आज शाम अनुष्का और आरुष के घर जा रहे हैं लगता है कि वहां कुछ खास होने वाला है।

"कुछ पता है क्या"

"यह तो आंटी ने नहीं बताया बस इतना कहा है कि शाम चार बजे हम लोग ठाकुर हवेली पहुंच जाएं। आनंदिता तुम भी हमारे साथ चलो"

"आज नहीं फिर कभी मैं तुम्हारे साथ ठाकुर हवेली जरूर चलूंगी मुझे अनिका आंटी से मिले हुए बहुत दिन हो गए हैं"

आनंदिता जब यह बात कर रही थी तब विक्टर की निगाह उसके हाथों में जो उसने चूड़ी पहनी हुई थी उन पर पड़ी। विक्टर लॉन ने आगे बढ़कर आनंदिता के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए पूछा, "ये कलरफ़ुल ग्लास बैंगल्स बहुत अच्छी लग रहीं हैं"

आनंदिता तो बस हसं के रह गई लेकिन एस्टेले ने विक्टर से पूछ लिया, "बहुत कुछ जानते हो लेडीज आइटम्स के बारे में"

"देखता हूँ न लड़कियों को पेरिस में पर वहां ग्लास बैंगल्स का चलन नहीं है"

"अच्छा अच्छा तुमने कभी मुझे नहीं बताया कि तुम्हारी निगाह किस पर है", एस्टेले ने पूछा कहा।

"किसी पर भी नहीं लेकिन इंडिया में एक लड़की ऐसी है", इतना सुनते ही आनंदिता ने अपने हाथ विक्टर के हाथों से छुड़ा कर पीठ के पीछे करके सिकोड़ लिए। उसके मन में अजीब तरह की गुदगुदी होने लगी। आनंदिता ने विक्टर लॉन और एस्टेले से कहा, "तुम लोगों को ठाकुर हवेली जाना है तुम लोग चलो में भी चलती हूँ"

जब आनंदिता चलने लगी तो एस्टेले ने उससे कहा, "यू हैव लवली आइज, ब्लैक लॉन्ग हेयर्स एंड वैरी एट्रेक्टिव फिगिर"

आनंदिता ने शर्माते हुए कहा, "थैंक्स फ़ॉर नाइस कॉम्प्लिमेंट लॉट ऑफ अदर्स हैव आल्सो सैड सो"

एस्टेले ने हंसते हुए कहा, "आई थॉट आईएम द फर्स्ट वन"

आनंदिता ने मुस्करा के जवाब दिया,"यू टू आर वेरी हैंडसम"

"ओह स्टॉप टॉकिंग लाइक स्मार्ट गर्ल्स, आईएम गेटिंग फेड अप", विक्टर लॉन ने अपने सिर के बालों को अपने दाएं हाथ की उंगलियों से सहलाते हुए कहा, "आई लव यू"

चलते चलते आनंदिता ने विक्टर लॉन की तरफ देखा, "क्या मैं तुम्हें विक्टर कह कर बुला सकती हूँ, मुझे छोटे नाम अच्छे लगते हैं"

पहले तो विक्टर लॉन आनंदिता की ओर देखता रह गया लेकिन कुछ देर बाद बोला, "मुझे किसी ने आजतक इतने प्यार से बताया ही नहीं कि मेरा छोटा नाम अधिक प्यारा है। मैं तुम्हें वाकई प्यार करने लगा हूँ"

आनंदिता ने केवल मुस्कुरा कर अपना उत्तर दिया और उनको बाय कहते हुए अपने घर लौट आई। आनंदिता के कमरे से बाहर जाते ही एस्टेले ने विक्टर लाॉन ने से कहा, "मैंने ही क्या डैड और माॉम को कभी एहसास नहीं हुआ कि अगर तुम्हें खाली विक्टर कह कर पुकारा जाए तो बहुत अच्छा होगा"

"तुम को जो अच्छा लगे वह कह कर बुलाओ, मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ता है"

"मुझे मालूम है कि जब आनंदिता ने तुम से पूछा कि क्या वह तुम्हैं विक्टर कह कर बुला सकती है तो तुमने उससे कहा कि तुम्हैं किसी ने आजतक इतने प्यार से बताया ही नहीं कि तुम्हारा छोटा नाम अधिक प्यारा है"

"हां, मैंने उससे यही तो कहा था.... तो क्या हो गया"

ऐस्टेले ने विक्टर की निगाह में झांक कर पूछा, "क्या तुम उसे वाकई चाहने लगे हो"

"शायद हां ....और शायद नहीं भी", कहकर विक्टर ठाकुर हवेली चलने के लिए उठ खडा़ हुआ और एस्टेले से बोला, "चलो चार बजने वाले हैं हम लोग ठाकुर हवेली चलें"

जब विक्टर और एस्टेले ठाकुर हवेली पहुंच कर आरुष और अनिष्का से मिले तो उनके चेहरे पर एक ही सवाल था कि अनिका आंटी ने उन्हें क्यों बुलाया है। क्या कोई खास प्रोग्राम है। अनिका ने उन्हें आराम से बैठने के लिए कहा।

कुछ देर में ठाकुर हवेली के आँगन में एक गांव का आदमी डुगडुगी बजाता आया उसके साथ एक बंदर और एक बंदरिया थे। अनिका ने बच्चों को बताया, "तुम लोग बोर हो रहे होगे इसलिए मैंने सोचा क्यों न आज कुछ ऐसा किया जाए जो थोड़ा लीक से हटकर हो और तुम्हे अच्छा भी लगे। तुमने शायद पहले कभी बंदरो को डांस करते हुए नहीं देखा होगा"

अनिका के कहने पर बच्चों के आधे घंटे तक बंदर बंदरिया के नाच गाने का प्रोग्राम होता रहा। बाद में अनिका ने पूछा, "बच्चो कैसा लगा"

विक्टर और एस्टेले ने यही कहा, "आंटी यह हमारे लिए एक अजब गजब एक्सपीरिएंस था। थैंक्स"

कुछ देर ही में अनिका सभी के लिए बाउल्स में आइस क्रीम लेकर आईं और बोली, "लो बच्चो मन भर के घर की बनी हुई आइस क्रीम खाओ। अच्छी लगे तो और मांग लेना"

एस्टेले और विक्टर ने पेरिस में कई तरह की आइस क्रीम खाई थी लेकिन जो अनिका आंटी ने उन्हें खाने के लिए दी वह टेस्ट में बिल्कुल अलग सी थी इसलिए दोनों ने यही कहा, "आंटी ये तो बहुत अच्छी है। क्या हमें कुछ और मिल सकती है"

"श्योर", कह कर अनिका ने उन्हें दूसरे बाउल में और आइस क्रीम दी और बताया कि इंडिया में इसे कुल्फ़ी कहते हैं और यह प्योर मिल्क और कुछ खास सूखे मेवे डालकर बनाई जाती है। एस्टेले ने इंडिया में अन्य प्रकार की मिलने वाली आइस क्रीम के बारे में पूछा तो अनुष्का ने जवाब देते हुए कहा, "एक नहीं अनेक वैराइटी की लेकिन यहां नहीं उसके लिए तुम्हैं मेरे साथ बंगलोर चलना पड़ेगा"

विक्टर ने मुस्कराते हुए कहा, "बेटर नेक्स्ट टाइम"

एस्टेले और विक्टर उस दिन देर शाम मंदिर लौटे और अपने डैड और मॉम को आज के फन टाइम के बारे में बताया। एरॉन और एमेलिया ने एक दूसरे की ओर देखा और बोले, "सिंह परिवार बहुत केयरिंग एंड लविंग हैं। दुनिया में यह एक इंडियंस ही हैं जो अनजान लोगों को इतना प्यार करते हैं। अपने यहां तो किसी के पास बात करने का भी समय नहीं होता है किसी को भला कोई प्यार क्या बांटेगा"

एरॉन ने कुछ कहा तो नहीं लेकिन मन ही मन भारतीयों की मेहमाननबाजी के लिए सराहा।

क्रमशः

 

 

 

गतांक से आगे: जब आनंदिता, विक्टर और एस्टेले से आपस में एक दूसरे से मिलीे तो उन लोगों ने आपस में अच्छी अच्छी बातें करीं। विक्टर ने तो आनंदिता की आंखों की बहुत तारीफ़ की और यह भी कहा कि उसका फ़िगर बहुत अच्छा है।

आगे जानिए फिर क्या हुआ...

01-07--2020

एपिसोड 7

आनंदिता, विक्टर और एस्टेले से मिलकर जब अपने घर जा रही थी तो उसके पांव ज़मीन पर ही नहीं पड़ रहे थे।आनंदिता महसूस कर रही थी जैसे कि वह सातवें आसमान पर हो। घर पहुंच कर उसने जल्दी से अपने आपको आईने में देखा और पहली बार एहसास किया कि वह वास्तव में वह बेहद खूबसूरत है। उसकी काली काली बड़ी बड़ी आंखे, सुंदर नाक नक्श, लंबे काले बाल किसी का भी दिल जीत लेने के लिए काफी हैं। उसने जल्दी से अपनी कजरारी आंखों की कोर से थोड़ा सा काजल चुराया और अपने बाएं कान के पास लगाया जिससे कि किसी की नज़र न लगे। उसे पता ही न चला वह जब यह सब कर रही थी तो उसकी माँ कामायनी उसके ठीक पीछे खड़ी होकर उसे निहार रही है। अनंदिता ने जब आईने में माँ के चेहरे का अक़्स देखा तो अचानक पलट कर बोली, "माँ, तुम। तुम यहाँ क्या कर रही हो"

"मैं यहां क्या कर रही हूँ बताती हूँ। मैं अपनी बेटी को निहार रही हूँ और मुझे आज पहली बार एहसास हुआ कि मेरी बेटी ख़ुद को आईने में निहारने लगी है। मेरी बेटी बड़ी हो गई है। जरा इधर तो आ", कहकर कामायनी ने आनंदिता को अपने आग़ोश में भर कर सीने से लगाया और उसके चेहरे को बार बार चूमा और बोली, "सही सही बताना आज ऐसा क्या हुआ जो मेरी बेटी अपने आप से इतनी ख़ुश है"

"माँ, तुम भी छोड़ो न मुझे क्या हुआ। बस ऐसे ही मन किया"

"बेटी मैं भी कभी तेरी उम्र की थी जब तेरे पिता ने एक दिन मुझे देखा और देखते रह गए और मेरे करीब आकर बोले कि मैं उनके दिल में समा गई हूं, उन्हें मैं बहुत अच्छी लगी जो बाद में हम दोनों के बीच पवित्र विवाह का कारण बनी"

आनंदिता को लगा कि वह सही सही बता दे कि आज विक्टर ने उसे कहा कि वह मुझे प्यार करता है, मेरी आँखें बहुत सुंदर हैं, मेरे लंबे काले काले घनेरे बाल बहुत अच्छे हैं, मेरा फ़िगर बहुत ही मन लुभावन है। ....और भी बहुत कुछ कहा कि वह मेरे साथ तिरुवनंतपुरम को देखना चाहता है वहां के बीच पर सागर में तैरना चाहता है। लेकिन यह सोचते ही कि वह कोई केरल से नहीं है वह तो बस उतने दिन के लिए इंडिया में है जब तक यहां लॉक डाउन है। लॉक डाउन ख़त्म हुआ नहीं तो वह फुर्र से पेरिस के लिए उड़ जाएगा। इसलिए उसने माँ को कुछ भी नहीं बताने का निश्चय किया। लेकिन उसकी माँ कामायनी भी सब दुनियादारी समझती थी इसलिए वह भी पीछे ही पड़ गई और बोली, "आनंदिता जो तेरे मन के भीतर चल रहा है मुझे उसके बारे में साफ़ साफ़ बता"

माँ की ज़िद देखकर आनंदिता ने झूठी कहानी बनाते हुए कहा, "माँ आज मुझे अनुष्का दीदी मिलीं थीं उन्होंने ही मेरी बहुत तारीफ़ की कि मेरी आँखें, मेरा फ़िगर, लंबे लंबे काले काले बाल बहुत सुंदर हैं तो बस मैं वही चेक कर रही थी कि क्या वास्तव में मैं वैसी हूँ जैसी उनको लगी। बस कोई और बात नहीं है"

"तू आरुषि को कहां मिली"

"तू भूल गई मुझे अनिका आंटी और सिंह अंकल अपने साथ गेस्ट हाउस जो ले गए थे वहीं मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। वहां अनुष्का और आरुष भी आए हुए थे आरुष के साथ विक्टर और एस्टेले से मिलने"

"बहुत प्यारे लोग हैं न जाने कहाँ इस लॉक डाउन के चलते वे लोग यहां फंस गए हैं। वह तो अच्छा हुआ कि इंस्पेक्टर पांडेय उनको यहां ले आए नहीं तो पता नहीं कहाँ जाते क्या करते"

"हाँ माँ यह तो है", अनंदिता ने अपनी माँ से कहा और प्यार जताने के लिए उनके सीने से जा लगी।

क्रमशः

गताशं से आगे: कल तक आपने जाना कि कामायनी ने आनंदिता से घर वापस लौटने पर खूब बातचीत की और अतं में उसने इन्सपेक्टर पांडेय जी को स्वामी जनार्दन के साथ देखा! आगे जानिये कि क्या हुआ!

 

एपिसोड 8

 

कामायनी ने जैसे ही इंस्पेक्टर पांडेय का नाम लिया तो देखा वह स्वामी जी के साथ घर की ओर ही चले आ रहे हैं। अंदर आते ही स्वामी नागार्जुन ने कामायनी को आवाज़ लगाई और दो कॉफी बनाने के लिए कहा। कामायनी ने भी उत्तर देते हुए कहा, "बस दो मिनट में लाती हूँ"

 

स्वामी नागार्जुन ने इंस्पेक्टर पांडेय से पूछा, "कैसे आना हुआ पांडेय जी?"

 

"स्वामी जी, मुझे उन विदेशी मेहमानों के पर्सनल डिटेल्स लेने हैं जिससे मैं सरकार को उनके बारे में सूचित कर सकूं"

 

"बेहतर है। आइए हम लोग गेस्ट हाउस चलते हैं वहीं उनसे मुलाकात हो सकेगी"

 

कॉफी पीने के बाद गेस्ट हाउस पहुंच कर स्वामी नागार्जुन ने एरॉन से बातचीत की। एरॉन ने तुरंत अपने परिवार के सदस्यों के पासपोर्ट निकाले और इंस्पेक्टर पांडेय जी को दे दिये। इंस्पेक्टर पांडेय ने उन पासपोर्टों की स्कैनिंग की और एरॉन को वापस कर दिए। एरॉन ने पासपोर्ट लेते हुए इंस्पेक्टर पांडेय से पूछा, "मिस्टर पांडेय हमारे लिए कोई न्यूज़"

 

"नहीं सर अभी आपको कुछ और दिन यहीं रुकना होगा। जैसे ही कोई सूचना मुझे मिलेगी मैंआपको सूचित करूंगा", इंस्पेक्टर पांडेय ने कहा।

 

"हम इंतज़ार करेंगे"

 

उसके बाद इंस्पेक्टर पांडेय और स्वामी नागार्जुन वापस अपने घर लौट आये। इंस्पेक्टर पांडेय ने फ्रांसीसी परिवार की गतिविधियों के बारे में कुछ सवाल स्वामी नागार्जुन से किये जिसके उत्तर में स्वामी नागार्जुन ने उन्हें बताया, "बहुत भले लोग हैं कहीं नहीं जाते हैं। बस मंदिर कंपाउंड में रहते हैं या ठाकुर साहब के साथ गपशप करने के लिए उनके यहाँ चले जाते हैं"

 

इतना जान लेने के बाद इंस्पेक्टर पांडेय फिर वहां से अपनी मोटर बाइक शुरू कर निकलने लगे तो रमेश ड्राइवर सामने पड़ गए। रमेश ड्राइवर ने इंस्पेक्टर पांडेय जी का हालचाल लेने के लिए कहा, "पांडेय जी कैसे हैं। कब तक रास्ता खुल जाने की उम्मीद है"

 

इंस्पेक्टर पांडेय ने उत्तर देते हुए कहा, "नमस्ते पंडित जी महाराज, अभी हाल फिलहाल में तो कोई उम्मीद नहीं है। आज हम अपनी रिपोर्ट लखनऊ हेड क्वार्टर भेज रहें हैं वहां से रिपोर्ट दिल्ली जाएगी तब कुछ पता चल पाएगा कि आपके मेहमान तब तक यहां से निकल सकेंगे"

 

"अरे महाराज कुछ ले देके हमको बढ़ने दो"

 

हंसते हुए इंस्पेक्टर पांडेय ने कहा, "पंडित जी महाराज हम आपके कहने पर चले तो शर्तिया पुलिस के महकमे से बाहर कर दिए जायंगे"

 

"ठीक है, जो प्रभु की इच्छा। बैठे बैठे हमारी सब हड्डियां जाम हो गईं हैं", ड्राइवर पांडेय ने कहा।

 

रमेश ड्राइवर की बात सुनकर इंस्पेक्टर पांडेय मुस्कुराए और अपने थाने के लिए निकल गए।

 

शाम को जब अरनव घूमते हुए मंदिर आए और एरॉन से मिले तो एरॉन ने उन्हें पुलिस इंस्पेक्टर के आने की बात बताई तो अरनव ने भी यही कहा, "यह सब सरकारी प्रक्रिया के अंग हैं इसलिए पुलिस के साथ सहयोग तो करना ही पड़ेगा"

 

एरॉन को अरनव से बात करते देख एमेलिया भी बाहर आगई और अरनव से गुड इवनिंग कहा तो अरनव ने पूछा, "मिसेज़ एमेलिया आप कैसी हैं"

 

"मैं तो ठीक हूँ, अनिका और बच्चे कैसे हैं"

 

"वो सब लोग ठीक है यह बताइए कि आपके रूम में टीवी लगा कि नहीं"

 

"मिस्टर अरनव थैंक यू टीवी भी लग गया और मोस्क्विटो रिपेलेंट भी आ गया है", एमेलिया ने उत्तर में कहा।

 

"आपके मतलब के कोई प्रोग्राम आते हैं या नहीं"

 

"अभी बहुत तो नहीं देखा है वैसे बीबीसी और सीएनएन आता है उससे ख़बरें मिल जातीं हैं। वैसे हम लोगों के लिए इंडिया के इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी हैं। बच्चों को यहां की फ़िल्मों के गाने और डांस अच्छे लगते हैं तो वह अपनी पसंद के प्रोग्राम देखते रहते हैं"

 

"चलिए समथिंग इज बेटर दैन नथिंग। वैसे आप इंग्लिश के एंटरटेनमेंट चैनेल भी देख सकते हैं", अरनव ने एमेलिया से कहा। इसके बाद पलटते हुए एरॉन से पूछा, "अगर आप लोग फ्री हैं तो चलिए हम आपको अपना फार्म दिखा लाएं"

 

एरॉन ने कहा, "अरे यह तो बहुत बढ़िया प्रोग्राम है। एमेलिया भी चलेगी हम लोगों के साथ"

 

"बच्चे चलना चाहें तो वह भी हमारे साथ चल सकते हैं", अरनव ने कहा।

 

एमेलिया जब विक्टर और एस्टेले से पूछने गई तो उन्होंने उत्तर दिया कि वे लोग आनंदिता के यहां कॉफ़ी पीने जा रहे हैं। अरनव ने यह सुनकर कहा, "कोई बात नहीं उनके लिए हम लोग कुछ स्पेशल प्रोग्राम रखेंगे उनको तब ले चलेंगे"

 

क्रमश:

 

 

 

03-07-2020


गतांश से पहले: अपने वायदे के अनुसार अरनव एरॉन और एमेलिया को साथ लेकर अपने फार्म घुमाने के लिए मंदिर कंपाउंड से संध्याकाल की पूजा के बाद निकल पड़े।

एपिसोड 8

मंदिर के पूर्वी दरवाज़े से निकल कर सड़क के दूसरी छोर पर जाकर वे लोग पैदल ही खेतों के बीच गांव की पतली चक रोड पर चलते हुए कुछ ही देर मेंवे लोगें अरनव के फॉर्म हाउस आ पहुंचे। वहां खड़े होकर अरनव ने बताया कि चारों ओर जो बाग बगीचे और खेत दिखाई पड़ रहे हैं वे सब के सब उनके ही हैं। अरनव ने यह भी बताया, "दूर उस बाग के पीछे मंदिर की बहुत बड़ी ज़मीन है जिस पर आम का बाग है। उसी बाग की इनकम से मंदिर की देखभाल होती है"

"
तो क्या आपके यहाँ आम भी पैदा होते हैं", एरॉन ने अनरव से पूछा।

"
आइए आपको दिखा कर लातें हैं अपना आम का ऑर्चर्ड"

"
चलिए", कहकर एरॉन और एमेलिया अरनव के साथ हो लिए।

बाग में पहुंच कर अरनव ने बताया, "देखिए अभी आम बहुत छोटे हैं 15 जून तक बिल्कुल तैयार हो जाएंगे। बेहद ही मीठे होते हैं। ये हमारे यहां की मशहूर दशहरी वैराइटी है"

"
अभी इन आमों का टेस्ट कैसा होगा", एमेलिया ने अरनव से पूछा!

"
अभी तो खट्टा टेस्ट होगा"

"
एक आम मैं टेस्ट कर सकती हूं"

"
बिल्कुल", कहकर अरनव ने एक सेवक को पेड़ से एक अमियां तोड़ कर लाने के लिए कहा। जब सेवक अमियां लेकर आया तो अरनव ने उससे कहा कि अमियां को अच्छी तरह से धोकर उसकी फांक काट कर एक प्लेट में लेकर आए। जब सेवक दोबारा आया तो प्लेट में से एक एक फांक अरनव ने एरॉन और एमेलिया को दिया और कहा, "लीजिए टेस्ट कर के देखिए"

जैसे ही दोनों ने अमियां की फांक का थोड़ा सा टुकड़ा दांत से काटकर खाया तो दोनों का मुंह बन गया और एमेलिया बोली, "बहुत ही खट्टा है"

"
मिसेज एमेलिया हम लोग इसका अचार बना लेते हैं और फिर वह साल भर खाने के साथ पिकल की तरह इस्तेमाल किया जाता है", अरनव ने समझाते हुए कहा। जब एमेलिया अरनव की ओर ध्यान से देख रही थी तो अरनव ने उससे कहा, "...थोड़ा और खाइए"

"
नो, नो बहुत खट्टा है"

"
इसका मतलब यह हुआ कि मिसेज़ एमेलिया आप प्रेग्नेंट नहीं हैं"

जोर से हंसते हुए एमेलिया ने कहा, "मिस्टर अरनव मुझे मालूम है कि प्रेग्नेंट लेडीज़ को खट्टा खाना अच्छा लगता है। फ्रांस में भी जब तक प्रेग्नेंसी के टेस्ट वग़ैरह नहीं हुआ करते थे एल्डरली लेडी जान जातीं थीं कि उनके घर में किस यंगर लेडी को खट्टा खाने का मन कर रहा है और वह प्रेग्नेंट हो गई है"

"
एक्सएक्टली यही बात हमारे यहां की लेडीज भी कहा करतीं थीं", अरनव ने एमेलिया को समझाते हुए कहा।

एराॉन ने आम के बाग की ओर देखते हुए कहा, "बहुत खूबसूरत है, आपका मैंगो ऑर्चर्ड"

"
आपको आम खाने हैं तो जून तक रुकना पड़ेगा और तब आप हमारे ऑर्चर्ड में आपको आम उस तरह खाने होंगे जैसे कि गांव वाले खाते हैं"

"
वह भला कैसे"

"
पेड़ से आम तोड़कर एक पानी से भरी बाल्टी में ठंडे होने के लिए डाल दिये जाते हैं और फिर एक एक कर हम लोग सीधे आम को दबा दबा कर उसका रस इस तरह पी जाते हैं", यह कहकर अरनव ने अपने मुँह की ओर इशारा करते हुए बताया।

"
वाओ", एरॉन के मुंह से अचानक ही आम खाने की तरक़ीब पर ये शब्द निकले।

आम के ऑर्चर्ड से फार्म हाउस लौटते वक़्त एक खेत की ओर इशारा करके एमेलिया ने पूछ, "इस खेत में किस चीज की पैदावार है"

अरनव ने बताया, "इस खेत में ईख लगी है और इसी से चीनी बनाई जाती है"

"
यू मीन शुगरकेन"

"
यस यू आर राइट"

एरॉन ने अरनव से कहा, "फ्रांस में हम लोगों के यहां सुगरकेन की पैदावार तो नहीं होती है और अधिकतर शुगर इम्पोर्ट की जाती है। हो सकता है इंडिया भी सप्लाई करता हो मुझे उसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है"

"
मैंने सुना है कि फ्रांस में बीटरूट से शुगर बनाई जाती है", अरनव ने कहा।

"
हो सकता है, मुझे बहुत अधिक नही मालूम", एरॉन ने अरनव के सुझाव पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा।

जब वे लोग ईख के खेतों के बीच से चलते हुए फार्म हाउस की ओर लौट रहे थे तब एक खेत के किनारे गन्नों की पिराई हो रही थी, भट्टी चल रही थी और गुड़ बनाया जा रहा था। उसके बारे में एरॉन ने अरवन से काफी डिटेल्स में बात की। अरनव ने गुड़ बनाने की विधि के बारे में डिटेल्स में बताया और यह भी कहा कि यह स्वास्थ्यवर्धक है और इसमें किसी प्रकार के केमिकल्स का उपयोग नहीं किया जाता है। एक ज़माने में जो सामने कोेल्हू लगा है जिसमें गन्नौ को क्रश किया जा रहा है वह बैलों के सहारे चलाया जाता था लेकिन अब इस काम के लिए डीजल इन्जिन का इस्तेमाल होने लगा है! बातों बातों में अरनव ने यह भी कहा कि कल शाम जब आप डिनर करने के लिए हमारे यहां आएंगे तो आपको गन्ने के जूस की बनी हुई रसखीर परोसी जाएगी जो मुझे उम्मीद है आप लोगों को बहुत पसंद आएगी।

कुछ देर इधर उधर देखकर वे लोग फॉर्म हाउस के सामने कुर्सियों पर बैठ गए। थोड़ी ही देर में वहां जो स्टाफ़ था सभी के लिए चाय बनाकर ले आया। चाय के कप को एमेलिया की ओर बढ़ाते हुए अरनव ने कहा, "हो सकता है चाय में शुगर कुछ अधिक हो। गांव के लोग मीठी चाय पीना पसंद करते हैं"

"
चिंता की कोई बात नहीं। हम में से अभी तक कोई डायबिटीज का पेशेंट नहीं है", एमेलिया ने हंसते हुए कहा।

"
आप लोगों के लिए मिल्क कहाँ से आता है", एमेलिया ने अरनव से पूछा।

"
मैं तो यह बताना ही भूल गया कि मंदिर की अपनी गौशाला है और हम लोगों के लिए दूध वहीं से आता है। बिल्कुल प्योर मिल्क। शहर में तो मिल्क की क्वालिटी बहुत ख़राब मिलती है लेकिन हमारे यहां कोई इशू नहीं है"

"
मिस्टर अरनव आप बहुत अच्छी ज़िंदगी बिता रहे हैं। साफ़ सुथरा वातावरण। ख़ूब सारी ऑक्सीजन। अपने खेत की पैदा की हुई सब्ज़ियां और फ्रूट्स। ऐसी ज़िंदगी जीने के लिए पेरिस से सैकड़ों मील दूर जाना पड़ता है", एरॉन ने कहा।

"
एरॉन, मिस्टर सिंह की लाइफ स्टाइल देखकर मेरा भी मन कर रहा है कि हम अपने लिए कोई प्राॉपर्टी पेरिस से दूर जाकर खरीद कर वहीं रहें। कम से कम हम लोगों की ज़िंदगी के दस दस साल और बढ़ जाएंगे"

एरॉन ने हंसते हुए कहा, "तुम क्या बहुत लंबी जिंदगी जीना चाहती हो। मैं तो बस उसी समय तक जीना चाहूंगा जब तक मेरी सेहत ठीक रहे"

"
तुम ऐसा क्यों सोचते हो। तुम्हें मेरे जिंदा रहते तक मेरा साथ देना है"

"
ठीक, ठीक है भाई, ठीक है। रह लूंगा जितना तुम कहती हो", कहकर एरॉन ने एमेलिया का हाथ अपने हाथ में लेकर प्यार से दबाया। एमेलिया ने भी बढ़कर एरॉन को किस किया। फार्म हाउस पर खडे़ सभी सेवक एमेलिया को यह करते हुए अचंम्भित हो गए!
सूरज जब पश्चिमी क्षितिज पर पहुंचकर डूबने लगा तो वे लोग मंदिर की ओर वापस चल पड़े। एरॉन और एमेलिया बीच बीच में फ्रेंच भाषा में भी बात करते जा रहे थे। उनकी बातों को सुनकर अरनव ने कहा, "मैं फ्रेंच भले ही बोल न सकूं लेकिन थोड़ी बहुत समझता तो हूँ ही। मिस्टर एंड मिसेज बचेलेट के साथ रहकर सीखा था"

"
यह तो हम भूल ही गए थे। वैसे हम लोग कुछ ख़ास बात नहीं कर रहे थे", एरॉन ने कहा।

"
जानता हूँ, जानता हूँ", हंसकर अरनव ने भी बढ़कर एरॉन से हाथ मिलाया और मज़ाक करते हुए वे मंदिर लौट आये। एरॉन परिवार से विदाई लेते हुए अरनव ने कहा, "मिसेज़ एमेलिया आपका क्या ख़्याल है कि बच्चे लोग फार्म हाउस पर आकर एन्जॉय करेंगे"

"
व्हाई नॉट मिस्टर सिंह"

"
तो चलिए यह तय रहा कि एक दिन हम दाल बाटी का प्रोग्राम रखेंगे और खाना हम सभी मिलकर बनाएंगे"

एरॉन ने अरनव की पीठ पर हाथ रखा और कहा, "वन्डरफुल, फिर तो मज़ा आएगा बस एक चीज का ख़्याल रखियेगा कि हम आपके मेहमान नहीं होंगे"

"
क्या मतलब"

"
मिस्टर सिंह मेरा मतलब है कि हम भी उस दिन काम करेंगे", एरॉन ने कहा।

"
ठीक है", कहकर अरनव ने गुड नाईट कहा और अपनी हवेली का रुख किया।

क्रमशः

 

गताशं से आगे: कल एरान एमेलिया अरनव के फार्म पर घूमने गए थे वहां से मदिंर जब वे वापस लौटे तो उन्होंने पाया कि....

 

एपिसोड 9

 

एरॉन और एमेलिया जब अरनव के फार्म से लौटकर आये और बच्चों के कमरे में गए तो उन्होंने उन्हें वहां नहीं पाया तो उन्हें लगा कि वे लोग आनंदिता के यहां से वापस नहीं आये यह सोचकर वे दोनों अपने कमरे में जाकर रिलैक्स होने के लिए बेड पर जा लेटे।

 

उधर दूसरी ओर विक्टर और एस्टेले आनंदिता के यहां जब शाम को पहुंचे तो उन्होंने पाया कि आनंदिता उनके इंतज़ार में दरवाज़े के पास वाली खिड़की से सट कर बैठी हुई है जैसे कि इन दोनों का इंतज़ार ही कर रही हो। जैसे ही उसकी निगाह विक्टर और एस्टेले पर पड़ी तो उसके मन के फूल खिल उठे। बाहर आकर उसने उनको अंदर आने के लिए कहा, "आओ अंदर आओ तुम दोनों का हमारे घर में स्वागत है लेकिन एक काम करो पहले अपने अपने स्लीपर्स यहीं उतार दो हमारे घर में कोई भी शू पहनकर अंदर नहीं आता है"

 

विक्टर और एस्टेले ने अपने अपने स्लीपर्स उतारे और घर में जब अंदर आने लगे तो उन्होंने देखा कि घर के दरवाज़े पर रंगोली बनी हुई थी, उसे देखते ही एस्टेले पूछ बैठी, "ब्यूटीफुल, आनंदिता यह क्या है"

 

"एस्टेले इसे हमारे यहां रंगोली कहते हैं। दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे कई अन्य राज्यों में हर दिन रंगोली बनाई जाती है। घर के मुख्य दरवाजे पर कई डिजाइन की रंगोली बनाई जाती है। हालांकि देश के अन्य भागों में दिवाली के शुभ अवसर पर रंगोली बनाने की प्रथा है। दिवाली पर घरों को वंदनवार और फूलों से सजाया जाता है। इसी के साथ मां लक्ष्मी के आगमन पर उन्हें खुश करने के लिए मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाई जाती है"

 

"स्प्लेंडिड, ऑसम"

 

"हमारे यहां नियम है कि हर रोज़ सुबह जल्दी उठकर फ़्रेश होकर पूजा पाठ करने के पहले घर के प्रवेश द्वार पर हम रंगोली बनाते हैं जिसका अर्थ होता है कि जो भी हमारे घर में आये उसका बहुत बहुत स्वागत है"

 

"दैट्स अ नाइस ट्रेडिशन लेकिन यह बताओ कि क्या इसे एक ही डिज़ाइन में बनाया जाता है"

 

"एस्टेले, एक डिज़ाइन में नहीं हर रोज एक नए डिज़ाइन में जो बनाने वाले के मनोभाव पर डिपेंड करता है"

 

"हर रोज नया डिज़ाइन, यह तो हमारे लिए बहुत आश्चर्य की बात है। अच्छा एक बात और बताओ कि इसे बनाते किस चीज से हैं"

 

"रंगोली पाउडर को विशेष रूप से इमली के बीजों को पीसकर बनाया जाता है और बाद में उसे कई रंगों से रंग दिया जाता है। दिन प्रतिदिन जो रंगोली बनाई जाती है उसे पिसे हुए आटे से बनाया जाता है"

 

एस्टेले ने ताज़्ज़ुब से कहा, "यह सब हम लोगों के लिए बहुत सुखद अनुभव है"

 

"इसे बनाता कौन है"

 

"मेरी मां और कभी कभी मैं भी। मुझे मेरी मां ने मुझे यह बनाना बचपन में ही सिखा दिया था। आओ अंदर आओ"

 

रंगोली को बचाते हुए एस्टेले और उसके पीछे पीछे विक्टर घर के दरवाज़े से अंदर आये तो आनंदिता ने अपनी मां को आवाज देकर बुलाया, "अम्मा आ मेहमान आ गए हैं" अपनी मां के आते ही उनका परिचय एस्टेले और विक्टर से यह कह कर कराया, "ये मेरी मां कामायनी हैं हमारी भाषा में मां को 'अम्मा' कहा जाता है"

 

कामायनी ने पहले से बिछे हुए आसन पर दोनों को बिठाया। उनके ठीक सामने कामायनी और आनंदिता बैठ गए। कामायनी ने आनंदिता से कहा, "अच्चन को बुला ले"

 

आनंदिता ने स्वामी नागार्जुन को मोबाइल पर फोन करते हुए बताया, "अच्चन, आओ विक्टर और एस्टेले आ गए हैं"

 

कुछ ही देर में स्वामी नागार्जुन आ गए और कामायनी के पास बैठ गए। इसके बाद उन्होंने दोनों बच्चों को बताया, "हम लोग किसी सोफे या कुर्सी पर नहीं बैठते हैं और हमेशा ही ज़मीन पर बैठते हैं क्योंकि हमारी मान्यता है कि इंसान का संबंध धरती से बना रहना चाहिए जिससे हमारे शरीर की नगेटिव एनर्जी धरती में पास हो जाए"

 

स्वामी नागार्जुन ने इसी तरह की कई बातें अपने रहन सहन के बारे में बताया। इसी बीच आनंदिता उठी और जल्दी से कॉफी बनाकर ले आई। कामायनी ने बच्चों को केरल के भोजन की जानकारी दी और यह भी कहा, "मैं एक दिन तुम्हारे पूरे परिवार को डिनर के लिए इनवाइट करने वाली हूँ और उस दिन हमारे स्टाइल के कुछ आइटम तुम्हारी माँ बनाने वाली हैं मैंने उन्हें सिखा दिया है"

 

नागार्जुन परिवार ने इस प्रकार विक्टर और एस्टेले के साथ बहुत अच्छा समय गुजारा। बाद में विक्टर ने आनंदिता की ओर देखते हुए कहा, "आपकी बेटी आनंदिता बहुत खूबसूरत है! मुझे वह बहुत पसंद है वह हमारी अच्छी दोस्त बन गई है"

 

एस्टेले ने भी चलते हुए नागार्जुन परिवार का धन्यवाद किया और आशा की कि वे लोग बाद में भी इसी प्रकार मिलते जुलते रहेंगे।

 

गेस्ट हाउस पहुंचते ही विक्टर और एस्टेले अपने डैड और मॉम के कमरे में गए और उन्हें नागार्जुन परिवार से हुई अपनी मुलाकात के बारे में बताते हुए कहा, "मॉम आनंदिता एक दिन हम लोगों को डिनर पर इनवाइट करने जा रही है"

 

"वेरी गुड", एमेलिया ने कहा।

 

"मॉम उस दिन खाना नागार्जुन परिवार के सदस्यों के साथ आप बनाओगी ऐसा कामायनी आंटी ने कहा है"

 

"हां, मैंने कुछ साउथ इंडियन डिशेज़ बनाना सीख लिया है और उन्हें मैं ही सब लोगों के लिए बनाउंगी"

 

विक्टर और एस्टेले ने फिर अपने डैड और मॉम से अरनव के फार्म में जानकारी ली। बाद में वे दोनों अपने कमरे में डिनर के लिए तैयार होने के लिए आ गए।

 

एरॉन परिवार को लक्ष्मीपुर गांव के मंदिर के गेस्ट हाउस में आये हुए अभी तीन दिन ही गुजरे थे। दिन में तो वे लोग इधर उधर के काम में लगे रहते लेकिन रात को उनको टीवी ध्यान से देखने की पुरानी आदत थी। इसलिए एरॉन ने रात को टीवी ऑन किया। लॉक डाउन की वजह से दिल्ली ही नहीं और भी कई शहरों के और हालात देख कर कुछ मन ऐसा विचलित हुआ कि परेशानी ने रात भर चैन से सोने भी नहीं दिया। दिल्ली में उस रोज आनंद विहार बस अड्डे पर अपने अपने गांव लौटने वाले हज़ारों लाखों मजदूरों की भयंकर हूजूम को देखकर एरॉन तो घबरा ही गया लेकिन रात को उसने एमेलिया से कुछ अधिक नहीं कहा, "उम्मीद करता हूँ कि गवर्नमेंट इन सब प्रॉब्लम्स को सक्सेसफुली मैनेज कर लेगी। डर लगता है कि कहीं कोई अनरेस्ट न हो जाए उन हालातों में हम लोगों को बहुत अरसे तक यहीं फंसे रहना पड़ सकता है"

 

एमेलिया ने कहा, "तुम बहुत अधिक फ़िक्रमंद हो जाते हो। सो जाओ कल हम लोग अरनव और अनिका से इस विषय में बात कर लेंगे"

 

रात टीवी देखते हुए एरॉन और एमेलिया को बहुत देर हो गई थी इसलिए वे देर तक सोकर उठे।

 

क्रमशः

 

 

05-06-2020

गतांश से आगे: कल तक आपने जाना कि अरनव, एरॉन और एमेलिया को लेकर अपने फार्म को दिखाने ले गए थे और विक्टर और एस्टेले ने यह कहकर उनके साथ आने से मना कर दिया था कि वे लोग अनंदिता के घर कॉफी पीने जा रहे हैं।

अरनव अपने फार्म से लौटते समय कुछ देर मंदिर में रुके थे और एरॉन और एमेलिया को गेस्ट हाउस में छोड़कर अपनी हवेली लौट गए थे।

उसके आगे जानिए कि उस रात फिर क्या हुआ...

एपिसोड 10

उस दिन डिनर करके अरनव और अनिका जब सोने की तैयारी कर रहे थे उस समय अरनव ने अनिका को बताया, "अरे मैं तो तुम्हें बताना ही भूल गया कि शाम को मैं जब पूजा करके निकल रहा था तो एरॉन और एमेलिया से अचानक मुलाकात हो गई। मैनें उनसे पूछ क्या वे हमारा फार्म देखना चाहेंगे"

"
फिर क्या हुआ"

"
क्या होना था वे लोग तैयार हो गए तो मैं उन्हें लेकर फार्म पर ले गया। वहां उनको हमारा फार्म और फार्म हाउस दोनों ही पसंद आए"

"
फ्रेंचीज को तो यह सब बहुत अच्छा लगता है। हमारा फार्म और फार्म हाउस दोनों ही बहुत प्यारे जो हैं। आजकल तो वैसे भी चहुंओर हरियाली छाई हुई है जो किसी का भी दिल जीतने में सक्षम है", अनिका बोल पड़ी।

बिस्तर पर बैठकर तकिया अपनी जंघाओं पर रखकर अरनव ने अनिका से कहा, "ज़रा इधर तो आओ, बैठो"

अनिका अरनव के पैत्याने बैठते हुए बोली, "बोलो क्या बात है"

अरनव ने अनिका के दोनों हाथों को प्यार से अपने हाथों में लेते हुए कहा, "तुम्हें याद होगा जब हम मनकापुर में मंगल भवन वालों के फ़िरोज़पुर वाले फार्म पर मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो और उनकी पत्नी शेर्लोट के साथ गए थे। आम का सीजन था और छोटे कुंवर भइय्या ने कितने आम तुड़वा कर बाल्टी में ठंडे करने के लिए रखवा हुए थे। मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो और उनकी पत्नी शेर्लोट दोनों ने किस अन्दाज़ में आम खाये थे और मिसेज शेर्लोट की तो शर्ट भी खराब हो गई थी"

"
आपने यह एरॉन और एमेलिया को यह बताया कि नहीं"

"
अनिका नहीं मुझे याद ही नहीं रहा। वैसे भी अभी कौन सा आम का सीजन है"

"
ये बात तो है"

अनिका का मन किया कि अरनव को कुछ छेड़ा जाए। उसने एक पुरानी घटना की याद दिलाते हुए अरनव से पूछा, "तुम्हें याद है एक रोज़ तुमने मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो के सामने उनकी पत्नी शेर्लोट की इतनी तारीफ़ की कि बेचारे मिस्टर बैचलेट लिओनार्दो भी शरमा गए थे लेकिन मिसेज शेर्लोट को बहुत अच्छा लगा था और उन्होंने बढ़ कर तुम्हें किस किया था"

"
याद है, बाबा याद है। एक एक पल याद है"

"
वैसे भी मर्द इस तरह की बातें जल्दी कहाँ भूलते हैं", अनिका ने अरनव की खिंचाई करते हुए कहा।

"
अनिका तुम भी कैसी बात करती हो वह उम्र में कितनी बड़ीं थीं याद है"

"
याद है ख़ूब याद है। एक काम करना कि इस घटना का ज़िक्र तुम एरॉन और एमेलिया से जरूर करना"

"
तुम कहती हो तो अवश्य करूंगा। कहीं वे लोग बुरा न मान जाएं"

"
ऐसी बातें सुनकर फ्रेंच लोग बुरा नहीं मानते बस मेरे कहने से एक बार....एक बार उनको यह बात अवश्य बताना"

"
ठीक है, जैसा तुम कहोगी मैं करूंगा", कहकर अरनव पल भर के लिए चुप हो गया जैसे कि उसे और भी कई वाकिये याद आ रहे हों पर कुछ बोला नहीं। कुछ देर बाद अरनव ने अनिका से कहा, "मनकापुर राजघराने ने जहां आईटीआई की इकाई को लगवा कर झेत्र के लोगों पर उपकार किया वहीं फ्रेंच एक्सपर्ट्स के लिये मनवर कोठी में आमूलचूल परिवर्तन करवा कर उसे फ्रेंच क्लब के लिए दिया जिससे आईटीआई में आए हुए फ्रेंच एक्सपर्ट्स ने बेहद पसंद किया"

दोनों पति पत्नी में देर तक मनकापुर में बिताए हुए वक़्त की बातें देर रात तक होती रहीं। बात जब सेंट माइकेल स्कूल की आई तो अनिका ने कहा, "याद है ख़ूब याद है। मनकापुर में गुजारे एक एक पल याद हैं। जितना अच्छा समय हमारा वहां बीता उतना अच्छा वक़्त अब दोबारा पता नहीं कब आएगा", अनिका ने भी अपनी मनकापुर की यादों को बटोरते हुए कहा, "वाकई, वो दिन बस अब यादों में बसे हैं। सेंट माइकेल स्कूल में दोनों बच्चों को इतनी अच्छी एजुकेशन मिली कि उनकी आधारशिला बहुत मजबूत हो गई"

"
एडमिनिस्ट्रेटर प्रोफेसर एस पी सिंह एंड मिसेज सिंह साहब का क्या कहना दोनों पति पत्नी अपने काम के प्रति बहुत बफादार थे। बच्चे आज तक मिसेज सिंह को याद करते हैं। उनसे अच्छा प्रिंसिपल तो दूसरा कोई सेंट माइकेल के लिए मिल ही नहीं सकता था"

अरनव ने दोनों के बारे में अनिका को याद दिलाते हुए बताया, "मिसेज़ सिंह तो हम लोगों के रिश्ते में आतीं थीं, उनकी बड़ी बहन शशिप्रभा की शादी हमारे मामासा जी डॉक्टर ब्रतपाल सिंह से जो हुई थी। मुझे याद है, मैं उस वक़्त छोटा था। मैं उस बारात में अपने बाबू सा के साथ गया था। मामी सा और मिसेज सिंह का देखो अंत समय तक साथ बना रहा और दोनों की तिरुवनंतपुरम के पास कन्याकुमारी जाते हुए एक रोड एक्सीडेंट में डेथ हो गई। प्रोफेसर सिंह साहब आजकल लखनऊ में इंदिरा नगर वाले मकान में अकेले ही रह रहे हैं"

"
प्रोफेसर सिंह और मिसेज सिंह एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे लेकिन कोई कर क्या सकता है जैसी भगवान की मर्ज़ी"

"
अनिका यह तो सही बात है"

"
चलो बहुत रात हो गई चलो सोने की तैयारी करो एक बार आंख उचट गई तो फिर नींद भी नहीं आएगी', अनिका ने कहा औरअपना सर तकिए पर और हर रोज़ की तरह दायां हाथ अरनव के सीने पर रख कर नींद बुलाने की तैयारी करने लगी!

क्रमशः

 

06-07-2020

गतांश से आगे: आपको याद होगा कि एरॉन और एमेलिया, अरनव के फार्म से लौटकर आये तो विक्टर और एस्टेले से आनंदिता के घर में उनकी क्या क्या बात हुई विक्टर ने अपने डैड और मॉम को बताया। उन्होंने यह भी बताया कि कामायनी आंटी कह रहीं थीं कि वह एक रोज़ हम सभी को अपने घर डिनर पर बुलाएंगी और उस दिन आपको कुछ साउथ इंडियन डिशेज़ बनानी होंगी।

बाद में जब एरॉन और एमेलिया ने रात को टीवी देखा तो वह दिल्ली, आनंद विहार बस स्टेशन के दृश्य देखकर उनका मन व्यथित हो गया। जब अगले दिन वे सोकर उठे तो एमेलिया ने एरॉन से कहा, "चलो उठो तैयार हो जाओ अरनव और अनिका अभी पूजा के लिए मंदिर आते होंगे हम अपनी चिंताओं को लेकर उनसे बात करते हैं कि हम लोगों को क्या करना चाहिए"

बस आगे जानिए कि फिर क्या हुआ...

एपिसोड 11

जब अरनव और अनिका सुबह पूजा करने के लिए मंदिर आए तो उन्होंने एरॉन और एमेलिया पहले ही से मंदिर प्रांगण में बैठे हुए पाया तो उनसे पूछा, "अरे लगता है कि आज हम पूजा के लिए लेट हो गए और आपको हमारा इंतज़ार करना पड़ा"

एमेलिया ने उत्तर देते हुए कहा, "ऐसी कोई बात नहीं आप लोग पूजा कर लीजिए उसके बाद हम लोग आपसे कुछ बात करेंगे"

"
कोई खास बात"

"
नहीं बस ऐसे ही", कहकर ऐरॉन ने अरनव और अनिका के हृदय की उत्कंठाओं को शांत किया।

स्वामी नागार्जुन ने सभी को विधि विधान से पूजा कराई और प्रतिदिन के बाद अपना संदेश दिया। स्वामी नागार्जुन के संदेश के बाद प्रभु के दरबार में बैठकर ही चारों में बातचीत का सिलसिला जब शुरू हुआ तो एमेलिया ने कहा, "कल रात को आपने टीवी देखा था कि नहीं"

"
कल तो हमने टीवी नहीं देखा। हम लोग आपस में मनकापुर के बारे में देर रात तक बात करते रहे। कोई खास ख़बर"

एरॉन ने अपनी बात रखते हुए कहा, "प्राइम मिनिस्टर मिस्टर मोदी के बिना किसी योजनाबद्ध तरीक़े से अचानक लॉक डाउन डिक्लेअर कर देने के बाद लगता है कि दिल्ली में बहुत आपाधापी का माहौल बन गया है"

अनिका ने ताज़्ज़ुब करते हुए पूछा, "ऐसा क्या हो गया"

"
कल दिन भर आनंद विहार बस स्टैंड पर लाखों मजदूरों की भीड़ लगी रही और वहां अफरा तफरी बनी रही। ऐसा लगा कि लोगों का हुजूम जिसमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे अपना अपना सामान सिर पर उठा कर इधर उधर परेशान होकर घूम रहे हैं। अपने अपने गांव के लिए पलायन कर रहे हैं और वहां कोई व्यवस्था है ही नहीं। पुलिस भी कहीं नहीं दिखी और लोग एक दूसरे के सिर पर पैर रखकर बसों में बैठने की कोशिश करते रहे"

"
ओह! कुछ ऐसा हुआ, हमें पता नहीं चला। आज का अखबार भी हमने अभी तक नहीं देखा", अरनव ने कहा और स्वामी नागार्जुन की ओर देखते हुए पूछा, "आपके यहां आज का अख़बार अगर आया हो तो मंगवाईये"

"
जी", कहकर स्वामी नागार्जुन ने कर्मवीर को घर जाकर और अखबार लाने को कहा। जैसे ही अख़बार आया सबसे पहले उस पर निगाह अरनव ने डाली और उसके बाद अनिका की ओर बढ़ाते हुए चिंता व्यक्त करते हुए कहा "हालात बहुत चिंताजनक बने हुए हैं। इससे तो देश में अनार्की फैलेगी और बहुतेरे परिवार तबाह हो जाएंगे"

"
मुझे भी यही लगा और रात भर मैं सो नहीं सका। सोचा कि सुबह सुबह ही आपको बताऊंगा", एरॉन ने अरनव की ओर रुख़ करके कहा।

"
मिस्टर ऐरॉन और मिसेज़ एमेलिया आप परेशान न हों मेरे दिल्ली में कई दोस्त हैं मैं उनसे वहां के हालात की जानकारी करके आपसे बात करूंगा", अरनव ने एरॉन को चिंताग्रस्त होते देख कहा, "आप लोग किस्मत के धनी हैं जो आपको प्रभु ने हमारे यहां भेज दिया अगर आप बीच रास्ते में और कहीं होते तो आप बहुत बड़ी मुश्किल में फंस सकते थे। एक काम करिये आप ब्रेकफास्ट करके हमारे यहां आइए"

"
चिंता की कोई बात तो नहीं", एमेलिया ने अनिका की ओर देखते हुए पूछा। अनिका ने एमेलिया के कंधे पर हाथ रखते हुए दिलासा दी कि वह परेशान न हो भगवान सब भला करेंगे। उठते हुए अरनव ने कहा, "आप लोग ब्रेकफास्ट करके आइए"

ऐरॉन ने कहा, "ओके हम आपको कुछ देर बाद जॉइन करते हैं"

 

अरनव और अनिका के चलते ही वे दोनों गेस्ट हाउस की ओर बढ़े और डाइनिंग टेबल पर धर्मवीर का इंतज़ार करने लगे कि वह उनका ब्रेकफास्ट लगा दे। धर्मवीर ने आलू के परांठे, दही और आम का अचार दो प्लेटों में सजा कर दोनों के सामने रख दिया और बोला, "यह हमारे यहां का नार्थ इंडियन स्टाइल का ब्रेकफास्ट है। आप परांठे को चाहें तो दही के साथ खाइए या आम का अचार लगा कर मुझे उम्मीद है कि आपको ब्रेकफास्ट अच्छा लगेगा। मैं आपके लिए कुछ देर में ब्लैक कॉफी लेकर आता हूँ"

पिछले कई दिनों से नेपाल और हिंदुस्तान में रहते हुए अब इन लोगों को इंडियन स्टाइल ब्रेकफास्ट करने की आदत हो गई थी लेकिन जैसे ही परांठे का पहला ग्रास ऐरॉन ने मुंह में डाला तो उसके मुंह से निकला, "वाओ"

"
वाकई मज़ा आ गया आजके परांठे तो बहुत बढ़िया बने हैं और स्वाद में भी अच्छे लग रहे हैं", एमेलिया ने भी कहा।

जब धर्मवीर एक एक और गरमागरम परांठा लेकर आया और प्लेट इन लोगों के सामने रखी तो एमेलिया ने पूछा, "पराठे में क्या क्या डाला है बहुत स्वादिष्ट बने हैं"

धर्मवीर ने बताया कुछ खास नहीं पहले आलू को उबाला और उसका छिलका उतार कर अच्छी तरह से मैश किया थोड़ा हरा धनियां, हल्का नमक, हल्की लाल और कटी हुई हरी मिर्च और थोड़ा सा आमचूर। बस और कुछ नहीं और देशी घी में धीरे धीरे तस्सली से इसे तवे पर सेक दिया। इस तरह बन गया आपका पराठा"

"
ठीक है धर्मवीर एक दिन मुझे सिखा देना"

"
जी मेम साहब"

कॉफी पीने के बाद वे लोग ठाकुर हवेली के लिए जब निकलने लगे तो उन्होंने देखा कि विक्टर और एस्टेले भी ब्रेकफास्ट करने के लिए डाइनिंग हॉल में आ चुके थे। उनको यह बताया कि वे लोग अरनव और अनिका से मिलने के लिए उनकी हवेली जा रहे हैं। ऐरॉन ने एमेलिया का हाथ अपने हाथ में लिया और वे दोनों डाइनिंग हॉल के बाहर चले गए।

क्रमशः

 

07-06-2020

गतांश से आगे: अरनव से लॉक डाउन के बाद आनंद विहार पर उमड़ी भीड़ को देखकर अपने मन की बात कहकर ही ऐरॉन और एमेलिया ने नाश्ता किया और उसके बाद अरनव के कहे अनुसार उनकी हवेली की ओर चल दिये।

आगे क्या हुआ....

एपिसोड 12

जब तक ऐरॉन और एमेलिया हवेली पहुंचते अरनव और अनिका ने टीवी खोलकर आनंद विहार पर उमड़ी भीड़ के बारे में बहुत कुछ जानकारी हासिल कर ली थी। जैसे ही वे लोग हवेली पहुंचे तो अरनव ने उन्हें बताया, "मिस्टर ऐरॉन एंड मिसेज़ एमेलिया, दिल्ली, गाजियाबाद, नोयडा, गुड़गावं, रोहतक कुछ ऐसे शहर हैं जहां उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल से बहुत से मज़दूर अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए लिए जाते हैं। इसका मुख्य कारण यह रहा है कि भारत के हर प्रातं का एक जैसा विकास नहीं हुआ और विकास की कुछ पॉकेट्स बन कर रह गईं। कोई इलाका बहुत तरक़्क़ी कर गया तो कोई बहुत पीछे रह गया। इसी असमानता ने जन्म दिया कि मज़दूर दूसरे प्रान्तों से वहां जाएं जहां विकास सम्बंधी काम हो रहा हो। जो मज़दूर घर से दूर रहते हैं वह अपने अपने तीज त्यौहार अपने लोगों के बीच रहकर मनाने के लिए अपने गांव लौटते हैं। यही भावना उन्हें उनकी अपनी सरजमीं और अपनों से जोड़े रहती है। प्राइम मिनिस्टर ने बहुत सोच विचार कर देश में लॉक डाउन उस समय लगाने की घोषणा की जब विश्व के जाने माने देशों जैसे कि अमेरिका, इटली, पुर्तगाल, फ्रासं, जर्मनी, इगंलैड में कोरोना की वजह से हजारों लोग पीडित़़ होकर हस्पतालों में भर्ती होने लगे और वहां स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने में दिक्कत होने लगी। आप सोचिए कि भारत जैसे विकाशशील और विशाल देश में जहां 135 करोड़ लोग रहते हों और स्वास्थ् सेवाओं की कमी होना स्वावभाविक है। अगर लॉक डाउन को लागू करके स्वास्थ्य सेवाओं को ठीक नहीं किया गया होता तो अन्दाज़ करिये कि कोरोना किस कदर कहर ढाता। वह परिस्थिति किसी के सम्हाले नही सम्हल सकती थी। प्रधानमंत्री के सामायिक निर्णय से कोरोना से लड़ने और स्वास्थ्य सेवाओं को किसी हद तक ठीक करने का अवसर भारत को मिल गया। कहने वाले कुछ भी कहें लेकिन तथ्य यही है कि अगर समय रहते लाॉक डाउन का निर्णय लेकर प्रधानमंत्री जी ने देश को बहुत बडी़ त्रासदी से बचा लिया। दिक्कत तो वहां खडी़ हो गई जहां कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने अपना कर्तव्यपालन ठीक से नहीं निभाया और मजदूरों को अपने रहमोकरम पर छोड़ दिया। अगर वे लोग मजदूरों को उनके मिल मालिकों से कुछ आर्थिक मदद दिला देते, खाने पीने की व्यवस्था करा देते तो हो सकता था कि ये सब मजदूर शहर छोड़कर कभी गावं नहीं जाते। जब मजदूरों के पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा और उन्हें एक अनिश्चितता का वातावरण लगा तो मजदूरों में बेचैनी बढ़ने लगी, एक तो इनके पास काम करने को ही नहीं रहा तो ये लोग बड़े बड़े शहरों में रहकर आखिर करते क्या, खाते पीते क्या और उस पर महीने का आखीर। इन कठिन परस्थितियों में अधिकांश लोगों ने अपने अपने गांव की ओर जाने का मन बना लिया। रेल गाड़ी और ट्रांसपोर्ट के अन्य सभी साधनों का चलन सरकारी आदेश पर बंद हो गया तो ये लोग पैदल ही अपने घर की ओर चल पड़े। बिहार, बंगाल, झारखंड का रास्ता उत्तर प्रदेश होकर ही जाता है। कोरोना बीमारी उत्तर प्रदेश में अपने पांव न पसारे इसलिए सरकार ने रास्ते बंद कर दिए जैसे कि कल रात आप लोगों ने भी देखा। दिल्ली शहर में किसी राजनीतिक दल के नेता ने खबर चला दी कि यूपी की सरकार मजदूरों के लिए बस चलाने की योजना पर विचार कर रही है जिससे ये मज़दूर अपने अपने गांव तक आराम से पहुंच सकें। इसलिए एक एक करके मजदूर अपने अपने बीवी बच्चों को लेकर आनंद विहार अंतरराज्यीय बस स्टॉप की ओर बढ़ चले। कुछ लोग जो गुड़गांव, फरीदाबाद वग़ैरह से यूपी जाना चाह रहे थे वे लोग भी दिल्ली सरकार की बसों में बैठकर आनंद विहार जा पहुंचे। आनंद विहार बस स्टॉप से यूपी के लिए बसों का चलन पहले ही बंद हो गया था लेकिन एक अफ़वाह की वजह से हजारों लोगों का हुजूम आनंद विहार बस स्टैंड के आसपास इकट्ठा हो गया और अफ़रातफ़री फैल गई। लगने लगा कि न जाने क्या होगा"

"आपको लगता है कि सरकार हालात को काबू कर लेगी", ऐरॉन ने पूछा।

"कुछ भी कहा नहीं जा सकता। लोग बहुत परेशान हैं, हज़ारों अपने अपने गांव की ओर पैदल ही निकल पड़े हैं, कोई हाइवे के रास्ते, कुछ रेलवे ट्रैक के रास्ते तो कुछ नहर के रास्ते भूखे प्यासे चले जा रहे हैं। यूपी की सरकार करे भी तो आखिर क्या करे, कितने लोगों के खाने पीने का इतंजाम करे यह एक सोचनीय विषय है! उस सबके बावजूद यूपी की सरकार ने कोशिश की कि जो मजदूर पैदल ही अपने गांव की ओर निकल पडे़ हैं उनको रास्ते में खाना खिलवाया, उनके लिए ट्रासंपोर्ट की व्ववस्था कर के उनको उनके गांव तक पहुंचाया! हो सकता है कि किसी को इन सब व्यवस्थाओं का केई लाभ न मिल पाया हो"

"आपको कुछ आईडिया है कि इन लोगों की कितनी संख्या होगी"

अरनव ने उत्तर दिया, "मुझे नहीं लगता कि इसका कोई डाटा बेस किसी सरकार के पास है लेकिन मैं यह जरूर कह सकता हूँ कि ये लोग हज़ारों में नहीं बल्कि लाखो करोडों में होंगे और इतने कम समय में इतनी बडी़ संख्या के लिए भला कोई क्या कर सकता है"

"ओह सो सैड", एमेलिया ने बीच में बोलते हुए कहा।

इस पर अनिका ने एमेलिया से कहा, "एक तो किसी के पास कोई काम नहीं, दूसरा कोरोना फ़ैलने और इलाज़ न होने का डर इन लोगों को अपने अपने गांव की ओर चलने के लिए मजबूर कर चुका है। इनको लगने लगा है कि शहर में रहते कोरोना के चलते उनकी मौत हो जाएगी तो उनके अपने उनका मुहं भी नहीं देख पाएंगे इसलिए और सभी के सभी गांव की ओर भाग रहे हैं। ये लोग सोचते हैं कि जब मरना ही है तो कम से कम अपने घर वालों के बीच रहते हुए मरें। मृत्य का डर हर किसी बहादुर इसांन को कमजोर बना देता है कि वह इस तरह के कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है कि जैसे किस्मत के सताए हुए ये मजदूर। ऐसे मुश्किल भरे समय में यह सभी के लिए, सरकारों के लिए मजदूरों का पलायन एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है"

"मिसेज़ सिंह इतना ही नहीं मैंने अभी कुछ देर पहले ही सुना कि इटली से कुछ टूरिस्ट जो राजस्थान घूमने के लिए आये हुए थे वे भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और उनका जयपुर में इलाज़ चल रहा है", एमेलिया ने कहा।

ऐरॉन ने कहा, "किसे पता था कि कोरोना इतनी बड़ी समस्या बन कर आने वाला है अगर पता चल जाता तो क्या हम लोग ही अपने घर से टूर करने निकलते"

अरनव और अनिका को लगा कि ये लोग अब परेशान हो रहे हैं इसलिए तसल्ली देते हुए उन्होंने उनसे कहा, "मिस्टर एंड मिसेज़ ऐरॉन आप लोग घबराइए नहीं हम आपके साथ हैं। जब तक आपके पेरिस वापस जाने का रास्ता नहीं खुल जाता आप हमारे साथ ही रहिए"

"थैंक्स मिस्टर एंड मिसेज़ सिंह हमने आपको भी परेशानी में डाल दिया", एमेलिया बोली।

अनिका ने समझाते हुए कहा, "नहीं मिसेज़ ऐरॉन आप ऐसा क्यों सोचतीं हैं, इंसान ही इंसान के काम आता है"

"पता नहीं लेकिन हम आप लोगों के बहुत शुक्रगुज़ार है कि आपने हमें सहारा दिया"

अरनव ने पांडेय इंस्पेक्टर का धन्यवाद देते हुए कहा, "भला हो इसंपेक्टर पांडेय जी का कि वह आपको हमारे मंदिर ले आए वरना पता नहीं आप लोग कहां रहते और आप लॉक डाउन का यह समय कैसे गुज़ारते"

"यह तो है, हमारे लिए तो आप सभी भगवान बनकर सामने आए हैं। आपका तहेदिल से शुक्रिया"

"मिस्टर ऐरॉन छोड़िए भी बस आप आराम से रहिये और मंदिर में प्रभु के गुण यह समझ कर गाइये कि यीशु सब जगह रहते हैं"

"जैसी उसकी मर्ज़ी", कहकर जैसे ही ऐरॉन और एमेलिया उठने लगे तो अनिका ने कहा, "एक मिनट रुकिए कम से कम एक कप चाय तो पी लीजिए", और यह कहकर वह किचेन में स्टाफ को बोल कर लौट ही रही थी कि आरुष जो वहां किसी काम से आया हुआ था उसने अपनी मॉम से पूछा, "मॉम क्या ऐरॉन अंकल और एमेलिया आंटी आये हुए हैं"

"हां क्यों, क्या तुम्हें उनसे कोई काम है"

"हां मॉम मुझे उनसे कुछ पूछना था"

"चल आ, वे लोग सभी बैठक में हैं"

आरुष अपनी मॉम अनिका के साथ बैठक में आ गया और बोला, "अंकल मुझे आपसे कुछ पूछना है"

"पूछो, पूछो"

"आप तो जानते ही हैं कि भारत फ्रांस से रॉफेल फाइटर प्लेन खरीद रहा है"

"हां, जानता हूँ"

"अंकल क्या आपको मालूम है कि रॉफेल में ऐसी क्या खास बात है जो भारत ने दूसरे फाइटर प्लेन्स को छोड़कर कर रॉफेल खरीदने का मन बनाया"

"बेटे, फाइटर प्लेन मैन्युफैक्चरिंग मेरा प्रोफेशन नहीं है, इसलिए मैं तुम्हें इसके बारे में कुछ नहीं बता पाऊंगा। मुझे मुआफ़ करना। मेरे पास तुम्हारे प्रश्न का कोई जवाब नहीं है", एरॉन ने आरुष से कहा और फिर अरनव की ओर देखते हुए पूछा, "मिस्टर सिंह आप तो एच ए एल में काम कर चुके हैं आप तो फाइटर प्लेन्स के बारे में बहुत कुछ जानते होंगे"

अरनव ने बताया, "आरुष बहुत ही क्लेवर बच्चा है उसने सोचा कि आप लोग फ्रांस के रहने वाले हैं, वह मुझसे इसके बारे में क्या बात करे, वह आपसे इसके बारे में बहुत कुछ जान सकेगा"

अरनव की बात सुनकर ऐरॉन मुस्कराया और बोला, "मिस्टर सिंह आरुष बहुत ही इनक्विजिटिव नेचर का बच्चा है और यह हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम उसकी हर उत्कंठा का समुचित उत्तर दें"

अनिका ऐरॉन की बात पर बोल उठी, "ये तो इस तरह की बात बच्चो से कभी करते ही नहीं"

अरनव ने अनिका की ओर एक नज़र से देखा और कहा, "ऐसी तो कोई बात नहीं मैंने एक दिन आरुष को बताया था कि जब आईटीआई के लिए E10 B टेक्नोलॉजी के हस्तांतरण के बारे में बात चल रही थी तो उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री ने फ्रांस के साथ एक शर्त लगा दी कि भारत टेलिकॉम के क्षेत्र में E 10 B टेक्नोलॉजी उसी शर्त पर लेगा जब फ्रांस जगुआर फाइटर प्लेन्स टीओटी अग्रीमेंट के तहत एच ए एल में बनाने के लिए तैयार होगा। इस तरह भारत ने उस वक़्त एक तीर में दो निशाने किये। एक तो E 10 B टेक्नोलॉजी ले ली और इंडियन एयरफोर्स के लिए जगुआर फाइटर प्लेन्स की टेक्नोलॉजी भी ले ली"

अनिका ने आरुष से पूछा, "आरुष तुझे यह सब डैड ने बताया था"

"हां मॉम मुझे डैड ने यह सब बताया था लेकिन मुझे लगा कि मैं ऐरॉन अंकल से रॉफेल के बारे में कुछ और अधिक जानकारी हासिल कर सकता हूँ"

दोनों के बीच में बोलते हुए ऐरॉन ने यह माना कि उसके डैड ने उसे यह बात बताई थी, "फ्रांस-इंडिया के टीओटीअग्रीमेंट के तहत वह इंडिया में एक फ्रेंच एक्सपर्ट बन कर जा रहे हैं"

यह सुनकर एमेलिया ने कहा, "यह बात तो मुझे भी मालूम है"

जब इन लोगों में यह सब बातचीत हो रही थी उसी समय अनुष्का वहां आ गई और एरॉन और एमेलिया से नमस्ते की और वह भी आरुष के पास बैठ गई। जब दोनों परिवारों के बीच बच्चों को लेकर बातचीत हो रही थी तभी अनुष्का ने विक्टर के बारे में कहा, "अंकल विक्टर इज वेरी हैंडसम एंड इंटेलिजेंट, J'aime beaucoup Victor/मुझे वास्तव में विक्टर पसंद है"

एमेलिया ने आरुष से पूछा, "अनुष्का तुमने क्या कभी उसे बताया कि तुम उसे पसंद करती हो"

"Pas encore de tante/ नहीं आंटी अभी तक तो नहीं"

"तुमने फ्रेंच सीखी है क्या"

"थोड़ी थोड़ी"

अनुष्का की प्यार भरी बातें सुनकर ऐरॉन और एमेलिया बहुत खुश हुए......

क्रमशः

08-06-2020

गतांश से आगे: अरनव से ऐरॉन और एमेलिया की कोरोना के चलते बदले हुए हालात पर बहुत देर तक बात हुई और बाद में जब आरुष उनके सामने आया तो फाइटर प्लेन्स के बारे में भी खूब बातें हुईं। जब अनुष्का वहां आई तोबातचीत में उसने कहा कि विक्टर उसे बहुत अच्छा लगता है।

जानिए की फिर आगे क्या हुआ....

एपिसोड 13

ठाकुर हवेली में एक लंबी बातचीत के बाद जिसमें ऐरॉन और एमेलिया की ओर से भारत में लॉक डाउन को लेकर कई प्रकार की शंकाएं ज़ाहिर की गईं लेकिन अरनव और अनिका के प्यार भरे आश्वासन से पूर्ण रूप से संतुष्ट हो कर जब वे दोनों गेस्ट हाउस की ओर जाने लगे तो एमेलिया से रहा नहीं गया और उसने अपने हृदय के भावों को ऐरॉन से खुल कर कहा, "मुझे लगता है कि अपना विक्टर, मिस्टर अरनव और अनिका की बेटी अनुष्का को चाहने लगा है"

"
तुम्हें ऐसा प्रतीत क्यों हो रहा है

"
तुमने सुना नही कि अनुष्का ने साफ साफ कहा कि विक्टर उसे बहुत पसंद है", एरॉन ने कहा।

एमेलिया ने ऐरॉन की इस बात पर उससे कहा, "कोई किसी को पसंद कर तो उसका मतलब यह तो नहीं कि वह उसे चाहने लगा हो या प्यार करने लगा हो"

ऐरॉन ने एमेलिया के उत्तर को बहुत ध्यान से सुना उसे भी लगा शायद एमेलिया की सोच सही है कोई किसी को पसंद करने लगे तो उसका मतलब यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि वह उसे प्यार ही करने लगा हो। इन सभी बातों को लेकर ऐरॉन के मन में दुविधा बनी हुई थी इसलिए उसने एमेलिया से अपने मन की बात बताते हुए कहा, "दरअसल हम लोग जिस प्रकार के हालात में मिस्टर अरनव के यहां आकर रुके हुए हैं और जहां बच्चों के पास करने के लिए कुछ अधिक नहीं है तो ऐसे हालात में बच्चों के बीच प्यार हो जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। मुझे यह लगता है और अगर तुम ठीक समझो तो विक्टर से यह कह देना कि हम लोग पेरिस में नहीं बल्कि भारत के एक छोटे से गांव लक्ष्मीपुर में हैं। वह कोई ऐसी वैसी हरक़त न कर बैठे जिसके कारण हम दोनों को शर्मिंदगी उठानी पड़े"

सुनने को तो एमेलिया ने ऐरॉन की बात सुन ली लेकिन चलते चलते वह मन ही मन में यह सोचती जा रही थी कि प्यार मोहब्बत में भी भला कभी बंदिशें कारगर साबित हुईं हैं। एमेलिया ने बाबजूद इसके विक्टर से बात करने का मन बनाया और ऐरॉन को आश्वश्त किया कि वह उचित अवसर देख कर विक्टर से बात अवश्य करेगी।

ठाकुर हवेली से गेस्ट हाउस कहने को तो वैसे दो कदम दूर था लेकिन उस दिल काले काले बदरा न जाने कहां से रास्ता भटक कर लक्ष्मीपुर गांव के आसमान पर ऐसे छाये कि बिजली की कड़कड़ाहट के साथ ही घनघोर रूप से ऐसे बरसने लगे कि प्यासी धरती की क्षुदा को शांत करके ही चैन लेंगे। ऐरॉन और एमेलिया मौसम में इस प्रकार के अप्रत्याशित बदलाव से अचंभित तो हुए पर भारत की बारिशों में भीगने का सुखद अनुभव उनकी यादों में हमेशा के लिए अंकित हो गया। ऐसे मदमस्त मौसम में ऐरॉन ने एमेलिया को अपने आगोश में भरा और एक बार नहीं अनेकों बार उसके कपोल और होठों पर अटूट प्यार और आस्था के हस्ताक्षर अंकित कर दिये। ऐसे में भला एमेलिया कहाँ पीछे रहने वाली थी आख़िरकार वह भी तो एक फ्रेंच महिला थी। उसने भी ऐरॉन को अपनी बाहों के नागपाश में जकड़ कर अपनी बेपनाह मोहब्बत का इज़हार करते हुए चुम्बनों की बौछार कर के ही हटी। अचानक ही जब बारिश के साथ ओले गिरने लगे तब ऐरॉन ने एमेलिया को अपनी बाहों में सिमेटा और वे दोनों सीधे गेस्ट हाउस की ओर भागे।

जब एराॉन और एमेलिया इस तरह खुले आसमान के नीचे इस क़दर मिल रहे थे तो आनंदिता अपने घर की एक खिड़की के सहारे खड़ी हो यह सब देख रही थी। ऐरॉन और एमेलिया को इस तरह खुल कर प्यार करते देख उसके मन में भी रंगीन सपने उठने लगे कि वह और विक्टर भी पेरिस की गलियों में ऐसी ही बरसात में भीगते हुए चले आ रहे हैं और आपस मे अठखेलियाँ करके बेहद प्रसन्न हो रहे हैं।

ऐरॉन और एमेलिया जब अपने गैस्ट हाउस के कमरे में पहुंचे तो एमेलिया ने प्यार भरी नज़रों से एराॉन की ओर देखा जैसे कि वह पुराने दिनों की याद करके कहना चाह रही हो कि ऐसे मौसम में भला कोई दूर दूर रह सकता है। वह यह सब सोचती जा रही थी और अपने बदन से गीले कपडे़ एक एक करके उतारती जा रही थी। ...और ऐरॉन अपनी शर्ट के बटन को धीरे धीरे खोलकर एमेलिया की ओर मदमस्त निगाह से देखता रहा। एरॉन ने बढ़ कर एमेलिया को अपने आग़ोश में लेकर यह जता दिया कि अभी भी उसकी रक्तकोशिकाओं में एमेलिया के लिए गर्म खून बहता है...
बहुत देर तक वे दोनों एक दूसरे की बाहुपाश के बंधन में बंधे रहे जब उनका ध्यान घड़ी की ओर गया तो उन्हें लगा कि लंच का समय हो गया है तो वे उठे और जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार होने लगे।

एरॉन और एमेलिया जैसे ही तयैार होकर अपने कमरे का ताला लगाकर बच्चों के कमरे की ओर बढ़कर उनके दरवाज़े पर नॉक किया वैसे ही विक्टर और एस्टेले बाहर आगए और पूछने लगे कि क्या आज लंच नहीं करना है। एमेलिया ने बच्चों की ओर देखते हुए कहा, "क्या तुम यह सोच रहे हो कि हम लोग हवेली से लंच करके आ रहे हैं"

"
इसका मतलब आज आपकी हवेली में अच्छी अावभगत नहीं हुई", विक्टर ने हंसते हुए अपने डैड और माॉम से पूछा!

एरॉन ने कहा, "नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं, हम लोगों ने मिस्टर एंड मिसेज़ सिहं से कहा कि धर्मवीर और कर्मवीर आज हम लोगों के लिए कुछ स्पेशल बना रहे हैं इसलिए वह हमें आज के दिन मुआफ़ करें "

"
तो चलिए देर क्यों कर रहे हैं चल कर लंच करते हैं", विक्टर ने कहा।

क्रमशः

09-06-2020

 

गतांश से आगे: एरॉन और एमेलिया ने कुछ देर तक तो इंतज़ार किया लेकिन जब विक्टर और एस्टेले उनके कमरे में नहीं आये तो वे दोनों बच्चों के कमरे में जाकर उनसे बोले, "आज लंच नहीं करना है क्या"

 

उसके आगे जानिए....

 

एपिसोड 14

 

एराॉन परिवार जैसे ही डायनिगं हाल में पहुचां तो उन्हें गजब की खुशबू महसूस हुई। ऐरॉन ने धर्मवीर से पूछा, "आज कोई खास चीज बनाई है क्या"

 

"जी आज बहुत स्पेशल लंच बनाया है, आप लोग बैठिए", इतना कहकर धर्मवीर किचेन में गया और एक एक करके सभी डिशेज़ डाइनिंग टेबल पर सजा दीं और बोला, "लीजिए आज खाइए आप नार्थ इंडिया की फेस्टिव डिश आलू टमाटर, कद्दू की सब्ज़ी, पूड़ी दही बुरे के साथ। आपको जो ख़ुशबू आ रही थी वह देशी घी की थी जिसमें गरमागरम पूड़ी सेकीं जा रहीं हैं"

 

सभी आइटम्स को देखकर एमेलिया बोली, "देखने में तो यह सभी डिशेज़ बहुत बढ़िया दिख रहे हैं"

 

"आप टेस्ट करिये और बताइए कि आपको यह डिशेज़ कैसी लग रही हैं", धर्मवीर यह बताना नहीं भूला, "ये सब आइटम्स वेस्टर्न यूपी के गांव में आज भी अक़्सर शादी व्याह में अन्य आइटम्स के साथ परोसे जाते हैं। पूड़ी गरम गरम खाई जाती है तो आप शुरू करिये, मैं आपके लिए गरम गरम पूड़ी लेकर आता हूं"

 

जब तक धर्मवीर उनके पूड़ी लेकर लौटता तब तक स्वामी नागार्जुन, इंस्पेक्टर पांडेय को साथ लेकर डाइनिंग हाल में आ पहुंचे और ऐरॉन से बोले, "मैंने आज इंस्पेक्टर साहब को लंच के लिए इनवाइट किया था। क्या हम आपको जॉइन कर सकते हैं"

 

"अवश्य यह तो हमारे लिए प्रसन्नता की बात होगी", इंस्पेक्टर पांडेय को अपने साइड में बैठने के लिए इशारा करते हुए कहा, "आइए मिस्टर पांडेय"

 

"थैंक यू मिस्टर एरॉन"

 

"हेलो", कहकर एमेलिया ने भी इंस्पेक्टर पांडेय का स्वागत किया।

 

लंच के दौरान सभी लोगों में इधर उधर की बातचीत हुई। इंस्पेक्टर पांडेय ने फ्रांस के बारे में और खास तौर पर पेरिस के एफ़िल टावर के बारे में बात करते हुए कहा, "हमने तो एफ़िल टावर बस टीवी पर देखा है। हमारा दिल तो उस पर आ गया है"

 

"मिस्टर पांडेय वह चीज ही ऐसी है कि उस पर किसी का भी दिल आ जाए। वैसे हमारे यहां और भी कई ऐसे मोनुमेंट्स हैं जिन्हें देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं"

 

"अवशय होंगे, मैं तो फ्रेंच कल्चर का कायल हूँ। सुना है कि पेरिस की फ़िज़ाओं में मोहब्बत के अजीबोग़रीब रंग घुले हुए हैं जिनमें अक़्सर लोग खो जाते हैं"

 

"यू आर अब्सॉल्यूटी राइट मिस्टर पांडेय", एमेलिया ने कहा।

 

कुछ देर में ही फ्रांस के कई शहरों की जानकारी हासिल कर लेने के बाद इंस्पेक्टर पांडेय ने कहा, "मिसेज़ आपका बहुत बहुत धन्यवाद''

 

"अरे मिस्टर पांडेय किस बात के लिए हम लोगों को ही क्या हर आदमी को अपने देश के बारे में बताते हुए बहुत अच्छा लगता है। मुझे आपने एक अवसर दिया मैं उसी में खुश हूं"

 

इंस्पेक्टर पांडेय ने कहा, "स्वामी जी आज मौसम तो अपने यहां का भी बहुत मज़ेदार हो गया है। वैसे इस साल उतनी गर्मी नहीं पड़ रही है जितनी हर साल पड़ा करती थी"

 

"अबकी बार बीच बीच में बारिश जो हो जाती है"

 

"चलिए, यह ऐरॉन परिवार के लिए ठीक ही है", इंस्पेक्टर पांडेय ने कहा और ऐरॉन की ओर देखने लगा।

 

ऐरॉन ने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया, "एक सुनहरा दिन पिकनिक करने के लिए"

 

पिकनिक की बात सुनकर एमेलिया से रहा नहीं गया और वह चहक कर बोलने लगी, "ऐरॉन, मिस्टर अरनव ने प्रॉमिस किया है कि वह हम लोगों को अपनी फ़ैमिली के साथ कहीं न कहीं पिकनिक के लिए लेकर जाएंगे"

 

एमेलिया की बात सुनकर इंस्पेक्टर पांडेय के कान खड़े हो गए और उन्होंने ऐरॉन परिवार से यही कहा, "मिस्टर ऐरॉन याद रहे कि इंडिया में अभी लॉक डाउन लागू है"

 

"इसका मतलब हम पिकनिक पर भी नहीं जा सकते हैं", एमेलिया ने पूछा।

 

एमेलिया के प्रश्न के उत्तर में इंस्पेक्टर पांडेय ने यही कहना ठीक समझा, "मैं ठाकुर साहब से इसके बारे में बात कर लूँगा"

 

जब सब लोगों को धर्मवीर ने खीर परोसी तो सबने उसका स्वाद चखा और दिल से तारीफ की।

 

कुछ देर और वहां रहकर मिस्टर पांडेय अपने थाने की ओर निकल गए और ऐरॉन परिवार अपने अपने कमरों में चला गया।

 

क्रमशः

 

09-06-2020

 

गतांश से आगे: इंस्पेक्टर पांडेय से और एरॉन परिवार के बीच लंच के समय बहुत अच्छी बातचीत हुई। जब एमेलिया ने मौसम के सुहाने होने की बात पर यह कहा, "ऐरॉन, मिस्टर अरनव ने प्रॉमिस किया है कि वह हम लोगों को अपनी फ़ैमिली के साथ कहीं न कहीं पिकनिक के लिए लेकर जाएंगे"

 

इस पर इंस्पेक्टर पांडेय की टिप्पणी की कि उन्हें याद रहना चाहिए कि भारत में अभी लॉक डाउन लागू है। एरॉन परिवार को निराश होते हुए देख इंस्पेक्टर पांडेय ने कहा कि वह ठाकुर साहब से बात कर लेंगे।

 

उसके आगे जानिए....

 

एपिसोड 14

 

शाम के समय जब अरनव और अनिका मंदिर में आये हुए थे तब एरॉन और एमेलिया से मुलाक़ात हुई और बातों बातों में पिकनिक की बात उठी तो अरनव ने कहा कि आज इंस्पेक्टर पांडेय का फोन आया था और उन्होंने कहा, "हम लोग लोग अभी पिकनिक वग़ैरह पर कहीं बाहर जाने का प्रोग्राम न बनाएं क्योकि लॉक डाउन और कर्फ़्यू अभी लागू है लेकिन यह भी कहा कि अगर हम अपने मंदिर कंपाउंड में खाने पीने का प्रोग्राम रखें तो कोई बात नहीं"

 

इस पर एमेलिया ने कहा, "छोड़िये मिस्टर अरनव हम लोगों को कानून का पालन करना चाहिए"

 

"मैं भी तो वही कह रहा हूँ मिसेज़ एरॉन कि हम लोगों को कानून का पालन करते हुए मंदिर कंपाउंड में ही अपनी पिकनिक मनानी चाहिए"

 

"आप भी मिस्टर अरनव मेरी तरह बहुत ज़िद्दी स्वभाव के हैं"

 

"तो चलें मंदिर के पीछे जो बगिया है उसमें देखते हैं कि वहां कौनसी जगह ठीक रहेगी जहां हम लोग अपने बाटी चोखा का प्रोग्राम रख सकते हैं। जब मिलेंगे तो वहीं बच्चों के लिए कुछ खेलकूद का भी इंतजाम कर लेंगे। बस इस तरह मन जाएगी हमारी पिकनिक, न सही फार्म हाउस पर घर के पास मंदिर में ही और कानून का पालन भी हो जाएगा", कहकर अरनव ने एरॉन का हाथ पकड़ा और मंदिर के पिछवाड़े में जहां जहां ऊँचे ऊँचे सागौन, शीशम, नीम वग़ैरह के पेड़ लगे थे उस ओर सभी लोग चल पड़े।

 

जैसे ही वे लोग वहां पहुंचे तो एमेलिया ने कहा, "यह जगह बहुत बढ़िया रहेगी पिकनिक के लिए ठीक वैसी जैसी कि हम लोग फ्रांस में जंगल में आउटिंग के लिए निकलते हैं"

 

अरनव और अनिका ने घास फूंस की छप्पर वाली छत के कमरे की ओर देखा तो अरनव ने कहा, "अनिका देखो ये हाल हो जाता है जब अपने आसपास की चीजों को न देखो तो। कितनी झाड़ फूंस पैदा हो गई है इस कॉटेज के आसपास"

 

"वह तो है ही"

 

"मैं कल ही दो मजदूर लगा कर इस जगह की सफाई करा देता हूँ", अरनव ने कहा।

 

एरॉन और एमेलिया ने जब अरनव को मज़दूरों से साफ सफाई कराने की बात को सुना तो उसे लगा कि यह ठीक नहीं रहेगा क्यों न वे लोग मिलकर यह काम करें जिससे उनका मन भी लगा रहेगा और काम का काम हो जायेगा। यह सोचते ही वह बोली, "मिस्टर अरनव साफ सफाई का काम हम लोग मेरा मतलब मैं, एरॉन, विक्टर और एस्टेले मिलकर करेंगे। हम लोगों की एक्सरसाइज़ भी हो जाएगी और साफ सफाई भी हो जाएगी और दो तीन दिन में यह जगह पिकनिक मनाने के लिए एक आइडियल जगह भी बन जाएगी"

 

"अरे यह अच्छा नहीं लगता हम अपने आदमियों से कहकर सफाई करा देंगे, आप रहने दीजिए", अरनव ने कहा।

 

"देखिये मिस्टर अरनव हमने आप से पहले ही कहा था कि पिकनिक में हम लोग सभी मिलकर काम करेंगे और खासतौर पर हम तो मेहमान बिल्कुल भी बनकर नही रहना चाहेंगे"

 

"ठीक है, ठीक है। जब आप लोगों की यही मर्जी है तो यही सही। मैं कर्मवीर से कह दूंगा कि साफ सफाई के लिए जो सामान जैसे कि खुर्पी, फावड़ा, कुदाल, झाड़ू वगैरह वह स्टोर से निकाल कर कल सुबह यहां पहुंचा देगा"

 

"ओके"

 

"तो फिर यही तय रहा कि हम लोग कल सुबह ब्रेकफास्ट के बाद यहीं मिलते हैं। मैं आरुष और अनुष्का को भी साथ लेता आऊंगा"

 

"फिर तो और भी मज़ा आएगा और विक्टर और एस्टेले का भी मन लगा रहेगा"

 

जब साफ सफाई का पूरा प्रोग्राम बन गया तो वे लोग वहां से गेस्ट हाउस की ओर चले और शाम की कॉफी उन्होंने साथ साथ गप शप करते ही पी....

 

क्रमशः

 

1-07-2020

 

गतांश से आगे: कॉटेज के आसपास की सफाई करने के लिए सभी ने मिलकर यह निर्णय लिया कि वे स्वयं ही इस काम को अंजाम देंगे न कि किसी बाहरी वाले मजदूर से कराएंगे जिससे उनका मन भी लगा रहेगा और पिकनिक के लये स्थान भी तैयार हो जाएगा। शाम को अरनव ने सब के साथ कॉफी पी और अपनी हवेली के लिए निकल गए।

 

उसके आगे जानिए....

 

एपिसोड 14

 

हवेली पहुंचते ही अनिका ने आरुष और अनुष्का को यह निर्णय बताया कि हम लोग जल्दी ही पिकनिक मनाने जाएंगे तो दोनों बच्चों ने एक आवाज में पूछा, "कहां"

 

"मंदिर के पीछे जो कॉटेज है वहां"

 

दोनों बच्चों के मुंह से हवा ऐसे निकली जैसे कि फूले हुए गुब्बारे में किसी ने सुई चुभो दी हो। वे एक साथ बोले, "वह भी कोई जगह है, चलना है तो कहीं दूर चलो"

 

अरनव ने उन्हें बताया कि वे तो दूर ही जाना चाह रहा थे लेकिन इंस्पेक्टर पांडेय ने उन्हें याद दिलाया कि देश भर में अभी लॉक डाउन लगा हुआ है और कहीं बाहर निकल कर पिकनिक मनाना या पार्टी करना दोनों ही मना है। बच्चों ने अरनव की बात ध्यान से सुनी और यह माना कि देश के अच्छे नागरिक होने के नाते हम सभी को कानून मानना चाहिए और अनुष्का ने याद कराया, "कनिका कपूर जो लंदन से मुंबई और बाद में लखनऊ पहुंची, उन्हें कोरोना था लेकिन इसके बाबजूद उन्होंने एक पार्टी घर में मनाई और उनके खिलाफ सरकार ने सख़्त कार्यवाही की और एफआईआर दर्ज करके मुकद्दमा चलाने का निर्णय लिया। कोरोना महामारी के इन दिनों में हर किसी को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए"

 

आरुष ने भी अनुष्का की हां में हां मिलाते हुए कहा, "डैड सही कह रहे हैं। चलो अबकी बार मंदिर की कॉटेज ही सही"

 

"लेकिन वह जगह तो बहुत गंदी और झाड़ फूंस से भरी हुई होगी"

 

"बिल्कुल सही", कहते हुए अनिका ने कहा, "इसीलिए हम लोगों ने निश्चय किया है कि हम सभी लोग मिलकर उसे साफ करेंगे"

 

"क्या? हम लोग उसकी सफाई ख़ुद करेंगे", अनुष्का ने आश्चर्य से पूछा।

 

"हम अकेले ही नहीं, हम लोगों के साथ विक्टर और एस्टेले तो होंगे ही साथ में उनकी मॉम और डैड भी रहेंगे"

 

आरुष यह सुनकर खुश हुआ और बोला, "फिर तो बड़ा मजा आएगा"

 

"ठीक तो यह तय रहा कि हम लोग सुबह सुबह नाश्ता करने के बाद वहां चलेंगे"

 

"ठीक है मॉम", कहकर दोनों बच्चों ने अपनी सहमति जताई।

 

डिनर करने के बाद अरनव और अनिका जब अपने कमरे में बेड पर लेटे हुए टीवी देख रहे थे तो लॉक डाउन के चलते मजदूरों की हालत को देखकर दुःखी हो रहे थे कि किस प्रकार मजदूरों के परिवार एक के बाद एक करके पैदल ही चले जा रहे हैं। न तो उनके पास कुछ खाने को है न कोई उन्हें देखने वाला है। मजदूरों के एक परिवार को जब उन्होंने अपने बच्चे को एक अटैची पर सोते हुए ले जाते दिखाया तो देखकर बहुत दुःख हुआ कि उसके माता पिता किस तरह अपने घर तक का सफ़र पूरा कर रहे हैं इस पर अनिका बोल पड़ी, "यह कैसी व्यवस्था है कि अपने ही देश में लोग निराश्रित होकर इधर उधर भटक रहे हैं और मीलों दूर पैदल चलते जा रहै हैं"

 

"वास्तव में बहुत बुरा हाल है", अरनव ने भी अनिका के साथ सहमति जताते हुए कहा, "पता नहीं अपने यहां की सरकारों को क्या हो गया है जो उन्हें यह सब दिखाई नहीं पड़ता है"

 

मजदूरों की हालात को देख कर दोनों पति पत्नी मन ही मन बहुत दुःखी हुए और देर रात तक आपस में इसी मसले को लेकर बात करते रहे कि लॉक डाउन का यह दौर लोगों के लिए कितनी मुश्किलें लेकर आया है।

 

अरनव से जब नहीं रहा गया तो उसके मुंह से निकला, "बहुत दुःखद परिस्थिति है। हजारों करोड़ों लोग सड़क पर आ गए हैं। विदेश से आये हुए तमाम लोग जैसे कि एरॉन और एमेलिया का परिवार भी फंसे हुए हैं"

 

"एरॉन परिवार तो हम लोगों के संरक्षण में आ गया इसलिए वे बच गया अन्यथा न जाने उनके साथ क्या होता"

 

"बिल्कुल सही कह रही हो", इतना कहकर अरनव ने करवट बदला और सोने की कोशिश करता रहा लेकिन नींद कहां आने वाली थी...

 

क्रमशः

 

 

 

 

12-07-2020

गतांश से आगे: अरनव और अनिका देर रात तक मजदूरों के पलायन पर टीवी प्रोग्राम देख कर बहुत दुःखी हुए। मन खीज से भर गया। वे उस रात सो नहीं पाए।

उसके आगे जानिए....

एपिसोड 15

आरुष पिकनिक को लेकर बहुत उत्साहित था इसलिए वह नाश्ता करके सुबह सुबह मंदिर के पीछे कॉटेज पर पहुंच गया वहां कर्मवीर से साफ सफाई करने का सामान लेकर निकलवाया और सबसे पहले ही पिकनिक स्पॉट पर उपस्थित जा पहुंचा। सारे समान को लेकर आरुष ने कर्मवीर से कहा, "तुम चलो नहीं तो डैड तुमको साफ सफाई के काम में लगा देंगे। हम लोग चाहते हैं कि यह काम हम घर के लोग और हमारे फ्रांसीसी मेहमान करें"

कर्मवीर ने कहा, "भइया जैसा आपका हुक़्म", और वहां से वह गेस्ट हाउस की ओर निकल गया। कुछ देर में अनिका और अनुष्का तो पहुंच गए लेकिन अरनव को पहुंचने में देर हो गई और इसी बीच ऐरॉन, एमेलिया, विक्टर और एस्टेले भी कॉटेज के पास पहुंच गए।

"क्या हुआ मिस्टर अरनव नहीं आ रहे हैं क्या", ऐरॉन ने पूछा।

"वह मज़दूरों के पलायन पर कल देर रात तक टीवी प्रोग्राम देखते रहे और जो हालात दर्शाये गए थे उन्हें देख उनको बहुत बुरा लगा कि अपने ही देश में लोगों का क्या हाल कर दिया और कोई भी उनकी ओर ध्यान नहीं दे रहा। बस यह सोचते सोचते देर रात तक सो नहीं पाए। हम लोग जब घर से निकले थे तो वह फ्रेश हो रहे थे बस आते ही होंगे"

"कोई बात नहीं। कभी कभी ऐसा हो जाता है, चलिए हम लोग अपना काम शुरू करें", इतना कहकर ऐरॉन देखने लगा कि काम कहाँ से शुरू किया जाए।

अनिका ने सभी से कहा, "आज के रोज़ हमारा ग्रुप लीडर आरुष है। वह सबसे पहले यहां आया और कर्मवीर से साफ सफाई का सारा सामान निकल वाया, इसलिए आज वही हम सभी को लीड करेगा"

"दैट्स अ गुड डिसीज़न", एमेलिया ने भी अनिका को सेकंड करते हुए कहा।

"बोलो, आरुष किसको क्या करना है"

आरुष रिस्पांसिबिलिटी लेने से बिल्कुल नहीं कतराया और बोला, "एमेलिया आंटी और मॉम कॉटेज के अंदर की सफ़ाई करेंगी। अनुष्का और विक्टर मिल कर कॉटेज के चारों ओर की घास फूंस निकालेंगे। ऐरॉन अंकल और डैड सागौन, नीम, पीपल के पेड़ के चारों ओर की सफाई करेंगे। एस्टेले मेरे साथ रहेगी और हम दोनों मिलकर पिकनिक पार्टी के लिए खाना बनाना वाली भट्टी के लिए ईंट वग़ैरह मंदिर के पास से उठाकर पीपल के पेड़ के पास इकठ्ठा करेंगे। आई होप एवरीवन इस क्लियर अबाउट द टास्क"

सभी ने हाथ उठाकर एक साथ कहा, "यस बॉस"

......और इस तरह पिकनिक की तैयारी शुरू हो गई। कुछ देर में स्वामी नागार्जुन भी अरनव के साथ आ गए और सभी को काम करते देख बोले, "पिकनिक की तैयारी बढ़िया चल रही है"

अरनव को लगा कि स्वामी नागार्जुन को पिकनिक में आने के लिए नहीं कहा गया है इसलिए कहीं वह बुरा न मान जाएं इसलिए उनकी ओर देखते हुए बोले, "स्वामी जी आपको और आपके परिवार लोगों को भी पिकनिक में भी आना है"

स्वामी नागार्जुन ने हंसते हुए कहा, "इसका मतलब यह हुआ कि मुझे भी काम करना होगा"

"नहीं नहीं आपको नहीं आप हमारे पूज्य हैं, आप भगवान की सेवा में रहिये मंदिर में आने वाले लोगों की मदद करिये", अरनव ने कहा।

"सभी लोग काम कर रहे हैं बच्चे भी यहां हैं। मैं घर जाकर आनंदिता को भेजता हूँ"

"हां, उसे भेज दीजिये वह बच्चो के साथ एन्जॉय करेगी। कामायनी जी को घर पर ही काम करने दीजियेगा नहीं तो आपको सांभर चावल भी खाने को नहीं मिलेगा", हंसते हुए अरनव से स्वामी नागार्जुन से कहा।

स्वामी नागार्जुन ने कोई जवाब तो नहीं दिया लेकिन वह चुपचाप अपने घर की ओर बढ़ चले।

क्रमशः

13-07-2020

गतांश से आगे: स्वामी नागार्जुन ने घर जाकर जैसे ही बताया कि ठाकुर साहब और ऐरॉन का पूरा परिवार पिकनिक मनाने की तैयारी कर रहा है और हम लोगों को भी उसमें शरीक़ होना है। वे सभी लोग मंदिर के पीछे वाली कॉटेज के आसपास साफ सफ़ाई कर रहे हैं।

उसके आगे जानिए....

एपिसोड 16

स्वामी नागार्जुन ने आनंदिता से पूछा, "क्या तुम उन लोगो के साथ मिलकर काम करना चाहोगी'

"
क्यों नहीं, मैं जाऊं"

"
जा बेटी, जा"

ख़ुशी ख़ुशी आनंदिता घर से चलने लगी तो कामायनी ने उससे कहा, "ऐसे नहीं कपड़े बदल कर जा। वहां ठाकुर साहब का परिवार के अलावा फ्रांसीसी लोग हैं। कायदे से तैयार होकर जा"

कामायनी की बात सुनकर आनंदिता अपने कमरे में गई जल्दी से ड्रेस बदली और मंदिर के पास कॉटेज के लिए चल पड़ी। आनंदिता को आते देख विक्टर ने अनुष्का से कहा, "देखो स्वामी जी ने घर जाते ही आनंदिता को हम लोगों के साथ काम करने के लिए भेज दिया है। कितनी रंग बिरंगी ड्रेस पहन कर आ रही है। हम लोग उसे अपने साथ काम पर लगा लेंगे"

अनुष्का कुछ भी बोली नहीं बल्कि आरुष को बुलाकर कहा, "आरुष, आनंदिता हम लोगों के साथ काम करले। तुम्हारे पास उसके लिए क्या कोई काम है"

"
नही, ठीक है वह तुम लोगों के साथ काम कर सकती है", और आनंदिता के आते ही आरुष ने उससे कहा, "आनंदिता तुम विक्टर और अनुष्का के साथ मिलकर काम करना चाहोगी"

"
जैसा तुम कहो", आनंदिता ने उत्तर देते हुए आरुष से पूछा, "मुझे करना क्या होगा"

"
तुम भी वही करो जो विक्टर और अनुष्का कर रहे हैं"

आरुष का उत्तर सुनकर आनंदिता विक्टर और अनुष्का की ओर मुड़ी और वे तीनों मंदिर के पीछे की ओर जाने लगे जहां पुरानी ईंटे रखीं हुईं थीं। अनुष्का और विक्टर ने दो ईंट उठाई और कॉटेज की ओर चलने लगे तो आनंदिता ने कहा, "इस तरह तो बहुत देर लगेगी। मैं तुम्हें एक तरक़ीब बताती हूँ कि एक बार में ही हम लोग दो से अधिक ईंट उठाकर ले जा सकते हैं"

"
वह कैसे"

"
मुझे देखो", आनंदिता ने कहा और अपनी ओढ़नी को गोल गोल कर एक पैड बनाया और सिर पर रख कर बोली, "एक काम करो अब एक एक करके चार पांच ईंट मेरे सिर के ऊपर रख दो"

अनुष्का और विक्टर ने वैसे ही किया जैसे कि आनंदिता ने कहा था। इस तरह उन लोगों ने मिलकर अपना काम बहुत जल्दी पूरा कर लिया। विक्टर ने काम ख़त्म होने पर आनंदिता की तारीफ़ करते हुए कहा, "तुम तो बहुत ही चमत्कारी निकली यार"

"
ऐसा कुछ भी नहीं हम इंडियंस अपना ब्रेन यूज़ करते हैं", आनंदिता ने मुस्कुराते हुए कहा।

"
तुम क्या कहना चाह रही हो दूसरे लोगों में दिमाग़ नहीं होता", अनुष्का ने पूछा।

आनंदिता को अनुष्का का इस तरह प्रश्न करना अच्छा नहीं लगा और कुछ भी उत्तर देना ठीक नहीं समझा लेकिन उसने विक्टर की ओर देखते हुए कहा, "मैंने ऐसा तो नहीं कहा। विक्टर, तुम्हारे देशों में अधिकतर काम मशीनों से किया जाता है हमारे देश में बहुत सा काम अभी भी शारीरिक दम खम से। अब हमारे यहां भी परिवर्तन आ रहा है। बड़े बड़े प्रोजेक्ट मशीनों से पूरे किए जाते हैं लेकिन हर छोटे मोटे काम के लिए जहां मशीन नहीं लाई जा सकती है वहां हम लोग इसी तरह से काम कर लेते हैं"

"
वाओ", कहकर विक्टर आनंदिता की ओर आश्चर्य भरी निगाहों से देखता रहा। इन तीनों को खाली बातें करते देख आरुष इनके पास आया और बोला, "हाय गाइज, क्या हो रहा है"

"
काम निपटा कर हम लोग एन्जॉय कर रहे हैं", अनुष्का ने उत्तर देते हुए बोला।

दोपहर से पहले सभी लोगों ने अपना अपना काम ख़त्म कर लिया तो आरुष ने सभी का धन्यवाद किया औए आशा की कि वे लोग एक सुहाने मौसम वाले दिन शीघ्र ही अपनी पिकनिक मना सकेंगे।

क्रमशः

 

 

14-07-2020

गतांश से आगे: ठाकुर साहब और एरॉन के परिवार तो पिकनिक के लिये स्वयं काम करने का संकल्प उठाया ही था और वे लोग पूर्ण निष्ठा से अपना अपना काम करते रहे। जब अरनव ने स्वामी जनार्दन से कहा कि उन्हें और उनके परिवार को भी पिकनिक में सम्मलित होना है। स्वामी नागार्जुन ने घर जाकर जब यह सूचना दी तो आनंदिता बहुत खुश हुई और तैयार होकर मंदिर के पीछे कॉटेज के पास सभी लोगों का हाथ बंटाने आ गई।

उसके आगे जानिए....

एपिसोड 16

थके मांदे सभी लोग जब कॉटेज से अपनी अपनी जगह के लिए लौट रहे थे तो अनुष्का ने आनंदिता को छेड़ते हुए कहा, "आनंदिता आज तो तुम बहुत थक गई होगी, इतना काम जो करना पड़ा"

"
नहीं दीदी, कुछ खास नहीं। मुझसे अधिक तो आप लोगों ने काम किया। मैंने तो आख़िर में आ कर दो हाथ लगा दिए थे"

आनंदिता के उत्तर को सुनकर अनुष्का चुप रह गई और विक्टर की ओर मुंह करके बोली, ".....और मिस्टर तुम्हारा क्या हाल है"

"
पता नहीं तुम थकान महसूस कर रही हो या नहीं मैं तो वास्तव में बहुत थकान महसूस कर रहा हूँ", विक्टर ने अनुष्का को उत्तर में कहा।

जब वे लोग मंदिर के सामने आए तो अरनव ने ऐरॉन परिवार और आनंदिता को धन्यवाद दिया और उसके बाद वे लोग अपने अपने रहने की जगह की ओर बढ़ चले। मंदिर से उत्तरी गेट की ओर चलते हुए एस्टेले और आनंदिता में आपस में बातचीत और हंसी मजाक करते रहे। गेट के पास आकर आनंदिता ने आदर सहित ऐरॉन परिवार के सदस्यों को बाय कहा और अपने घर की ओर चली गई।

शाम के समय जब विक्टर के बदन में होने लगा और उसने अपने डैड और मॉम को बताया कि उसे बहुत कमजोरी लग रही है। एमेलिया ने उसके सिर हाथ रहकर देखा तो उसे लगा कि उसको हल्का बुखार है। वह तेजी से अपने रूम में गई और थर्मामीटर लेकर आई और विक्टर का टेम्पलेट नापने के लिए उसने थर्मामीटर को धो कर उसके मुँह लगा दिया। जब दो मिनट थर्मामीटर निकाल कर देखा तो उसे 99.4 डिग्री फ़ारेनहाइट टेम्परेचर था। एमेलिया ने अपने बैग से कुछ दवाइयों के बीच से एक दवाई निकाली और विक्टर को देकर कहा, "लो यह गोली लो तुम ठीक हो जाओगे, धूप में काम किया इसलिए ऐसा हुआ होगा"

दवाई ले लेने के बाद विक्टर सो गया और एमेलिया ने एस्टेले से कहा, "विक्टर अगर बीच में उठता है और कुछ शिकायत करता है तो तुम मुझे बुला लेना"

इतना कहने के बाद एमेलिया और ऐरॉन अपने रूम में आ गए। कमरे में अंदर आते ही ऐरॉन ने कहा, "एमेलिया उम्मीद है विक्टर को थकान ही हुई हो जिसकी वजह से उसे हल्का बुख़ार आगया हो। उम्मीद करता हूँ कुछ और न हो"

"
कुछ और न हो, तुम क्या कहना चाह रहे हो"

"
यही कि कोरोना"

"
यीशु उसे ठीक करेंगे तुम बहुत जल्दी ही घबराने लगते हो"

"
मैं इसलिए डर रहा हूँ कि हम इस गांव में हैं जहां कोई मेडिकल फैसिलिटीज भी नहीं हैं अगर कुछ इंमरजेंसी हो जाए तो हम कहां जाएंगे"

एमेलिया ने पल भर के लिए कुछ सोचा और झट से अनिका को फोन कर विक्टर की हालत के बारे में बता दिया। कुछ ही देर में अरनव और अनिका दोनों ही गेस्ट हाउस पहुंच गए और विक्टर को देखकर कहा, "मैं एक डॉक्टर को बुलाता हूँ और हम उसकी राय से अगला क़दम उठाएंगे"

"
यही ठीक रहेगा", ऐरॉन ने भी अरनव की राय से सहमति जताई।

क्रमशः

15-07-2020

गतांश से आगे: अरनव और अनिका को जैसे ही पता चला कि विक्टर की तबियत ठीक नहीं है तो वे दोनों तुरंत गेस्ट हाउस पहुंच गए। एमेलिया से बात चीत की और अरनव ने तुरंत एक डॉक्टर को बुला लिया।

उसके आगे जानिए....

एपिसोड 16

लक्ष्मीपुर से कुछ ही देर में डॉक्टर सेठ गेस्ट हाउस आ पहुंचे और उन्होंने विक्टर को देखकर यह साफ कर दिया कि मामूली बुख़ार और थकान है और कोइ घबराने की बात नहीं। उन्होंने फिर भी दो गोली दे दीं और कहा "एक एक गोली सुबह शाम दे दीजियेगा। कल सुबह तक ये ठीक हो जाएंगे"

अरनव ने कमरे बाहर आकर डॉक्टर सेठ से पूछा, "घबराने की कोई बात तो नहीं"

"नहीं, ठाकुर साहब कोई बात नहीं, आप निश्चिंत रहिये"

अरनव ने डॉक्टर सेठ को फ्रांसीसी मेहमानों के बारे में सब कुछ बताया तो डॉक्टर सेठ ने कहा "ठाकुर साहब इस समाज में आप जैसा व्यक्ति ढूंढने से भी नहीं मिलेगा। सम्पूर्ण क्षेत्र में सभी लोग आपका आदर सम्मान करते हैं"

कुछ देर रुककर और गेस्ट हाउस में एक कप कॉफी पिलाकर डॉक्टर सेठ को अरनव ने विदा किया।

जैसे ही अरनव ऐरॉन और एमेलिया के पास पहुंचे तो अनिका ने पूछा, "डॉक्टर ने क्या कहा"

"वही जो उन्होंने यहां कहा था। विक्टर ठीक हो जाएगा चिंता की कोई बात नहीं है"

"कहाँ रह गए थे बहुत देर हो गई", अनिका ने पूछा।

"अरे मैं डॉक्टर साहब को एक कप कॉफी पिलाने के लिए गेस्ट हाउस ले गया था, इसीलिए देर हो गई", अरनव ने कहा।

अरनव और अनिका बहुत देर तक एमेलिया के साथ विक्टर के पास रहे और चलते चलते अनिका ने विक्टर से कहा, "कल सुबह मैं अनुष्का और आरुष को भेज दूंगी तो तुम्हारा मन लगा रहेगा", एमेलिया की ओर मुड़ते हुए कहा, "मैं थोड़ा हल्दी का दूध विक्टर के लिए भिजवा दूँगी उसे रात को सोने से पहले पिला देना सुबह तक वह ठीक हो जाएगा"

अरनव और अनिका को छोडने के लिए ऐरॉन मंदिर के उत्तरी गेट तक आया और बॉय बॉय कर जब लौट रहा था तो उसे आनंदिता मिल गई, उसने ऐरॉन को हेलो कहा। ऐरॉन ने उससे कुछ देर रुक कर बातचीत की और विक्टर के बारे में बताया तो उसने पूछा, "अंकल क्या मैं विक्टर से मिल सकतीं हूँ"

ऐरॉन ने आनंदिता को अपने साथ लिया और शीघ्र ही वे दोनों विक्टर के पास थीं। आनंदिता के वहां आते ही एमेलिया ने प्यार से उसे प्यार से बिठाया और कहा, "तुम कुछ देर विक्टर के पास रहो मुझे उम्मीद है कि उसे अच्छा लगेगा"

आनंदिता के आते ही विक्टर का उदास चेहरा खिल उठा और उसने पूछा, "आनंदिता तुम कैसी हो"

"यह सवाल तो मुझे तुमसे करना चाहिए", आनंदिता ने उल्टे विक्टर से पूछा।

"अब पहले से बेहतर लग रहा है। तुम जल्दी में तो नहीं हो"

"नहीं बताओ न क्या बात है"

"कुछ देर बैठो। अच्छा लगता है", विक्टर के कहने पर आनंदिता उसके बेड के एक छोर पर जा बैठी।

एस्टेले और आनंदिता को विक्टर के पास छोड़कर एमेलिया और ऐरॉन अपने कमरे में आ गए। एमेलिया ने ऐरॉन से कहा, "देखा मैनें कहा था न कि जब बच्चे आपस में मिलते हैं तो उनके बीच कुछ ऐसा होता है जो हम लोगों के हिसाब से प्यार न भी हो फिर भी जो उन्हें एक दूसरे से मिलने को प्रेरित करता है"

ऐरॉन ने चुपचाप एमेलिया की बात को ध्यान से सुना और कहा, "कुछ भी हो मैं भारतीय सभ्यता और उनके मेल मिलाप को देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं"

दूसरी ओर आनंदिता और एस्टेले मिलकर विक्टर का मन बहलाते रहे। जब सूरज ढल गया और अंधेरा होने लगा तो आनंदिता ने विक्टर से चलने की इजाज़त मांगी। न कुछ कहकर विक्टर ने आंखें मींच कर उसे घर जाने की अनुमति प्रदान करी। आनंदिता जैसे ही गेस्ट हाउस के बाहर निकली कि घनघोर बारिश होने लगी। जब तक वह अपने घर के दरवाजे पर पहुँचती तब तक वह ऊपर से लेकर पांव तक भीग चुकी थी। उसे देख कामायनी पूछ बैठी, "तुम कहाँ चली गई थी मुझे बहुत चिंता हो रही थी"

"अम्मा मैं विक्टर को देखने चली गई थी"

"कम से कम मुझे बता तो देती"

अम्मा की बात पर आनंदिता ने पूरी बात बताते हुए उन्हें समझाया कि वह विक्टर की तबियत की खबर सुनकर वह उसके पिताजी के साथ उसे देखने चली गई थी।

क्रमशः

16-07-2020

गतांश से आगे: कल शाम विक्टर को देखने डॉक्टर सेठ आये और उन्होंने आश्वस्त किया कि चिंता की कोई बात नहीं वह सुबह तक ठीक हो जाएगा। डॉक्टर के चले जाने के बाद आनंदिता भी विक्टर को देखने आई। जब वह अपने घर बापस लौट रही थी तो अचानक ही बहुत तेज़ बारिश होने लगी और वह भीग गई।

उसके आगे का हाल....

एपिसोड 17

रात भर बारिश होती रही जिससे मौसम में हल्की सी सर्द हवाओं की खनकी का असर आ गया था। अगली सुबह को अरनव और अनिका को जब एहसास हुआ कि एरॉन और एमेलिया सो कर उठ गए होंगे तो उन्होंने उन्हें फ़ोन किया और विक्टर के हालचाल लिए।

"
यीशु की कृपा से वह अब बेहतर अनुभव कर रहा है", ऐसा एमेलिया ने बताया।

अनिका ने एमेलिया से कहा, "दवाई ने अपना असर किया ही होगा। दूध में हल्दी डालकर पीने से बॉडी के पूरे हेल्थ सिस्टम पर अच्छा असर होता है और इम्युनिटी पावर बढ़ती है। हम लोग अभी उधर आ रहे हैं विक्टर के लिए एक काढ़ा बनवा कर ला रहे हैं उसे वह पियेगा तो शाम तक बिल्कुल ठीक हो जाएगा। हम लोग अपने बच्चों को यही पिलाते हैं जब कभी हल्की फुल्की प्रॉब्लम होती है"

"
मैने भी सुना है कि इंडियन लेडीज़ को इस तरह के ट्रीटमेंट की बहुत अच्छी नॉलेज होती है। आपने जो बताया कड़ा या खड़ा जो भी है आप उसे लाइए हम उसे अवष्य पिलायेंगे"

"
न कड़ा न खड़ा उसे काढ़ा बोला जाता है और इसे कई जड़ी बूटी से बनाया जाता है। हम लोग कुछ ही देर में उधर आ रहै हैं और आपको उस समय देंगे"

"
ओके आइए हम आपका इंतजार ही कर रहे हैं"

अरनव और अनिका एक सेवक से साथ काढ़ा कुछ और आयुर्वेदिक दवाइयां लेकर गेस्ट हाउस जा पहुंचे और सेवक से कहा कि वह एक ग्लास में डालकर वह काढ़ा निकाल दे। उसे अपने हाथ में लेकर अनिका ने एमेलिया को दिया और कहा, "इसे गर्म गर्म चाय की तरह पिया जाता है। लीजिये और आप विक्टर को पिला दीजिये"

विक्टर ने पहला घूंट पीते ही अजीब सा मुंह बनाया जैसे कि उसे काढ़े का स्वाद अच्छा न लगा हो। एमेलिया ने उसे समझाया कि हर दवा कड़वी होती है और काढ़ा उसे पीना ही होगा। विक्टर ने जब काढ़ा पी लिया तो सब लोग उसके पास बैठकर उससे देर तक बात करते रहे। अनिका ने एमेलिया को ऐसे कई घरेलू नुस्खों की जानकारी दी जिन्हें अक्सर ही घर की बड़ी बूढ़ी अपने बच्चों को पिलाकर उनके स्वास्थ्य को ठीक रखतीं हैं। बाद में एक छोटे से पैकेट में डालकर मुलैठी दी और कहा, "विक्टर के गले में कोई दर्द हो या रुकावट लगे या खांसी आये तो उसे यह चूसने के लिए दे देना। यह एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है और बहुत लाभकारी होती है"

अरनव ने विक्टर से कहा, "तुम जल्दी से ठीक हो जाओ। हम लोग आने वाले संडे को पिकनिक मनाएंगे। मैंने चेक कर लिया है उस दिन मौसम बहुत सुहावना रहेगा। तुम खूब एन्जॉय करोगे"

इसके बाद अनिका ने एमेलिया से कहा, "ये तो आप लोग यहां हैं लगता है कि इसीलिए इस साल के दिनों में गर्मी नहीं पड़ रही है वरना बहुत गर्म हो जाता था"

"
हम लोग लकी हैं", एमेलिया ने उत्तर में कहा।

इस पर अरनव को एक बात याद हो आई जिसे सुनाते हुए उन्होंने कहा, "एक बार मुझे आपके डैड मिस्टर बैचेलेट लियोनार्डो ने बताया था कि जब मनकापुर से कुछ लोग पेरिस गए हुए थे तो वहां मौसम बहुत सुहावना हो गया था। सुहानी धूप निकली हुई थी ऐसे मौसम में जब वहां खूब सर्दी पड़ती थी तब वहां सूरज निकला हूआ था। इस पर उन्होंने इंडियन विज़िटर्स से कहा था 'यू हैव ब्रॉट लॉट ऑफ सन साइन फ़ॉर अस' ...और इसको सुनकर सभी लोग खूब हंसे थे"

ऐरॉन की आंखों में बरबस ही दो बूंद आंसू उतर आए और भावनाओं में बहकर उसने कहा, "मेरे पिता बहुत ही सेंसटिव और भले इंसान थे। काश मैं एक बार मनकापुर जा सकूँ और उस जगह को देख सकूँ जहां उन्होंने अपनी ज़िंदगी के दो हसीन साल गुज़ारे थे"

"
चलने को तो मैं आज ही आप लोगों को मनकापुर ले चल सकता हूँ लेकिन यह लॉक डाउन का पीरियड है और हम लोग कहीं भी नहीं जा सकते हैं", अरनव ने ऐरॉन से कहा, "आप चिंता नहीं करिये मैं आपको पेरिस वापस लौटने के पहले मनकापुर लेकर अवश्य चलूँगा"

एक बार मनकापुर की बात क्या शुरू हुई नहीं कि वहां के बारे में उन सभी के बीच देर तक वहां के बारे में बात चलती रही। चलने से पहले अरनव ने कहा, "अभी तो हम लोग प्रभु के दरबार में जा रहे हैं और वहां विक्टर के स्वस्थ हो जाने के लिए प्रार्थना करेंगे। उसके बाद इतवार के रोज़ की पिकनिक की तैयारी करेंगे"

"
थैंक यू मिस्टर एंड मिसेज सिंह फ़ॉर आल दैट यू हैव डन फ़ॉर विक्टर। सो काइंड ऑफ यू", एमेलिया ने यह कहकर अरनव और अनिका का शुक्रिया अदा किया और वे उन्हें गेस्ट हाउस के दरवाजे तक छोड़ने आये।

क्रमशः

17-07-2020

गतांश से आगे: अरनव और अनिका सुबह सुबह गेस्ट हाउस आकर विक्टर को देखने उसके रूम में गए वहीं उनकी मुलाकात ऐरॉन और एमेलिया से हुई। अनिका के कहने पर एमेलिया ने विक्टर को काढा पीने को दिया और अनिका से कई और आयुर्वेदिक दवाइयों को अपने हाथ में लिया और शुक्रिया अदा किया। चलते चलते अरनव ने ऐरॉन के पिता की एक बात याद दिलाकर सबकी आंखे नम कर दीं।

उसके आगे का हाल....

एपिसोड 18

विक्टर की तबियत ठीक हो चुकी थी। इतवार सर पर था। सभी बच्चों में पिकनिक को लेकर बहुत उत्साह था। एक रोज़ सभी बच्चों ने कॉटेज एरिया को जाकर देखा और यह तय किया चूंकि पिकनिक में विभिन्न जगहों और संस्कृतियों के लोग होंगे इसलिए खेल कूद, खाने पीने के अलावा, नाच गाने का भी प्रोग्राम होना चाहिए। आनंदिता ने अपनी ओर से सुझाव दिया कि वह उस दिन केरल की एक प्रसिद्ध नृत्य पद्धति को लेकर छोटी सी नाटिका प्रस्तुत करने का इरादा रखती है, आनंदिता की बात सुनकर अनुष्का ने भी प्रोत्साहित होकर यह कहा, "मैं भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की एक ग्रामीण अंचल का एक गीत गाऊँगी"

आनंदिता और अनुष्का का इतना कहना भर था कि विक्टर बोला, "अगर मुझे कहीं से कोई गिटार अरेंज कर दे तो मैं एक फ्रेंच लव सांग गा सकता हूँ"

आरुष बोला, "गिटार में तुम्हें दूंगा ही। बल्कि मैं भी एक फ़िल्म का गीत सुनाऊंगा"

जब बच्चों में ये तय हो गया तो वे लोग आपस में इस विषय पर बातचीत करने लगे कि डैड और मॉम को क्या टास्क दिया जाए, इस पर अनुष्का ने कहा, "मॉम के बारे में तो मैं जानता हूँ कि वह वेस्टर्न यूपी का कोई गीत सुना सकतीं हैं। डैड का पता नहीं कि वे इसके लिए तैयार होते हैं या नहीं"

"डैड नहीं गाएंगे तो कोई बात नहीं, चलेगा", आरुष ने कहा।

"डांस, गाना बजाने का प्रोग्राम तो तय हो गया अब यह बताओ कि हम लोग खेल कौनसा खेल सकेंगे", अनुष्का ने पूछा।

"खेलने का तो कोई इंतजाम इतने कम समय में हो नहीं सकता फिर भी तुम सभी लोग सोच कर रखो कि उस दिन क्या करना ठीक रहेगा", आरुष ने कहा।

जब सभी बच्चे यह सब प्रोग्राम फाइनल करके निकले तो उन्होंने देखा कि कुछ महिलाएं मंदिर में आईं हुईं हैं और वहां जितने लोग उपस्थित थे उनको मास्क बांट रहीं हैं। उन्हें जब ये बच्चे दिखाई दिये तो उन्होंने सब बच्चों को एक एक मास्क दिया और कोरोना काल में 2 मीटर दूरी और मास्क पहनने की अनिवार्यता के बारे में समझाया। बच्चों ने उन्हें धन्यवाद कहते हुए पूछा, "ये मास्क किसकी ओर से बंटवाए जा रहे हैं"

उन महिलाओं के बीच से एक महिला ने बताया, "हम लोग आंगनबाड़ी की ओर से यह मास्क गांव के हर सदस्य को दे रहे हैं और उन्हें साफ सफ़ाई जीवन में बरतने के लिए प्रेरित कर रहे हैं साथ ही साथ कोरोना महामारी के बारे में भी बता रहे हैं"

"अरे यह तो बहुत बढ़िया काम हो रहा है", अनुष्का ने कहा।

बाद में बच्चे जब अपने अपने माता पिता से मिले तो उन्होंने पिकनिक के बारे में वे लोग क्या क्या करने वाले हैं बताया। एमेलिया और ऐरॉन को बड़ा अच्छा लगा कि विक्टर धीरे धीरे ठीक होकर एक्टिव हो रहा है। बच्चों का दिल रखने के लिए एमेलिया ने अपनी ओर से कहा, "मैं और तुम्हारे डैड भी मिलकर एक फ्रेंच डुएट गीत सुनाएंगे"

"वाओ", एस्टेले और विक्टर दोनों के मुंह से एक साथ निकला।

"एस्टेले तू भी कोई प्रोग्राम कर जिससे जब हम इन लोगों को छोड़कर जाएं तो इनके दिलोदिमाग पर अपनी संस्कृति की छाप छोड़कर जाएं", विक्टर ने एस्टेले से अपनी मन की बात कही।

एस्टेले कुछ बोली तो नहीं लेकिन उसने मन ही मन यह निश्चय अवश्य किया कि उसे करना क्या है।

क्रमशः

18-07-2020

गतांक से आगे: पिकनिक वाले दिन सभी बच्चे क्या करेंगे जब यह तय हो गया तो एमेलिया और ऐरॉन ने भी कुछ न कुछ करने का मन बनाया। विक्टर के कहने पर उसकी छोटी बहन एस्टेले भी सोचने लगी कि वह क्या करे जिससे कि वह लक्ष्मीपुर गांव के लोगों पर अपनी छाप छोड़कर जाए।

उसके आगे का हाल जानिए

एपिसोड 19

आख़िर इतवार आ ही गया जिसका सभी को बहुत बेचैनी से इंतजार था। उस रोज मौसम भी बहुत सुहावना था। आसमान पर बदली छाई हुई थी लेकिन ऐसी नहीं कि बरसे बस कुछ इस तरह कि वह सूरज और धरती के बीच केवल एक पर्दे का काम करे इसलिए उस गर्मी तो बिल्कुल भी नहीं थी बल्कि ठंडी ठंडी मधुरिम हवा बह रही थी। यूँ कहा जाए तो पिकनिक मनाने के लिए एक आदर्श दिन।

लगभग दस बजे सभी लोग अपने सुबह सुबह के काम निपटा कर कॉटेज के पास एकत्र हो चुके थे। अनिका और एमेलिया ने अपना किचेन डिपार्टमेंट का काम अपने हाथ में ले लिया। सबसे पहले ईंटों को जोड़कर एक भट्टी बनाई गई और उसमें सुखी लकड़ी डाल कर आग लगाई गई और कर्मवीर और धर्मवीर को मूंग की दाल का देशी घी का हलवा बनाने के लिए अपनी कार्यवाही शुरू की। आम तौर पर बाटी चोखा के प्रोग्राम के साथ हलवे का कार्यक्रम नहीं रहता है। अनिका चूंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले की रहने वाली थीं। वहां की सेठ लोगों की बगीचियों में देशी घी में बनी हुई उरद की दाल और बाटी का कार्यक्रम अक्सर रखा जाता है लेकिन पूर्वांचल और बिहार में अधिकतर बाटी चोखा का इंतजाम रहता है इसलिए अनिका ने पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक डिश लेकर गंगा जमुनी तहज़ीब पेश करने का निर्णय लिया था।

जैसे ही मूंग की दाल का हलवा घोंटा जाने लगा चारों ओर देशी घी की ख़ुशबू फैलने लगी जिसे सूंघ कर एमेलिया ने अनिका से कहा, "कितनी अच्छी स्मैल है। लगता है कि ये डिश बहुत बढ़िया बनने वाली है"

"
मिसेज़ ऐरॉन अभी तो शुरूआत भर है अभी इस डिश को बनने में बहुत वक़्त लगेगा। इसके बारे में मेरी माँ ने समझाया था कि इसे जितना घी पिलाया जाए और जितना इसे घोंटा जाए उतना ही इसमें मिठास आत है"

"
हम लोग चलें कुछ देर देखें कि बच्चे क्या कर रहे हैं"

"
चलो", कहकर अनिका जब चलने लगी और धर्मवीर और कर्मवीर से साफ तौर पर कहा, "देखना हलवा तलहटी में लगना नहीं चाहिए। कडछी चलाते ही रहना और बीच बीच घी डालते रहना"

"
जी मेम साहब आप चिंता नहीं करो, हम आपकी बातों का ध्यान रखेंगे", कर्मवीर ने अनिका से कहा।

बच्चों ने साउंड सिस्टम लगाकर चालू कर लिया था। एस्टेले ने कल रात ही अपने मोबाइल पर कुछ फ्रेंच गाने और म्यूजिक डाउनलोड कर लिया था जो उस समय जोर जोर से बज रहा था। साउंड सिस्टम की आवाज़ कम करने के लिए जब अनिका ने कहा तो सभी बच्चे एक साथ बोल पड़े, "नो नो। आज हमारा दिन है हमें मौज मस्ती करने दीजिए"

सभी बच्चे फ्रेंच धुनों पर मटक रहे थे। अनिका ने अनुष्का से पूछा, "तू ढोलक ले आई थी कि नहीं"

"
मॉम देखो वह सामने ही तो रखी है, साउंड सिस्टम के पास"

अनिका ने बढ़ कर ढोलक अपने हाथ में ली और जैसे ही पहले से बिछी हुई दरी पर बैठ कर ढोलक को एक पांव के सहारे दबा कर जो थाप मारी तो एमेलिया की तो ख़ुशी से चीख ही निकल गई और वह बोल पड़ी, "मिसेज सिंह आप तो बहुत बढ़िया म्यूजिशियन निकलीं। जिसे आप बजा रहीं हैं उसे क्या कहते हैं"

अनिका ने एमेलिया को समझाया कि यह ढोलक कहलाती है और जिसे अधिकतर भारत के देहाती इलाकों में लोक संगीत की धुनों के साथ मिलकर बजाया जाता है। यह अपने आप में एक पूर्ण साज है इसके साथ कोई अन्य साज़ न भी हो तो इसकी अकेली आवाज़ वातावरण में स्वर लहरी के साथ मिलकर लोगों में एक नशा भर देती है।

एमेलिया ने कहा, "आप कुछ गांव की ओर का कोई गीत सुनाइये"

"
अभी, मैं तो सोच रही थी कि गाने बजाने का प्रोग्राम लंच के बाद रखते हैं"

अरनव ने एमेलिया की इल्तिज़ा को देखते हुए कहा, "सुना भी दो पिकनिक में क्या अभी और क्या बाद में"

अनिका जब ढोलक पर थाप देकर गाने की तैयारी कर रही थी तो ऐरॉन ने सभी बच्चों को चारों ओर बैठ जाने के लिए कहा। कुछ देर सुर गुनगुना लेने के बाद अनिका ने एक ब्रज का रसिया सुनाया:

"
होरी खेलन आयौ श्याम, आज याहि रंग में बोरौ री॥
कोरे-कोरे कलश मँगाओ, रंग केसर घोरौ री।
रंग-बिरंगौ करौ आज कारे तो गौरौ री॥
होरी खेलन आयौ श्याम, आज याहि रंग में बोरौ री॥
पार परौसिन बोलि याहि आँगन में घेरौ री।
पीताम्बर लेओ छीनयाहि पहराय देउ चोरौ रे।।
होरी खेलन आयौ श्याम, आज याहि रंग में बोरौ री॥
हरे बाँस की बाँसुरिया जाहि तोर मरोरौ री।
तारी दे-दै याहि नचावौ अपनी ओड़ौ री॥
होरी खेलन आयौ श्याम, आज याहि रंग में बोरौ री॥
चन्द्रसखीकी यही बीनती करै निहोरौ री।
हा-हा खाय परै जब पइयां तब याहि छोरौ री॥
होरी खेलन आयौ श्याम, आज याहि रंग में बोरौ री॥
मैं होरी कैसे खेलूँ री..."

क्रमशः

19-07-2020

गतांक से आगे: पिकनिक का दिन क्या आया सभी लोग समय से पहले ही कॉटेज के पास इकठ्ठे हो गए। अनिका ने मूंग की दाल का हलवा बनवाने की शरूआत कर पिकनिक का आगाज़ किया तो दूसरी ओर बच्चों ने साउंड सिस्टम को चालू करके जोर जोर से संगीत लहरी बिखेर कर वातावरण को मधुर और रंगीन बना दिया। एमेलिया के कहने पर अनिका ने बृज क्षेत्र का रसिया गा कर पिकनिक में रंग भर दिया।

उसके आगे का हाल जानिए

एपिसोड 20

जैसे ही अनिका का ब्रज का रसिया समाप्त हुआ। ऐरॉन, एमेलिया, अरनव के साथ साथ कामायनी और स्वामी नागार्जुन तथा बच्चों ने तालियां बजाकर अनिका का हार्दिक अभिनंदन किया।

इसके बाद सभी ने आनंदिता से कहा कि वह अपने डांस का प्रदर्शन करे। आनंदिता बेझिझक उठी साउंड सिस्टम के पास आकर उसमें एक कैसेट डाल कर अपनी अम्मा को बुलाकर बोली, "मैं नृत्य भाव भंगिमा बनाकर खड़ी होती हूँ आप तभी म्यूजिक सिस्टम को चालू कर देना"

कामायनी साउंड सिस्टम के पास आकर खड़ी हो गई और आनंदिता ने कुचिपुड़ी नृत्य का बहुत ही मनमोहक प्रोग्राम दिया। उसकी परफॉर्मेंस की समाप्ति पर सभी ने उसे खड़े होकर तालियां बजाकर उसके मनोबल को बढ़ाया ही नहीं बल्कि उसकी ह्रदय से तारीफ़ की।

आनंदिता नृत्य प्रोग्राम के बाद अनुष्का ने ढोलक के सहारे एक पूर्वांचल का सोहर गीत बहुत ही मधुर आवाज में गाया जिसके बोल कुछ इस प्रकार थे:

'भोर भेलै पोह फाटल, चिरैया एक बोलै हे।
राजा, छोड़ी देहो हमरो अँचरवा, सरमियाँ हमरो लागत हे॥
किए तोरा सासु जगावै, ननदी बोल बोलै हे।
धनि, किए तोरा गोद में बलकबा, कि गोद लेके बैठब हे॥
नहिं मोरा सासु जगाबै, ननद बोल बोल हे।
पियबा, नहि मोरा गोदी बलकबा, कि गोद लेके बैठब हे॥
घर पिछुअड़बा में बिपर, सगुन के पोथिया।
उलटाय देहो, संतति कहिया होएत हे॥
पुरुब के चाँन पछिम होएत हे।
रानी, संतति के मुँह नहीं देखब, संतति तोरा नहीं होएत हे॥
खोंयछा भरि लेलिऐ तिलचौरी, त अदित मनाबली, सुरुज मनाबली हे।
ये अदित, हमरा पर होबहो दयाल, संतति कहिय होएत हे।।
एक बोली मारै सासु मोरा, दोसरा ननद मारै हे।
अदित, तेसर बोली मारै पुरुखबा, सहलो नहीं जाइछै हे।।
नव महिनमा जब बितलै, कान्ह अवतार लेलकै हे।
रामा, बाजे लागल आनंद बधाबा, महल उठै सोहर हे॥
घर पिछुअड़बा में बिपर, त बेगि चलि आबहु हे।
बिपर, तोहर बोलिया सालै छै करेजवा, त गोड़ तोरा कैसे क लागि हे।।,

भावार्थ:

निःसंतान स्त्री पुत्र की कामना से पंडित को बुलवाकर ग्रह-नक्षत्रादि दिखलाती है; लेकिन पंडित ग्रह-दशा देखकर कहता है कि तुम्हें कभी पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी। निराश होकर वह भगवान सूर्य की आराधना करती है। भगवान भास्कर की अनुकंपा से उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। उसकी सास, ननद, आदि जो उसपर हमेशा व्यंग्य-बाण की वर्षा किया करती थीं, अब वही गाने-बजाने लगती हैं तथा घर का सारा वातावरण आनन्दमय हो जाता है। पुत्रवती स्त्री लड़के की ग्रह-दशा की गणना के लिए पंडित को बुलवाती है। लेकिन, पंडित को उसकी भविष्यवाणी की याद दिलाने से भी नहीं चूकती और उसे कह देती है कि तुम्हें प्रणाम कैसे करूँ, तुम्हारी बातों से मेरे कलेजे में रह-रहकर हूक उठती रहती है।

अनुष्का के सोहर गीत गायन के बाद फ्रेंच परिवार के लिए गीत का भावार्थ अंग्रेजी में अरनव और अनिका दोनों ने समझाया। फ्रेंच परिवार ने भावार्थ जानकर अनुष्का का हृदयतल और उन्मुक्त भाव से तारीफ़ की। स्वामी नागार्जुन ने भी आगे बढ़कर अनुष्का के गले में एक नया अंगवस्त्रम कामायनी से लेकर पहनाया और कहा, "बेटी मैं हिंदी बहुत अच्छी तो नहीं जानता लेकिन तुमने जिस प्रकार अपने स्वरों से गीत में जान डाल दी है मैं उसका कायल हो गया हूँ"

स्वामी नागार्जुन के प्रशंशनीय शब्दों को सुनकर देर तक वहां उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर अनुष्का का अभिवादन किया।

क्रमशः

20-07-2020

गतांक से आगे: अनिका के होली के रसिया गीत के बाद आनंदिता का कुचिपुड़ी डांस और बाद में अनुष्का के सोहर गीत ने सभी का मन मोह लिया।

आजे आगे क्या हुआ जानिए...

एपिसोड 21

अनिका भट्टी के पास गई और उसने जो वहां मूंग की दाल का हलवा बनाया जा रहा था उसको एक पत्तल की कटोरी में लेकर चखा और जब उसे स्वाद में अब्बल दर्जे लगा तो कर्मवीर से हल्की आंच पर बैंगन और टमाटर को भूनने के बाद मसाला लगाकर रख देने के लिए कहा। वह यह बताना नहीं भूली कि मेहमान बहुत मिर्च मसाला नहीं पसंद करते हैं तो उसे मसाले कम ही डालने हैं। अनिका ने हरी मिर्च और धनियां को धो कर काट कर मिलाने के लिए भी कहा। जब बात चोखा बनाने की आई तो कर्मवीर ने अनिका से कहा, "मेम साहिबा आप चिंता नहीं करें हम बाटी चोखा पहले भी बना चुके हैं और वह भी कुछ बिहारी बाबू लोगों लिये। जिन्होंने हमारे बाटी चोखा खाने के बाद हम दोनों को एक हज़ार रुपये इनाम में दिए थे"

"मैं तुम्हें पांच हजार रुपये दूंगी अगर लोगों ने तुम्हारे हाथ की बनी हुई बाटी चोखा की तारीफ़ करी", अनिका ने कर्मवीर और धर्मवीर की ओर देखते हुए कहा।

दोनों ने एक साथ कहा, "मेम साहिबा आप जाइये बच्चों का नाच गाना देखिये हमें बाटी चोखा बनाने दीजिए"

कर्मवीर और धर्मवीर की बातें सुनकर अनिका को उसे जब विश्वास हो गया कि अब उसे खाने पीने की ओर से कोई चिंता नहीं करनी है तो वह वहां वापस लौट आई जहां म्यूजिक बज रहा था और सभी लोग आपस में गुफ़्तगू कर रहे थे। अनिका की निगाह इंस्पेक्टर पांडेय जी के ऊपर पड़ी तो उसने पूछा, "अरे भाई साहब आप कब तशरीफ़ लाये, मुझे पता ही नहीं चला"

"ठकुरानी साहिबा आप खाना बनवाने में बिजी थीं इसलिए आपने मुझे नहीं देखा। वैसे भी अपनी मोटरसाइकिल मंदिर के पास खड़ी कर के ही आया हूँ कि आप लोगों को वगैर डिस्टर्ब किये खाना पीना करके में ड्यूटी पर निकल सकूँ"

"अरे भाई साहब आप थोड़ी देर रुकते तो आपको बहुत अच्छा लगता"

"आपको तो पता ही है कि पुलिस की नौकरी कितनी ख़राब है कि पता नहीं कब क्या हो जाए। हम लोगों लो चौबीसों घंटे अलर्ट पर रहना पड़ता है"

"हां भाई साहब ये बात तो है", कहकर अनिका अरनव के पास आकर खड़ी हो गई और पूछा, "अब आगे का क्या प्रोग्राम है"

"आरुष एक पुरानी फ़िल्म का गीत गाने वाला है"

"आरुष तुम आज कौन सा गीत गा रहे हो"

"मॉम वही आशिक़ी फ़िल्म का बेहद लोकप्रिय गीत"

'साँसों की ज़रूरत है जैसे

साँसों की ज़रूरत है जैसे

ज़िन्दगी के लिए

बस एक सनम चाहिए

आशिक़ी के लिए....'

आरुष ने गिटार के साथ जब आशिक़ी फ़िल्म का गीत गाया तो सबके मुंह से वाह वाह के शब्द फूट पड़े।

अनिका ने एस्टेले से पूछा, "आज तुम क्या करोगी"

"आंटी अभी नहीं मैं सबसे आखिर में कुछ करूँगी जिससे कोई मुझे कॉपी न कर सके"

एस्टेले की बात पर हर कोई हंस पड़ा। कुछ देर बाद विक्टर ने गिटार अपने हाथ में लिया और एक मधुर गीत की धुन निकाली और बाद में फ्रेंच फ़िल्म का एक प्रेम गीत गाया:

'On va s'aimer, à toucher le ciel
Se séparer, à brûler nos ailes
Se retrouver comme les hirondelles
On va s'aimer, tellement tu es belle'

क्रमशः



21-07-2020

गतांक से आगे: विक्टर ने आरुष के बाद एक फ्रेंच लव सांग गिटार की धुन पर क्या गाया कि सबका दिल जीत लिया।

आजे आगे क्या हुआ जानिए...

एपिसोड 22

विक्टर के गीत को सभी ने बहुत सराहा और देर तक तालियां बजाकर उसका उत्साहवर्धन किया। इंस्पेक्टर पांडेय से जब रहा नहीं गया तो वह पूछ ही बैठे, "फ्रेंच लव सांग हमें बहुत पसंद आया विक्टर क्या इसका इंग्लिश मतलब बता सकते हो"

विक्टर उत्तर देने की सोच ही रह था बीच में ही एमेलिया बोल उठी, "विक्टर ने जो गाना आपको सुनाया वह वास्तव में एक फ्रेंच फ़िल्म का बहुत ही मशहूर गाना है जिसका इंग्लिश में मतलब कुछ इस प्रकार से है:

'We will love, till touching the sky
To separate, to burn our wings
To find ourselves like the swallows
We will love, you're so beautiful'

इंस्पेक्टर पांडेय के साथ साथ अरनव और अनिका ने अपने मन की बात कहते हुए कहा, "बहुत खूबसूरत"

इंस्पेक्टर पांडेय की जुबान पर एक बार फिर से पेरिस घूमने की बात जब आई तो ऐरॉन ने कहा, "मिस्टर पांडेय आप पेरिस आएंगे तो आप हमारे गेस्ट होंगे। हम आपको घुमाएंगे भी और वहां के व्यंजनों के स्वाद का भी आनंद उठाने का अवसर प्रदान करेंगे"

"थैंक्स मिसेज ऐरॉन पता नहीं हमारी किस्मत में पेरिस जाना है या नहीं लेकिन अगर आया तो आपसे वगैर मिले वापस नहीं लौटूंगा"

"हम आपका स्वागत करेंगे", एमेलिया और ऐरॉन ने एक साथ कहा।

कुछ देर बाद एमेलिया और ऐरॉन ने एक डुएट गा कर सभी का मन मोह लिया।

'On va s'aimer
Sur une étoile, ou sur un oreiller
Au fond d'un train, ou dans un vieux grenier
Je veux découvrir ton visage où l'amour est né
On va s'aimer
Dans un avion, sur le pont d'un bateau
On va s'aimer, à se brûler la peau
À s'envoler, toujours, toujours plus haut
Où l'amour est beau
oh oh oh oh oh...'

अबकी बार किसी ने नहीं कहा कि इसका अंग्रेजी में क्या मतलब हुआ बस सबने गीत को आत्मसात किया और भरपूर आनंद उठाया। इसलिए एमेलिया या एरॉन ने भी कुछ नहीं कहा लेकिन सबके अभिवादन के उत्तर में एक घुटने के बल झुककर अपनी भावनाओं को दर्शाया।

नाच गाने के प्रोग्राम के बाद सभी लोगों ने प्याजी पकौड़ों का नाश्ता किया और गरमा गर्म चाय का आनंद उठाया। उसके बाद शुरू हुआ खेल कूद का दौर। बच्चों ने सब प्रोग्राम पहले से तय कर रखा था। सबसे पहले म्यूजिकल चेयर का प्रोग्राम हुआ जिसमें अब्बल रही एस्टेले। उसके बाद रस्साकशी का प्रोग्राम हुआ। एम तरफ फ्रांसीसी परिवार तो दूसरी ओर अरनव परिवार रहा। इंस्पेक्टर पांडेय जज रहे। रस्साकशी में फ्रांसीसी परिवार ने जीत हासिल की। कुछ और भी खेलकूद के आइटम भी उसी उत्साह से खेले गए। इस तरह सभी लोगों ने खेल कूद और गाना बजाने के कार्यक्रमों को बहुत पसंद किया और तहेदिल से बच्चों के प्रयास को सराहा। अरनव ने सभी गाने बजाने और खेलकूद में भाग लेने वालों को समुचित इनाम में कुछ न कुछ दिया।

अनिका ने जब चेक कर लिया कि बाटी चोखा बन चुका है तो एक दरी को मोड़कर इस तरह बिछवाया जिस पर सभी लोग को एक लाइन लगा कर बैठ सकें। उनके बैठ जाने के बाद उन्हें पत्तल पर परोस कर सभी आइटम पेश किए। फ्रांसीसी परिवार ने देशी घी में तर बाटी चोखे के साथ खाई तो उन्हें बहुत आनंद आया। एमेलिया ने बस इतना कहा, "मिर्ची तेज थी लेकिन फिर भी हम लोगों ने खूब एन्जॉय किया"

अनिका ने मुस्कराते हुए कहा, "मैं जानती थी। इसीलिए मूंग की दाल के हलवे का कार्यक्रम रखा है। आप हलवे का शौक़ फरमाइए और बताइये कि यह आइटम कैसा लगा"

कर्मवीर ने सभी को थोड़ा थोड़ा हलवा पत्तल की बनी कटोरी में दिया जिसे चख कर एमेलिया और ऐरॉन के अलावा इंस्पेक्टर पांडेय जी और स्वामी नागार्जुन परिवार ने बहुत पसंद किया। बच्चों ने तो मूंग की दाल का हलवा बार बार मांग कर खाया। हलवे का स्वाद लेते समय अरनव ने इंस्पेक्टर पांडेय से कहा, "पांडेय जी, हमारे मेहमान एक बार मनकापुर जाना चाहते हैं कोई जुगाड़ हो सकता है"

"ठाकुर साहब आप तो जानते हैं कि आजकल सरकार का रुख कितना सख़्त है इसलिए मुझे नहीं लगता कि ये लोग अभी कहीं जा पाएंगे। दो तीन में लॉक डाउन-1 की अवधि समाप्त होने को है। हो सकता है कि सरकार उसके बाद लॉक डाउन में कुछ ढील दे तो मैं कुछ इंतज़ाम कराता हूँ"

"चलिए कोई बात नहीं अब दो दिन ही तो लॉक डाउन के और बचे हैं। प्रधानमंत्री जी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत कर रहे हैं और उम्मीद है कि शीघ्र ही कुछ न कुछ घोषणा अवश्य होगी। जहां इतना इंतजार किया है तो चलिए हम कुछ और दिनों का इंतज़ार कर लेंगे", अरनव ने कहा।

क्रमशः

Translation of the duet sung by Araun and Amelia for all those who loved this story and wished to know what was so charming in the duet:

"We will love
On a star, or on a pillow
At the back of a train, or in an old attic
I want to discover your face where love was born
We will love
In a plane, on a deck of a boat
We will love till burning the skin
To fly, always, always
higher
Where love is beautiful
oh oh oh oh oh ..."

22-07-2020

गतांक से आगे: पिकनिक पार्टी का सभी लोगों ने खूब मजा उठाया और फ्रांसीसी परिवार के सदस्य इंस्पेक्टर पांडेय की सलाह पर लॉक डाउन 1 की समाप्ति का इंतजार करने लगे जिससे कि वे एक बार फ्रांस लौटने के पहले मनकापुर जा सकें।

एपिसोड 23

12 अप्रैल को प्रधानमंत्री जी ने चार बजे शाम को टीवी पर अवतरित होकर सबसे पहले तो देशवासियों से लॉक डाउन के कारण जो असुविधा हुही है उसके लिए क्षमा याचना की और बताया कि कोरोना अपने देश के लिए ही नही बल्कि पूरे विश्व समुदाय के लिए यह एक भीषण संक्रमण के रूप में उभर कर मानव समाज को ग्रसित कर रहा है। देशवासियों को यह भी सावधान किया कि देश में अभी कोरोना को लेकर हालात कोई बहुत बेहतर नहीं हुए हैं। दिन प्रतिदिन कोरोना के संक्रमण के और अधिक स्थानों पर फ़ैलने की खबरें आ रहीं हैं। अतः सरकार ने यह निश्चय किया है कि 15 अप्रैल से 30 अप्रैल लॉक डाउन आगे भी लागू रहेगा। लॉक डाउन 2 से सम्बंधित नियमावली गृह मंत्रालय द्वारा शीघ्र ही जनता के सामने अलग से पेश की जाएगी।

अपने पच्चीस मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री जी ने देश वासियों कोरोना से सावधान रहने के लिए ताक़ीद किया और हर एक को 6 फ़ीट दूरी और मास्क पहनने की सलाह भी दी। उन्होंने यह भी सलाह दी कि अगर मेडिकल दवाई वाली दुकान पर अगर मास्क न मिलते हों तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है आप अपने घर के बने हुए मास्क पहनिए पर हर हालत में पहनिए ज़रूर। कुछ और न हो तो अपने अंगवस्त्रम को इस तरह पहनिए और जब कभी भीड़ भाड़ वाली जगह में या घर से बाहर निकलना हो तो अपने मुँह तथा नाक को ढक लें।

प्रधानमंत्री जी ने स्वयं अपने अंगवस्त्रम से बाक़ायदा अपने मुंह और नाक को ढककर लोगो से विनती की कि इस तरह हम कोरोनो से अपनी लड़ाई लड़ने में सफल हो सकेंगे। जैसे ही यह घोषणा अरनव ने सुनी तो अनिका से कहा, "इसका मतलब यह हुआ कि ऐरॉन परिवार को अभी 30 अप्रैल से कुछ और समय तक यहीं भारत में ही रहना पड़ेगा"

"क्या किया जा सकता है। ऐसे हालात में उनकी ख़ुद की सरकार भी कोई मदद नहीं कर सकती है", अनिका ने कहा।

"हम लोगों से जितना बन पा रहा है हम उन्हें यह महसूस नहीं होने दे रहे हैं कि वे अपने घर से दूर हैं"

"अरनव तुम भी कैसी बातें करते हो, हम चाहे लाख कोशिश करें लेकिन हम उनको उनके पेरिस जैसा वातावरण तो नहीं दे सकते हैं"

"यह बात तो है। पेरिस आखिकार पेरिस है। कहाँ पेरिस और कहां उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का हमारा एक छोटा सा गांव लक्ष्मीपुर"

अनिका ने बातचीत के रुख को पलटते हुए कहा, "अरनव हम लोग क्या कभी यूरोप चलेंगे। मेरा बहुत मन है कि एक बार हम लोग भी यूरोप घूमने चलें"

"मन तो मेरा भी करता है। चलो ऐसा करते हैं कि जैसे ही कोरोना काबू में आता है हम बच्चों के साथ यूरोप घूमने ज़रूर चलेंगे"

"अरे अब तो हमारी ऐरॉन और एमेलिया से खूब अच्छी जान पहचान हो गई है"

"चलेंगे, चलेंगे तुम चिंता मत करो। अभी तो मुझे बस एक चिंता सता रही है कि मैं उनको मनकापुर कैसे ले जाऊं जिससे कि वे लोग उन पलों को जी सकें जो उनके माता पिता ने एक समय जिये थे"

"एक काम करो तुम इंस्पेक्टर पांडेय से बात करो वही कोई रास्ता निकाल सकेंगे"

"मैनें बात की थी उन्होंने यही बताया था जब तक लॉक डाउन में कुछ ढील नहीं दी जाती तब तक वह भी कुछ नहीं कर सकेंगे"

"देखो गृह मंत्रालय क्या निर्देश देता है"

इतना कहकर अरनव बे ऐरॉन को फोन किया, " मिस्टर ऐरॉन आपने क्या न्यूज़ सुनी"

"क्यों क्या हुआ"

"लॉक डाउन हैज बीन एक्सटेंडेड अपटू दिस मंथ एंड"

"ओह नो"

"यस"

"व्हाट कुड बि डन बाइ अस", ऐरॉन ने कहा, "हम लोग कर भी क्या सकते हैं"

अरनव ने एक ठंडी सांस ली और कुछ भी नहीं कहा।

#लॉक-डाउन 1 - समाप्त-

 

 

 

 

लॉक डाउन - 2

......की कहानी की शुरूआत करने के पहले आपकी मुलाक़ात उन लोगों से करा दूँ जो इस कथानक के प्रेरणा सूत्र बने। यह वह वही फ्रांसीसी परिवार है जो हक़ीक़त में पूर्वांचल के लक्ष्मीपुर के एक मंदिर में लॉक डाउन 1 लागू होने के कारण फंस गया था।

मुझे जो बात इन लोगों की जो अच्छी लगी वह थी हालात चाहे जितने ख़राब हों उनसे लड़ने की उनकी जुझारू प्रकृति। मैनें तो अपने कथानक के लिए इस ग्रुप के चार सदस्यों का ही चुनाव करके ताना बाना बुना लेकिन ये लोग वास्तव में चार से अधिक थे। मैंने तो कहानी को मधुरिम बनाने की प्रवृत्ति में वे पात्र चुने जिससे कि पाठक मेरी कहानी के साथ जुड़े रहें लेकिन आप इन फ्रांसीसियों की मनोदशा को समझिए जहाँ इन्हें जीवन की मूलभूत सुविधाएं जैसे कि उनके हिसाब के बाथरूम, रहने के लिए कमरे और गद्दे/ बेड वगैरह न होते हुए भी जीवन के वे कठिन दिन गुज़ारे। जो सुबह शाम तरह तरह के नॉन वेज खाना खाने वाले लोगों को वह खाना खाना पड़ा जिसके वे आदी नहीं थे। उन्होंने लकड़ी के चूल्हों पर खाना बनाना सीखा ज़िंदगी को एक हिंदुस्तानी के नज़रिए से परखा और शास्वत रूप में जिया। उनके इस ज़ज़्बे को सलाम।

सभी चित्र गूगल बाबा की कृपा से प्राप्त हुए।

एसपी सिंह

23-07-20 20

24-07-20 20

एपिसोड 1

प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद लॉक डाउन 2 का मार्ग प्रशस्त हो चुका था। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने रातों रात लग कर 14 अप्रैल को अधिसूचना निकाल कर अपना काम पूरा किया जो नियमावली 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक लागू रहनी थी उसे भी अधिसूचित कर दिया। जैसे ही इसकी सूचना उन लोगों में पहुंची जो किसी कारणवश अभी तक बड़े शहरों में रुककर काम धाम शुरूहोने का इंतजार कर रहे थे उनमें भी बेचैनी बढ़ उठी और बिना कुछ सोचे समझे वे लोग भी अपने अपने घर के लिए पैदल ही चल पड़े। इन प्रवासी मजदूरों ने घर तक की यात्रा में क्या क्या न झेला उसका अन्दाज़ लगाना भी मुश्किल है।

एक प्रवासी परिवार जिसमें एक छोटा बच्चा और उसके माता पिता थे उनमें से परिवार के मुखिया को एक ट्रक ने मध्यप्रदेश के हाईवे पर रौंद कर मार डाला। उसकी अनपढ़ बेवा क्या करे, क्या न करे सिवाय इसके कि वह अपने बच्चे के साथ अपने पति के शरीर के पास बैठी रोती रही। पास वाले गांव के लोगों को उस पर दया आ गई, उसके पति का विधिवत अंतिम संस्कार किया। उन्होंने उसे अपने गांव में शरण दी और बाद में किसी तरह उसके घर पहुंचाया।

ऐसी कोई एक कहानी नहीं अनेकों कहानियां थीं जो चौबीसों घंटे भारत के हर न्यूज़ चैनल पर ही नहीं वरन अंतरास्ट्रीय न्यूज़ चैनलों पर भो दिखाई जातीं थीं। एक दिन यह सब देखकर ऐरॉन और एमेलिया की क्या बात करें विक्टर और एस्टेले का मन भी बहुत दुःखी हो रहा था। जब कभी वे चारों इकठ्ठे होकर टीवी देख रहे होते और इस प्रकार के सीन उनकी नज़रों में पड़ते तो वे स्वयं को बहुत भाग्यशाली समझते कि इंस्पेक्टर पांडेय की वजह से ठाकुर परिवार के सानिध्य में आये। इतनी कठिन परिस्थितियों में भी वे अपने कष्ट के दिन आराम से गुजर बसर कर सके। इसके लिए एमेलिया कहती, "कुछ भी हो हम अरनव और अनिका के ताज़िंदगी के लिए आभारी रहेंगे। मेरी समझ में नही आ रहा है कि यह कर्ज़ हम कैसे उतार सकेंगे"

"तुम चिन्ता मत करो मैंने एक तरक़ीब सोची है कि हम पेरिस वापस पहुंच कर उनके पूरे परिवार के लिए रिटर्न एयर टिकट भेज देंगे। इस तरह वे लोग पेरिस के साथ साथ लंदन वगैरह भी देख सकेंगे"

उत्साहित होकर एमेलिया बोली, "हां यह ठीक रहेगा। उस दिन अरनव कह भी रहे थे कि वे बहुत पहले पेरिस जाना चाह रहे थे लेकिन वह मनकापुर से फ्रांस नहीं जा सके थे"

"इस तरह हम उनके किसी काम आ सकेंगे"

कुछ देर तक सोचने के बाद एमेलिया बोली, "नहीं शायद हम सही दिशा में नहीं सोच रहे हैं। वे लोग इज़्ज़तदार इंसान हैं वह यह नहीं मानेंगे"

"मुझे भी लगता है", अरनव ने कहा, "ऐसा करेंगे कि गेस्ट हाउस से चलते समय हम एक लिफ़ाफ़े में एक ब्लेंक साइन किया हुआ चेक उनको दे देंगे और कह देंगे कि वह अमाउंट बाद में अपने आप भर लें"

"नहीं बिल्कुल नहीं यह ठीक नहीं रहेगा छोड़ो इस विषय पर बाद में बात करेंगे अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा है", कहकर एमेलिया ने हालफिलहाल के लिए इस मुद्दे को टाल दिया।

हर रोज़ की तरह उन्होंने टीवी पर जब न्यूज़ देखी तो उन्हें पता लगा कि कोरोना की वजह से सम्पूर्ण विश्व में बीमारों की संख्या बढ़ती जा रही थी। खास तौर पर पश्चिमी देशों में जिनमें इटली, फ्रांस तथा जर्मनी के लोगों में संक्रमण तेजी से फैल रहा था। अमरीका का हाल तो और भी बुरा था जहां लाखों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे थे और लाखों हस्पतालों में भर्ती थे।

कोरोनो संक्रमण से ग्रसित कई विदेशियों की देखभाल और बीमारों का इलाज इतनी कठिन परिस्थितियों में रहकर भी भारत के लोग कर पा रहे थे। देश भर में कोविड 19 की नई नई टेस्टिंग लैब्स स्थापित की जा रहीं थीं, मास्क के साथ साथ पीपीई की सप्लाई बढ़ाने के प्रयास चल रहे थे। कलोरोक्विन दवाई की उत्पादन क्षमता बढ़ाकर अन्य देशों में भेजी जा रही थी। प्रधानमंत्री स्वयं अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों से वार्तालाप कर कोरोना से लड़ने के लिए कॉमन फण्ड के विस्तार की बात कर चुके थे। आये दिन अमेरिकी राष्ट्रपति का गुस्सा चीन पर फूट पड़ता था क्योंकि चीन के कारण पूरे विश्वसमुदाय को इस माहा मारी की मार झेलनी पड़ रही थी। कभी कभी ऐरॉन को लगता कि एक दिन हालात ऐसे न बन जाएं कि सभी शक्तियां मिलकर चीन के खिलाफ मोर्चा न खोल दें...

क्रमशः

25-07-20 20

गतांक से आगे: टीवी पर प्रधानमंत्री जी के भाषण को सुनकर सभी का मन उदास था। अरनव और अनिका को यह ख़राब लग रहा था कि ऐरॉन परिवार को 30 अप्रैल तक अभी और यहीं रहना पड़ेगा।

बस उसके आगे जानिए कि क्या हुआ?

एपिसोड 2
जब सुबह उठकर अरनव और अनिका पूजा के लिए मंदिर जा रहे थे तो पश्चिमी गेट के पास उन्हें आनंदिता दिख गई अनिका ने उसे रोक कर पूछा, "आनंदिता तुम कैसी हो। पिकनिक के बाद दिखाई नहीं पड़ी"

"
जी, आंटी मैं अक्सर घर पर ही रहती हूँ"

"
कभी घर आना", अनिका ने याद करते हुए कहा, "आज तुम फ्री हो तो शाम को आना ऐरॉन का परिवार भी आएगा। कुछ खाने पीने का प्रोग्राम है"

"
जी आंटी ज़रूर आऊंगी"

"
थैंक यू"

जब अरनव और अनिका मंदिर में पहुंचे तो वहां उनकी मुलाक़ात ऐरॉन और एमेलिया से मुलाक़ात हुई। सभी ने आपस में मिलकर पूजा पाठ किया। बाद में उन लोगों ने आपस में लॉक डाउन 2 पर बहुत देर तक बातचीत की। अरनव ने ऐरॉन और एमेलिया की बातों को बहुत ध्यान से सुना। उन्हें साफ लगा कि ऐरॉन परिवार लॉक डाउन के हालात को देखकर दुःखी तो हैं ही और उन्हें यह लगने लगा है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। अरनव ने यही ठीक समझा कि वह उन दोनों लोगों को देश की वास्तविकता बताएं और। उन्हें समझाएं कि जब देश में अलग अलग प्रान्तों में विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकार होती है तो ऐसे हालात होते ही रहते हैं। यह सोचते हुए अरनव ने उनसे कहा, "लॉक डाउन केवल भारत में ही नहीं वरन यूरोप के कई अन्य देशों में भी वहां की सरकारों द्वारा लगाया गया है। भारत में वास्तव में स्थित कुछ अलग है। हमारा देश एक प्रगतिशील देश है जहां एक प्रांत के लोग दूसरे प्रांतों में जाकर विकास के कार्यों में हाथ बंटाते हैं"

"
हम लोग यह बात समझ रहे हैं लेकिन जिस तरह मज़दूरों के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है वह हमारी समझ के बाहर है", एमेलिया ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।

"
बिल्कुल सही है, आप यह बात नहीं समझेंगी क्योंकि हो सकता है फ्रांस में ऐसे हालात कभी पैदा नहीं हुई हो"
"
हो सकता है"

"
जो भी हो मज़दूरों को इस तरह पैदल पैदल चल कर भूखे प्यासे बच्चों को देखा नहीं जाता है"

अरनव ने ध्यान दिलाया, "बिहार, झारखंड, बंगाल और ओडिशा का रास्ता उत्तर प्रदेश होकर ही जाता है इसलिए अब राज्य सरकार ने यह बीड़ा उठाया है कि इन मज़दूरों के लिए बीच बीच में कैम्प बनाये जाएं जहां उनके लिए रुकने की और खाने पीने की व्यवस्था रहेगी। आप यह जानिए कि जहां लाखों लोग सड़क पर हों उनके लिए इतनी बड़ी मात्रा में रुकने और खाने पीने की व्यवस्था बिना कुछ दिक़्क़त के हो लेकिन ज़मीनी स्तर पर कभी कभी ऐसा हो नहीं पाती है। बस मैं यही कहूँगा कि उत्तर प्रदेश की सरकार अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है"

ऐरॉन ने बात का रुख बदलने की कोशिश करते हुए कहा, "एमेलिया छोड़ो भी हमें बस यही सोचना चाहिए कि जो मज़दूर आज किसी कारण से ये सब तकलीफें झेल रहे हैं। बस अब हमें प्रभु यीशु से यही प्रार्थना करें कि उनकी मदद की जाए"

अरनव और अनिका ने शाम के प्रोग्राम के बारे में बताते हुए कहा, "शाम को आप विक्टर और एस्टेले के साथ घर आइयेगा कुछ खाने पीने का प्रोग्राम रखा है"

एमेलिया ने पूछा, "कुछ ख़ास है क्या?"

"
नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है बस पाव भाजी के प्रोग्राम रखा है"

"
कृपया मुझे भी बनाना सिखाओ न"

"
एमेलिया तुम जल्दी आ जाना। तुम आज अपने हाथ से पाव भाजी बनाना यह डिश बनाना बहुत आसान है और तुम इसे पेरिस में लौटकर भी आराम से बना सकती हो"

"
कितने बजे आना पड़ेगा"

"
वही शाम को सात बजे"

"
ओके मैं ठीक समय से पहले ही पहुंच जाउंगी"

शाम को जब ऐरॉन के साथ एमेलिया ठाकुर हवेली पहुंची तो वहां पहले ही से आनंदिता पहुंची हुई थी और अनुष्का और आरुष के साथ बातचीत कर रही थी। ऐरॉन को देखते ही अरनव ने कहा, "बोलो कब चलना है मनकापुर"

"
क्या", ऐरॉन ने ताज़्जुब से पूछा, "क्या इंतज़ाम हो गया"

"
हां, इंस्पेक्टर पांडेय का फोन आया था वह थोड़ी देर में आने वाले भी हैं"

यह समाचार सुनकर एमेलिया की आंखों में भी चमक आ गई...

क्रमशः

26-07-20 20

गतांक से आगे: मनकापुर चलने की ख़बर अरनव ने जब ऐरॉन और एमेलिया को दी तो उनके चेहरे पर एकदम ख़ुशी छा गई। शाम को पाव भाजी का अनिका ने प्रोग्राम रखा था उसमें क्या हुआ यह जानिए...

एपिसोड 3

"मिस्टर सिंह यू हैव गिवन अस वर्ल्डस बेस्ट न्यूज़। वी आर मोर हैपीयर दैन एवर", ऐरॉन ने अरनव से कहा।

एमेलिया भला कैसे पीछे रहती इसलिए उसने भी चहकते हुए कहा, "मिस्टर सिंह थैंक्स"

"अभी कुछ देर में इंस्पेक्टर पांडेय आते ही होंगे। देखें वह क्या क्या फॉर्मेलिटीज़ को पूरा करने के लिए कहते हैं", अरनव ने उन्हें बताया और फिर अनिका की ओर देखा और पूछा, "तुम्हारे पाव भाजी के प्रोग्राम का क्या हुआ"

"मैं तो आज एमेलिया को गाइड करूँगी, आज की डिश तो एमेलिया ही बनायेगी"

"मिसेज़ सिंह चलिए मैं रेडी हूँ", कहकर एमेलिया ने अनिका का एक हाथ पकड़ा और किचेन की ओर चल पड़ी। किचेन में सब्ज़ी वग़ैरह अनिका ने पहले ही कटवा के रखीं हुईं थीं बस उन्हें बनाना भर था। नॉन स्टिकी तवे को गैस बर्नर पर रखते हुए एमेलिया ने लाइटर से बर्नर को चालू किया और फिर एक एक करके सभी मसाले तवे पर भूने और बाद में कटी हुई सब्ज़ी तवे पर डालकर क्रशर से अनिका के बताए हुए तरीक़े से क्रश करीं और उस समय तक तक भूनीं जब तक भाजी तैयार न हो गई। बाद में बंद को लेकर छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर और मक्खन लगा कर तवे पर रखकर सेक कर बच्चों को पाव भाजी खाने के लिए दी। एस्टेले और विक्टर के अलावा वहां आनंदिता और अनुष्का तथा आरुष थे उन्होंने शौक़ से पाव भाजी का आनंद उठाया। बाद में अनिका ने ऐरॉन और अरनव की प्लेट लगाते हुए एमेलिया से कहा, "बोलो तुम्हें यह डिश बनाना आ गया"

"हां, यह तो बहुत आसान थी और हम लोग इसे फ्रांस में भी आराम से बना सकते हैं। कोई खास मेहनत वाला काम नहीं था"

"बिल्कुल, इसीलिए मैंने सोचा कि तुम्हें यह डिश बनाना सिखा दूँ", अनिका बोली।

जब वे लोग पाव भाजी को एन्जॉय कर रहे थे तब ऐरॉन बोल पड़ा, "गनीमत है कि हमें इसे एक बर्गर की तरह मुंह फाड़कर नहीं खाना पड़ रहा है"

"न जाने अमेरिकन्स कैसे इतना मुंह फाड़कर इतना मोटा मोटा बर्गर खाते हैं। अपने बस का नहीं है", एमेलिया ने कहा।

एमेलिया की बात सुनकर अनिका बोल पड़ी, "कोई कुछ भी कहे जो मज़ा अपनी उंगलियों से स्वाद चखकर खाने में आता है उसका कोई सानी नहीं"

"यह बात तो है", अरनव ने कहा, "लेकिन पश्चिमी देशों में ही नहीं बल्कि चीन, जापान, थाईलैंड वग़ैरह जगहों पर हर कोई अपनी अपनी रीति रिवाजों से खाते पीते हैं, वह भी अपनी जगह सही है"

पाव भाजी की तारीफ़ करते हुए एमेलिया और अरनव तक नहीं रहे थे उसी बीच इंस्पेक्टर पांडेय भी वहां आ गए। उन्हें सोफे पर बैठने के लिए कहते हुए अरनव ने कहा, "आइए पांडेय जी आइये। बहुत सही समय आये हैं आज पाव भाजी बनी है आप भी शौक़ फ़रमाइये"

"नहीं, नहीं ठाकुर साहब रहने दीजिये फिर कभी"

"ऐसा तो हो ही नहीं सकता भाई साहब आज एमेलिया ने अपने हाथों से पाव भाजी बनाई है तो भला हम आपको बगैर खाये कैसे जाने दे सकते हैं", अनिका ने इंस्पेक्टर पांडेय से कहा।

"ठीक है ठकुरानी साहिबा लेकिन बहुत थोड़ा ही दीजियेगा नहीं तो मिसेज़ पांडेय कहेंगी कि मैं हर शाम बाहर ही खा पीकर लौटता हूँ", इस्पेक्टर पांडेय ने कहा।

जैसे ही अनिका और एमेलिया किचेन की ओर जाने लगीं तो इंस्पेक्टर पांडेय ने ऐरॉन और अरनव को वह प्रोसीजर समझाया जो उन्हें परमिशन के लिए पूरा करना था। किचेन में जब एमेलिया पाव गर्म कर रही थी तो उसने अनिका से कहा, "मिसेज़ सिंह मुझे यह ताज़्ज़ुब होता है कि कि आप लोग किसी भी मेहमान को भूखे नहीं जाने देते। आपके यहाँ जो बन रहा होता है उसे खाने के लिए दे देते हैं। हमारे यहां ऐसा नहीं है"

"मिसेज़ एमेलिया भारत की मेहमाननवाजी दुनिया भर में जानी जाती है', अनिका ने कहा। कुछ देर बाद एमेलिया अपने हाथों से इंस्पेक्टर पांडेय के लिए पाव भाजी की प्लेट लेकर आई और इंस्पेक्टर पांडेय के सामने रखते हुए बोली, "मिस्टर पांडेय पाव भाजी खाइये और बताइये यह कैसी बनी हैं"

इंस्पेक्टर पांडेय ने पाव भाजी का जैसे ही पहला ग्रास मुंह में लिया उनके मुंह से निकला, "मिसेज एमेलिया लाज़बाब"

कुछ देर इंस्पेक्टर पांडेय ने चलते हुए कहा, "मैं कल सुबह आ जाऊंगा और आपको अपने साथ महराजगंज डीएम ऑफिस ले चलूँगा और आपकी मुलाकात डीएम साहब से करा कर परमिशन लेने की कोशिश करूंगा"

अरनव ने पूछा, "बच्चे भी हम लोगों के साथ मनकापुर जाएंगे उनको क्या डीएम साहब के सामने पेश करना होगा"

"नहीं, नहीं ठाकुर साहब बस मैं, आप और मिस्टर ऐरॉन एंड मिसेज़ एमेलिया जी बहुत होंगी"

"ठीक है तो हम कल सुबह तैयार रहेंगे", अरनव ने धन्यवाद कहते हुए इंस्पेक्टर पांडेय को विदा किया।

घर के अंदर वाले कमरे में सभी बच्चे बैठे आपस में गुफ़्तगू कररहे थे जब अचानक अनुष्का ने आनंदिता को अपने साथ आने के लिए कहा और अपने बेड रूम में ले जाकर पूछा, "एक बात बताओ क्या तुम्हें विक्टर से प्यार है"

"मैं नहीं कह सकती कि मुझे विक्टर से प्यार है कि नहीं लेकिन शायद उसे मुझसे प्यार हो गया है", आनंदिता ने खुलकर अपने मन की बात अनुष्का से कह दी और उसके चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश करने लगी। तभी अनुष्का ने आनंदिता से कहा, "........

क्रमशः

लॉक डाउन 2

(एक धारावाहिक)

27-07-20 20

गतांक से आगे: घर के अंदर वाले कमरे में सभी बच्चे बैठे आपस में गुफ़्तगू कर रहे थे जब अचानक अनुष्का ने आनंदिता को अपने साथ आने के लिए कहा और अपने बेड रूम में ले जाकर पूछा, "एक बात बताओ क्या तुम्हें विक्टर से प्यार है"

"मैं नहीं कह सकती कि मुझे विक्टर से प्यार है कि नहीं लेकिन शायद उसे मुझसे प्यार हो गया है", आनंदिता ने खुलकर अपने मन की बात अनुष्का से कह दी और उसके चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश करने लगी। तभी अनुष्का ने आनंदिता से कहा, "........

एपिसोड 4

...मुझे लगता है कि तुम किसी ग़लतफ़हमी में जी रही हो"

"नहीं जानती लेकिन कुछ ऐसा है जो मुझे दूसरों से अलग करता है और शायद इसी वज़ह से मैं उसकी निग़ाह की पहली पसंद बनी हूँ", आनंदिता ने यह कहकर अनुष्का को चुप कराने की कोशिश की लेकिन अनुष्का को आनंदिता की यह बात पसंद नहीं आई। अनुष्का ने आनंदिता से कहा, "मेरे ख़्याल में तुम्हें उससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। वह तो एक परदेशी है और लॉक डाउन खुलते ही पेरिस वापस चला जायेगा"

"दीदी, आप सही कह रहीं हैं। मैं यह जानती हूँ। अगर वह मुझे वास्तव में प्यार करता होगा तो एक न एक दिन वापस लौट कर आएगा। मैं उस दिन का इंतज़ार करूँगी"

अनुष्का ने आनंदिता से कहा, "देखो आनंदिता प्यार में लोग धोखा खा जाते हैं, ज़रा सम्हल कर रहना"

"दीदी, आपने नेक सलाह दी है मैं उस पर मनन करूँगी"

दोंनो हम उम्र बच्चों की अपनी अपनी आशाएं और आकांक्षाएं थीं इसलिए वे एक दूसरे के दिली गहराई में उतरने को कोशिश करतीं रहीं। जब अनिका उनके कमरे में यह देखने आई कि आख़िर यह दोनों क्या कर रहीं है तब उन्होंने एक साथ कहा, "कुछ भी तो नहीं बस हम लोग आपस में गप शप कर रहे थे"

"चलो बाहर आकर बैठो। विक्टर भी बाहर बैठा तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा है"

अनुष्का ने आनंदिता का एक हाथ अपने हाथ में लिया और वे लोग बैठक में आकर विक्टर के पास आकर बैठ गई और उससे बात करने लगीं। बहुत देर बैठने के बाद जब ऐरॉन परिवार चलने लगा तो उन्होंने अरनव और अनिका से यही कहा, "इंस्पेक्टर पांडेय के साथ जब चलना हो तो हमें बता दीजियेगा। हम तैयार होकर यहां आ जाएंगे"

आनंदिता ने भी अनिका और अरनव की ओर देखा और बोली, "पाव भाजी का क्या कहना वह तो बहुत बढ़िया थी लेकिन उससे अच्छी बात तो यह रही कि हम लोग आपस में बैठकर कुछ क्वालिटी टाइम गुज़ार सके"

रास्ते में आनंदिता को उसके घर के सामने छोड़कर ऐरॉन परिवार गेस्ट हाउस में अपने अपने कमरों में आ गया। देर रात एमेलिया ने ऐरॉन से कहा, "हर बीते हुए दिन के बाद मुझे यह महसूस होता है कि हम सिंह फ़ैमिली के इन अहसानों को अपने इस जीवन में कभी उतार भी सकेंगे अथवा नहीं"

"अधिक मत सोचो। एमेलिया जो भी करता है वह ऊपर वाला करता है। वही कोई न कोई रास्ता निकालेगा। रात बहुत हो गई है अब सो भी जाओ"

अगले दिन क़रीब नौ बजे के आसपास इंस्पेक्टर पांडेय के साथ अरनव, ऐरॉन और एमेलिया महराजगंज एसपी के कार्यालय गए और वहां से ऍप्लिकेशन फोरवार्ड करवा कर बाद में वे लोग डीम से मिले। डीम ने कुछ सवाल पूछे कि उनके मनकापुर जाने का क्या मंतब्य है। ऐरॉन ने उन्हें बताया कि उनके माता पिता आईटीआई के प्लांट के निर्माण के समय वहां रहे थे इसलिए वह वहां जाना चाहते हैं। डीम ने ऐरॉन और एमेलिया से कहा, "मनकापुर बहुत छोटी जगह है और वहां ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके लिए आप लोग वहां जाना चाहते हैं"

ऐरॉन ने जब वहां जाने की तीव्र इच्छा ज़ाहिर की तो उन्होंने परमिशन देते हुए अरनव से पूछा, "मिस्टर अरनव आप इनके साथ जाएंगे"

अरनव ने डीएम साहब के प्रश्न के उत्तर में कहा, "जी मैं इनके साथ रहूंगा"

डीएम ने परमिशन लैटर को अपने प्राइवेट सेक्रेटरी के पास यह कहकर भेज दिया कि एसडीएम साहब से कहकर परमिशन लेटर निकलवा कर वह मिस्टर अरनव सिंह के पास भिजवा दे।

बाद में इंस्पेक्टर पांडेय और सभी लोग लक्ष्मीपुर गांव लौट गए।

क्रमशः

28-07-20 20

अपनी बात: मित्रों लॉक डाउन कथानक जहां एक फ्रेंच परिवार जो कि लक्ष्मीपुर, महराजगंज में आकर फंस गया था की कहानी ही नहीं है वरन मनकापुर की भी कहानी है किस तरह एक छोटा सा सुस्त सोता हुआ सा क़स्बा किस तरह एक टेक्नोलॉजिकल मार्बल का केंद्र बिंदु बना और कालांतर में जहां से भारत की आवश्यकताओं के लिए नहीं वरन दुनिया भर के लिए टेलीकॉम एक्सचेंज बना कर भेजे गये।

गतांक से आगे: मनकापुर जाने का रास्ता डीएम, महराजगंज की परमिशन मिल जाने प्रशस्त हो गया तो ख़ुशी ख़ुशी एमेलिया और ऐरॉन ने अरनव का हार्दिक धन्यवाद दिया लेकिन उन्होंने मनकापुर के बारे में जो डीएम साहब ने कहा कि वह तो बहुत छोटी जगह है, उसके बारे में भी पूछा।

आगे जानिए....

एपिसोड 5

ऐरॉन ने अरनव से लक्ष्मीपुर वापस पहुंचने पर पूछा, "मिस्टर अरनव यह बताइये कि डीएम ने मनकापुर के लिए यह क्यों कहा कि वह तो बहुत छोटी जगह है"

"
वह जगह वास्तव में बहुत छोटी है इसलिए डीएम ने वही कहा जो उन्हें उस के लिए कहना चाहिए था। मैं भी आपको यही बताना चाह रहा था कि आप उस जगह के बारे में बहुत हाई फाई तस्वीर न बनाइयेगा नहीं तो वहां पहुंच कर आपको निराशा ही हाथ लगेगी"

"
भला ऐसा क्यों"

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वह इसलिए कि जो आईटीआई की मनकापुर कॉलोनी में रह चुका होता है उसका नज़रिया मनकापुर के लिए कुछ और होता है जो वहां नहीं रहा है उसके लिए उस जगह की कोई कीमत नहीं है। उसके लिए तो वह इंडिया का एक छोटा सा गांव जैसा ही है"

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ओह यू मीन माइ फ़ादर एंड मदर बुड हैव डिफरेंट ओपिनियन फ़ॉर मनकापुर"

"
यस, मेरे हिसाब से उन दोनों ने वे जितने दिन तक मनकापुर रहे उन्होंने अपने स्टे को बहुत एन्जॉय किया था"

"
चलिए कोई बात नहीं अब तो हम लोग वहां चल ही रहे हैं तो देखते हैं कि मनकापुर हमें कैसा लगता है"

अरनव के दिमाग़ में वह घटना अचानक घूम गई जब फ्रेंच एक्सपर्ट्स की पहली टीम साइट देखने के लिए मनकापुर आई थी तो उदास होकर लौटी थी और उनको लगा था कि मनकापुर में कुछ भी तो ऐसा नहीं था जहां उनके एक्सपर्ट आकर रह सकेंगे। न तो कोई मार्किट, न ही कोई शॉपिंग प्लाज़ा, यहां तक कि बस एक नॉन ऐसी सिनेमा हॉल था जिसमें टूटी फूटी चेयर्स हुआ करतीं थीं, एक पेट्रोल पंप था वह भी मनकापुर के राजपरिवार के कंट्रोल में था। कहने के लिए वहां तीन चार इंटरमीडिएट कॉलेज तो थे सब के सब राजपरिवार के आधिपत्य में थे। जो कुछ भी था तो वह राजपरिवार का था। कोई ऐसा नहीं जहां जाकर उनके एक्सपर्ट्स के बच्चे पढ़ सकें। अगर कुछ ले दे कर था तो बस एक राज महल, मंगल भवन और बरसाती नदिया किनारे मनवर कोठी और क़स्बे के आसपास हरे भरे टीक बुड (सागौन) के जंगलात जो मीलों दूर तक फैले हुए थे। कुछ सोचकर अरनव ने अपने मन के भावों को मन में ही संजो लिया और ऐरॉन और एमेलिया से कुछ भी कहना ठीक नहीं समझा। अरनव को यह भी याद आया कि वही फ्रेंच एक्सपर्ट्स की टीम बाद में रायबरेली भी गई थी जहां आईटीआई की दो इकाइयां स्ट्रॉउज़र और क्रॉस बार प्रणाली पर आधारित काम कर रहीं थी। उन्हें वहां का गेस्ट हाउस बहुत अच्छा लगा और टाउनशिप भी ठीक ठाक ही लगी जिसमें कम से कम एक आधारभूत ढांचा तो था जिसमें स्कूल, शॉपिंग सेंटर, पोस्ट ऑफिस, स्टाफ़ और कर्मियों के रहने के लिए उचित मकान इत्यादि भी थे। ऑफिसर्स क्लब था, बेल्जियम एक्सपर्ट्स के लिए एंटवर्प सदन का निर्माण कराया गया था। सबसे बड़ी बात कि टाउनशिप मात्र रायबरेली शहर से केवल तीन चार किमो की दूरी पर था। मनकापुर तो तहसील हेड क्वार्टर भी नहीं था जिसके विपरीत रायबरेली कम से कम डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर तो था। बाद में जब वही टीम बंगलोर गई और आईटीआई के कॉरपोरेट हेड क्वार्टर और दूरवाणी नगर काम्प्लेक्स को देखा तो उन्हें लगा कि आईटीआई भी भारत सरकार की एक जानी मानी टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट्स बनाने वाली कंपनी है। फ्रेंच एक्सपर्ट्स की टीम ने दबी आवाज़ में जब मनकापुर प्लांट की साइट के लिए कुछ कहा तो उन्हें आईटीआई के श्रीष्ठ मैनेजमेंट द्वारा यही बताया गया कि आईटीआई की एक ईएसएस यूनिट हर हालत में मनकापुर लगेगी और दुसरी बंगलोर में। उन्हें यह भी बताया गया कि यह निर्णय सरकार के उच्च पदासीन लोगों द्वारा लिया गया निर्णय है और इसमें बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। उस समय मन मार के फ्रेंच एक्सपर्ट्स ने मनकापुर में ईएसएस की यूनिट लगाए जाने निर्णय को स्वीकारा था।

जब ऐरॉन और एमेलिया गेस्ट हाउस की ओर जाने लगे तो अरनव ने कहा, "एक कॉफी तो हम लोग पी ही सकते हैं और यह ख़ुशख़बरी भी अनिका को दे सकते हैं कि हम लोग मनकापुर एक दो दिन में ही चलने वाले हैं"

एमेलिया ने अरनव की बात से इत्तफ़ाक़ रखते हुए कहा, "मिस्टर अरनव आप तो जादूगर हैं। लगता है कि आप में वह आर्ट है कि दूसरे के मन में क्या चल रहा है उसे बड़े आराम से पढ़ सकें"

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ऐसा क्या हो गया मिसेज एमेलिया"

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मेरा मन एक कप कॉफ़ी पीने को कर रहा था इसलिए मैं कहती हूँ कि आप एक जादूगर हैं"

अरनव ने एमेलिया से कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं है वास्तव में यह हमारी सभ्यता की निशानी है कि चलते चलते हम अपने मेहमानों से एक कप चाय या कॉफी के लिए पूंछ लें"

"
चलिए ऐसा ही सही लेकिन मुझे तो एक कप कॉफी पीने को मिल ही जाएगी"

हंसते हुए कार से उतर कर ठाकुर हवेली की ओर जाते हुए अरनव ने ऐरॉन और एमेलिया से कहा, "आइये, आइये देखते हैं कि अनिका क्या कर रही है"

जैसे ये सब लोग बैठक में जाकर बैठे तो उसी समय अनिका वहां आ गई और छूटते ही अरनव से पूछ बैठी, "क्यों जी क्या हुआ। काम बना कि नहीं"

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अनिका तुम्हें क्या लगता है कि जहां हम जाएं और काम न बने। हम लोग कल परसों में ही मनकापुर चलेंगे", अरनव ने अनिका को बताया और यह भी कहा, "मैं चाहता हूँ कि एक कप कॉफी पिलवा दो तो हम लोगों को चैन आये"

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जी ठीक है। एक मिनट रुकिए", कहकर अनिका किचेन में गई वहां उपस्थित सेविका से सभी के लिए कुछ नाश्ता और कॉफी भिजवाने को बोल कर वह पुनः बैठक में आकर अरनव के पास इस अंदाज में बैठ गई कि अब कुछ न कुछ मनकापुर को लेकर ही बातचीत होगी।

क्रमशः

29-07-20 20

गतांक से आगे: डीएम, महराजगंज के ऑफिस से लौटते समय अरनव ने मनकापुर के बारे में अरनव से कुछ जानकारी जाननी चाही तो उसने ने कुछ तो बताया लेकिन कुछ नहीं भी बताया। ठाकुर हवेली पहुँच कर ऐरॉन और एमेलिया को कॉफी पीने के बहाने अनिका से मिलने के लिए साथ आने को कहा।

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एपिसोड 6

कॉफी की चुस्की लगाते हुए अरनव ने अनिका से कहा, "अनिका एमेलिया को तुम्हीं बताओ कि मनकापुर तुम्हें कैसा लगा था"

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गांव, बिल्कुल बेकार सा स्लीपी स्लीपी छोटा सा क़स्बा, मैं तो शादी हो जाने के बाद वहां गई थी। सही कहूँ तो वहां पहुंच कर मेरा मन घबराने लगा था कि मैं कहाँ आकर फंस गई। मेरा मन किया कि सब कुछ छोड़कर वापस हाथरस भाग जाऊं", अनिका ने जो उसके साथ बीती उसके बारे में बताते हुए कहा, "हाथरस से बारात के साथ विदा होकर मुझे लक्ष्मीपुर लाया गया था और जब अरनव के साथ रहकर जिंदगी जीने की बात उठी तो मेरे भाग्य में मनकापुर आया। मैं जब कभी उन दिनों की याद करतीं हूँ तो सिहर उठतीं हूँ"

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क्या तुमको मैरिज साइको फीवर था"

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नहीं ऐसा कुछ नहीं था। दरअसल मेरी जब शादी हुई तो मैं केवल 19 साल की थी। इंडिया में यह उम्र लड़कियों की शादी के लिए ठीक मानी जाती है। मैंने ग्रेजुएशन पूरा किया ही था। मेरे दिल में शादी व्याह को लेकर बहुत सुंदर ख़्यालात थे। मैं भी बादलों के ऊपर सवार हो आसमां में लंबी दूरी की उड़ान उड़ना चाहती थी लेकिन..."

"....
लेकिन क्या, अनिका"

अनिका ने अरनव की ओर देखा और पूछा, "बता दूं नाराज़ तो नहीं होगे"

अरनव ने अनिका से कहा, "बता दो। ऐसा हमारे और तुम्हारे बीच है ही क्या जो किसी से कुछ छुपा हो"

एमेलिया की ओर देखते हुए अनिका बोली, "दरअसल मेरी और अरनव की उम्र में बहुत फ़र्क है। जब मेरी शादी हुई थी तब अरनव 31 साल के थे। इन्होंने ज़िद्द पकड़ रखी थी कि पढ़ने लिखने के बाद वह अपनी ज़िंदगी जीना चाहते हैं जिससे उन्हें यह न लगे कि घर वालों ने उन्हें घर गृहस्थी के चक्कर में फंस दिया"

"
इसका मतलब यह हुआ कि मिस्टर अरनव ने अपनी ज़िंदगी खुल के जी, जो चाहा वह किया और उस मोड़ पर आकर शादी की जब उन्हें ज़िंदगी से कोई शिकवा शिकायत नहीं रही"

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एमेलिया इन्होंने खूब ऐश किया। पता नहीं कितनी ही लड़कियां इनके पीछे पड़ी हुईं थीं लेकिन इतना मैं कहूंगी कि इन्होंने सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी जी"

"
लवली", एमेलिया ने कहा, "फ्रांस में तो यह मुमकिन नहीं कि कोई 30 - 31 तक वह किसी को प्यार न करे"

"
बस शादी हुई और में इनके साथ इनके घर आ गई", अनिका ने कहा।

एमेलिया ने संजीदे स्वर में पूछा, "मिसेज़ सिंह तो क्या आपको पता नहीं था कि शादी के बाद कहाँ जाना है"


अनिका ने शरारती निग़ाह से अरनव की ओर देखा और कहा, "एमेलिया दरअसल हुआ ऐसा जब अरनव मुझे देखने आए थे तब यह एचएएल, बंगलोर में काम करते थे। बंगलोर में रहने की किसका दिल नहीं करेगा। बंगलोर इंडिया का अकेला एक ऐसा शहर जहां मौसम साल भर खुशनुमा रहता है, वास्तव में वह एयर कंडिशन्ड सिटी है। मैं यूपी के हाथरस शहर की रहने वाली थी इसलिए जब मुझे मेरे पिता ने बताया कि शादी के बाद मुझे बंगलोर जाकर रहना पड़ेगा। मेरे लिए तो यह कुछ इस तरह था जैसे कि मेरा ड्रीम कम ट्रू हुआ। लेकिन वह ड्रीम धरा का धरा हो गया"

अरनव ने भी अनिका को छेड़ते हुए कहा, "तो मुझे छोड़ क्यों नहीं दिया था"

"
वह इसलिए कि मैं तुम्हारी दीवानी जो गई थी", अनिका ने कहा और अपनी साड़ी का पल्लू लेकर इस तरह शरमाई जैसे कि उसने कुछ देर पहले ही अरनव की चिट्ठी मिली हो वह पढ़ रही हो। अनिका ने उन यादों में डूबते हुए कहा, "मैं इनसे उम्र में छोटी नहीं दिखती हूँ क्या"

एमेलिया को अनिका की यह अदा बहुत पसंद आई और मुस्कुरा कर बोली, "बहुत छोटी ही नहीं बहुत प्यारी लगती हो। हमारे फ्रांस में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। अक़्सर लड़का लड़की एक साथ किसी फैक्ट्री में या किसी बेकरी या होटल की किचेन में काम कर रहे होते हैं और बातों ही बातों में प्यार हो जाता है। दोनों लोग चाहें तो एक साथ अट्ठारह साल की उम्र के बाद वयस्क होने पर एक घर में लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। शादी करने की भी ज़रूरत नहीं। जब बाद में मन करे तो अपने यार दोस्तों और घर वालों की प्रजेंस में चर्च में जाकर शादी कर लो। हम लोगों का विक्टर तो शादी के पहले ही आ गया था। हमारी शादी तो बाद में हुई"

इस पर अरनव ने कहा, "सुना है कि ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर की भी लिव इन रिलेशनशिप चल रही है और उनकी गर्ल फ्रेंड प्रेग्नेंट है"

"
अरनव तुम बड़ी जानकारी रखते हो। मुझे तो तुमने यह बात कभी नहीं बताई", अनिका ने यह कहकर अरनव पर तंज कसा।

चारों लोगों में इसी तरह फ्रांसीसी और हिंदुस्तानी कल्चर को लेकर देर तक बात हुई। जब सूरज डूबने लगा तो ऐरॉन और एमेलिया से चलने की इजाज़त मांगी। गेस्ट हाउस में पहुंचते ही एमेलिया ने विक्टर और एस्टेले से कहा, "तुम दोनों तैयार रहना हम एक या दो दिन में मनकापुर चलेंगे"

विक्टर ने ताज़्ज़ुब करते हुए पूछा, "मॉम परमिशन मिल गई क्या"

"
हां मिल गई है", एमेलिया ने विक्टर और एस्टेले को बताया।

"
मॉम आप जाओ, मैं यहीं कम्फ़र्टेबल हूँ मैं कहीं नहीं जाने वाला", विक्टर बोला।

क्रमशः

लॉक डाउन 2
(एक धारावाहिक)

30-07-20 20

गतांक से आगे: ठाकुर हवेली पहुँच कर ऐरॉन और एमेलिया को कॉफी पीने के बहाने अनिका से मिलने के लिए क्या आये उन लोगों में ऐसे ही बैठे ठाले देर तक बात चीत होती रही। गेस्ट हाउस पहुंच कर जब एमेलिया ने विक्टर और एस्टेले से कहा कि वे दोनों मनकापुर चलने के लिए तैयार हो जाएं तो विक्टर ने मनकापुर चलने से मना कर दिया। उसने कहा कि वह गेस्ट हाउस में ही कम्फ़र्टेबल है।

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एपिसोड 7

ऐरॉन ने एमेलिया को आंख का इशारा कर कहा, "अभी विक्टर से कुछ न कहो हम बाद में उससे बात करते हैं"

एमेलिया और ऐरॉन बाद में अपने रूम में आ गए वहां दोनों ने आपस में बातचीत की और यह जानने की कोशिश की कि आख़िर विक्टर मनकापुर क्यों नहीं चलना चाह रहा है जब कि वह अच्छी तरह जानता था कि हम लोगों का वहां जाने का प्रोग्राम पेरिस से चलने के पहले ही फाइनल हो गया था। एमेलिया को लगा कि उन लोगों ने उसे यह नहीं बताया कि अनुष्का और आरुष भी हम लोगों के साथ चलने वाले हैं। इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ऐरॉन ने कहा, "हम विक्टर को अपना पूरा प्रोग्राम डिनर के बाद बताएंगे हो सकता है कि वह हमारी बात सुनकर मनकापुर चलने को तैयार हो जाये"

डिनर टाइम इस द बेस्ट टाइम टू डिसकस फ़ैमिली अफेयर्स ऐसा समस्त पश्चिमी देशों का चलन है। बावजूद इसके कि ऐरॉन परिवार गेस्ट हाउस के डाइनिंग हाल में खाना खा रहे थे, मानसिक दवाब के कारण एमेलिया स्वयं को रोक नहीं पाई और उसने विक्टर से पूछा, "विक्टर तुम क्यों हमारे साथ मनकापुर नहीं आना चाहते हो"

"मॉम हम लोग इंडिया घूमने आए थे हम लोगो को नार्थ ईस्ट चलना था, बाद में सदर्न इंडिया चलना था और वापसी में जयपुर, आगरा और दिल्ली से पेरिस की फ्लाइट लेनी थी। हम लोग कहीं भी नहीं जा सके और इस छोटी सी जगह में आकर फंस गए"

"देखो विक्टर हम लोगों का नेपाल का ट्रिप कितना अच्छा रहा लेकिन कौन जानता था कि कोरोना के चलते इंडिया में अचानक लॉक डाउन लग जायेगा और हमें यहां आकर रहना पड़ेगा", एमेलिया ने विक्टर को समझाते हुए कहा।

ऐरॉन को भी जब लगा कि विक्टर सुनने के मूड में है तो उसने भी उसे समझाने की कोशिश की और यह बताया कि हम लोगों को यीशु का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उन्होंने हमें मिस्टर अरनव की फ़ैमिली के पास भेज दिया नहीं तो पता नहीं हमें किस रोडसाइड पर टेंट में रहना पड़ता। सोचो हम क्या खाते क्या पीते।

एमेलिया और ऐरॉन ने जब विक्टर को बहुत देर समझाया और यह बताया कि मिस्टर अरनव और मिसेज़ अनिका के साथ साथ अनुष्का और आरुष भी हम लोगों के साथ चल रहे हैं। बहुत देर बाद विक्टर ने बड़े अनमने मन से मनकापुर चलने के लिए 'हां' की। उसके बाद ही ऐरॉन परिवार में सुख चैन वापस आया।

देर रात जब एमेलिया और ऐरॉन अपने बिस्तर पर लेटे हुए थे तब एमेलिया ने एक बार फिर से विक्टर के बारे में बताते हुए कहा, "मुझे यह शक़ था कि चूंकि आनंदिता और न ही अनुष्का मनकापुर चलेगी तो वह अकेला वहां जाकर क्या करेगा"

"मुझे भी यही लगा था लेकिन अच्छा हुआ कि अनुष्का और आरुष के चलने की ख़बर के बाद वह मनकापुर चलने के लिए तैयार हो गया"

"चलो हमको क्या करना है बस विक्टर को जो अच्छा लगे वह करे"

"क्या मतलब"

"मेरा मतलब है कि अगर उसे आनंदिता का साथ अच्छा लगे तो वह भी ठीक और उसे अनुष्का का साथ अच्छा लगे वह भी ठीक"

"तुम भी आजकल बहुत ऊटपटांग बातें करने लगी हो"

"मैं और ऊटपटांग बातें। देखा था आज अनिका ने अरनव की तो पेंट ही उतार दी थी"

"चलो छोड़ो भी"

"ज़रा इधर मुंह तो करो", कहकर एमेलिया ने ऐरॉन के होठों को प्यार से चूमा और कहा, "गुड नाईट"

जब सुबह वे लोग उठे तो देखा कि धर्मवीर उनके लिये मॉर्निंग टी लेकर दरवाज़े पर खड़ा हुआ था।

क्रमशः

 

लॉक डाउन 2
(एक धारावाहिक)

एपिसोड 8

31-07-20 20

गतांक से आगे: एमेलिया के समझाने बुझाने से विक्टर उन लोगों के साथ मनकापुर चलने को तैयार हो गया। अरनव ने आईटीआई के पब्लिक रिलेशन्स डिपार्टमेंट में फोन करके सभी के रहने के लिए गेस्ट हाउस बुक करा दिया तथा यूनिट हेड मिस्टर राजीव सेठ को मिस्टर ऐरॉन औए एमेलिया के बारे में भी सूचना दे दी कि वे लोग भी उनके साथ मनकापुर साथ आ रहे हैं।

आगे जानिए

एपिसोड 8

मनकापुर के लिए निकलने के पहले अनिका ने सफ़र के लिए खाने पीने का सामान रख लिया गया है कि नहीं एक बार फिर से चेक किया और जब वह संतुष्ट हो गई तो काले रंग की यूएसवी की फ्रंट सीट पर अरनव के बगल में जा बैठी और एमेलिया जो ऐरॉन के साथ पिछली सीट पर बैठी हुई थी उससे पूछा, "हम लोग इस कार में और बच्चे पांडेय ड्राइवर के साथ दूसरी कार में रहें यह ठीक रहेगा"

"बिल्कुल ठीक रहेगा, बच्चे एक साथ रहेंगे तो ज़्यादा एन्जॉय करेंगे", एमेलिया ने उत्तर में कहा।

यह तस्सली कर लेने के बाद कि पांडेय ड्राइवर भी सफ़र के लिए तैयार है तो वे लोग लक्ष्मीपुर से मनकापुर के लिए लगभग साढ़े ग्यारह बजे निकल पड़े। मेन हाई वे पर आते ही एक नाके पर पुलिस वाले ने उन्हें रोका और पेपर वग़ैरह चेक किए और उसके बाद ही उन्हें आगे बढ़ने दिया। लक्ष्मीपुर से मनकापुर की कुल दूरी लगभग 250 किमी थी जो वे लोग आराम से चलते हुए तीन साढ़े तीन घंटो में बीच में रुकते रूकते पूरा करना चाह रहे थे जिससे कि शाम होने के पहले ही वहां आराम से पहुंच सकें। रास्ते में वे लोग जब गोरखपुर शहर के बीचोंबीच से गुज़र रहे थे तो अरनव ने ऐरॉन को बताया, "मिस्टर BN Pandey जो आपके पिता और माता के अच्छे दोस्त थे वह रिटायरमेंट के बाद यहीं इसी शहर में अपने मकान में रहते हैं"

"मुझे याद पड़ता है मेरी माँ अक़्सर उनके बारे में बताया करतीं थीं", ऐरॉन ने पांडेय जी के बारे में कहा और साथ ही यह भी पूछ लिया, "मिस्टर अरनव एक चीज बताइये कि इंडिया में पांडेय क्या बहुत अधिक संख्या में पाए जाते हैं। क्योंकि हमें ड्राइवर मिला तो पांडेय, पुलिस इंस्पेक्टर मिले तो पांडेय और अभी अभी जिनका ज़िक्र किया वह भी पांडेय"

अरनव को लगा कि ऐरॉन परिवार को इंडिया के जातिगत इतिहास का कोई अधिक ज्ञान नहीं है इसलिए उन्हें बताते हुए कहा, "मिस्टर ऐरॉन मैं अधिक तो नहीं जानता पर थोड़ा बहुत जो हिंदू धर्म के ग्रंथों में पढ़ा है उसके लिहाज़ से पांडेय ब्राह्मणों के श्रेष्ठकुल से आते हैं जिनका ज़िक्र हमारे प्राचीन ग्रंथ 'मनुस्मृति' में भी आता है उसके अनुसार ब्राम्हण को ज्ञानी ध्यानी तो माना ही गया है। वे लोगों के लिए पूज्य होते हैं। उनका सभी क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कुल के लोग बहुत आदर सम्मान करते हैं"

"लुक्स इंटरेस्टिंग बट वेरी कॉम्प्लिकेटेड"

"यस, आप सही कह रहे हैं हमारे यहां के समाज की संरचना बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड है", अरनव ने उत्तर में कहा और अपनी निग़ाह अपने पीछे आती हुई कार पर बराबर बनाये रखी कि पांडेय ड्राइवर उनके पीछे पीछे आ रहा है कि नहीं। पूर्णरूप से संतुष्ट होने पर अरनव ने गोरखपुर सिटी क्रॉस करने के बाद अपनी यूएसवी की रफ़्तार कुछ तेज करी जिससे वे लोग समय से मनकापुर पहुंच सकें।

बीच में जब वे बस्ती नाम के शहर से गुज़र रहे थे तो अनिका ने अरनव को याद दिलाया, "कहीं रुक जाना जिससे हम लोग रास्ते में लंच कर सकें"

"ठीक है", कहकर अरनव ने एक होटल के सामने अपनी यूएसवी रोकी और पांडेय ड्राइवर की भी इशारा किया कि वह भी वहीं रुक जाए लेकिन एमेलिया ने अरनव को टोकते हुए कहा, "अभी कुछ देर पहले ही तो हम लोग खा पीकर निकले हैं और अभी भूख भी नहीं लग रही है इसलिए हम लोग अभी चलते हैं। अगर मन किया तो कहीं रोडसाइड पर कार रुकवा कर कुछ खा पी लेंगे"

"अरनव मेरे विचार में यही ठीक रहेगा। हम लोग खाने पीने का सामान साथ में लेकर चल रहे हैं इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है", अनिका ने अपनी सहमति एमेलिया से जताई। यह सुनकर अरनव ने पांडेय ड्राइवर के पास जाकर कहा, "पीछे पीछे चलना। हम लोग बीच में कहीं ढाबे के किनारे रोक कर लंच करेंगे"

अपनी यूएसवी में बैठते ही वे लोग वहां से आगे की ओर रवाना हो गए। गोरखपुर शहर से निकले हुए कुछ दस बारह किमी ही चले होंगे कि उन्हें रास्ते भर प्रवासी मजदूरों की भीड़ गोरखपुर की ओर आती हुई नज़र आई। मजदूरों के साथ उनके बच्चे और बीवियां भी आगे पीछे करके चले आ रहीं थीं जिसे देखकर ऐरॉन ने कहा, "लगता है कि अभी भी मजदूरों का पलायन रुका नहीं है"

कुछ आगे बढ़ने पर रास्ते में घनघना के बारिश होने लगी। तगड़ी बारिश को देखकर अरनव ने अपनी यूएसवी को स्पीड कम की और पांडेय ड्राइवर से भी इशारे से धीरे धीरे चलने को कहा।

ऐरॉन ने अरनव को धीरे धीरे ड्राइव करते हुए कहा, "इट्स बैटर टू बि केयरफुल"

"हां, हम लोग जब कार ड्राइव करते हैं तो इस बात का ध्यान रखते हैं कि अचानक कोई जानवर या आदमी गाड़ी के सामने न आ जाए"

"यही सही ड्राइविंग का तरीका है"

"लेकिन आपके यहां तो कोई प्रॉब्लम नहीं है। लोग हाई वे पर आराम से 150 -180 किमी की स्पीड से चलते हैं"

"वह इसलिए कि हमारे यहां की रोड्स वैल मैन्टेनेड रहती हैं और सड़क के दोनों ओर बड़ी बड़ी फेंसिंग होती है इसलिए कोई जानवर वग़ैरह अचानक रोड पर नहीं आ सकता है", ऐरॉन की ओर देखते हुए अरनव से कहा, "हर देश की अपनी अपनी ड्राइविंग कंडीशन्स होतीं हैं"

"बिल्कुल सही है। अब इंडिया में भी ऐसी हाई वे बन रहीं हैं जहां लोग आराम से 120 - 150 किमी की स्पीड पर लोग गाड़ी चला सकते हैं लेकिन मैं कंज़रवेटिव इंसान हूँ, इसलिए सेफ्टी फर्स्ट का प्रिंसिपल ध्यान में रखता हूँ"

"एवरीवन शुड फॉलो द सेम रूल"

बातों बातों में अनिका ने यूएसवी के साउंड सिस्टम पर हिंदी फ़िल्मी गानों की आवाज़ हल्की तेज की जिससे कि अरनव का ध्यान ड्राइविंग पर रहे बातों पर कम। बस्ती शहर के बाई पास के रास्ते आगे निकल आये थे तभी बारिश थम गई। वे लोग जब हरैया के आसपास एक ढाबे पर रुके तो उन्हें वहां कुछ भीड़ नज़र आई। अरनव ने अपनी गाड़ी रोकी और उसके पीछे पांडेय ड्राइवर ने भी अपनी कार रोक ली। सब लोग गाड़ी से उतर कर ढाबे की ओर बढ़े और अरनव ने सबके लिए चाय का आर्डर दिया। अनिका ने अपनी गाड़ी से खाने पीने का सामान जैसे ही निकाला तो वहां कई प्रवासी मज़दूर जो मीलों दूर भूखे प्यासे चले आ रहे थे उन्हें खाना निकालते देख और वे लोग उनके पास आ गए। उन्हें भूखे प्यासे देखकर अनिका तो अनिका साथ में ही एमेलिया का दिल पसीज गया और उन्होंने अपना सारा खाना उनके बीच बांट दिया। कुछ देर बाद जैसे ही उन्हें ढाबे के एक लड़के ने चाय लाकर दी तो वे लोग चाय पीकर गाड़ी में बैठ अपने सफ़र पर आगे की ओर बढ़ चले।

लकडमण्डी होते हुए जब वे लोग नवाबगंज के तिराहे पर पहुंचे तो एक होटल पर रुककर उन्होंने गरमा गर्म जलेबी और समोसा का नाश्ता किया। जब चाय पीकर वे मनकापुर के लिए चल पड़े। नबावगंज में शुगर फैक्ट्री के पास से वे गुज़र रहे थे तो ऐरॉन ने पूछा कि क्या वहां कोई डिस्टलरी है तो अरनव ने उसे बताया कि हां अंग्रेजों के ज़माने की एक डिस्टिलरी है और वहां की रम सबसे बढ़िया मानी जाती है। जब उनकी गाड़ियां टिकरी जंगल के रास्ते होते हुए जा रहीं थीं तो अरनव ने अपनी यूएसवी के सभी शीशे खोल दिये और ऐसी बंद कर दिया। बारिश के बाद जंगल के पेड़ पौधे महक रहे थे। ऐरॉन और एमेलिया को देखते हुए अरनव ने कहा, "लुक एट द फारेस्ट एंड फील द स्मेल ऑफ टीक वुड"

"ओह यस लवली, सो फ़्रेश। लगता है कि हम स्वर्ग में आ गए हों", एमेलिया ने उत्साह से कहा।

"मनकापुर के चारों ओर ऐसे ही फॉरेस्ट्स हैं जो इसे सबसे अलग क़स्बा बनाते हैं", अनिका ने मनकापुर की तारीफ़ में दो शब्द कहकर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की। कुछ ही देर में वे लोग रेलवे क्रासिंग को पार करते और न्यू मार्केट के बीच से होते हुए मनवर नदी का पुल पार कर वे लोग हनुमानजी जी के मंदिर के बगल वाली सड़क के रास्ते आईटीआई लिमिटेड की संचार विहार कॉलोनी में जा पहुंचे। अरनव ने गेस्ट हाउस के पोर्च में अपनी यूएसवी रोकी और पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट के अफसरों ने फ्रांसीसी परिवार के सदस्यों के लोगों का फूल माला पहना कर स्वागत किया।

क्रमशः

 

लॉक डाउन 2
(एक धारावाहिक)

एपिसोड 8

31-07-20 20

गतांक से आगे: एमेलिया के समझाने बुझाने से विक्टर उन लोगों के साथ मनकापुर चलने को तैयार हो गया। अरनव ने आईटीआई के पब्लिक रिलेशन्स डिपार्टमेंट में फोन करके सभी के रहने के लिए गेस्ट हाउस बुक करा दिया तथा यूनिट हेड मिस्टर राजीव सेठ को मिस्टर ऐरॉन औए एमेलिया के बारे में भी सूचना दे दी कि वे लोग भी उनके साथ मनकापुर साथ आ रहे हैं।

आगे जानिए

एपिसोड 8

मनकापुर के लिए निकलने के पहले अनिका ने सफ़र के लिए खाने पीने का सामान रख लिया गया है कि नहीं एक बार फिर से चेक किया और जब वह संतुष्ट हो गई तो काले रंग की यूएसवी की फ्रंट सीट पर अरनव के बगल में जा बैठी और एमेलिया जो ऐरॉन के साथ पिछली सीट पर बैठी हुई थी उससे पूछा, "हम लोग इस कार में और बच्चे पांडेय ड्राइवर के साथ दूसरी कार में रहें यह ठीक रहेगा"

"बिल्कुल ठीक रहेगा, बच्चे एक साथ रहेंगे तो ज़्यादा एन्जॉय करेंगे", एमेलिया ने उत्तर में कहा।

यह तस्सली कर लेने के बाद कि पांडेय ड्राइवर भी सफ़र के लिए तैयार है तो वे लोग लक्ष्मीपुर से मनकापुर के लिए लगभग साढ़े ग्यारह बजे निकल पड़े। मेन हाई वे पर आते ही एक नाके पर पुलिस वाले ने उन्हें रोका और पेपर वग़ैरह चेक किए और उसके बाद ही उन्हें आगे बढ़ने दिया। लक्ष्मीपुर से मनकापुर की कुल दूरी लगभग 250 किमी थी जो वे लोग आराम से चलते हुए तीन साढ़े तीन घंटो में बीच में रुकते रूकते पूरा करना चाह रहे थे जिससे कि शाम होने के पहले ही वहां आराम से पहुंच सकें। रास्ते में वे लोग जब गोरखपुर शहर के बीचोंबीच से गुज़र रहे थे तो अरनव ने ऐरॉन को बताया, "मिस्टर BN Pandey जो आपके पिता और माता के अच्छे दोस्त थे वह रिटायरमेंट के बाद यहीं इसी शहर में अपने मकान में रहते हैं"

"मुझे याद पड़ता है मेरी माँ अक़्सर उनके बारे में बताया करतीं थीं", ऐरॉन ने पांडेय जी के बारे में कहा और साथ ही यह भी पूछ लिया, "मिस्टर अरनव एक चीज बताइये कि इंडिया में पांडेय क्या बहुत अधिक संख्या में पाए जाते हैं। क्योंकि हमें ड्राइवर मिला तो पांडेय, पुलिस इंस्पेक्टर मिले तो पांडेय और अभी अभी जिनका ज़िक्र किया वह भी पांडेय"

अरनव को लगा कि ऐरॉन परिवार को इंडिया के जातिगत इतिहास का कोई अधिक ज्ञान नहीं है इसलिए उन्हें बताते हुए कहा, "मिस्टर ऐरॉन मैं अधिक तो नहीं जानता पर थोड़ा बहुत जो हिंदू धर्म के ग्रंथों में पढ़ा है उसके लिहाज़ से पांडेय ब्राह्मणों के श्रेष्ठकुल से आते हैं जिनका ज़िक्र हमारे प्राचीन ग्रंथ 'मनुस्मृति' में भी आता है उसके अनुसार ब्राम्हण को ज्ञानी ध्यानी तो माना ही गया है। वे लोगों के लिए पूज्य होते हैं। उनका सभी क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कुल के लोग बहुत आदर सम्मान करते हैं"

"लुक्स इंटरेस्टिंग बट वेरी कॉम्प्लिकेटेड"

"यस, आप सही कह रहे हैं हमारे यहां के समाज की संरचना बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड है", अरनव ने उत्तर में कहा और अपनी निग़ाह अपने पीछे आती हुई कार पर बराबर बनाये रखी कि पांडेय ड्राइवर उनके पीछे पीछे आ रहा है कि नहीं। पूर्णरूप से संतुष्ट होने पर अरनव ने गोरखपुर सिटी क्रॉस करने के बाद अपनी यूएसवी की रफ़्तार कुछ तेज करी जिससे वे लोग समय से मनकापुर पहुंच सकें।

बीच में जब वे बस्ती नाम के शहर से गुज़र रहे थे तो अनिका ने अरनव को याद दिलाया, "कहीं रुक जाना जिससे हम लोग रास्ते में लंच कर सकें"

"ठीक है", कहकर अरनव ने एक होटल के सामने अपनी यूएसवी रोकी और पांडेय ड्राइवर की भी इशारा किया कि वह भी वहीं रुक जाए लेकिन एमेलिया ने अरनव को टोकते हुए कहा, "अभी कुछ देर पहले ही तो हम लोग खा पीकर निकले हैं और अभी भूख भी नहीं लग रही है इसलिए हम लोग अभी चलते हैं। अगर मन किया तो कहीं रोडसाइड पर कार रुकवा कर कुछ खा पी लेंगे"

"अरनव मेरे विचार में यही ठीक रहेगा। हम लोग खाने पीने का सामान साथ में लेकर चल रहे हैं इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है", अनिका ने अपनी सहमति एमेलिया से जताई। यह सुनकर अरनव ने पांडेय ड्राइवर के पास जाकर कहा, "पीछे पीछे चलना। हम लोग बीच में कहीं ढाबे के किनारे रोक कर लंच करेंगे"

अपनी यूएसवी में बैठते ही वे लोग वहां से आगे की ओर रवाना हो गए। गोरखपुर शहर से निकले हुए कुछ दस बारह किमी ही चले होंगे कि उन्हें रास्ते भर प्रवासी मजदूरों की भीड़ गोरखपुर की ओर आती हुई नज़र आई। मजदूरों के साथ उनके बच्चे और बीवियां भी आगे पीछे करके चले आ रहीं थीं जिसे देखकर ऐरॉन ने कहा, "लगता है कि अभी भी मजदूरों का पलायन रुका नहीं है"

कुछ आगे बढ़ने पर रास्ते में घनघना के बारिश होने लगी। तगड़ी बारिश को देखकर अरनव ने अपनी यूएसवी को स्पीड कम की और पांडेय ड्राइवर से भी इशारे से धीरे धीरे चलने को कहा।

ऐरॉन ने अरनव को धीरे धीरे ड्राइव करते हुए कहा, "इट्स बैटर टू बि केयरफुल"

"हां, हम लोग जब कार ड्राइव करते हैं तो इस बात का ध्यान रखते हैं कि अचानक कोई जानवर या आदमी गाड़ी के सामने न आ जाए"

"यही सही ड्राइविंग का तरीका है"

"लेकिन आपके यहां तो कोई प्रॉब्लम नहीं है। लोग हाई वे पर आराम से 150 -180 किमी की स्पीड से चलते हैं"

"वह इसलिए कि हमारे यहां की रोड्स वैल मैन्टेनेड रहती हैं और सड़क के दोनों ओर बड़ी बड़ी फेंसिंग होती है इसलिए कोई जानवर वग़ैरह अचानक रोड पर नहीं आ सकता है", ऐरॉन की ओर देखते हुए अरनव से कहा, "हर देश की अपनी अपनी ड्राइविंग कंडीशन्स होतीं हैं"

"बिल्कुल सही है। अब इंडिया में भी ऐसी हाई वे बन रहीं हैं जहां लोग आराम से 120 - 150 किमी की स्पीड पर लोग गाड़ी चला सकते हैं लेकिन मैं कंज़रवेटिव इंसान हूँ, इसलिए सेफ्टी फर्स्ट का प्रिंसिपल ध्यान में रखता हूँ"

"एवरीवन शुड फॉलो द सेम रूल"

बातों बातों में अनिका ने यूएसवी के साउंड सिस्टम पर हिंदी फ़िल्मी गानों की आवाज़ हल्की तेज की जिससे कि अरनव का ध्यान ड्राइविंग पर रहे बातों पर कम। बस्ती शहर के बाई पास के रास्ते आगे निकल आये थे तभी बारिश थम गई। वे लोग जब हरैया के आसपास एक ढाबे पर रुके तो उन्हें वहां कुछ भीड़ नज़र आई। अरनव ने अपनी गाड़ी रोकी और उसके पीछे पांडेय ड्राइवर ने भी अपनी कार रोक ली। सब लोग गाड़ी से उतर कर ढाबे की ओर बढ़े और अरनव ने सबके लिए चाय का आर्डर दिया। अनिका ने अपनी गाड़ी से खाने पीने का सामान जैसे ही निकाला तो वहां कई प्रवासी मज़दूर जो मीलों दूर भूखे प्यासे चले आ रहे थे उन्हें खाना निकालते देख और वे लोग उनके पास आ गए। उन्हें भूखे प्यासे देखकर अनिका तो अनिका साथ में ही एमेलिया का दिल पसीज गया और उन्होंने अपना सारा खाना उनके बीच बांट दिया। कुछ देर बाद जैसे ही उन्हें ढाबे के एक लड़के ने चाय लाकर दी तो वे लोग चाय पीकर गाड़ी में बैठ अपने सफ़र पर आगे की ओर बढ़ चले।

लकडमण्डी होते हुए जब वे लोग नवाबगंज के तिराहे पर पहुंचे तो एक होटल पर रुककर उन्होंने गरमा गर्म जलेबी और समोसा का नाश्ता किया। जब चाय पीकर वे मनकापुर के लिए चल पड़े। नबावगंज में शुगर फैक्ट्री के पास से वे गुज़र रहे थे तो ऐरॉन ने पूछा कि क्या वहां कोई डिस्टलरी है तो अरनव ने उसे बताया कि हां अंग्रेजों के ज़माने की एक डिस्टिलरी है और वहां की रम सबसे बढ़िया मानी जाती है। जब उनकी गाड़ियां टिकरी जंगल के रास्ते होते हुए जा रहीं थीं तो अरनव ने अपनी यूएसवी के सभी शीशे खोल दिये और ऐसी बंद कर दिया। बारिश के बाद जंगल के पेड़ पौधे महक रहे थे। ऐरॉन और एमेलिया को देखते हुए अरनव ने कहा, "लुक एट द फारेस्ट एंड फील द स्मेल ऑफ टीक वुड"

"ओह यस लवली, सो फ़्रेश। लगता है कि हम स्वर्ग में आ गए हों", एमेलिया ने उत्साह से कहा।

"मनकापुर के चारों ओर ऐसे ही फॉरेस्ट्स हैं जो इसे सबसे अलग क़स्बा बनाते हैं", अनिका ने मनकापुर की तारीफ़ में दो शब्द कहकर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की। कुछ ही देर में वे लोग रेलवे क्रासिंग को पार करते और न्यू मार्केट के बीच से होते हुए मनवर नदी का पुल पार कर वे लोग हनुमानजी जी के मंदिर के बगल वाली सड़क के रास्ते आईटीआई लिमिटेड की संचार विहार कॉलोनी में जा पहुंचे। अरनव ने गेस्ट हाउस के पोर्च में अपनी यूएसवी रोकी और पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट के अफसरों ने फ्रांसीसी परिवार के सदस्यों के लोगों का फूल माला पहना कर स्वागत किया।

क्रमशः