Wednesday, December 31, 2014

2014 भी बस अब समझिए गया।



2014 भी बस अब समझिए गया।
आप सभी का सहयोग मिला। कभी सराहा कभी नहीं, कभी कुछ भी नहीं कहा। बहुत से मित्र ऐसे भी हैं साथ तो रहे पर दिखते नहीं थे, पर जो भी हम पोस्ट करते थे, पढ़ते अवश्य थे। ऐसे सभी साथियों का हार्दिक धन्यवाद।
दुनियां भर में बदलाव आ रहा है। इस बदलाव से हिंदी साहित्य भी जूझ रहा है। नई पीढ़ी आगे आ रही है। पुरानी मान्यताएं बदल रही हैं। साहित्य अब किताबों तक सीमित नहीं रह गया है। इलेक्ट्रोनिक मीडिया अपना असर दिखा रहा हैं। फेसबुक और ट्विटर इत्यादि बहुत सशक्त होकर सामने आए हैं। नये रचनाकारों को नये आयाम मिले हैं। हिंदी जगत मजबूत हुआ है। यह एक, मेरे विचार, से अच्छा और स्वागत योग्य परिवर्तन हो रहा है।
कविता भी अपना रूप बदल रही है। नित नये प्रयोग हो रहे हैं। आजकल की कविता अभिव्यक्ति की महत्वपूर्ण कड़ी बन कर मुखरित हो रही है।
एहसास को आपस में बांटने की एक नई दिशा मिल रही है।
मेरी कोशिश रही है कि मैं भी आपके साथ कदम से कदम मिलाकर चलूँ। 2014 में हर रोज़ आपके साथ कुछ न कुछ शेयर किया है। कभी बहुत सराहा गया हूँ, कभी कभार नहीं भी। हर रोज़ और हर बाॅल पर छक्का नहीं लगता है, इसका मुझे भली भांति ज्ञान है। मेरे लिए यही बहुत है, जब कुछ मित्र कहते हैं कि हर रोज़ अखबार की तरह फेसबुक पर कुछ न कुछ देखने की वह भी इच्छा रखते हैं। मेरी कोशिश रही है, आपकी सेवा में उपलब्ध रहूँ और अपनी ओर से आपके मन भीतर अपनी पैठ बना सकूँ।
यह प्रयास आगे भी अनवरत चले, मैं पूरी कोशिश करूँगा।
आपका सहयोग और सानिध्य ऐसे ही प्राप्त होता रहे, यही अभिलाषा है।
2015 वर्ष आप सभी के लिए शुभ हो यही मेरी मनोकामना है और प्रभु से प्रार्थना भी।
कोशिश होगी हर दिन मुलाकात होती रहे।
— with Ramaa Singh and Puneet Chowdhary.
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